Show कविता और बच्चे को समानांतर रखने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं… कविता और बच्चे को समानांतर रखने के मुख्य कारण यह है कि बच्चे स्वच्छंध भाव से होकर खेल खेलते हैं, उनके सपने असीमित होते हैं और उनके मन में सीमा का कोई बंधन नहीं होता। उसी तरह कवि के लिए भी शब्दों की कोई सीमा नहीं होती और वह शब्दों की सीमा को लांघते हुए कविता की रचना करता है। पाठ के बारे में…. इस पाठ में ‘कुँवर नारायण’ द्वारा रचित दो कविताएं ‘कविता के बहाने’ और ‘बात सीधी थी पर’ ली गई है। संदर्भ पाठ : ” कविता के बहाने/बात सीधी थी पर”, कुंवर नारायण (कक्षा – 12, पाठ -3)
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर : इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है? ‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?
हमारी सहयोगी वेबसाइटें.. mindpathshala.com miniwebsansar.com बच्चों के खेल की तरह कविता भावों, विचारों और शब्दों के खेल खेलती है। बच्चों के खेल सीमाओं और विधि-निषेधों से परे होते हैं , उसी प्रकार काव्य सृजन भी स्वच्छंद रूप में होता है। भेदों के बंधन से ऊपर उठकर सबको एक कर देने का मतलब बच्चे जानते हैं, उसी प्रकार कवि का कविता रचना का उद्देश्य सकुंचित भेदों से ऊपर उठकर अपने रचनात्मक संदेश द्वारा लोक हित को साधना है। जिस प्रकार बच्चे अपने और पराए घरों के बीच कोई भेदभाव नहीं करते, उसी प्रकार कवि को भी काव्य रचना के क्षणों में समूचे विश्व के साथ आत्मीयता स्थापित करने की आवश्यकता है, ताकि अपनी कृति के माध्यम से वह अपना संदेश घर-घर तक और जन-जन तक पहुँचा सके| इसके अलावा, जिस प्रकार बच्चों में विकास की असीम संभावनाएँ छिपी होती हैं, उसी प्रकार कविता में भी अर्थ की व्यापक संभावनाएँ हैं, जो भविष्य में उसकी प्रासंगिकता बनाए रखती हैं| Solution : कविता और बच्चे दोनों अपने स्वभाव वश खेलते हैं। खेल-खेल में वे अपनी सीमा, अपने-परायों का - बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता। शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। कविता और बच्चे में निस्वार्थ भाव की भी समानता है। कविता और बच्चों में समानांतर रखने के निम्नलिखित कारण हैं-
चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में बिंबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित कीजिए। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय होना ही चाहिए तभी उसका अपेक्षित प्रभाव पड़ता है। इस कार्य में बिंब और उपमान बहुत सहायक है। इनके प्रयोग से कथ्य स्पष्ट एवं प्रभावी बनता है। इनसे काव्य-सौंदर्य निखर उठता है। - काव्य-बिंब का संबंध भाषा की सर्जनात्मक शक्ति से है तथा इसका निर्माण मनुष्य के ऐन्द्रिक बोध का ही प्रतिफल है। ये शब्द, भाव, विचार के अमूर्त संकेत तो हैं, लेकिन इन अमूर्त संकेंतों में भी वह शक्ति होती है। कि इनके माध्यम से एक मूर्त चित्र निर्मित हो जाता है। यही बिंब निर्माण की प्रक्रिया है। उपमानों के माध्यम से रचनाकार पाठक के समक्ष ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे वह सरल, बोधगम्य, शब्दांडबर रहित होकर अपनी रचना के लक्ष्य तक पहुँचने में सफल हो जाता है। Kavita और बच्चों को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं? - बच्चे के सपने असीम होते हैं और कवि की कल्पना भी असीम होती है। - बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता।
बच्चों और कविता में क्या समानता है?बच्चों के समान कविता में शब्दों की कोई सीमा नहीं होती है। जैसे बच्चे खेलते समय सारी सीमाएँ तोड़ देते हैं, वैसे ही कविता भी सारी सीमाएँ तोड़ देती है। बच्चे किसी सीमा को नहीं मानते। उनके लिए कोई अपना-पराया नहीं होता है।
`' उड़ने और खिलने का कविता से क्या संबंध बनता है ?`?चिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी प्रकार कविता कल्पना की उड़ान भरती है और फूल की तरह खिलती अर्थात् विकसित होती है। इस प्रकार दोनों में गहरा संबंध है। इसके बावजूद चिड़िया के उड़ने की सीमा है और फूल का खिलना उसे परिणति की और ले जाता है जबकि कविता के साथ ऐसा कोई बंधन नहीं है।
इस कविता के बहाने बताएं कि सब घर एक कर देने के माने क्या है?1. इस कविता के बहाने बताएँ कि 'सब घर एक कर देने के माने' क्या है? "सब घर एक कर देने के माने' का अर्थ है सभी घरों को एक समान समझना| जिस प्रकार बच्चे खेलते समय किसी घर में भी जाकर अपना-पराया, छोटा-बड़ा, गरीब-अमीर, जाति-धर्म का भेद ,मिटाकर खेलते हैं उस तरह हमें भी इन भावनाओं को मिटाकर सबको एकसमान देखना चाहिए।
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