मानव जीवन में पत्रकारिता अपने महत्वपूर्ण स्थान आरै उच्च आदर्शों के पालन के लिए सदैव अपनी पहचान बनाती आ रही है। भारत मे पत्रकारिता का इतिहास लगभग दो सौ वर्ष का है। आज ‘पत्रकारिता’ शब्द हमारे लिए को नया शब्द नहीं है। सुबह होते ही हमें अखबार की आवश्यकता होती है, फिर सारे दिन रेडियो, दूरदर्शन, इंटरनेट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से समाचार प्राप्त करते रहते हैं। Show पत्रकारिता का अर्थ अपने रोजमर्रा के जीवन की स्थिति के बारे में थोड़ा गौर कीजिए। दो लोग आसपास रहते हैं और कभी बाजार में, कभी राह चलते और कभी एक-दूसरे के घर पर रोज मिलते हैं। आपस में जब वार्तालाप करते हैं उनका पहला सवाल क्या होता है? उनका पहला सवाल होता है क्या हालचाल है? या कैस े हैं? या क्या समाचार है? रोजमर्रा के ऐसे सहज प्रश्नो में को खास बात नहीं दिखा देती है लेकिन इस पर थोड़ा विचार किया जाए तो पता चलता है कि इस प्रश्न में एक इच्छा या जिज्ञासा दिखा देगी और वह है नया और ताजा समाचार जानने की। वे दोनो पिछले कुछ घंटे या कल रात से आज के बीच मे आए बदलाव या हाल की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि हम अपने मित्रों, पड़ोसियो, रिश्तेदारो और सहकर्मियो से हमेशा उनकी आसपास की घटनाओ के बारे में जानना चाहते हैं। मनुष्य का सहज प्रवृत्ति है कि वह अपने आसपास की चीजो, घटनाओ और लोगों के बारे में ताजा जानकारी रखना चाहता है। उसमे जिज्ञासा का भाव प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ मे पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की जरूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास इसी जिज्ञासा को शांत करने के प्रयास के रूप में हुआ है जो आज भी अपने मूल सिद्धांत के आधार पर काम करती आ रही है। हिन्दी में भी पत्रकारिता का अर्थ भी लगभग यही है। ‘पत्र‘ से ‘पत्रकार’ और फिर ‘पत्रकारिता’ से इसे समझा जा सकता है। वृहत हिन्दी शब्दकोश के अनुसार ‘पत्र‘ का अर्थ चिट्ठी, कागज, वह कागज जिस पर को बात लिखी या छपी हो, वह कागज या धातु की पट्टी जिस पर किसी व्यवहार के विषय में को प्रामाणिक लेख लिखा या खुदवाया गया हो(दानपत्र, ताम्रपत्र), किसी व्यवहार या घटना के विषय का प्रमाणरूप लेख (पट्टा, दस्तावेज), यान, वाहन, समाचार पत्र, अखबार है। ‘पत्रकार’ का अर्थ समाचार पत्र का संपादक या लेखक। और ‘पत्रकारिता’ का अर्थ पत्रकार का काम या पेशा, समाचार के संपादन, समाचार इकट्ठे करने आदि का विवेचन करनेवाली विद्या। पत्रकारिता की परिभाषा पत्रकारिता Journalism आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, रिपोर्ट करना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के समय में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे - समाचार पत्र- पत्रिकाएँ , रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि। किसी घटना की रिपोर्ट समाचार है जो व्यक्ति, समाज एवं देश दुनिया को प्रभावित करती है। इसके साथ ही इसका उपरोक्त से सीधा संबंध होता है। इस कर्म से जुड़े मर्मज्ञ विभिन्न मनीषियो द्वारा पत्रकारिता को अलग-अलग शब्दों में परिभाषित किए हैं। पत्रकारिता के स्वरूप को समझने के लिए यहाँ कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाओ का उल्लेख किया जा रहा है:- पाश्चात्य चिन्तन 1. न्यू वेबस्टर्स डिक्शनरी : प्रकाशन, सम्पादन, लेखन एवं प्रसारणयुक्त समाचार माध्यम का व्यवसाय ही पत्रकारिता है । 2. विल्वर श्रम : जनसंचार माध्यम दुनिया का नक्शा बदल सकता है। 3. सी.जी. मूलर : सामयिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है। इसमे तथ्यो की प्राप्ति उनका मूल्यांकन एवं ठीक-ठाक प्रस्तुतीकरण होता है। 4. जेम्स मैकडोनल्ड : पत्रकारिता को मैं रणभूमि से ज्यादा बड़ी चीज समझता हूँ। यह को पेशा नहीं वरन पेशे से ऊँची को चीज है। यह एक जीवन है, जिसे मैंने अपने को स्वेच्छापूर्वक समर्पित किया। 5. विखेम स्टीड : मैं समझता हूँ कि पत्रकारिता कला भी है, वृत्ति भी और जनसेवा भी । जब को यह नहीं समझता कि मेरा कर्तव्य अपने पत्र के द्वारा लोगो का ज्ञान बढ़ाना, उनका मार्गदर्शन करना है, तब तक से पत्रकारिता की चाहे जितनी ट्रेनिंग दी जाए, वह पूर्ण रूपेण पत्रकार नहीं बन सकता । भारतीय चिन्तन 1. हिन्दी शब्द सागर : पत्रकार का काम या व्यवसाय ही पत्रकारिता है । 2. डा. अर्जुन : ज्ञान आरै विचारो को समीक्षात्मक टिप्पणियो के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रो के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारो के कार्यों, कर्तव्यो और लक्ष्यो का विवेचन हातेा है। पत्रकारिता समय के साथ साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है। 3. रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर : ज्ञान और विचार शब्दो तथा चित्रो के रूप में दूसरे तक पहुंचाना ही पत्रकला है । छपने वाले लेख-समाचार तैयार करना ही पत्रकारी नहीं है । आकर्षक शीर्षक देना, पृष्ठों का आकर्षक बनाव-ठनाव, जल्दी से जल्दी समाचार देने की त्वरा, देश-विदेश के प्रमुख उद्योग-धन्धो के विज्ञापन प्राप्त करने की चतुरा, सुन्दर छपा और पाठक के हाथ में सबसे जल्दी पत्र पहुंचा देने की त्वरा, ये सब पत्रकार कला के अंतर्गत रखे गए । 4. डा.बद्रीनाथ : पत्रकारिता पत्र-पत्रिकाओं के लिए समाचार लेख आदि एकत्रित करने, सम्पादित करने, प्रकाशन आदेश देने का कार्य है । 5. डा. शंकरदयाल : पत्रकारिता एक पेशा नहीं है बल्कि यह तो जनता की सेवा का माध्यम है । पत्रकारो को केवल घटनाओ का विवरण ही पेशा नहीं करना चाहिए, आम जनता के सामने उसका विश्लेषण भी करना चाहिए । पत्रकारों पर लोकतांत्रिक परम्पराओं की रक्षा करने और शांति एवं भाचारा बनाए रखने की भी जिम्मेदारी आती है । साहित्यिक पत्रकारिता की अवधारणा क्या है इसके महत्त्व को स्पष्ट कीजिए?साहित्यिक पत्रकारिता एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए साहित्य की विभिन्न विधाओं को विशेष प्रयोजन के साथ अभिव्यक्ति दी जाती है। ये विधाएँ आलोचना, काव्य, कथा-साहित्य, नाट्य, निबंध, संस्मरण, साक्षात्कार, समीक्षा, समकालीन साहित्य विमर्श, तुलनात्मक साहित्य, साहित्य-संस्कृति, आदि पर केंद्रित होती हैं।
साहित्यिक पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं?पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण कार्य तथ्यों एवं विचारों को प्रकाशित करना है और साहित्य का भावों तथा विचारों को अभिव्यक्ति देना। साहित्य को विस्तार देने का कार्य भी पत्रकारिता द्वारा किया जाता है और साहित्यिक पत्रकारिता, पत्रकारिता का ही एक रूप है। साहित्यिक पत्रकारिता की शुरूआत भारत में 19वीं सदी में हो चुकी थी।
साहित्यिक पत्रकारिता के प्रमुख उद्देश्य क्या है?समाचारपत्र (या समाचार पत्रिकाएँ) जहाँ सूचना पर बल देते हुए सामान्य ज्ञान प्रेषित करते हैं, वहीं साहित्यिक पत्रकारिता का उद्देष्य सांस्कृतिक चेतना और परिवेश में परिश्कार लाते हुए पाठक को विषिश्ट ज्ञान प्रशिष्ट करना होता है।
साहित्य और पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं इसके संबंधों का वर्णन करें?साहित्य और पत्रकारिता ज्ञान के भण्डार हैं और समाज में जनजागरण का कार्य करते हैं। हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता हिन्दी साहित्य के विकास का अभिन्न अंग है। दोनों परस्पर एक−दूसरे का दर्पण हैं। पत्रकारिता की विधा को भी साहित्य के अंतर्गत माना जाता है।
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