Open in App Solution लेखक के पास उस बुढ़िया के रोने का कारण जान सकने का कोई उपाय नहीं था। लेखक की पोशाक उसके इस कष्ट को जान सकने में अड़चन पैदा कर रही थी क्योंकि फुटपाथ पर उस बुढ़िया के साथ बैठकर लेखक उससे उसके दु:ख का कारण नहीं पूछ सकता था। इससे उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती, उसे झुकना पड़ता। यशपाल Kamaladevi Chattopadhyaya Standard VII History Suggest Corrections 6 (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए- लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि उसकी पोशाक रूकावट बन गई। जब उसने उस खरबूज़े बेचने वाली स्त्री को घुटनों पर सिर रखकर रोते देखा और बाजार में खड़े लोगों का उस स्त्री के संबंध में बातें करते देखा तो लेखक का मन दुखी हो उठा। कारण जानना चाहते हुए भी वह ऐसा नहीं कर पाया। यद्यपि व्यक्ति का मन दूसरों के दुःख में दुःखी होता है परन्तु पोशाक परिस्थितिवश उसे झुकने नहीं देती। 209 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- उस बुढ़िया का बेटा मर चुका था। लोगों को पता था कि बुढ़िया को दिए उधार के लौटाने की कोई संभावना नहीं है। इसलिए अब बुढ़िया को कोई भी उधार देने को तैयार नहीं था। 261 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- उस स्त्री का लड़का तेईस बरस का था। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर खेती करके परिवार का गुजारा करता था। एक दिन वह सुबह मुंह-अंधेरे खेत में बेलों से पके खरबूज़े चुन रहा था कि गीली मेड़ की तरावट में आराम करते हुए सांप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उस लड़के को डस लिया। ओझा के झाड़-फूंक आदि का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई। 381 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूज़े इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि वह घुटनों में सिर गड़ाये फफक-फफक कर रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लगे सूतक के कारण लोग इससे खरबूज़े नहीं ले रहे थे। 415 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्जा और अधिकार का पता चलता है तथा उसकी अमीरी-गरीबी की श्रेणी का भी पता चलता है। 1053 Views
निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- उस स्त्री को देखकर लेखक को उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी। उसे देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। वह नीचे झुककर उसकी अनुभूति को समझना चाहता था तब उसकी पोशाक इसमें अड़चन बन गई। 266 Views Advertisement Remove all ads Advertisement Remove all ads Advertisement Remove all ads Short Note निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए − लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया? Advertisement Remove all ads Solutionलेखक के पास उस बुढ़िया के रोने का कारण जान सकने का कोई उपाय नहीं था। लेखक की पोशाक उसके इस कष्ट को जान सकने में अड़चन पैदा कर रही थी क्योंकि फुटपाथ पर उस बुढ़िया के साथ बैठकर लेखक उससे उसके दु:ख का कारण नहीं पूछ सकता था। इससे उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती, उसे झुकना पड़ता। Concept: गद्य (Prose) (Class 9 B) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 1: यशपाल - दुःख का अधिकार - लिखित (क) [Page 10] Q 3Q 2Q 4 APPEARS INNCERT Class 9 Hindi - Sparsh Part 1 Chapter 1 यशपाल - दुःख का अधिकार Advertisement Remove all ads पृष्ठ संख्या: 17 1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है? उत्तर मनुष्य के जीवन में पोशाक मात्र एक शरीर ढकने का साधन नही है बल्कि समाज में उसका दर्जा निश्चित करती है। पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है। जब हम किसी से मिलते हैं, तो पहले उसकी पोशाक से प्रभावित होते हैं तथा उसके व्यक्तित्व का अंदाज़ा लगाते हैं। पोशाक जितनी प्रभावशाली होगी, उतने अधिक लोग प्रभावित होगें। 2. पोशाक हमारे हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है? उत्तर पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं। 3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नही जान पाया? उत्तर
लेखक की पोशाक रोने का कारण जान पाने की बीच अड़चन थी। वह फुटपाथ पर बैठकर उससे पूछ नही सकता था। इससे उसके प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती। इस वजह से वह उस स्त्री के रोने का कारण नही जान पाया। 6. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई? उत्तर लेखक को बुढ़िया के दुःख को देखकर अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उसके बेटे का भी देहांत हुआ था। वह दोनों के दुखों के तुलना करना चाहता था। दोनों के शोक मानाने का ढंग अलग था। धनी परिवार के होने की वजह से वह उसके पास शोक मनाने को असीमित समय था और बुढ़िया के पास शोक का अधिकार नही था। (ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए - उत्तर बाज़ार के लोग खरबूज़ेबेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे थे। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई कमीनी, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला लाला कह रहा था, इनके लिए अगर मरने-जीने का कोई मतलब नही है तो दुसरो का धर्म ईमान क्यों ख़राब कर रही है। 2. पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को क्या पता चला? उत्तर पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को पता चला कि बुढ़िया का जवान बेटा सांप के काटने से मर गया है। वह परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। उसके घर का सारा सामान बेटे को बचाने में खर्च हो गया। घर में दो पोते भूख से बिलख रहे थे। इसलिए वो खरबूजे बेचने बाजार आई है। 3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या- क्या उपाय किए ? उत्तर लड़के के मृत्यु होने पर बुढ़िया पागल सी हो गयी। वह जो कर सकती थी उसने किया। वह ओझा को बुला लायी झाड़ना-फूंकना हुआ। नागदेवता की पूजा भी हुई। घर में जितना अनाज था दान दक्षिणा में समाप्त हो गया। परन्तु उसका बेटा बच न सका। 4. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाजा कैसे लगाया? उत्तर लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दु:ख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने लगा जिसके पास दु:ख प्रकट करने का अधिकार तथा अवसर दोनों था परन्तु यह बुढ़िया तो इतनी असहाय थी कि वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं मना सकती थी। 5. इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए। उत्तरइस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है। पृष्ठ संख्या: 18 निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -1.जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है। उत्तर यहाँ लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है। जिस प्रकार पतंग के कट जाने पर वायु की लहरें उसे कुछ समय के लिए उड़ाती रहती हैं, एकाएक धरती से टकराने नही देतीं ठीक उसी प्रकार किन्हीं ख़ास परिस्थतियों में पोशाक हमें नीचे झुकने से रोकती हैं। 2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई,धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है। उत्तर इस वाक्य में गरीबी पर चोट की गयी है। गरीबों को कमाने के लिए रोज घर से निकलना पड़ता है । परन्तु लोग कहते हैं उनके लिए रिश्ते-नाते कोई मायने नही रखते हैं। वे सिर्फ पैसों के गुलाम होते हैं। रोटी कमाना उनके लिए सबसे बड़ी बात होती है। 3. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दुखी होने का भी एक अधिकार होता है। उत्तर शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है। भाषा
अध्यन2. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −ईमानबदनअंदाज़ाबेचैनीगमदर्ज़ाज़मीनज़मानाबरकत 3. निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए - उत्तरफफकफफककरदुअन्नीचवन्नीईमानधर्मआतेजातेछन्नीककनापासपड़ोसझाड़नाफूँकनापोतापोतीदानदक्षिणामुँहअँधेरे उत्तर1. बंद दरवाज़े खोल देना − प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं। 5. निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
−(क)छन्नी-ककनाअढ़ाई-मासपास-पड़ोसदुअन्नी-चवन्नीमुँह-अँधेरेझाड़ना-फूँकना(ख)फफक-फफककरबिलख-बिलखकरतड़प-तड़पकरलिपट-लिपटकर 6. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से
पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए : भूख से बिलबिलाने लगे। रहे थे।2उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा। होंगे।3चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ। क्यों न बिक
जाए।(ख) नीयत होती है, अल्ला भी वैसी हीबरकत देता है। जैसादूसरों के लिए करोगे वैसाही फल पाओगे।2भगवाना जोएक दफे चुप हुआ तोफिर न बोला। जोसमय निकल गया तोफिर मौका नहीं मिलेगा। |