Show महिमा मां गायत्री की, गायत्री महामंत्र से ऐसे हुई सृष्टि की रचना 2- आचमन- इन मंत्रों से मन, वाणी व अंतःकरण की शुद्धि के लिए तीन बार जल का आचमन करें 3- शिखा वंदन- इस मंत्र के साथ शिखा के स्थान को स्पर्श करते हुए मां गायत्री से सद्विचार की कामना करें। 4- प्राणायाम-इस मंत्र के साथ श्वास खींचते हुए भाव करें कि मां गायत्री हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियां, बुरे विचारों कोबाहर निकाल रही है। 5- न्यास- इस मंत्र के साथ
बताएं अंगों को जल का लगाते हुए भाव करें कि मां गायत्री शरीर के रोम-रोम को पवित्र कर रही है। जानें पांच मुखों वाली मां गायत्री का अद्भूत रहस्य 6- मां गायत्री आवाहन्- उपरोक्त क्रम के बाद पूजा स्थल पर एक जल भरा कलश व घी का दीपक जलाकर इस मंत्र से मां गायत्री का आवाहन् करें कि प्रकाश रूप में मां गायत्री पूजा स्थल पर स्थापित हो रही है। ॐ आयातु वरदे देवि त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि। 7- गुरु आवाहन्- गायत्री मंत्र को गुरु मंत्र भी कहा जाता है इसलिए बिना गुरु के साधना का फल देरी से मिलने संभावना रहती है। आप जिसे भी गुरु मानते हैं उन्हें भी इस मंत्र के साथ पूजा स्थल पर आवाहन् करें। ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुरेव महेश्वरः। 8- पंचोपचार पूजन- आवाहन के बाद मां गायत्री का पंचोपचार पूजन- (जल, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप तथा नैवेद्य) आदि पांच पदार्थ प्रतीक के रूप में माता को अर्पित करें। 9- मंत्र जप- पूजन के बाद ऐसे करें मंत्र जप- गायत्री मंत्र का जप न्यूनतम तीन माला या घड़ी से प्रायः 24 मिनट मन ही मन जप करें। जप करते वक्त अपने भीतर के कषाय-कल्मषों-कुसंस्कारों से मुक्ति और जो भी भौतिक सुख सुविधाओं की कामना हो उसका भाव भी कर सकते हैं। गायत्री मंत्र गंगाजल में स्नान से ऐसे हो जाता है सभी पापों का नाश 10- सूर्यार्घ्यदान- विसर्जन- जप समाप्ति के बाद पूजा वेदी पर रखें कलश का जल सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के भाव से पूर्व दिशा में सूर्य भगवान को र्अघ्य रूप में निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए चढ़ायें। ॐ सूर्यदेव! सहस्रांशो, तेजोराशे जगत्पते। इतना सब करने के बाद दान स्वरूप अपनी कमाई का एक अंश धन दान अवश्य करें। ऐसा करने से निश्चित ही मां गायत्री आपकी सभी मनोकामना पूर्ण
करेंगी।
जिस जल से खुद को पवित्र करते हैं उसे शुद्ध रखें:अवधेशपुरीमांगरोल से प्रस्थान कर शाम को अलीगंज पहुंची नर्मदा यात्रा भास्कर संवाददाता| बाड़ी/रायसेन नमामि देवी नर्मदे नर्मदा सेवा यात्रा 105 वें दिन बाड़ी ब्लाक के ग्राम मांगरोल से प्रस्थान कर शाम को अलीगंज पहुंची। अलीगंज में नर्मदा सेवा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। नर्मदा कलश एवं ध्वज का पूजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में उज्जैन अखाड़ा परिषद के प्रमुख अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि जिस जल से हम आचमन करते हैं, जिस जल में हम स्नान कर खुद को पवित्र करते हैं उस जल की निर्मलता, शुद्धता बनाए रखना होगा। उन्होंने कह कि मां नर्मदा के जल को पावन और अविरल रखने के लिए पूजन पद्धति में भी बदलाव करना होगा। हमें एेसी पूजन सामग्री नर्मदा में प्रवाहित नहीं करना चाहिए जो उसके जल को अशुद्ध करे। उन्होंने कि नर्मदा के दोनों तटों पर पेड़ लगाना होगा। पेड़ संत समान होते हैं जो केवल देते ही हैं, कुछ लेते नहीं है। वे हमें आक्सीजन के रूप में प्राण वायु देते हैं। वे हमें फल देते हैं, वे जहर रूपी दूषित वायु को अवशोषित कर हमें जीवन देते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मां नर्मदा के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे नर्मदा सेवा यात्रा में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सहभागी बनने का आव्हान किया। दूषित जल एवं पूजन सामग्री से प्रदूषित हो रही नर्मदा: विधायक नर्मदा यात्रा अलीगंज पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने कलश एवं ध्वज की आरती उताकर की पूजा। शरीर को पवित्र कैसे करे?शास्त्रों के अनुसार वर्णित ''स्नान मंत्र' है – ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।। इस मंत्र का अर्थ है – कोई भी मनुष्य जो पवित्र हो, अपवित्र हो या किसी भी स्थिति को प्राप्त क्यों न हो, जो भगवान पुण्डरीकाक्ष का स्मरण करता है, वह बाहर-भीतर से पवित्र हो जाता है।
पवित्रीकरण का मंत्र क्या है?1- पवित्रीकरण- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए थोड़ा सा जल पवित्रता के भाव से अपने ऊपर छिड़क लें। ॐ अपवित्रः पवित्रो वा, सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
नहाने के बाद कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
सुबह कौनसा मंत्र बोलना चाहिए?यह हैं सुबह के 13 मंत्र, कोई 1 भी पढ़ लिया तो मिलेगी हर कार्य में.... ॐ मंगलम् भगवान विष्णु: मंगलम् गरूड़ध्वज:। ... . कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती। ... . गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर:। ... . सीताराम चरण कमलेभ्योनम: राधा-कृष्ण-चरण कमलेभ्योनम:।. दक्षिणे लक्ष्मणो यस्त वामेच जनकात्मजा,. |