तुलसी माला क्यों पहनी जाती है? - tulasee maala kyon pahanee jaatee hai?

Tulsi Mala तुलसी की माला का हिंदू धर्म में काफी अधिक महत्व है। मान्यता है कि तुलसी माला पहनने से बुध और शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं। इसके साथ ही कई बीमारियां कोसों दूर रहती हैं। जानिए तुलसी की माला पहनने के नियम

नई दिल्ली, Tulsi Mala: हिंदू धर्म में तुलसी का काफी महत्व है। इसे पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी में मां लक्ष्मी का वास होता है। मान्यता है कि जब मां लक्ष्मी ने धरती में राधा रानी के रूप में जन्म लिया था तब तुलसी का नाम वृंदा था जो कि राक्षस जालंधर की पत्नी थी। जिसका वध भगवान विष्णु और भगवान ने मिलकर किया था। इस पर सती वृंदा ने दुखी और क्रोधित होकर भगवान विष्णु को शाप  दे दिया कि वह धरती पर शालिग्राम यानि शीला के रूप में रहें। इस पर मां लक्ष्मी ने वृंदा ने विनती की उसके पति को शाप मुक्त कर दें। उनकी विनती सुनकर देवी वृंदा ने सती होने से पूर्व भगवान विष्णु को अपने पास रहने की शर्त पर अपने शाम मुक्त कर दिया। जैसे ही देवी वृंदा सती हुई वैसे से उनकी राख से एक पौधे उत्पन्न हुआ जिसे ब्रह्मा जी ने इसे तुलसी नाम दिया। यही पौधा सती वृंदा का पूजनीय स्वरूप हो गया। भगवान विष्णु ने देवी तुलसी को भी वरदान दिया कि वह सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली माता कहलाएंगी और वर्ष में एक बार शालिग्राम और तुलसी का विवाह भी होगा। इसी कारण भगवान विष्णु को तुलसी काफी प्रिय है।  

तुलसी दल के महत्व के बारे में आपने खूब सुना होगा। लेकिन इसकी लकड़ी भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। माना जाता है कि तुलसी की लकड़ी से बनी माला पहनने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। यह धार्मिक से साथ-साथ सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। तुलसी की माला पहनने से शुक्र और बुध ग्रह मजबूत होता है। इसके साथ ही मन शांत रहता है। जानिए वास्तु के मुताबिक तुलसी की माला पहनते समय किन बातों का रखें ध्यान।

तुलसी माला क्यों पहनी जाती है? - tulasee maala kyon pahanee jaatee hai?

तुलसी की माला पहनने से पहले जान लें ये नियम

  • आमतौर पर तुलसी दो तरह की होती है रामा और श्यामा तुलसी। जिसका अल-अलग महत्व होता है।
  • जिस व्यक्ति से तुलसी की माला धारण की है उसे सात्विक भोजन नहीं ग्रहण करना होगा यानी उस व्यक्ति को मांस-मदिरा से दूरा बनाने के साथ ही लहसुन और प्याज का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • अगर आपने तुलसी की माला पहन ली है तो उस किसी भी स्थिति में उतारना नहीं चाहिए।
  • तुलसी की माला को पहनने से पहले अच्छी तरह से गंगाजल से धो लें। इसके बाद सूख जाने के बाद ही पहनना चाहिए।
  • माना जाता है कि तुलसी की माला हाथों से बनाकर पहनना काफी लाभकारी होता है।
  • जो जातक तुलसी की माला को धारण करते हैं उन्हें रोजाना भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
  • अगर आपने तुलसी की माला पहनी है तो बिल्कुल भी रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। इससे अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  • अगर किसी कारणवश गले में तुलसी की माला धारण नहीं कर पा रहे हैं तो दाएं हाथ में धारण कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि नित्य क्रिया करने से पहले इसे उतार दें। इसके बाद स्नान करने के बाद दोबारा गंगाजल से धोकर धारण कर लें।     

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Edited By: Shivani Singh

नई दिल्‍ली: हिंदू धर्म में तुलसी (Tulsi) का बहुत महत्‍व है. रोजाना तुलसी को जल चढ़ाने, शाम को तुलसी के पौधे के नीचे दीपक लगाने से लेकर तुलसी खाने और उसकी माला पहनने तक इससे जुड़ी कई चीजें भारतीय परंपरा का अहम हिस्‍सा हैं. वैज्ञानिक लिहाज से भी तुलसी के कई फायदे हैं. आज तुलसी से जुड़े एक ऐसे ही लाभ की बात करते हैं जो व्‍यक्ति के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य (Mental Health) से जुड़ा है. यह कनेक्‍शन तुलसी की माला (Tulsi Mala) पहनने और उससे मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर होने का है. आमतौर पर भगवान विष्णु और कृष्ण के भक्त तुलसी के बीजों की माला धारण किए हुए नजर आते हैं.

2 तरह की होती है तुलसी 

तुलसी मोटे तौर पर 2 तरह की होती है- श्यामा तुलसी और रामा तुलसी. श्यामा तुलसी के बीजों की माला पहनने से मानसिक शांति मिलती है और मन में पॉजिटिविटी आती है. इससे आध्यात्मिक के साथ ही साथ पारिवारिक और भौतिक उन्नति भी होती है. यह ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव बढ़ाती है. वहीं रामा तुलसी की माला पहनने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है और सात्विक भावनाएं जागृत होती हैं. इससे उसे अपने कर्तव्यों का पालन करने में मदद मिलती है.

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तुलसी की माला पहनने के फायदे 

- तुलसी की माला पहनने से मन शांत और आत्मा पवित्र होती है. 

- यह माला पहनने से शरीर निर्मल होता है, जीवनशक्ति बढ़ती है. व्यक्ति को पाचन शक्ति, बुखार, जुकाम, सिरदर्द, स्किन इंफेक्शन, दिमाग की बीमारियों और गैस से संबंधित कई बीमारियों (Disease) में राहत मिलती है. यह संक्रमण से होने वाली बीमारियों से भी बचाती है.

- तुलसी एक अद्‍भुत औषधि है, इससे ब्लड प्रेशर और डाइजेशन बेहतर होता है. तुलसी को धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है. गले में तुलसी की माला पहनने से विद्युत तरंगे निकलती हैं जो ब्‍लड सर्कुलेशन में रुकावट नहीं आने देती हैं. इसके अलावा मलेरिया और कई प्रकार के बुखारों में तुलसी बहुत फायदेमंद होती है.

- तुलसी की माला पहनने से मानसिक शांति मिलती है. इसे गले में पहनने से जरूरी एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर प्रेशर पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में फायदा होता है. यह मेमोरी को बढ़ाने में भी मदद करती है. यह एंटीबायोटिक, दर्द-निवारक और इम्‍यूनिटी क्षमता बढ़ाने में भी फायदेमंद होती है.

- पीलिया होने पर तुलसी की माला पहनना सेहत के लिए अच्‍छा माना जाता है. कहते हैं कि कॉटन के सफेद धागे में तुलसी की लकड़ी बांध कर पहना जाए तो पीलिया रोग जल्दी खत्म हो जाता है. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

तुलसी की माला गले में धारण करने से क्या होता है?

तुलसी को धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है. गले में तुलसी की माला पहनने से विद्युत तरंगे निकलती हैं जो ब्‍लड सर्कुलेशन में रुकावट नहीं आने देती हैं. इसके अलावा मलेरिया और कई प्रकार के बुखारों में तुलसी बहुत फायदेमंद होती है. - तुलसी की माला पहनने से मानसिक शांति मिलती है.

तुलसी माला पहनने के क्या क्या नियम है?

तुलसी कंठी माला पहनने वालों को कुछ बातों का खास ख्याल रखना होता है. मान्यता है कि जो इंसान इस माला को धारण करते हैं उन्हें मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए. यही नहीं तुलसी माला धारण करने वालों को लहसुन-प्याज भी नहीं खाना चाहिए. ऐसा इसलिए लहसुन-प्याज और मांसाहारी व्यंजनों को तामसिक माना गया है.

तुलसी माला कब पहनना चाहिए?

तुलसी की माला किस दिन पहने? ( Tulsi ki Mala kis din pahne? ) तुलसी की माला दो प्रकार की होती हैं – रामा तुलसी और श्यामा तुलसी। दोनों ही तुलसी की माला को धारण करने के लिए शुभ दिन सोमवार, बुधवार और बृहस्पतिवार माना गया है।

तुलसी की माला में कितने दाने होने चाहिए?

एक मान्यता के अनुसार माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है।