अपठित काव्यांश-बोध Show अपठित काव्यांश क्या है? परीक्षा में प्रश्न का स्वरूप प्रश्न हल करने की विधि
उदाहरण निम्नलिखित काव्यांशों तथा इन पर आधारित प्रश्नोत्तरों को ध्यानपूर्वक पढ़िए – 1. अपने नहीं अभाव मिटा पाया जीवन भर मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है, जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं, प्रश्न (क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में किसका महत्व प्रतिपादित किया गया है? उत्तर- (क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में मजदूर की शक्ति का महत्व प्रतिपादित किया गया है। 2. निर्भय स्वागत करो मृत्यु का, फिर नूतन धारण करता है, प्रश्न (क) कवि ने मृत्यु के प्रति निर्भय बने रहने के लिए क्यों कहा है? उत्तर- (क) मृत्यु के बाद मनुष्य फिर नया रूप लेकर कार्य करने लगता है, इसलिए कवि ने मृत्यु के प्रति निर्भय होने को कहा है। 3. जीवन एक कुआँ है तरह-तरह घड़े को चमकाया, प्रश्न (क) कविता में जीवन को कुआँ क्यों कहा गया है? कैसा व्यक्ति कुएँ के पास जाकर भी प्यासा रह जाता है? उत्तर- (क) कवि ने जीवन को कुआँ कहा है, क्योंकि जीवन भी कुएँ की तरह अथाह व अगम है। दोषी व्यक्ति कुएँ के पास जाकर भी प्यासा रह जाता है। 4. माना आज मशीनी युग में, समय बहुत महँगा है लेकिन उम्र बहुत बाकी है लेकिन, उम्र बहुत छोटी भी तो है मन छोटा करने से मोटा काम नहीं छोटा होता है, प्रश्न (क) मशीनी युग में समय महँगा होने का क्या तात्पर्य है? इस कथन पर आपकी क्या राय है? उत्तर- (क) इस युग में व्यक्ति समय के साथ बाँध गया है । उसे हर घंटे के हीसाब से मज़बूरी मिलती है । हमारी राय में यह बात सही है । 5. नवीन कंठ दो कि मैं नवीन गान गा सकूं, सुदीर्घ क्रांति झेल, खेल की ज्वलंत आग से- प्रश्न (क) कवि नई आवाज की आवश्यकता क्यों महसूस कर रहा है? उत्तर- (क) कवि नई आवाज की आवश्यकता इसलिए महसूस कर रहा है, ताकि वह स्वतंत्र देश के लिए नए गीत गा सके तथा नई आरती सजा सके। 6. जिसमें स्वदेश का मान भरा उनको मेरा पहला प्रणाम ! श्रद्धानत कवि का नमस्कार प्रश्न (क) कवि किन वीरों को प्रणाम करता है? उत्तर- (क) कवि उन वीरों को प्रणाम करता है, जिनमें स्वदेश का मान भरा है तथा जो साहस और निडरता से अंतिम दम तक देश के लिए संघर्ष करते हैं। 7. पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो। न पुरुषार्थ बिना कुछ स्वार्थ है, न पुरुषार्थ बिना स्वर्ग है, न जिसमें कुछ पौरुष हो यहाँ- प्रश्न (क) काव्यांश के प्रथम भाग के माध्यम से कवि ने मनुष्य को क्या प्रेरणा दी है? उत्तर- (क) इसके माध्यम से कवि ने मनुष्य को प्रेरणा दी है कि वह अपनी समस्त शक्तियाँ इकट्ठी करके परिश्रम करे तथा उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाए। 8. मनमोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है। नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं। जिसके सुगंध वाले, सुंदर प्रसून प्यारे। जिसके अनंत वन से धरती भरी पड़ी है। प्रश्न (क) मनमोहिनी प्रकृति की गोद में कौन-सा देश बसा हुआ है और उसका पद-प्रक्षालन निरंतर कौन कर रहा है? उत्तर- (क) मनमोहिनी प्रकृति की गोद में भारत देश बसा हुआ है। इस देश का पद-प्रक्षालन निरंतर समुद्र कर रहा है। 9. जब कभी मछेरे को फेंका हुआ जब कभी अनेक फूलों पर किंतु अब प्रश्न (क) कविता में प्रयुक्त ‘स्व’ शब्द से कवि का क्या अभिप्राय है? उसकी जाल से तुलना क्यों की गई हैं ? उत्तर- (क) यहाँ ‘स्व’ का अभिप्राय ‘निजता’ से है। इसकी तुलना जाल से इसलिए की गई है, क्योंकि इसमें विस्तार व संकुचन की क्षमता होती है। 10. तू हिमालय नहीं, तू न गंगा-यमुना मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरण, प्रश्न (क) कवि का देश को ‘महाशील की अमर कल्पना’ कहने से क्या तात्पर्य है ? उत्तर- (क) कवि देश को ‘महाशील की अमर कल्पना’ कहता है। इसका अर्थ यह है कि भारत में महाशील के अंतर्गत करुणा, प्रेम, दया, शांति जैसे महान आचरण हैं, जिनके कारण भारत का चरित्र उज्ज्वल बना हुआ है। 11. जब-जब बाँहें झुकीं मेघ की, धरती का तन-मन ललका है, सुन बाँसुरिया सदा-सदा से हर बेसुध राधा बहकी है, जब-जब मन में भाव उमड़ते, प्रणय श्लोक अवतीर्ण हुए हैं, प्रश्न (क) मेघों के झुकने का धरती पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों? उत्तर- (क) मेघों के झुकने पर धरती का तन-मन ललक है, क्योंकि मेघों से बारिश होती है और इससे धरती पर खुशाँ फैलती हैं । 12. क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-घन के नर्तन, मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण, आँधी हो, ओले-वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी, मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन, प्रश्न (क) उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर कवि के स्वभाव की किन्हीं दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उत्तर- (क) कवि के स्वभाव की दो विशेषताएँ हैं-(क) गतिशीलता। (ख) साहस व संघर्षशीलता। 13. यह मजूर, जो जेठ मास के इस निधूम अनल में कितने महा महाधिप आए, हुए विलीन क्षितिज में, प्रश्न (क) जेठ के महीने में मजदूर को देखकर कवि क्या अनुभव कर रहा है? उत्तर- (क) जेठ के महीने में काम करते मजदूर को देखकर कवि अनुभव करता है कि वह अपने काम में मग्न है। गरम मौसम भी उसके कार्य को बाधित नहीं कर पा रहा है। 14. मुक्त करो नारी को, मानव ! उसका मुख जग का प्रकाश हो, प्रश्न (क) कवि नारी को किस दशा से मुक्त कराना चाहता है? वह उसके भिन्न-भिन्न रूपों का उल्लेख क्यों कर रहा है? उत्तर- (क) कवि नारी को पुरुष के बंधन से मुक्त कराना चाहता है। वह उसके जननी, सखी व प्रिया रूप का उल्लेख करता है, क्योंकि पुरुष का संबंध उसके साथ माँ दोस्त व पत्नी के रूप में होता है। 15. कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए, बरसे आग, जलद जल जाए, भस्मसात् भूधर हो जाए, प्रश्न (क) कवि की कविता क्रांति लाने में कैसे सहायक हो सकती है? उत्तर- (क) कवि अपनी कविता के माध्यम से लोगों में जागरूकता पैदा करता है। वह अपने संदेशों से जनता को कुशासन समाप्त करने के लिए प्रेरित करता है। 16. यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ! प्रश्न (क) ‘फूल बोने’ और ‘काँटे बोने” का प्रतीकार्थ क्या है? उत्तर- (क) ‘फूल बोने’ का अर्थ है-‘अच्छे कार्य करना’ तथा ‘काँटे बोने’ का अर्थ है-‘बुरे कार्य करना’। 17. पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा, बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है, प्रश्न (क) यह काव्यांश किसे संबोधित है ? उससे हम क्या पाते हैं ? उत्तर- (क) यह काव्यांश मातृभूमि को संबोधित है। मातृभूमि से हम जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ पाते हैं। 18. क्षमामयी तू दयामयी है, क्षेममयी है, हे शरणदायिनी देवि तू करती सबका त्राण है। प्रश्न (क) इस काव्यांश में किसे संबोधित किया गया है ? उसे क्षमामयी क्यों कहा गया है? उत्तर- (क) इस काव्यांश में मातृभूमि को संबोधित किया गया है। मातृभूमि मानव की गलतियों को सदैव क्षमा करती है, इस कारण उसे ‘क्षमामयी’ कहा 19. चिड़िया को लाख समझाओ यहाँ चुग्गा मोटा है। प्रश्न (क) पिंजड़े के बाहर का संसार निर्मम कैसे है? उत्तर- (क) पिंजड़े के बाहर का संसार हमेशा कमजोर को सताने की कोशिश में रहता है। यहाँ कमजोर को सदैव संघर्ष करना पड़ता है। इस कारण वह निर्मम है। 20. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के। पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए, प्रश्न (क) उपर्युक्त काव्यांश में ‘पाहुन’ किसे कहा गया है और क्यों? उत्तर- (क) मेघ को ‘पाहुन’ कहा गया है, क्योंकि वे बहुत दिन बाद लौटे हैं और ससुराल में पाहुन की भाँति उनका स्वागत हो रहा है। 21. ले चल माँझी मझधार मुझे, दे-दे बस अब पतवार मुझे। मैं हूँ अबाध, अविराम, अथक, बंधन मुझको स्वीकार नहीं। फिर कहाँ डरा पाएगा यह, पगले जर्जर संसार मुझे। जो मचल उठे अनजाने ही अरमान नहीं मेरे ऐसे- प्रश्न (क) ‘अपने मन का राजा’ होने के दो लक्षण कविता से चुनकर लिखिए। उत्तर- (क) ‘अपने मन का राजा’ होने के दो लक्षण निम्नलिखित हैं 22. पथ बंद है पीछे अचल है पीठ पर धक्का प्रबल। ओ बैठने वाले तुझे देगा न कोई बैठने। ऊँचे हिमानी श्रृंग पर, अंगार के भ्रू-भृग पर प्रश्न (क) इस काव्यांश में कवि किसे क्या प्रेरणा दे रहा है? उत्तर- (क) इस काव्यांश में कवि मनुष्य को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है। 23. रोटी उसकी, जिसका अनाज, जिसकी जमीन, जिसका श्रम है; प्रश्न (क) आजादी क्यों आवश्यक है? उत्तर- (क) परिश्रम का फल पाने तथा शोषण का विरोध करने के लिए आजादी आवश्यक है। 24. खुलकर चलते डर लगता है क्योंकि शहर बेहद छोटा है। ऊँचे हैं, लेकिन खजूर से क्योंकि शहर बेहद छोटा है। बुद्धि यहाँ पानी भरती है, क्योंकि शहर बेहद छोटा है। प्रश्न (क) कवि शहर को छोटा कहकर किस ‘ छोटेपन ‘ को अभिव्यक्त करता चाहता है ? उत्तर- (क) कवि शहर को छोटा कहकर लोगों की संकीर्ण मानसिकता, उनके स्वार्थपूर्ण बात-व्यवहार, बुराई का प्रतिरोध न करने की भावना, अन्याय के प्रति तटस्थता जैसी बुराइयों में लिप्त रहने के कारण उनके छोटेपन को अभिव्यक्त करना चाहता है। 25. अचल खड़े रहते जो ऊँचा शीश उठाए तूफानों में, प्रश्न (क) मार्ग की रुकावटों को कौन तोड़ता है और कैसे? उत्तर- (क) मार्ग की रुकावटों को वे तोड़ते हैं जो संकटों से घबराए बिना उनका सामना करते हैं। ऐसे लोग अपनी मूल रिदृढ़ता से जवना में आने वाले संक्टरूपा तुमानों का निहारता से मुकबल कते हैं और विजयी होते हैं। 26. आँसू से भाग्य पसीजा है, हे मित्र, कहाँ इस जग में? प्रश्न (क) कविता का मूल संदेश क्या है? उत्तर- (क) कविता का मूल संदेश यह है कि हमें अपनी दुर्बलता त्यागकर सबल बनना चाहिए। व्यक्ति अपनी कोई पहचान नहीं छोड़ पाते, जबकि वीरों और सबलों की कीर्ति धरती पर गूँजती रहती है। 27. मैंने गढ़े अबकी उन्हें अगवा कर लिया प्रश्न (क) ‘मठधीशों’ ने उत्साह भरे शब्दों को क्यों छीना होगा? उत्तर- (क) मठाधीशों ने उत्साह-भरे शब्दों को इसलिए छीना होगा ताकि वे उनका दुरुपयोग करते हुए भोले-भाले लोगो को बहकाएँ और उनमें धार्मिक उन्माद पैदा कर सकें। 28. पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे, कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी प्रश्न (क) कलम किस बात की प्रतीक है? उत्तर- (क) कलम व्यक्ति में ओजस्वी और क्रांतिकारी विचार उत्पन्न करने के साधन का प्रतीक है जिससे व्यक्ति की दीनता-हीनता नष्ट हो जाती है। स्वयं करें निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 1. यहाँ कोकिला नहीं, काक हैं शोर मचाते। किंतु न तुम उपहार भाव आकर दरसाना। प्रश्न (क) कवि ने बाग की क्या दशा बताई है? 2. स्नेह निझर बह गया है। पर अनश्वर था सकल पल्लवित पल— प्रश्न (क) कवि ने यह क्यों कहा कि ‘स्नेह-निझर बह गया है”? 3. एक फ़ाइल ने दूसरी फ़ाइल से कहा कभी मुझे नीचे पटक देते हैं प्रश्न (क) साहब जल्दी-जल्दी काम क्यों निपटा रहे हैं 4. आधुनिकता के दौर में, क्या कभी खत्म न होगा प्रश्न (क) आधुनिकता के दौर में क्या प्रश्न उठता है? 5. ग्राम, नगर या कुछ लोगों का जहाँ इरादे नहीं बदलते प्रश्न (क) कवि किसे देश नहीं मानता ? 6. मन समर्पित, तन समर्पित कर रहा आराधना मैं आज तेरी, चाहता हूँ, देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ। प्रश्न (क) कवि देश की धरती को क्या-क्या समर्पित करता है ? मातृभूमि कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?Explanation: कवि मातृभूमि के लिए तन-मन-प्राण सब कुछ समर्पित करना चाहता है। वह अपने मस्तक, गीत तथा रक्त का एक-एक कण भी अपने देश की धरती के लिए अर्पित कर देना चाहता है। ... कवि अपने गाँव, द्वार-घर-आँगन आदि सभी के प्रति अपने लगाव को छोड़कर मातृभूमि के लिए सर्वस्व प्रदान करना चाहता है।
कवि ने मातृभूमि का वर्णन कैसे किया है?➲ 'मातृभूमि' कविता में कवि ने मातृभूमि को सगुण साकार मूर्ति का रूप देते हुए वर्णन किया है। कवि के अनुसार मातृभूमि को भारत माता संबोधित करते हुए सिंहासन पर आरूढ़ एक देवी के रूप में चित्रित किया है। कवि के अनुसार मातृभूमि से केवल एक भूमि का टुकड़ा ही नहीं बल्कि साक्षात साकार देवी स्वरूपा मूर्ति है।
मातृभूमि कविता का मूल उद्देश्य क्या है?Explanation: मातृभूमि कविता में कवि अपनी जन्मभूमि को मातृभूमि कहते हैं। इस कविता में कवि अपनी मातृभूमि से विनती करते हैं कि वह उन्हें ऐसा वरदान दे जिसके जरिए वे कभी झूठ ना बोले ना कभी किसी का दिल दुखाए और पढ़ लिखकर अच्छी चीजें सीखते जाए।
मातृभूमि का गुणगान कौन कर रहा है?उत्तर: 'मातृभूमि' कविता में कवि मातृभूमि का गुणगान कर रहे हैं।
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