मंगल को बहुत मजबूत कैसे बनाएं? - mangal ko bahut majaboot kaise banaen?

पृथ्वी पर जन्म लेते ही व्यक्ति ग्रहों से जुड़ जाता है। इन सभी ग्रहों का शुभ-अशुभ प्रभाव उस पर पड़ता है। बात करें यदि मंगल ग्रह की तो ज्योतिष शास्त्र में उसे ग्रहों का सेनापति कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में जिन तमाम दोषों को खतरनाक बताया गया है, उसमें मंगल दोष भी शामिल है। यही कारण है कि विवाह आदि से पहले किसी भी कुंडली को मिलाते समय इस दोष को विशेष रूप से देखा जाता है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक किसी भी व्यक्ति में ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने के लिए इस दोष के प्रभाव को दूर करना अत्यंत आवश्यक होता है। तो आइए जानते हैं मंगल का दोष दूर कर उनकी कृपा दिलाने वाले महाउपाय के बारे में —

- मंगल देव की कृपा पाने के लिए उनका व्रत एक बहुत कारगर उपाय है। साहस और आत्मविश्वास के कारक मंगल देवता की कृपा पाने के लिए मंगलवार का व्रत नियम संयमपूर्वक रहना चाहिए। यह व्रत न्यूनतम २१ या ४५ मंगलवार रहना चाहिए तथा नियमपूर्वक ‘ॐ अं अंगारकाय नमः’ का 3, 5, या 7 माला जाप करना चाहिए। इस व्रत में भी नमक का प्रयोग न करें। मंगल देव के इस व्रत से कर्ज से मुक्ति और संतान का सुख प्राप्त होता है।

- मंगल दोष के दुष्प्रभाव से चने के लिए प्रतिदिन या फिर मंगलवार के दिन विशेष रूप से संकटमोचन हनुमान जी की आराधना करें। हनुमत साधना में हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें।

- मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति प्रतिदिन या फिर विशेष रूप से मंगलवार के दिन बंदरों को गुड़ और चने खिलाएं। साथ ही अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे लगाकर उनकी अच्छी तरह देखभाल करें।

- मंगल को मनाने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं जैसे लाल मसूर की दाल, लाल कपड़े का दान करना चाहिए।

- यदि आप मंगल दोष से पीड़ित हैं तो अपने छोटे भाई-बहनों का विशेष ख्याल रखें।

- मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को घर में नीम का पौधा लगाना चाहिए और उसे प्रतिदिन जल देना चाहिए।

- माता मंगला गौरी की साधना-अराधना और विशेष पूजन करने से भी इस दोष से मुक्ति मिलती है।

- मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को अपने खान-पान की आदतों में विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए। ऐसे जातक को हमेशा गर्म और ताजा भोजन करना चाहिए। इस उपाय से कमजोर मंगल मजबूत होता है.

- यदि आप मंगल दोष से अत्यधिक पीड़ित हैं तो आप मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष निवारण विशेष पूजा करवाएं।

- हनुमानजी के पैर का सिंदूर का टीका लगाएं। मंगल का दुष्प्रभाव कम होगा।

- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने अनुसार मंगल के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसके उपाय बताए गए हैं। यहां प्रस्तुत है प्रत्येक भाव में मंगल की स्थित और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी।


मंगल का काम है मंगल करना। मंगल अशुभ होता है मांस खाने से। भाइयों से झगड़ने से और क्रोध करने से। मंगल का शासन आपके रक्त पर अधिक होता है इसीलिए रक्त की खराबी भी मंगल के अशुभ की निशानी है।

विशेषता : ऊंट-ऊंटनी, हिरन और शेर।

(1) पहला खाना : मैदान में जंग करने वाला शेर। पहले घर में मंगल होने का मतलब 28 वर्ष की आयु के बाद आर्थिक हालत अच्‍छी रहती है। शारीरिक तौर पर मजबूत ऐसे व्यक्ति को शनि संबंधी कार्य में लाभ मिलता है।

सावधानी : विवाह 28 के बाद हो तो अच्छा फल। कभी भी मुफ्त की चीजें न लें। बुरी जगहों, समय और बुरी संगत से बचें।

(2) दूसरा खाना : जिम्मेदार शेर। बड़े भाई की हैसियत रखने वाले व्यक्ति को धन का अभाव नहीं रहता। परिवार बड़ा होगा।

सावधानी : धर्मदूत जैसा व्यवहार रखना चाहिए। भाइयों और मित्रों से प्रेमपूर्ण संबंध रखें। व्यर्थ के लड़ाई-झगड़े से दूर रहें। नशा न करें।

(3) तीसरा खाना : यहां मंगल यदि अशुभ है तो 'पिंजरे का शेर' और यदि शुभ है तो 'शूरवीर'। शूरवीर यदि समझदार है तो जीवन सफल समझो। मेहनत से अर्जित दौलत में बरकत होगी।

सावधानी : पड़ोसी और सगे-संबंधियों से झगड़ा न करें। गवाह देने या महत्वपूर्ण कागजों पर हस्ताक्षर करने का कार्य न करें। बुरी स्त्रियों से दूर रहें। धूर्ततापूर्ण स्वाभाव छोड़ दें।

(4) चौथा खाना : चौथे घर का मंगल 'दरिया में रखा आग का गोला' ही समझो। दूसरा यह कि 'खुद तो जलेंगे सनम तुमको भी जलाकर मरेंगे।' लेकिन परिवार के प्रति जिम्मेदार।

सावधानी : माता और पिता को दुःख देना जीवन में जहर घोलने के समान सिद्ध होगा। बदले की भावना न रखें। कीकर के वृक्ष और हलवाई या भूनने वाले की भट्टी जलती हो वहां न रहें। दक्षिण मुखी मकान में न रहें। काले और काने व्यक्ति की संगत से बर्बादी।

(5) पांचवां खाना : सूर्य के घर में मंगल हो तो व्यक्ति फकीर होते हुए भी स्वयं को रईसों का बाप- दादा समझता है। हमेशा ही घर से बाहर रहने वाला। मां-बाप का साथ दे, इसकी कोई ग्यारंटी नहीं। बच्चों से प्रेम करने वाला, लेकिन खुद की औलाद मु‍श्किल में रहती है।

सावधानी : मदिरा और मांस का सेवन न करें। चरित्र ठीक रखें। पिता की सलाह मानें। मित्र और भाई को धोखा न दें।

(6) छठा खाना : यहां मंगल है तो समझो माता-पिता ने उसे बड़ी मन्नत से पाया, लेकिन वह साधु-संन्यासी स्वभाव वाला निकला। फिर भी ऐसा व्यक्ति कर्मवीर होता है यदि मंगल अशुभ न हो तो।

सावधानी : कन्याओं का अपमान न करें बल्कि कन्याभोज कराते रहें। यदि लड़का पैदा हो तो उसके जन्मदिन की खुशियां न मनाएं। लड़के के शरीर पर सोना धारण न करें।

(7) सातवां खाना : यहां यदि मंगल है और वह नेक और धर्मात्मा है तो उसकी पालना करने वाले भगवान विष्णु हैं। बेशुमार दौलत मिलेगी। इंसाफ पसंद है तो मुसीबत के वक्त सहारा मिलेगा। यदि मंगल अशुभ हो रहा है तो सावधानी बरतें और उपाय करें।

सावधानी : घर के पास यदि खाली कुआं है तो दुःख का कारण है। बहन या बुआ द्वारा मिली चीज अपने पास न रखें। मांस और मदिरा का सेवन न करें। गाने-बजाने का शौक न पालें। पत्नी से संबंध अच्‍छे रखें।

(8) आठवां खाना : मौत का फंदा जानो। बड़े भाई के होने की संभावना कम ही रहती है। हौसला तो बुलंद रहता है, लेकिन यदि नौकरी या व्यापार में ही उसका उपयोग करें तो ही सही है।

सावधानी : मित्र और पत्नी से अच्छा व्यवहार करें। शरीर का ध्यान रखें। मांस और मदिरा सेवन से उग्र स्वभाव में आग में घी डालने वाला काम होगा। विधवा स्त्री का अपमान न करें।

(9) नवम खाना : कुंडली में यहां मंगल है तो समझो व्यक्ति नास्तिक स्वभाव वाला होगा। हुकूमत करने की इच्छा रखेगा। यदि यहां मंगल शुभ है तो नौकरी या कारोबार में तरक्की करेगा।

सावधानी : धर्म का अपमान करेंगे तो शेर को गीदड़ जैसा जीवन बिताना पड़ेगा। भाई और पिता का अपमान जहर समान। भाई के साथ ही रहने से लाभ।

(10) दसम खाना : दसवें खाने का मंगल 'चीता' माना गया है। यदि उच्च का है तो खानदान को तार देगा। जायदाद, मकान और वाहन का मालिक रहेगा, लेकिन 'नकद नारायण' की शर्त नहीं। व्यापार में अव्वल रहेगा।

सावधानी : घर का सोना न बेचें। काले जादू या बेकार तंत्र-मंत्र के चक्कर में न पड़ें। पिता का सम्मान करें। घर की भी चीज चुराने का न सोचें वरना बुरे दिन देखना पड़ेंगे।

(11) ग्यारहवां खाना : जंजीर से बंधा पालतू चीता। मां-बाप के घर दौलत का भंडार भरने वाला।

सावधानी : कम उम्र में ही दौलतमंद होगा। शर्त यह कि पिता से धन न लें। गुरु, साले और भाइयों का अपमान न करें। शनि के मंदे कार्य भी न करें।

(12) बारहवां खाना : व्यय भाव में होने से धन के होने की शर्त यह कि हिंसक और कामुक प्रवृत्ति न रखें।

सावधानी : गुरु और धर्म का अपमान न करें। यदि भाई है तो उनसे बनाकर रखें। बुरी संगत से बचें अन्यथा शत्रु बढ़ेंगे और राजदंड के फेर में फंस जाएंगे। समझदारी से चलें। मित्रों और स्वजनों से बैर-भाव न रखें। उधार न दें।

मंगल कमजोर हो तो क्या करना चाहिए?

ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार मंगल खराब हो तो हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करना चाह‍िए। इसके अलावा भाईयों और म‍ित्रों पर भी क्रोध करने से बचना चाह‍िए। गाय को चारा ख‍िलाना चाह‍िए, मीठी तंदूरी रोटी दान करें। बहते हुए पानी में रेवड़ी और बताशा डालें।

मंगल देव को प्रसन्न कैसे करे?

* हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, बजरंग बाण के पाठ करने से मंगल की शांति होती है। * मूंगा, गेंहू, मसूर, लाल वस्त्र, कनेरादि रक्त पुष्प, गुड़, गुड़ की रेवड़ियां, बताशे... * मीठी रोटी (गुड़ व गेंहू की), तांबे के बर्तन, लाल चंदन, केसर, लाल गाय आदि का दान करें। सूर्योदयकाल के समय निम्न मंत्रों के जाप से भी काफी फायदा होता है।

मंगल ग्रह शांत करने के लिए क्या करना चाहिए?

गेहूं, गुड़, मूंगा, मसूर, तांबा, सोना, लाल वस्त्र, केशर-कस्तूरी, लाल पुष्प, लाल चंदन, लाल रंग का बैल, घी, पीले रंग की गाय, मीठा भोजन आदि लाल वस्तुओं का दान मंगलवार मध्यान्ह में करें। दिन में मंगल यंत्र का पूजन करें। मंगलवार को लाल वस्त्र पहनें।

मंगल ग्रह को संतुलित कैसे करें?

मंगल ग्रह की शुभता पाने के लिए कम से कम 21 या 45 मंगलवार व्रत रखें और मंगल के बीज मंत्र ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः का 7 माला जप करें। यह भी ध्यान रखें कि मंगलवार के दिन व्रत में नमक का प्रयोग न करें। ऐसा करने से कुंडली में मंगल की शुभ स्थिति बनती है।