कौन से ब्लड ग्रुप वाले को मच्छर ज्यादा काटते हैं? - kaun se blad grup vaale ko machchhar jyaada kaatate hain?

आप एक ही कमरे में बैठे हैं और आपको ज्यादा मच्छर काट रहे हैं जबकि आपके आसपास या आपके साथ बैठे व्यक्ति को मच्छर छू भी नहीं रहे। ऐसा कई बार होता है। कई लोगों को शिकायत होती है कि उन्हें ज्यादा मच्छर काटते हैं। ऐसे में कई लोग इसका कारण जानना चाहते हैं। हम आपको बता रहे हैं इसकी वजह- शोधकर्ताओं का दावा है कि कुछ विशेष गंध मच्छर को ज्यादा तेजी से आकर्षित करती हैं. इंसान की त्वचा में रहने वाले बैक्टीरिया से रिलीज होने वाले यूरिक एसिड, लैक्टिक एसिड और अमोनिया की महक से भी मच्छर इंसान के पास ज्यादा मंडराते हैं. शरीर का तापमान ज्यादा होने की वजह से इंसान को जो पसीना आता है, उसमें ये तत्व ज्यादा निकलते हैं. (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); लखनऊक्या आपको लगता है कि दूसरों की तुलना में आपको ज्यादा मच्छर काटते हैं। अगर ऐसा है तो परेशान न हों। कई लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। हाल ही में अमेरिका की पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ सायंस की रिपोर्ट के मुताबिक, मच्छरों का काटना जींस पर निर्भर करता है। अगर माता या पिता में से किसी एक या दोनों को ज्यादा मच्छर काटते हैं तो हो सकता है कि आपके साथ भी ऐसा हो।ऐसा ही भाई-बहनों के संबंध में भी होता है क्योंकि खून के रिश्ते होने पर जींस भाई-बहनों व माता-पिता से मिलते हैं। इतना ही नहीं रिसर्च में खुलासा हुआ है कि O ब्लड ग्रुप वाले लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं। तो आइए आज हम आपको बता रहे हैं कि मच्छर किस चीज से आकर्षित होते हैं और किनको काटते हैं।ब्लड ग्रुप का भी फर्क वैज्ञानिकों के मुताबिक, मच्छर हमारे ब्लड से प्रोटीन लेते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, O ब्लड ग्रुप वाले लोगों को A ब्लड ग्रुप की तुलना में दोगुना मच्छर काटते हैं। वहीं B ब्लड ग्रुप के लोगों को सामान्य रूप से मच्छर काटते हैं।पसीने की गंध से होते हैं जल्दी आकर्षित जिन लोगों को ज्यादा पसीना आता है, उन्हें मच्छर ज्यादा काटते हैं। पसीने में लैक्टिक ऐसिड, यूरिक ऐसिड, अमोनिया जैसे तत्व होते हैं, जिनसे मच्छर जल्दी आकर्षित होते हैं। यही वजह है कि कसरत के दौरान भी मच्छर ज्यादा काटने लगते हैं। बलरामपुर अस्पताल में फिजिशियन डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है, 'जिन लोगों को ज्यादा पसीना आता है, उन्हें मच्छर ज्यादा काटते हैं।'मच्छरों में देखने और रंग पहचानने की क्षमता एक रिसर्च के मुताबिक, मच्छरों में देखने और रंग पहचानने की क्षमता भी होती है। मच्छर लाल, नीले, जामुनी और काले जैसे रंगों को मच्छर आसानी से पहचान लेते हैं। इसलिए ऐसा मुमकिन है कि अगर आपने ऐसे किसी रंग के कपड़े पहने हैं तो आपको मच्छर ज्यादा काट रहे हों, जबकि आपके साथ सफेद या पीले रंग के कपड़े पहने शख्स को मच्छरों का पता भी न चले।बीयर बीयर पीने से शरीर में इथेनॉल की मात्रा बढ़ जाती है। इथेनॉल मच्छरों को बहुत आकर्षित करता है। इसलिए बीयर पीने के बाद मच्छर ज्यादा आकर्षित होने लगते हैं और ज्यादा काटते हैं।ऐसे बचे मच्छरों से मच्छरों को ज्यादा आकर्षित करने के कुछ ऐसे कारण होते हैं जिनसे आप बच नहीं सकते। मसलन, आप अपना ब्लड ग्रुप बदल नहीं सकते। ऐसे में मच्छरों से बचाव ही आपके पास एकमात्र उपाय है। मच्छरों से बचाव के लिए सबसे पहले ऐसे कपड़े पहनें, जिसमें आपका पूरा शरीर ढक जाएं। पंखे या कूलर के पास रहें। मच्छरदानी लगा के सोएं।इसके अलावा, लहसुन की तीखी और कटु गंध मच्छर के काटने से और यहां तक ​​कि अपने घर में घुसने से भी रोकती है। इस उपाय का उपयोग करने के लिए आप लहसुन की कुछ फली पीसकर पानी में उबाल लें और जिस कमरें को आप मच्छर मुक्त रखना चाहते हैं वहां चारों ओर स्प्रे करें। आगरा, जागरण संवाददाता। मच्छर एक हानिकारक कीट है, लेेक‍िन आगरा जोन में यह अब और ताकतवर हो गया हैं। मच्छर एकलिंगी जंतु है। यानी नर और मादा मच्छर के शरीर अलग-अलग होते हैं। सिर्फ मादा मच्छर ही अंडा देने के ल‍िए इंसान या अन्य जंतुओं के रक्त चूसते हैं, जबकि नर मच्छर पेड़-पौधों का रस पीते हैं।आगरा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, अलीगढ, मथुरा, हाथरस व फ‍िरोजाबाद जनपदों मेें डेंंगू का प्रकोप बढने पर मंडलीय कीट विज्ञानी मीना राजपूत व इंसेक्ट कलेक्टर कमल अग्रवाल ने व‍िभ‍िन्‍न स्‍थानों पर ल‍िए गए नमूने व उनकी जांच के बाद यह बात कही है। उनका कहना है क‍ि आगरा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, अलीगढ, मथुरा, हाथरस व फ‍िरोजाबाद मेंं एडीज एजिप्टी नामक नर व मादा मच्छरों का कुनबा पल रहा है। उन्‍होंने बताया क‍ि केवल मादा मच्छर खून से पोषण लेती है, अतः यह ही वाहक होती है ना कि नर। मादा मच्छर एनोफ़िलीज़ रात को ही काटती है। शाम होते ही यह शिकार की तलाश मे निकल पडती है। तब तक घूमती है जब तक शिकार मिल नहीं जाता। यह खड़े पानी के अन्दर अंडे देती है। अंडों और उनसे निकलने वाले लार्वा, दोनों को पानी की अत्यन्त सख्त जरुरत होती है। इसके अतिरिक्त लार्वा को सांस लेने के लिए पानी की सतह पर बार-बार आना पड़ता है। अंडे-लार्वा-प्यूपा और फिर वयस्क होने में मच्छर लगभग 10-14 दिन का समय लेते हैं। वयस्क मच्छर पराग और शर्करा वाले अन्य भोज्य-पदार्थों पर पलते हैं, लेकिन मादा मच्छर को अंडे देने के लिए रक्त की आवश्यकता होती है। उन्‍होेने बताया क‍ि मच्छर एक बार में अपने एक डंक से इंसान का 0.001 से 0.1 मिलीलीटर तक खून चूस लेते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); Agra : गल्फ्रेंड ने किया ''ब्रेकअप'' तो बदला लेने के लिए उसके नए प्रेमी के भतीजे को कर लिया अगवायह भी पढ़ें (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); घुटनों तक ही काटता है डेंगू का मच्छरमीना राजपूत ने बताया क‍ि अक्‍टूबर व नवंबर डेंगू का पीक सीजन माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि डेंगू फैलाने वाली एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छर की उम्र एक महीना तक ही होती है लेकिन अक्‍टूबर-नवंबर वाली अवध‍ि अर्थात वह 500 से लेकर 1000 तक मच्छर पैदा कर देती है। यह मच्छर तीन फुट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता, इस कारण केवल लोअर लिंब्स पर ही इसका डंक चलता है। मादा मच्छर कूलर, गमलों, फ्लावर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों व टायर इत्यादि में भरे पानी और आबादी के आसपास गड्ढों में लंबे समय तक खड़े साफ पानी में अपने अंडे देती है। यह एक बार में 100 से लेकर 300 तक अंडे देती है। अंडों से लार्वा बनने में 2 से 7 दिन लगते हैं। लार्वा के बाद 4 दिन में यह मच्छर की शेप में आ जाता है और 2 दिन बाद उड़ने लायक मच्छर बन जाता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); पठान फिल्म पर विवाद, प्रदर्शनकारी बोले- यूपी में फ‍िल्‍म रिलीज हुई तो सिनेमाघरों के नक्‍शे बदल देंगेयह भी पढ़ेंतीव्र होती है सूंघने की क्षमतामीना राजपूत ने बताया क‍ि मच्छर, हर तरह के कार्बन डाई ऑक्साइड के प्रति आकर्षित होते हैं। बड़े उम्र के लोग अधिक कार्बन डाई आक्‍साइड छोड़ते हैं। यही वजह है कि बच्चों के मुकाबले बड़ों को ज्यादा मच्छर काटता है। कुछ इसी तरह की परिस्थिति गर्भवती महिलाओं के साथ ही होती है क्योंकि जब कोई महिला गर्भवती होती है तो वह सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा कार्बन डाई आक्‍साइड छोड़ती है और इसलिए गर्भावस्था के दौरान उसे ज्यादा मच्छर काटते हैं। कौन सा ब्लड ग्रुप मच्छर सबसे ज्यादा पसंद करते हैं?

एक रिसर्च में पाया गया कि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति मच्छर ज्यादा आकर्षित करते हैं. कार्बन डाइऑक्साइड-मच्छर काफी दूर से कार्बन डाइऑक्साइड को महसूस कर सकते हैं.
Show

कौन सा ब्लड ग्रुप मच्छरों को आकर्षित नहीं करता है?

'O' ब्लड ग्रुप वालों को ज्यादा परेशानी इसके अलावा शरीर की गंध, पसीने की महक जैसे फैक्टर्स से भी मच्छर प्रभावित होते हैं. अगर आपकी स्किन साफ रहेगा तो मच्छर कम आकर्षित होंगे.

मच्छर कौन सा खून पसंद करता है?

इस रिसर्च के मुताबिक, ओ (O) ब्लड ग्रुप वालों को मच्छर सबसे अधिक काटते हैं। वहीं, अगर हम ए (A) ग्रुप ब्लड की बात करें, तो ओ की तुलना में इन्हें कम मच्छर काटते हैं। इसके साथ ही 'बी' और 'एबी' को भी ओ की तुलना में कम मच्छर काटते हैं। ऐसे में ओ ब्लड ग्रुप वालों को मच्छर काटने का खतरा सबसे अधिक रहता है।

क्यों मच्छर मुझे बहुत काटता है?

कई स्टडीज का कहना है कि ब्लड टाइप O को ज्यादा मच्छर काटते हैं. मच्छर इस ब्लड ग्रूप से ज्यादातर आकर्षित होते हुए देखे गए हैं. वहीं, मेटाबॉलिक रेट भी मच्छरों की पसंद को प्रभावित करता है. प्रेग्नेंट औरतों और मोटे लोगों का मेटाबॉलिक रेट ज्यादा होता है जिस चलते मच्छर उन्हें ज्यादा काटते हैं.