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वाजपेयी 'भारत रत्न' से सम्मानित27 मार्च 2015 इमेज स्रोत, PRESIDENT OF INDIA पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को शुक्रवार को उनके आवास पर भारत रत्न से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वाजपेयी के आवास पर जाकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि स्वास्थ्य कारणों के चलते राष्ट्रपति ने वाजपेयी को उनके आवास पर सम्मानित किया. राष्ट्रपति का आभारइमेज स्रोत, QURBAN ALI 1996 BBC DELHI इमेज कैप्शन, ये तस्वीर 1996 में ली गई थी जब प्रधानमंत्री बनने से ठीक पहले अटल बिहारी वाजपेयी बीबीसी के आइफैक्स बिल्डिंग स्थित स्टूडियो आए थे. उनका इंटरव्यू किया था क़ुरबान अली ने. नरेंद्र मोदी ने संवाददाताओं से कहा, "मैं व्यक्तिगत तौर पर राष्ट्रपति का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने वाजपेयी को उनके घर पर भारत रत्न से सम्मानित किया." मोदी ने ट्वीट किया,"अटलजी ने अपना जीवन भारत भक्ति को दिया. आज उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया." उन्होंने लिखा, “मेरे जैसे करोड़ों देशवासियों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है, जब अटल जी को भारत रत्न दिया जा रहा है." जेटली ने कहा, "वाजपेयी जी अपने स्वास्थ्य कारणों से अपने घर पर ही रहते हैं. राष्ट्रपति ने उन्हें उनके घर पर भारत रत्न से सम्मानित किया." जेटली ने बताया कि वाजपेयी को सम्मानित किए जाने के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मंत्रिपरिषद के कई सदस्यों समेत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
रसरंग में क़िस्सागोई:नेहरू ने स्वयं ही भारत-रत्न अवार्ड ले लिया था? क्या था इसके पीछे का सच?रशीद किदवईएक वर्ष पहले
7 सितम्बर 1955 को एक कार्यक्रम में भारत रत्न से नवाजे जाते जवाहरलाल नेहरू। देश का पहला आम चुनाव कांग्रेस ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में लड़ा था, जिसमें उन्होंने लगभग 40 हजार किलोमीटर की यात्राएं की थीं और करीब साढ़े तीन करोड़ लोगों को सीधे सम्बोधित किया था। यह संख्या कितनी अप्रतिम थी, इसका अंदाजा केवल इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि उस समय भारत की कुल आबादी 36 करोड़ थी, जबकि मतदाताओं की संख्या 17 करोड़ से थोड़ी-सी ज्यादा थी। यानी जवाहरलाल नेहरू ने भारत के हर दसवें व्यक्ति और हर पांचवें मतदाता को सीधे संबोधित किया था। इस चुनाव में ‘कांग्रेस को वोट देना यानी नेहरू को वोट देना’ जैसा नारा दिया गया था, जिससे साफ पता चलता है कि यह पूरा चुनाव जवाहरलाल नेहरू पर केंद्रित था। इन्हीं जवाहरलाल नेहरू को 1955 की गर्मियों में भारत रत्न देने की घोषणा की गई। यह उस सरकार ने की थी, जिसका नेतृत्व स्वयं जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे। ऐसे में तब कई लोगों ने इस घोषणा की नैतिकता पर सवाल भी उठाए थे। लेकिन जिस समय नेहरू को देश का सबसे बड़ा सम्मान देने की घोषणा की गई थी, उस समय वे यूरोप दौरे के तहत वियना में थे और ऑस्ट्रिया के चॉन्सलर जूलियस राब से भेंट कर रहे थे। कला, साहित्य और विज्ञान के उत्थान तथा सार्वजनिक सेवाओं में उच्चतम प्रतिमान स्थापित करने वालों के लिए स्थापित किए गए भारत रत्न सम्मान का यह दूसरा वर्ष था। साल 1954 में इसकी शुरुआत की गई थी। उस साल भारत के तीन दिग्गजों - सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी. वी. रमन - को यह शीर्ष सम्मान दिया गया था। इस सम्मान को भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश के तहत कायम किया गया था। यह सर्वविदित था कि तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के संबंध अपने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से ठीक नहीं थे। दोनों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे। इसके बावजूद प्रसाद ने नेहरू को भारत रत्न प्रदान करने की पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार की। 15 जुलाई, 1955 को इस बाबत प्रसाद ने कहा, 'चूंकि यह कदम मैंने स्व-विवेक से, अपने प्रधानमंत्री की अनुशंसा के बगैर व उनसे किसी सलाह के बिना उठाया है, इसलिए एक बार कहा जा सकता है कि यह निर्णय अवैधानिक है; लेकिन मैं जानता हूं कि मेरे इस फैसले का स्वागत पूरे उत्साह से किया जाएगा...।' और इस फैसले का वाकई स्वागत ही हुआ। नेहरू को देश का यह शीर्ष सम्मान प्रदान किया गया। उनके साथ ही दार्शनिक व गांधीवादी भगवानदास और जाने-माने इंजीनियर एम. विश्वेसरैया को भी भारत रत्न से विभूषित किया गया था। 7 सितम्बर 1955 को विशेष रूप से निमंत्रित प्रतिष्ठित लोगों के बीच गरिमामय समारोह में नेहरू को भारत रत्न से विभूषित किया गया। यहां एक रोचक तथ्य भी भुलाया नहीं जाना चाहिए। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस सम्मान समारोह में तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव ए.वी. पाई ने सम्मान पाने वाली विभूतियों के नाम उच्चारित किए, लेकिन नेहरू का प्रशस्ति-पत्र नहीं पढ़ा गया। प्रशस्तियों की आधिकारिक पुस्तिका में प्रधानमंत्री का महज नाम दर्ज है। उनके द्वारा की गई सेवाओं का वहां कोई जिक्र तक नहीं है। आमतौर पर प्रशस्तियों की आधिकारिक पुस्तिका में सम्मानित हस्ती द्वारा की गईं उल्लेखनीय सेवाओं का उल्लेख पारंपरिक तौर पर किया जाता है। पुराने दौर के लोग कहते हैं कि देश व समाज के लिए नेहरू के अप्रतिम योगदान का चंद पैराग्राफ में जिक्र करना कठिन होगा, इसलिए उसे छोड़ दिया गया। कौन से प्रधानमंत्री भारत रत्न से सम्मानित नहीं है?सिंह है। वी.पी. सिंह ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने कभी भारत रत्न पुरस्कार नहीं जीता। लाल बहादुर शास्त्री ने 1966 में भारत रत्न जीता था।
भारत में कितने प्रधानमंत्री को भारत रत्न मिला है?देश के प्रति उनके उत्कृष्ट कामो के लिए 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। देसाई जी ही एकमात्र ऐसे भारत रत्न प्राप्तकर्ता प्रधानमंत्री और व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया था।
भारत रत्न प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री कौन है?नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को 15 जुलाई को ही देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान करने का ऐलान किया गया था। उन्हें यह वर्ष 1955 में प्रदान किया गया। वर्ष 1954 में स्थापित यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
1 भारत रत्न प्राप्त करने वाली पहली महिला कौन थी?सही उत्तर इंदिरा गांधी है। वह भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री थीं और उन्हें 1971 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
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