महाभारत के अनुसार, सत्यवती राजा शांतनु की पत्नी थी। सत्यवती के दो पुत्र थे चित्रांगद और विचित्रवीर्य। विचित्रवीर्य का विवाह काशी की राजकुमारी अंबिका और अंबालिका से हुआ था। धृतराष्ट्र और पांडु विचित्रवीर्य की ही संतान थे। Show Asianet News Hindi Ujjain, First Published Mar 2, 2020, 12:48 PM IST उज्जैन. सत्यवती का एक नाम मत्स्यगंधा भी था। सत्यवती का पालन-पोषण एक केवट (नाव चलाने वाला) ने किया था। इसलिए सभी यही मानते हैं कि सत्यवती केवट की पुत्री थी, लेकिन ये सच नहीं है। ये है सत्यवती के जन्म की पूरी कथा- इसे सुनेंरोकेंतब उस कछुए ने मोक्ष पाने की हार्दिक इच्छा के साथ विष्णु जी के अंगूठे के स्पर्श की असफल कोशिश की थी। इस घटना के बाद केवट ने अपने पूर्वजन्म यानी कछुए के रूप में कई वर्षों तक तप किया। भगवान ने उसके तप को देखते हुए केवट को मानव योनि दी। तब वह केवट के रूप में जन्मा, जिन्होंने प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण को नदी पार करवाई थी। केवट पहले कौन था? इसे सुनेंरोकेंपुरणों के अनुसार भगवान राम को गंगा पार कराने वाले केवट पूर्वजन्म में कछुआ थे और श्रीहरि के अनन्य भक्त थे। मोक्ष पाने की इच्छा से उन्होंने क्षीरसागर में भगवान विष्णु के चरण स्पर्श करने की कई बार कोशिशें की लेकिन असफल रहे। केवट की पत्नी कौन थी? पढ़ना: पैसे से भी अधिक मूल्यवान क्या है? इसे सुनेंरोकेंकेवट नहीं राजा की पुत्री थी सत्यवती उनकी पत्नी का नाम गिरिका था। एक दिन ऋतुकाल के बाद शुद्ध हुई राजा उपरिचर का पत्नी गिरिका ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से समागम की इच्छा की। केवट राज कौन थे class 7?इसे सुनेंरोकेंउत्तर: केवट श्रीराम के चरण कमलों की रज का यह रहस्य जानता था कि उन्हें छूने से गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या एक पत्थर की शिला से सुंदर स्त्री बन गयी थी। उनके चरणों की धूल में मनुष्य बनाने की जड़ी-बूटी शामिल थी। केवट राज किसका पिता था? इसे सुनेंरोकें* निषादराज गुह्य जयंती पौराणिक ग्रंथों के अनुसार केवट भोईवंश का था तथा मल्लाह का काम करता था। केवट रामायण का एक खास पात्र है, जिसने प्रभु श्री राम को वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने नाव में बिठा कर गंगा पार करवाया था। रामचरितमानस में केवट का क्या नाम था? इसे सुनेंरोकेंनिषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्याकाण्ड में किया गया है। राम केवट को आवाज देते हैं – नाव किनारे ले आओ, पार जाना है। पढ़ना: जवाहरलाल नेहरू के सिक्के की क्या कीमत है? केवट के गुरु कौन थे?इसे सुनेंरोकेंगुरु निषादराज की जयंती चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी को आती है जो इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 10 अप्रैल 2019 को आ रही है। निषाद समाज आज भी इनकी पूजा करते है। निषाद समाज को ही कहार, भोई या मछुआरा कहा जाता है। निषादराज के काल में ही केवट ने प्रभु श्रीराम को गंगा पार करावाया। केवट का असली नाम क्या है? इसे सुनेंरोकें* वनवास के दौरान केवट और प्रभु श्रीराम का रोचक प्रसंग केवट भोईवंश का था तथा मल्लाह का काम करता था। केवट रामायण का एक खास पात्र है, जिसने प्रभु श्रीराम को वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने नाव में बिठा कर गंगा पार करवाया था। निषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्याकाण्ड में किया गया है। केवट राम का कौन सा भेद जान गया था? इसे सुनेंरोकेंभावार्थ:-श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया। पढ़ना: भारत में प्राकृतिक संसाधन कौन कौन से हैं? केवट का असली नाम क्या था?केवट के पिता का नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंकेवट प्रसंग केवट का संबंध भोईवंश से था और मल्लाह का काम किया करता था. रामायण में केवट का वर्णन प्रमुखता से किया गया है. केचव ने प्रभु श्रीराम को वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने नाव में बिठा कर गंगा पार करवाया था. केवट ने भगवान राम को कौन सी नदी पार कराई थी? इसे सुनेंरोकेंकेवट भगवान राम को नाव से सरयू नदी पार कराते हैं। यहीं पर लीला समाप्त हो जाती है। लीला का मंचन देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे। - श्रीराम ने केवट से नाव मांगी, पर वह लाता नहीं है। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। वह कहता है कि पहले पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा। केवट प्रभु श्रीराम का अनन्य भक्त था। अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह समाज की व्यवस्था की अद्भुत घटना है। केवट चाहता है कि वह अयोध्या के राजकुमार को छुए। उनका सान्निध्य प्राप्त करें। उनके साथ नाव में बैठकर अपना खोया हुआ सामाजिक अधिकार प्राप्त करें। अपने संपूर्ण जीवन की मजूरी का फल पा जाए। राम वह सब करते हैं, जैसा केवट चाहता है। उसके श्रम को पूरा मान-सम्मान देते हैं। केवट राम राज्य का प्रथम नागरिक बन जाता है। राम त्रेता युग की संपूर्ण समाज व्यवस्था के केंद्र में हैं, इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। उसके स्थान को समाज में ऊंचा करते हैं। राम की संघर्ष और विजय यात्रा में उसके दाय को बड़प्पन देते हैं। त्रेता के संपूर्ण समाज में केवट की प्रतिष्ठा करते हैं। केवट की पत्नी कौन थी?केवट नहीं राजा की पुत्री थी सत्यवती
उनकी पत्नी का नाम गिरिका था।
रामायण में केवट का नाम क्या था?निषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्याकाण्ड में किया गया है। राम केवट को आवाज देते हैं - नाव किनारे ले आओ, पार जाना है। मागी नाव न केवटु आना।
केवट किसका अवतार था?तब उस कछुए ने मोक्ष पाने की हार्दिक इच्छा के साथ विष्णु जी के अंगूठे के स्पर्श की असफल कोशिश की थी। इस घटना के बाद केवट ने अपने पूर्वजन्म यानी कछुए के रूप में कई वर्षों तक तप किया। भगवान ने उसके तप को देखते हुए केवट को मानव योनि दी। तब वह केवट के रूप में जन्मा, जिन्होंने प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण को नदी पार करवाई थी।
केवट की नाव किसकी बनी थी?3॥ केवट ने भगवान से कहा कि मैंने सुना है आपके चरणों में ऐसा जादू है कि पत्थर भी मनुष्य बन जाता है। मेरी नाव तो लकड़ी की है और उसी से मेरा घर चलता है।
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