किसी विधेयक को धन विधेयक होने का अंतिम निर्णय कौन देता है? - kisee vidheyak ko dhan vidheyak hone ka antim nirnay kaun deta hai?

Free

Rajasthan Police Constable Official Paper (Held On: 6 Nov 2020 Shift 1)

150 Questions 75 Marks 120 Mins

एक धन विधेयक आम तौर पर करों, उधार और धन के व्यय, लेखा परीक्षा और लेखा, समेकित और आकस्मिक निधि आदि से संबंधित मुद्दों से संबंधित होता है।

  • धन विधेयक केवल राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश से ही लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
  • लोकसभा के अध्यक्ष के पास यह निर्धारित करने का अंतिम अधिकार है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं जैसा कि अनुच्छेद 110 (3) में कहा गया है।
  • अध्यक्ष लोकसभा में पीठासीन अधिकारी होता है जिसे लोकसभा के सदस्यों के भीतर से चुना जाता है और भारतीय संसदीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

किसी विधेयक को धन विधेयक होने का अंतिम निर्णय कौन देता है? - kisee vidheyak ko dhan vidheyak hone ka antim nirnay kaun deta hai?
Important Points

धन विधेयक के मामले में स्पीकर एक शक्तिशाली भूमिका निभाता है। 

  • यदि कोई प्रश्न उठता है कि लोकसभा में पेश किया गया विधेयक धन विधेयक है या नहीं, तो ऐसी परिस्थितियों में, लोकसभा के अध्यक्ष को विधेयक को धन विधेयक के रूप में घोषित करने और उसे राज्य सभा में भेजने से पहले प्रमाणित करने का अधिकार है।
  • स्पीकर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले इस संबंध में किसी से सलाह लेने के लिए बाध्य नहीं है और उस पर उसका निर्णय अंतिम है जिसे आगे चुनौती नहीं दी जा सकती है।
  • धन विधेयक के प्रमाणीकरण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उच्च सदन अनुच्छेद 110(1) के प्रावधानों से परे कुछ भी जोड़कर इसमें संशोधन नहीं कर सकता है।
  • यदि स्पीकर बिल को मनी बिल के रूप में प्रमाणित नहीं करता है तो इसे केवल एक वित्तीय बिल के रूप में माना जाएगा।

इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि लोकसभा का अध्यक्ष यह तय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं।

Latest Rajasthan Police Constable Updates

Last updated on Sep 15, 2022

Rajasthan Police Constable Admit Card released. This is for the PET/PST stage. Candidates who have qualified the written exam are eligible to appear for this stage of the selection process. Earlier, the Result & Final answer key for written exam were released on 24th August 2022. The Rajasthan Police had announced 4438 vacancies for the said post. The candidates have to undergo Written Test, PET, PST, and Medical Examination as part of the selection process. The candidates finally appointed as Rajasthan Police Constable will be entitled to a Grade Pay of INR 2000.

संसद का मूलभूत कार्य विधियों को बनाना है। सभी विधायी प्रस्‍ताव विधेयकों के रूप में संसद के सामने लाने होते हैं। एक विधेयक प्रारूप में परिनियम होता है और वह तब तक विधि नहीं बन सकता जब तक कि उसे संसद की दोनों सभाओं का अनुमोदन और भारत के राष्‍ट्रपति की अनुमति न मिल जाए।

विधान संबंधी कार्यवाही विधेयक के संसद की किसी भी सभा में पुर:स्‍थापित किए जाने से आरंभ होती है। विधेयक किसी मंत्री या गैर-सरकारी सदस्‍य द्वारा पुर:स्‍थापित किया जा सकता है। मंत्री द्वारा पुर:स्‍थापित किए जाने पर विधेयक सरकारी विधेयक और गैर-सरकारी सदस्‍य द्वारा पुर:स्‍थापित किए जाने पर गैर-सरकारी विधेयक कहलाता है।

विधेयक को स्‍वीकृति हेतु राष्‍ट्रपति के समक्ष प्रस्‍तुत करने से पूर्व संसद की प्रत्‍येक सभा अर्थात लोक सभा और राज्‍य सभा द्वारा तीन बार वाचन किया जाता है।.

प्रथम वाचन

प्रथम वाचन (एक) सभा में विधेयक पुर:स्‍थापित करने हेतु अनुमति के लिए प्रस्‍ताव जिसे स्‍वीकार करने के संबंध में विधेयक पुर:स्‍थापित किया गया है, अथवा (दो) विधेयक के आरंभ होने और अन्‍य सभा द्वारा पारित किए, अन्‍य द्वारा पारित विधेयक को सभा पटल पर रखे जाने की स्‍थिति के बारे में उल्‍लेख करता है।

द्वितीय वाचन

द्वितीय वाचन में दो प्रक्रम हैं। “पहले प्रक्रम” में विधेयक के सिद्धांतों और निम्‍नलिखित में से किन्‍हीं दो प्रस्‍तावों पर सामान्‍यत: इनके उपबंधों पर चर्चा होती है कि विधेयक पर विचार किया जाए, अथवा विधेयक को सभा की प्रवर समिति के पास भेजा जाए; अथवा विधेयक को अन्‍य सभा की सहमति से सभाओं की संयुक्‍त समिति के पास भेजा जाए; अथवा विधेयक को संबंधित विषय पर राय लेने के उद्देश्‍य से परिचालित किया जाए। ‘दूसरे प्रक्रम’ में यथास्थिति सभा में पुर:स्‍थापित अथवा प्रवर अथवा संयुक्‍त समिति द्वारा प्रतिवेदन के अनुसार विधेयक पर खंडवार विचार किया जाता है।

राज्‍य सभा द्वारा पारित किए जाने और लोक सभा को भेजे जाने की स्‍थिति में विधेयक को लोक सभा के महासचिव द्वारा पहले लोक सभा के पटल पर रखा जाता है। इस स्‍थिति में द्वितीय वाचन प्रस्‍ताव के बारे में उल्‍लेख करता है (एक) कि राज्‍य सभा द्वारा यथापारित विधेयक पर विचार किया जाए; अथवा (दो) कि विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए (यदि विधेयक को पहले से सदनों की संयुक्‍त समिति को नहीं भेजा गया है)।  

तृतीय वाचन

तृतीय वाचन प्रस्‍ताव पर उस चर्चा का उल्‍लेख करता है कि विधेयक अथवा यथासंशोधित विधेयक को पारित किया जाए।

राज्‍य सभा में पुर:स्‍थापित विधेयकों के संबंध में लगभग यही प्रक्रिया अपनायी जाती है। 

संसद के सदनों द्वारा विधेयक को अंतिम रूप से पारित किए जाने के पश्‍चात राष्‍ट्रपति की अनुमति हेतु प्रस्‍तुत किया जाता है। राष्‍ट्रपति की अनुमति के पश्‍चात यह विधेयक विधि बन जाता है।

विधेयकों को विभाग से संबंधित स्‍थायी समितियों के पास भेजना

वर्ष 1993 में विभाग से संबंधित 17 स्‍थायी समितियों के गठन के पश्‍चात भारतीय संसद के इतिहास में नए युग का सूत्रपात हुआ। अब, स्‍थायी समितियों की संख्‍या को 17 से बढ़ाकर 24 कर दिया गया है। 8 समितियां राज्‍य सभा के सभापति के निदेश से कार्य करती हैं जबकि 16 समितियां लोक सभा अध्‍यक्ष के निदेश से कार्य करती हैं।

राज्‍य सभा के सभापति अथवा लोक सभा अध्‍यक्ष, जैसी भी स्‍थिति हो, द्वारा किसी भी सभा में पुर:स्‍थापित ऐसे विधेयकों की जांच और इस संबंध में प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करना इन समितियों का महत्‍वपूर्ण कार्य है।

स्‍थायी समितियों के प्रतिवेदनों का प्रत्‍ययकारी महत्‍व होता है। यदि सरकार समिति की किसी सिफारिश को स्‍वीकार कर लेती है तो वह विधेयक पर विचार किए जाने के प्रक्रम में सरकारी संशोधन प्रस्‍तुत कर सकती है अथवा स्‍थायी समिति के प्रतिवेदन के अनुसार विधेयक को वापस लिया जा सकता है और स्‍थायी समिति की सिफारिशों को सम्‍मिलित करने के पश्‍चात एक नया विधेयक ला सकती है।

प्रवर समिति अथवा संयुक्‍त समिति के समक्ष विधेयक

यदि कोई विधेयक प्रवर अथवा संयुक्‍त समिति को सौंपा जाता है, तो समिति सभा के समान विधेयक पर खंडवार विचार करती है। समिति के सदस्‍य विभिन्‍न खंडों पर संशोधन प्रस्‍ताव कर सकते हैं। सभा में प्रवर अथवा संयुक्‍त समिति का प्रतिवेदन प्रस्‍तुत किए जाने के पश्‍चात विधेयक के प्रभारी सदस्‍य द्वारा सामान्‍यत: प्रवर समिति अथवा संयुक्‍त समिति, जैसी भी स्‍थिति हो, के प्रतिवेदन के अनुसार सभा में विधेयक पर विचार करने हेतु प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत किया जाता है।

किसी धन विधेयक अथवा वित्‍त विधेयक को, जिसमें किसी विधेयक को धन विधेयक बनाने संबंधी कोई प्रावधान अंतर्विष्‍ट हों, किसी भी सभा की संयुक्‍त समिति के पास नहीं भेजा जा सकता।

राज्‍य सभा में कतिपय प्रवर्गों के विधेयकों के पुर:स्‍थापन संबंधी प्रतिबंध

कोई विधेयक संसद की किसी की सभा में पुर:स्‍थापित किया जा सकता है। तथापि धन विधेयक राज्‍य सभा में पुर:स्‍थापित नहीं किया जा सकता है। इसे राष्‍ट्रपति की लोक सभा में पुर:स्‍थापित करने संबंधी पूर्व सिफारिश के साथ केवल लोक सभा में पुर:स्‍थापित किया जा सकता है। कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं यदि इस बारे में कोई प्रश्‍न उठता है तो इस संबंध में अध्‍यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।

राज्‍य सभा के लिए, लोक सभा द्वारा पारित और पारेषित किसी धन विधेयक को उसकी प्राप्‍ति के 14 दिनों के अंदर वापस भेजना अनिवार्य है। राज्‍य सभा पारेषित धन विधेयक को सिफारिशों के साथ अथवा बिना सिफारिश के वापस भेज सकती है। लोक सभा, राज्‍य सभा की सभी अथवा किसी सिफारिश को स्‍वीकार अथवा अस्‍वीकार करने के लिए स्‍वतंत्र है। तथापि, यदि राज्‍य सभा किसी धन विधेयक को 14 दिनों की निर्धारित अवधि के बाद भी वापस नहीं भेजती, तो उस विधेयक को उक्‍त 14 दिनों की अवधि की समाप्‍ति के बाद संसद की दोनों सभाओं द्वारा उसी रूप में पारित हुआ माना जाएगा जिस रूप में उसे लोक सभा द्वारा पारित किया गया था। धन विधेयक की ही तरह वे विधेयक जिनमें अन्‍य बातों के साथ-साथ अनुच्‍छेद 110 के खंड (1) के उपखंड (क) से (च) में उल्‍लिखित किसी भी विषय से संबंध रखने वाले उपबंध हों को भी राज्‍य सभा में पुर:स्‍थापित नहीं किया जा सकता। उन्‍हें राष्‍ट्रपति की सिफारिश पर केवल लोक सभा में पुर:स्‍थापित किया जा सकता है। तथापि ऐसे विधेयकों पर धन विधेयक संबंधी अन्‍य प्रतिबंध लागू नहीं होते।

संविधान संशोधन विधेयक

संविधान ने संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्‍ति दी है। संविधान संशोधन विधेयक, संसद की किसी भी सभा में पुर:स्‍थापित किया जा सकता है। जबकि संविधान संशोधन विधेयक के पुर:स्‍थापन हेतु प्रस्‍तावों को सामान्‍य बहुमत, सभा के कुल सदस्‍यों के बहुमत और उपस्थित सदस्‍यों के दो-तिहाई बहुमत से स्‍वीकृत किया जाता है और इन विधेयकों पर विचार करने और इन्‍हें पारित करने के लिए प्रभावी खंडों तथा प्रस्‍तावों को स्‍वीकृत करने हेतु मतदान आवश्‍यक होता है। संविधान के अनुच्‍छेद 368(2) के परंतुक सूचीबद्ध महत्‍वपूर्ण मुद्दों से संबंधित संविधान संशोधन विधेयकों को संसद की सभाओं द्वारा पारित किए जाने के बाद, कम से कम आधे राज्‍य विधान मंडलों द्वारा इसका अनुसमर्थन किया जाना आवश्‍यक है।

संयुक्‍त बैठक

संविधान के अनुच्‍छेद 108(1) में यह उपबंध है कि जब किसी सभा द्वारा पारित किसी विधेयक, (धन विधेयक अथवा संविधान में संशोधन करने वाले विधेयक को छोड़कर) को अन्‍य सभा द्वारा अस्‍वीकार किए जाने या विधेयक में किए गए संशोधनों के बारे में दोनों सभाएं अंतिम रूप से असहमत होने या दूसरी सभा को विधेयक प्राप्‍त होने की तारीख से उसके द्वारा विधेयक पारित किए बिना छह मास से अधिक बीत जाने पर लोक सभा का विघटन होने के कारण यदि विधेयक व्‍यपगत नहीं हो गया है तो राष्‍ट्रपति संयुक्‍त बैठक बुलाने के लिए आमंत्रित करने के आशय की अधिसूचना, यदि वे बैठक में है तो संदेश द्वारा यदि वे बैठक में नहीं है तो अधिसूचना द्वारा देगा।

राष्‍ट्रपति ने सभाओं की संयुक्‍त बैठक संबंधी प्रक्रिया के विनियमन हेतु संविधान के अनुच्‍छेद 118 के खंड (3) के अनुसार संसद (संयुक्‍त बैठक और संचार) नियम बनाए हैं।

अभी तक ऐसा तीन बार हुआ है जब संसद की संयुक्‍त बैठक में विधेयक पर विचार और पारित किया गया हैं।

विधेयकों पर अनुमति

जब कोई विधेयक संसद की दोनों सभाओं द्वारा पारित कर दिया जाए तो वह राष्‍ट्रपति की अनुमति के लिए उसके समक्ष प्रस्‍तुत किया जाता है। राष्‍ट्रपति विधेयक पर या तो अनुमति दे सकता है या अपनी अनुमति रोक सकता है या यदि वह धन विधेयक न हो, तो उसे इस संदेश के साथ वापस भेज सकता है कि उस विधेयक या उसके कुछ निर्दिष्‍ट उपबंधों पर विचार किया जाए या ऐसे संशोधनों के पुर:स्‍थापन होने की वांछनीयता पर विचार किया जाए जिनकी सिफारिश उसने अपने संदेश में की हो।

राष्‍ट्रपति धन विधेयक पर या तो अनुमति दे सकता है या अपनी अनुमति रोक सकता है। राष्‍ट्रपति धन विधेयक को पुन:विचार करने हेतु सदन को नहीं लौटा सकता है। राष्‍ट्रपति संसद द्वारा, निर्धारित विशेष बहुमत से और जहां आवश्‍यक हो, राज्‍य विधानमंडलों की अपेक्षित सदस्‍य संख्‍या द्वारा अनुसमर्थित, पारित संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी अनुमति देने के लिए बाध्‍य है।

धन विधेयक का अंतिम निर्णय कौन देता है?

Solution : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 के अनुसार, यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, तो लोकसभा (लोकसभा) के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा। .

कोई विधेयक धन विधेयक है इसका निर्णय निम्न में से कौन करता है?

कोई वित्त विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इसका निर्धारण लोकसभा स्पीकर (अध्यक्ष) द्वारा किया जाता है।

भारत में किसी विधेयक को धन विधेयक कौन प्रमाणित करता?

सही उत्तर अध्यक्ष है। उच्च सदन में भेजने से पहले, लोकसभा अध्यक्ष विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करता है।

धन विधेयक क्या है यह किस सदन में पेश किया जाता है?

जिन विधेयकों में विशेष रूप से करों के अधिरोपण तथा उत्सादन, संचित निधि में से धन के विनियोग आदि से संबंधित प्रावधान होते हैं, उन्हें धन विधेयक कहा जाता है। धन विधेयक केवल लोक सभा में प्रस्तुत किए जा सकते हैं। राज्य सभा, लोक द्वारा पारित धन विधेयक में संशोधन कर उसे वापस नहीं भेज सकती।