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स्थायी समितियों के प्रतिवेदनों का प्रत्ययकारी महत्व होता है। यदि सरकार समिति की किसी सिफारिश को स्वीकार कर लेती है तो वह विधेयक पर विचार किए जाने के प्रक्रम में सरकारी संशोधन प्रस्तुत कर सकती है अथवा स्थायी समिति के प्रतिवेदन के अनुसार विधेयक को वापस लिया जा सकता है और स्थायी समिति की सिफारिशों को सम्मिलित करने के पश्चात एक नया विधेयक ला सकती है। प्रवर समिति अथवा संयुक्त समिति के समक्ष विधेयकयदि कोई विधेयक प्रवर अथवा संयुक्त समिति को सौंपा जाता है, तो समिति सभा के समान विधेयक पर खंडवार विचार करती है। समिति के सदस्य विभिन्न खंडों पर संशोधन प्रस्ताव कर सकते हैं। सभा में प्रवर अथवा संयुक्त समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किए जाने के पश्चात विधेयक के प्रभारी सदस्य द्वारा सामान्यत: प्रवर समिति अथवा संयुक्त समिति, जैसी भी स्थिति हो, के प्रतिवेदन के अनुसार सभा में विधेयक पर विचार करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है। किसी धन विधेयक अथवा वित्त विधेयक को, जिसमें किसी विधेयक को धन विधेयक बनाने संबंधी कोई प्रावधान अंतर्विष्ट हों, किसी भी सभा की संयुक्त समिति के पास नहीं भेजा जा सकता। राज्य सभा में कतिपय प्रवर्गों के विधेयकों के पुर:स्थापन संबंधी प्रतिबंधकोई विधेयक संसद की किसी की सभा में पुर:स्थापित किया जा सकता है। तथापि धन विधेयक राज्य सभा में पुर:स्थापित नहीं किया जा सकता है। इसे राष्ट्रपति की लोक सभा में पुर:स्थापित करने संबंधी पूर्व सिफारिश के साथ केवल लोक सभा में पुर:स्थापित किया जा सकता है। कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं यदि इस बारे में कोई प्रश्न उठता है तो इस संबंध में अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा। राज्य सभा के लिए, लोक सभा द्वारा पारित और पारेषित किसी धन विधेयक को उसकी प्राप्ति के 14 दिनों के अंदर वापस भेजना अनिवार्य है। राज्य सभा पारेषित धन विधेयक को सिफारिशों के साथ अथवा बिना सिफारिश के वापस भेज सकती है। लोक सभा, राज्य सभा की सभी अथवा किसी सिफारिश को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र है। तथापि, यदि राज्य सभा किसी धन विधेयक को 14 दिनों की निर्धारित अवधि के बाद भी वापस नहीं भेजती, तो उस विधेयक को उक्त 14 दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद संसद की दोनों सभाओं द्वारा उसी रूप में पारित हुआ माना जाएगा जिस रूप में उसे लोक सभा द्वारा पारित किया गया था। धन विधेयक की ही तरह वे विधेयक जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ अनुच्छेद 110 के खंड (1) के उपखंड (क) से (च) में उल्लिखित किसी भी विषय से संबंध रखने वाले उपबंध हों को भी राज्य सभा में पुर:स्थापित नहीं किया जा सकता। उन्हें राष्ट्रपति की सिफारिश पर केवल लोक सभा में पुर:स्थापित किया जा सकता है। तथापि ऐसे विधेयकों पर धन विधेयक संबंधी अन्य प्रतिबंध लागू नहीं होते। संविधान संशोधन विधेयकसंविधान ने संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति दी है। संविधान संशोधन विधेयक, संसद की किसी भी सभा में पुर:स्थापित किया जा सकता है। जबकि संविधान संशोधन विधेयक के पुर:स्थापन हेतु प्रस्तावों को सामान्य बहुमत, सभा के कुल सदस्यों के बहुमत और उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से स्वीकृत किया जाता है और इन विधेयकों पर विचार करने और इन्हें पारित करने के लिए प्रभावी खंडों तथा प्रस्तावों को स्वीकृत करने हेतु मतदान आवश्यक होता है। संविधान के अनुच्छेद 368(2) के परंतुक सूचीबद्ध महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित संविधान संशोधन विधेयकों को संसद की सभाओं द्वारा पारित किए जाने के बाद, कम से कम आधे राज्य विधान मंडलों द्वारा इसका अनुसमर्थन किया जाना आवश्यक है। संयुक्त बैठकसंविधान के अनुच्छेद 108(1) में यह उपबंध है कि जब किसी सभा द्वारा पारित किसी विधेयक, (धन विधेयक अथवा संविधान में संशोधन करने वाले विधेयक को छोड़कर) को अन्य सभा द्वारा अस्वीकार किए जाने या विधेयक में किए गए संशोधनों के बारे में दोनों सभाएं अंतिम रूप से असहमत होने या दूसरी सभा को विधेयक प्राप्त होने की तारीख से उसके द्वारा विधेयक पारित किए बिना छह मास से अधिक बीत जाने पर लोक सभा का विघटन होने के कारण यदि विधेयक व्यपगत नहीं हो गया है तो राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुलाने के लिए आमंत्रित करने के आशय की अधिसूचना, यदि वे बैठक में है तो संदेश द्वारा यदि वे बैठक में नहीं है तो अधिसूचना द्वारा देगा। राष्ट्रपति ने सभाओं की संयुक्त बैठक संबंधी प्रक्रिया के विनियमन हेतु संविधान के अनुच्छेद 118 के खंड (3) के अनुसार संसद (संयुक्त बैठक और संचार) नियम बनाए हैं। अभी तक ऐसा तीन बार हुआ है जब संसद की संयुक्त बैठक में विधेयक पर विचार और पारित किया गया हैं। विधेयकों पर अनुमतिजब कोई विधेयक संसद की दोनों सभाओं द्वारा पारित कर दिया जाए तो वह राष्ट्रपति की अनुमति के लिए उसके समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति विधेयक पर या तो अनुमति दे सकता है या अपनी अनुमति रोक सकता है या यदि वह धन विधेयक न हो, तो उसे इस संदेश के साथ वापस भेज सकता है कि उस विधेयक या उसके कुछ निर्दिष्ट उपबंधों पर विचार किया जाए या ऐसे संशोधनों के पुर:स्थापन होने की वांछनीयता पर विचार किया जाए जिनकी सिफारिश उसने अपने संदेश में की हो। राष्ट्रपति धन विधेयक पर या तो अनुमति दे सकता है या अपनी अनुमति रोक सकता है। राष्ट्रपति धन विधेयक को पुन:विचार करने हेतु सदन को नहीं लौटा सकता है। राष्ट्रपति संसद द्वारा, निर्धारित विशेष बहुमत से और जहां आवश्यक हो, राज्य विधानमंडलों की अपेक्षित सदस्य संख्या द्वारा अनुसमर्थित, पारित संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी अनुमति देने के लिए बाध्य है। लोकसभा का विघटन कर सकता है कौन?लोकसभा का विघटन— राष्ट्रपति द्वारा मंत्रि परिष्द की सलाह पर किया है। इससे लोकसभा का जीवन समाप्त हो जाता है। इसके बाद आमचुनाव ही होते है।
भारत की लोकसभा में कुल कितने सदस्य हैं?संविधान में व्यवस्था है कि सदन की अधिकतम सदस्य संख्या 552 होगी – 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे, 20 सदस्य संघशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करेंगे तथा 2 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इण्डियन समुदाय से नामित किया जाएगा। वर्तमान में सदन की सदस्य संख्या 545 है।
लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर जी थे । और वर्तमान समय में लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी है। प्रथम लोकसभा उपाध्यक्ष कौन थे? प्रथम लोकसभा अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर और उपाध्यक्ष अनन्तशयनम आयंगर थे।
दिल्ली में लोकसभा की सीटें कितनी है?नई दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र दिल्ली के भारतीय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की 7 लोकसभा (संसदीय) निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है।
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