जल से पवित्र करने का मंत्र - jal se pavitr karane ka mantr


1- पवित्रीकरण- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए थोड़ा सा जल पवित्रता के भाव से अपने ऊपर छिड़क लें।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा, सर्वावस्थांगतोऽपि वा।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु।

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2- आचमन- इन मंत्रों से मन, वाणी व अंतःकरण की शुद्धि के लिए तीन बार जल का आचमन करें
ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।
ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा।
ॐ सत्यं यशः श्रीर्मयि श्रीः श्रयतां स्वाहा।

3- शिखा वंदन- इस मंत्र के साथ शिखा के स्थान को स्पर्श करते हुए मां गायत्री से सद्विचार की कामना करें।
ॐ चिद्रूपिणि महामाये, दिव्यतेजः समन्विते।
तिष्ठ देवि शिखामध्ये, तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥

जल से पवित्र करने का मंत्र - jal se pavitr karane ka mantr

4- प्राणायाम-इस मंत्र के साथ श्वास खींचते हुए भाव करें कि मां गायत्री हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियां, बुरे विचारों कोबाहर निकाल रही है।
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम्। ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ।

5- न्यास- इस मंत्र के साथ बताएं अंगों को जल का लगाते हुए भाव करें कि मां गायत्री शरीर के रोम-रोम को पवित्र कर रही है।
ॐ वाङ् मे आस्येऽस्तु । (मुख को)
ॐ नसोर्मे प्राणोऽस्तु । (नासिका के दोनों छिद्रों को)
ॐ अक्ष्णोर्मे चक्षुरस्तु । (दोनों नेत्रों को)
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु । (दोनों कानों को)
ॐ बाह्वोर्मे बलमस्तु । (दोनों भुजाओं को)
ॐ ऊर्वोमे ओजोऽस्तु । (दोनों जंघाओं को)
ॐ अरिष्टानि मेऽङ्गानि, तनूस्तन्वा मे सह सन्तु । (समस्त शरीर पर)

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6- मां गायत्री आवाहन्- उपरोक्त क्रम के बाद पूजा स्थल पर एक जल भरा कलश व घी का दीपक जलाकर इस मंत्र से मां गायत्री का आवाहन् करें कि प्रकाश रूप में मां गायत्री पूजा स्थल पर स्थापित हो रही है।

ॐ आयातु वरदे देवि त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि।
गायत्रिच्छन्दसां मातः! ब्रह्मयोने नमोऽस्तु ते॥
ॐ श्री गायत्र्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि,
ततो नमस्कारं करोमि।

7- गुरु आवाहन्- गायत्री मंत्र को गुरु मंत्र भी कहा जाता है इसलिए बिना गुरु के साधना का फल देरी से मिलने संभावना रहती है। आप जिसे भी गुरु मानते हैं उन्हें भी इस मंत्र के साथ पूजा स्थल पर आवाहन् करें।

ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुरेव महेश्वरः।
गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अखण्डमंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
ॐ श्रीगुरवे नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।

जल से पवित्र करने का मंत्र - jal se pavitr karane ka mantr

8- पंचोपचार पूजन- आवाहन के बाद मां गायत्री का पंचोपचार पूजन- (जल, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप तथा नैवेद्य) आदि पांच पदार्थ प्रतीक के रूप में माता को अर्पित करें।

9- मंत्र जप- पूजन के बाद ऐसे करें मंत्र जप- गायत्री मंत्र का जप न्यूनतम तीन माला या घड़ी से प्रायः 24 मिनट मन ही मन जप करें। जप करते वक्त अपने भीतर के कषाय-कल्मषों-कुसंस्कारों से मुक्ति और जो भी भौतिक सुख सुविधाओं की कामना हो उसका भाव भी कर सकते हैं।

गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

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10- सूर्यार्घ्यदान- विसर्जन- जप समाप्ति के बाद पूजा वेदी पर रखें कलश का जल सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के भाव से पूर्व दिशा में सूर्य भगवान को र्अघ्य रूप में निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए चढ़ायें।

ॐ सूर्यदेव! सहस्रांशो, तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर॥
ॐ सूर्याय नमः, आदित्याय नमः, भास्कराय नमः॥

इतना सब करने के बाद दान स्वरूप अपनी कमाई का एक अंश धन दान अवश्य करें। ऐसा करने से निश्चित ही मां गायत्री आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगी।
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जिस जल से खुद को पवित्र करते हैं उसे शुद्ध रखें:अवधेशपुरी

मांगरोल से प्रस्थान कर शाम को अलीगंज पहुंची नर्मदा यात्रा

भास्कर संवाददाता| बाड़ी/रायसेन

नमामि देवी नर्मदे नर्मदा सेवा यात्रा 105 वें दिन बाड़ी ब्लाक के ग्राम मांगरोल से प्रस्थान कर शाम को अलीगंज पहुंची। अलीगंज में नर्मदा सेवा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। नर्मदा कलश एवं ध्वज का पूजन किया गया।

इस अवसर पर आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में उज्जैन अखाड़ा परिषद के प्रमुख अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि जिस जल से हम आचमन करते हैं, जिस जल में हम स्नान कर खुद को पवित्र करते हैं उस जल की निर्मलता, शुद्धता बनाए रखना होगा। उन्होंने कह कि मां नर्मदा के जल को पावन और अविरल रखने के लिए पूजन पद्धति में भी बदलाव करना होगा। हमें एेसी पूजन सामग्री नर्मदा में प्रवाहित नहीं करना चाहिए जो उसके जल को अशुद्ध करे।

उन्होंने कि नर्मदा के दोनों तटों पर पेड़ लगाना होगा। पेड़ संत समान होते हैं जो केवल देते ही हैं, कुछ लेते नहीं है। वे हमें आक्सीजन के रूप में प्राण वायु देते हैं। वे हमें फल देते हैं, वे जहर रूपी दूषित वायु को अवशोषित कर हमें जीवन देते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मां नर्मदा के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे नर्मदा सेवा यात्रा में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सहभागी बनने का आव्हान किया।

दूषित जल एवं पूजन सामग्री से प्रदूषित

हो रही नर्मदा: विधायक
विधायक रामकिशन पटेल ने कहा कि मां नर्मदा को स्वच्छ रखने के लिए हमें दो महत्वपूर्ण काम करने होंगे। एक काम, नर्मदा के दोनों तट पर अधिक से अधिक पेड़ लगाना है। दूसरा काम सबसे महत्वपूर्ण है नर्मदा में गंदगी नहीं डालना। दूषित जल एवं ऐसी पूजन सामग्री जो नर्मदा के जल को अशुद्ध करे उसे नहीं डालने का संकल्प लेना होगा। नर्मदा के तट पर कुण्ड बनाकर उसमें डालना होगा। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर इस अनुष्ठान को सफल बनाएंगे। कलेक्टर भावना वालिंबे ने कहा कि नर्मदा के जल की शुद्धता और अविरलता बनाए रखने के लिए चलाए जा रहे इस अनूठे अभियान में पूरे समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। जिला पंचायत अध्यक्ष अनिता किरार ने नर्मदा को स्वच्छ रखने और अधिक से अधिक पेड़ लगाने का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम में शिवाजी पटेल, बाड़ी जनपद अध्यक्ष मकरंद सिंह ने भी संबोधित किया। जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर ब्रह्मचारी महाराज, राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सह रायसेन प्रभारी रमेश चन्द्र शर्मा, जन अभियान के उपाध्यक्ष प्रदीप पांडे, भोपाल संभाग के अपर आयुक्त नरेन्द्र सिंह एवं कई जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। जनसंवाद कार्यक्रम केे बाद नर्मदा आरती की गई।

नर्मदा यात्रा अलीगंज पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने कलश एवं ध्वज की आरती उताकर की पूजा।

शरीर को पवित्र कैसे करे?

शास्त्रों के अनुसार वर्णित ''स्नान मंत्र' है – ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।। इस मंत्र का अर्थ है – कोई भी मनुष्य जो पवित्र हो, अपवित्र हो या किसी भी स्थिति को प्राप्त क्यों न हो, जो भगवान पुण्डरीकाक्ष का स्मरण करता है, वह बाहर-भीतर से पवित्र हो जाता है।

पवित्रीकरण का मंत्र क्या है?

1- पवित्रीकरण- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए थोड़ा सा जल पवित्रता के भाव से अपने ऊपर छिड़क लें। ॐ अपवित्रः पवित्रो वा, सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

नहाने के बाद कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

सुबह कौनसा मंत्र बोलना चाहिए?

यह हैं सुबह के 13 मंत्र, कोई 1 भी पढ़ लिया तो मिलेगी हर कार्य में....
ॐ मंगलम् भगवान विष्णु: मंगलम् गरूड़ध्वज:। ... .
कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती। ... .
गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर:। ... .
सी‍ताराम चरण कमलेभ्योनम: राधा-कृष्ण-चरण कमलेभ्योनम:।.
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्त वामेच जनकात्मजा,.