प्रगतिशील और आधुनिक बनने के दौड़ में हम अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। खेल का महत्व जैसे हम भूलते जा रहे हैं। आज के बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और वीडियो गेम्स में ही खेल खेलते हैं। परंतु खेल का महत्व बच्चों की बढ़ती ग्रोथ के साथ जानना आवश्यक है। खेल के महत्व पर अक्सर परीक्षाओं में तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को कहा जाता है। खेल के महत्व को समझाने के लिए तथा खेल के महत्व पर निबंध जो कि एक महत्वपूर्ण तथा पूछे जाने वाला विषय है। उसके बारे में छोटे और बड़े निबंध उनके संकेत बिंदु के साथ नीचे दिए जा रहे हैं। आइए देखते हैं हमारे जीवन में खेल का क्या महत्व हैI Show
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खेल के महत्व पर निबंध 200 शब्दों मेंविचार-बिंदु:
स्वामी विवेकानंद ने अपने देश के नवयुवकों को कहा था-“मेरे नवयुवक मित्रों। बलवान बनों। तुमको मेरी यह सलाह है। गीता को पढ़ने के बदले युवकों को फुटबॉल खेलना चाहिए।” इस कथन से स्पष्ट है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव है और शरीर को स्वस्थ तथा मजबूत बनाने के लिए खेल अनिवार्य है। मनोवैज्ञानिकों का मत है कि मनुष्य की खेलों में रुचि स्वाभाविक है। इसी कारण बच्चे खेलों में अधिक रुचि लेते है। पी.साइरन ने कहा है- ‘अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।’ इन दोनों की प्राप्ति के लिए जीवन में खिलाड़ी की भावना से खेल खेलना आवश्यक है। खेलने से शरीर को बल, माँस-पेशियों को उभार, भूख को तीव्रता आलस्यहीनता तथा मलादि का शुद्धता प्राप्त होती है। खेल खेलने से मनुष्य को संघर्ष करने की आदत लगती है। जीवन की जय-पराजय को आनंदपूर्ण ढंग से लेने की महत्त्वपूर्ण आदत खेल खेलने से ही आती है। खेल हमारा भरपूर मनोरंजन करते हैं। खिलाड़ी हो अथवा खेल प्रेमी दोनों को खेल के मैदान में एक अपूर्व आनंद मिलता है। खेल के महत्व पर निबंध 400 शब्दों मेंविचार-बिंदु:
आज हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की चिंता है। वह चाहता है कि स्वस्थ रहकर जीवन बिताएं। स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम, योग, प्राणायाम, संतुलित पोषक-आहार आदि तो महत्वपूर्ण घटक हैं ही, इसके अलावा खेल बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन में खेलकूद का भी उतना ही महत्व है, जितना कि पढ़ाई-लिखाई का। खेलकूद न केवल छात्रों का मनोरंजन करते हैं अपितु उनके स्वास्थ्य को भी उत्तम बनाते हैं। यदि बच्चे प्रसन्न और स्वस्थ रहेंगे तो पढ़ाई लिखाई की ओर भी ध्यान देंगे। खेल के अंतर्गत शरीर बहुत अधिक परिश्रम करता है, परिणामस्वरूप अधिक मात्रा में ऑक्सीजन शरीर के अंदर जाती है। यही ऑक्सीजन हमारे रक्त को शुद्ध करती है तथा भोजन को पचाने में सहायता करती है। जिसने खेलों को महत्व दिया है वह सदैव प्रसन्न, स्वस्थ तथा मजबूत रहता है, उसमें आत्मविश्वास रहता है, नेतृत्व की क्षमता उत्पन्न होती है, इच्छाशक्ति सदैव बलवती रहती है, संगठन की शक्ति का अहसास होता है। अत: खेल स्वास्थ्य का पर्याय है। स्वस्थ युवक खेल-सामग्री के अभाव में भी खेल सकता है। कई परिवार अपने स्तर को ऊंचा बनाए रखने के लिए बच्चों के खेल के विभिन्न साधन घर में ही जुटा कर उन्हें वहाँ कैद रखना चाहते हैं, जिसकी वजह से सामूहिक खेलों से बच्चे वंचित रह जाते हैं। आज के अधिकतर बच्चे कंप्यूटर पर अकेले वीडियो गेम खेलते रहते हैं। ऐसे खेलों से मानसिक अभ्यास तो हो जाते हैं, किंतु शारीरिक अभ्यास नहीं हो पाते हैं। थकान के बाद शीतल छाया में बैठकर सामान्य भोजन में भी जैसे आनंद की अनुभूति होती है, वैसे आनंद की अनुभूति रोगग्रस्त शरीर को विविध प्रकार के व्यंजनों में भी नहीं होती है। अतः जब बालक रुचि से खेलता है, तो उसकी पाचन-शक्ति बढ़ती है और उसे ज़ोर की भूख लगती है। ऐसे में किए गए भोजन का बिना किसी चूर्ण या पुड़िया प्रयोग किए पचना और शरीर का बलिष्ठ होना, ये सभी प्रक्रियाएँ स्वचालित यंत्र की तरह पूर्ण हो जाती हैं । ऐसे बालकों के लिए कभी चिकित्सकों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस प्रकार खेल एक और लाभ अनेक हैं। वही राष्ट्र विकसित या सामर्थ्यवान बन पाता है, जिस देश का युवक स्वस्थ होता है। यह तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक अपनी लाख व्यस्तताओं के बावजूद खेल के लिए समय निकाले। डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India) खेल के महत्व पर निबंध 800 शब्दों मेंसंकेत बिंदु-
खेल का महत्व मानव संसार का सबसे महत्वपूर्ण प्राणी है। अन्य प्राणियों की अपेक्षा मानव में सोचने-समझने, चिंतन करने की शक्ति अधिक है, परंतु मस्तिष्क का एकांगी विकास किसी काम का नहीं है। मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ शारीरिक शक्ति का होना भी आवश्यक है। ‘शरोरामायं खलु धर्मसाधनम्’ अर्थात् शरीर कर्तव्य पालन का पहला साधन है। कालिदास का यह कथन पूर्णत: सत्य है। जीवन की पहली आवश्यकता स्वस्थ शरीर ही है। अच्छे स्वास्थ्य के अनेक साधन हैं जैसे-व्यायाम, खेलकूद, जिम्नास्टिक आदि। व्यायाम तथा जिम्नास्टिक से शरीर स्वस्थ तो अवश्य रहता है, परंतु न तो इनसे मनोरंजन होता है और न ही शरीर के स्वस्थ बनने के अतिरिक्त इसका कोई अन्य लाभ है। साथ ही ये दोनों साधन नीरस हैं। इसके विपरीत खेलों से व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। यही कारण है कि विद्यार्थियों की रुचि व्यायाम की अपेक्षा खेलकर में अधिक होती है। वे खेलकूद में भाग लेकर अपना स्वास्थ्य ठीक रखते हैं स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था- “मजबूत आत्मा और पक्के मन का मंदिर शरीर कल्पना में भी कैसे कच्चा हो सकता है?” खेलकूद स्वास्थ्य-रक्षा का निःशुल्क साधन है। स्वामी विवेकानंद जी ने स्वास्थ्य का मस्तिष्क पर प्रभाव के विषय में अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त किए थे “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। “ खेलों से स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है इनसे मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। खेलकर से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से खिलाड़ियों में सहिष्णुता,धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद अप्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होते हैं ये जीवन संघर्ष का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते है। खेलकूद से एकाग्रता का गुण आता है जिससे अध्यात्म साधना में मदद मिलती है। सच्चा खिलाड़ी हानि लाभ, यश अपयश सफलता असफलता को समान भाव से ग्रहण करने का अभ्यस्त हो जाता है। खेलों में भाग लेने से तन मन की शक्ति के साथ-साथ हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है। तन-मन से स्वस्थ आत्मविश्वासी व्यक्ति के लिए जीवन में कोई भी काम करना कठिन नहीं होता। मनुष्य अकेले किसी भी खेल को नहीं खेल सकता। दो या दो से अधिक व्यक्ति ही किसी खेल को खेल सकते हैं। मिलकर खेलने से हमारा दूसरे खिलाड़ियों में परिचय बढ़ता है। हमें मिलकर काम करने की आदत पड़ती है। मिलकर खेलने में व्यक्तिगत हार-जीत नहीं रहती। हार का दुःख तथा जीत की खुशी साथी खिलाड़ियों में बंट जाती है। खेल में जीत के लिए आवश्यक है कि खिलाड़ी व्यक्तिगत यश के लिए न खेले। वह अन्य खिलाड़ियों के साथ सहयोग से खेले। इस प्रकार खेलों से टीम भावना तथा सहकारिता की भावना से काम करने को शिक्षा स्वयंमेव मिलती रहती है। अच्छे खिलाड़ियों को खेलने के लिए अपने स्कूल के अतिरिक्त दूसरे स्कूलों में, अपने नगर के अतिरिक्त दूसरे नगरों में, अपने प्रदेश के अतिरिक्त दूसरे प्रदेशों में यहाँ तक कि अपने देश के अतिरिक्त दूसरे देशों में भी जाना पड़ता है। इससे उसके ज्ञान का विस्तार होता है। हमें दूसरे देशों की सभ्यता-संस्कृति,भाषा,खान-पान,रहन- सहन आदि को देखने समझने का अवसर प्राप्त होता है। अधिकतर खेल घर से बाहर निकलकर प्रकृति के खुले आँगन में खेले जाते हैं। इससे खुली हवा का आनंद भी मिलता है। खेलों में बच्चे, बूढ़े, युवक सभी आयु वाले भाग ले सकते हैं। खेल दो प्रकार के हैं- एक वे जो घर में बैठकर खेले जा सकते हैं या किसी हॉल में जैसे-शतरंज, लूडो, केरमबोड,टेबल टेनिस आदि। दूसरे प्रकार के खेल वे है जो घर से बाहर खुले स्थानों और मैदानों में खेले जाते हैं जैसे-हॉकी, क्रिकेट, बॉलीबॉल, फुटबॉल, लोन टेनिस, कबड्डी आदि। घर में खेले जाने वाले खेलों से केवल मनोरंजन होता है। इन से मन मस्तिष्क का व्यायाम तो हो जाता है, परंतु शरीर का व्यायाम नहीं होता। शारीरिक व्यायाम तो मैदान में खेले जाने वाले खेलों से ही होता है। आज संसार के सभी देशों ने खेल के महत्व को समझ लिया है, इसलिए खेलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्कूलों,कॉलेजों में खेलों पर अधिक खर्च किया जाने लगा है। अब हर स्तर पर खेलों का महत्व समझाने के लिए खेलों का आयोजन होने लगा है। इससे न केवल खिलाड़ियों बल्कि देखने वालों और सुनने वालों का भी मनोरंजन होता है। इससे जीवन रसमय बन जाता है। खेल के मैदान में खिलाड़ियों से अधिक उत्साह दर्शकों में दिखाई देता है। विदेशों में खेल के महत्व को समझते हुए खेल पर बहुत ध्यान दिया जाता है। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में सरकार खेलों पर उतना ध्यान नहीं देती जितना देना चाहिए। इस प्रकार हम देखते हैं कि खेलों में भाग लेकर खिलाड़ी अपना स्वास्थ्य तो ठीक रखते ही है साथ ही अपने विद्यालय, कार्यालय तथा देश का नाम भी उज्ज्वल करते हैं। विद्यार्थी जीवन में खेल का महत्वपुराने समय से ही खेल का महत्व है । विद्यार्थी जीवन में अनुशासन , पढ़ाई का जितना महत्व है उतना ही महत्व खेल खुद का भी हैं । ये पूरा दिन कक्षा में बैठे बैठे पढ़ाई करने से बॉडी का Posture ख़राब हो जाता हैं । खेल खुद बॉडी का Posture मेन्टेन रखने में मददगार साबित होता हैं । पहले जब बच्चे जब गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने जाते थे। तो उनकेपढ़ाई के साथ-साथ अनेक प्रकार के खेल भी खिलाये जाते थे। जिससे अपने दिमाग के साथ तन की भी स्वस्थ रख सके । एक विद्यार्थी बचपन से प्रेरणा लेकर खेलना शुरू करता हैं । आज कल न सिर्फ लड़के बल्कि लडकिय भी बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लेती है । खेल खुद आपके दिमाग को रिफ्रेशमेंट देता है जिससे विद्यार्थी अच्छे से अपना ध्यान केन्द्रित कर पाते हैं । ये कंसंट्रेशन बढ़ाने में भी मदद करता हैं । जो विद्यार्थी बचपन से खेल खुद में भाग लेते हैं उनके शरीर का विकास आचे तरीके से होता हैं । विद्यार्थियों के अन्दर खेल भावना जगाती है। इससे वो एकजुटता, लीडरशिप की भावना जगाती है ।ये मानसिक रूप से विद्यार्थियों को टफ बनाती है और खेल को खेल की तरह देखना चाहिए चाहे जीत हो या हार उसे खुले दिल से एक्सेप्ट करना चाहिए । खेल के महत्व पर स्लोगनखेल का महत्व और उसपे लिखे गए नारे इस प्रकार हैं:
खेल के महत्व पर कविताखेल का महत्व और लिखी कविता इस प्रकार है: खेलों की दुनिया का जादू, खेल के महत्व पर सुविचारखेल का महत्व और उसपे कुछ बेहतरीन सुविचार इस प्रकार हैं:
खेल से लाभखेल का महत्व और उससे होने वाले लाभ के बारे में नीचे बताया गया है-
खेल में करियरपढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब। पहले ये कहावत बहुत प्रचलित थी l लेकिन बदलते दौर के साथ हर कोई मुझे बड़ा होगा अपना करियर बनाना चाहता है। आज के समय में आप खेल में अपना एक बेहतरीन करियर बना सकते हैं जहां को एक अच्छी सैलरी मिलती है। खेल मैं कैरियर बनाना कई लोगों को लगता है के खेल में करियर बनाना सिर्फ एथलीट या किसी एक खेल में अच्छा परफ़ॉर्मर तक सीमित नहीं है इसमें कई तरह की जॉब हैं जिनमें आपको आपको एथलेटिक होने की जरुरत नहीं है । खेल में हर किसी के लिए अवसर ही अवसर है। अब हम ये कह सकते है की- खेलोगे-“कूदोगे तो होगे नवाब।” खेल में करियर विकल्पखेल में करियर विकल्प कुछ इस प्रकार हैं:
खेलों के प्रकारखेलों के प्रकार नीचे बताए गए हैं-
मौसम के आधार पर विभाजितमौसम के आधार पर इन्हें समर विंटर गेम्स दो तरह के खेला जाता हैं।
खेल को इंडोर और आउटडोर खेल में भी बांटा गया हैं। इंडोर खेलये ऐसे खेल हैं जिन्हें आप घर में बैठ कर अपने परिवार या प्रियजनों के साथ खेल सकता है। जिससे आपका मनोरंजन होगा और एक दूसरे के साथ समय भी बिता सकते हैं। आइए देखें इंडोर खेल के उदहारण –
आउटडोर खेलजिसे हम घर से बाहर खेलते हैं, जिससे हमारा मानसिक और शारीरक विकास होता है। ये तरों ताज़ा रहने में भी मदद करता है – आए देखे कुछ आउटडोर खेल –
आदर्श खिलाड़ी के गुणएक अच्छा खिलाड़ी सदैव अपने खेल के प्रति समर्पित रहता है । वो अपना , परिवार और देश का नाम रोशन करने का हर मुमकिन प्रयाश करते हैं।वह एक अच्छा लीडर होना चाहिए जो अपनी टीम को लीड करे ।उसके एक पॉजिटिव सोच वाला होना चाहिए ताकि वो टीम को कॉन्फिडेंस दिला सके ।उसे अपना मन शांत रखने की कला में निपुण होना चाहिए ताकि विपरीत परिस्तिथि में सयम बना सकते ।एक अच्छे खिलाड़ी को विनम्र होना चाहिए ताकि वो अपने टीम में एक अच्छा वातावरण बना सके ।उसके अन्दर खेल भावना होनी चाहिए ताकि वो हार या जीत को दिल से न लगाए ।किसी भी अच्छे खिलाड़ी को इच्छा , अपने उत्साह और शरीर में तालमेल बनाए रखें।उसे हमेशा अपने अभ्यास में कंसिस्टें होना चाहिए क्योंकि “Practice Makes a Man Perfect” FAQsस्कूप किस खेल से संबंधित हैं ? हॉकी से तैराकी की किस स्पर्द्धा में तैराक की गति सबसे अधिक होती हैं ? बैक स्ट्रोक फिरोजशाह कोटला बैदान किस खेल से संबंधित हैं ? क्रिकेट से एकदिवसीय क्रिकेट में 10,000 रन बनाने वाला तीसरा भारतीय खिलाड़ी कौन है ? राहुल द्रविड़ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक पारी में सर्वाधिक रन बनाने वाला खिलाड़ी का नाम क्या हैं ? विराट कोहली क्यू (Cue) शब्द का प्रयोग किस खेल में किया जाता हैं ? बिलियर्ड्स में रियो ओलम्पिक 2016 में भारत की ओर से कांस्य पदक किसने जीता था? साक्षी मलिक टी (Tee) किस खेल से संबंधित हैं ? गोल्फ से आशा करते हैं कि आपको खेल का महत्व का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप विदेश में पढ़ना चाहते है तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800572000 पर कांटेक्ट कर आज ही 30 मिनट्स का फ्री सेशन बुक कीजिए। खेल के मैदान का क्या महत्व है?खेल का मैदान हम सबके बचपन का एक हिस्सा होता है। जहा हम अपने बचपन में इस खेल के मैदान में बहुत सारे खेल खेला करते है। यह खेल का मैदान ज्यादातर स्कूल या कॉलेज के क्षेत्र में ज्यादा दिखाई देता है। क्योंकि स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले सभी बच्चों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहना चाहिए।
खेल का क्या महत्व है?खेलकर से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से खिलाड़ियों में सहिष्णुता,धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है।
खेल के मैदान कैसे होने चाहिए?खेल के मैदान विशाल और बाहर होने चाहिए, लेकिन उन्हें एकांत में भी रखा जाना चाहिए ताकि बच्चे (और उनके माता-पिता) सुरक्षित महसूस करें और उन्हें बाहरी दुनिया पर विचार न करना पड़े। एक अच्छे खेल के मैदान में ऐसी सतहें होनी चाहिए जो प्रभावों को अवशोषित कर सकें और आपके बच्चे पर चलना, दौड़ना और कूदना आसान बना दें।
मैदान में खेले जाने वाले खेल कौन कौन से हैं?मैदान में खेले जाने वाले खेलों के नाम. कबड्डी. गिल्ली-डंडा. फुटबाल. क्रिकेट. सॉफ्टबॉल. साइकिलिंग. |