प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में क्या शामिल है? - pratyaksh videshee nivesh mein kya shaamil hai?

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किसे इसकी प्रमुख विशेषता माना जाता है?

  1. यह एक सूचीबद्ध कंपनी में अनिवार्य रूप से पूंजी उपकरणों के माध्यम से निवेश है।
  2. यह बड़े पैमाने पर गैर-ऋण पूंजी प्रवाह है।
  3. यह निवेश है जिसमें ऋण-सेवा शामिल है।
  4. यह विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में किया गया निवेश है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : यह बड़े पैमाने पर गैर-ऋण पूंजी प्रवाह है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में क्या शामिल है? - pratyaksh videshee nivesh mein kya shaamil hai?

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January Month Current Affairs: Part - I

30 Questions 60 Marks 30 Mins

सही उत्तर विकल्प 2है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में क्या शामिल है? - pratyaksh videshee nivesh mein kya shaamil hai?
Key Points

  • ऋण सेवा वह नकदी है जो किसी विशेष अवधि के लिए ऋण पर ब्याज और मूलधन की अदायगी को कवर करने के लिए आवश्यक है। एफडीआई का इस अवधारणा से कोई संबंध नहीं है,अत: विकल्प 3 गलत है।
  • निवेश एक गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनी (1) में पूंजीगत साधनों के माध्यम से किया जाता है; या (2) 10% या उससे अधिक भुगतान किए गए इक्विटी पूंजी में पूरी तरह से आंशिक आधार पर सूचीबद्ध भारतीय कंपनी में किया जाता है।अत:, विकल्प 1 गलत है।
  • एफडीआई निवेश इक्विटी या इक्विटी-लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स या कंपनी द्वारा जारी किए गए डेट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जा सकता है और वे सीधे सरकारी प्रतिभूतियों से संबंधित नहीं हैं। अत: विकल्प 4 गलत है।
  • विदेशी संस्थागत निवेश विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करता है।
  • एफआईआई उन निवेशकों के समूह को संदर्भित करता है जो एफपीआई को देश में लाने में मदद करता है। दूसरे शब्दों में, विदेशी संस्थागत निवेशक के माध्यम के द्वारा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश  किया जाता है।
  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) एक गैर-निवासी संस्था / व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर किसी विदेशी कंपनी के प्रबंधन में विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा ट्रांसफर या इशू जारी करना) द्वारा किया गया निवेश है।
  • एफडीआई दीर्घकालिक निवेश हैं।यह गैर-ऋण पूंजी प्रवाह है क्योंकि इसमें निवासियों के लिए कोई प्रत्यक्ष पुनर्भुगतान नहीं है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में क्या शामिल है? - pratyaksh videshee nivesh mein kya shaamil hai?
Key Points

ऋण प्रवाह और गैर ऋण प्रवाह

  • ऋण प्रवाह-
    • ऋण प्रवाह एक प्रकार की विदेशी पूंजी है जहां निवासियों के लिए इसे चुकाने की बाध्यता होती है।
  • गैर ऋण प्रवाह-
    • एक गैर-ऋण प्रवाह वह है जहां निवासियों के लिए कोई प्रत्यक्ष चुकौती दायित्व नहीं है।
    • उदाहरण के लिए-एफडीआई, एफपीआई और डिपॉजिटरी रिसीट्स गैर-ऋण प्रवाह हैं ।ECBs, FCCBs, रुपया अस्वीकृत बॉन्ड, NRI डिपॉजिट और बैंकिंग कैपिटल डेट क्रिएट फ्लो हैं। अत: विकल्प 2 सही है।

Latest UPSC Civil Services Updates

Last updated on Nov 28, 2022

UPSC IAS 2022 DAF-II Form Fill Up begins on 8th December 2022. Candidates selected for the interview round of the UPSC IAS 2022 Exams should fill out the DAF Form by 14th December 2022 by 06:00 pm. UPSC IAS Mains 2022 Results Out. The UPSC IAS (UPSC) Mains examination was conducted on the 16th, 17th, 18th, 24th, and 25th of September 2022. Candidates who are qualified in the mains are eligible to attend the Interview. The candidates are required to go through a 3 stage selection process - Prelims, Main and Interview. The marks of the main examination and interview will be taken into consideration while preparing the final merit list. The candidates must go through the UPSC Civil Service mains strategy to have an edge over others.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में क्या शामिल है? - pratyaksh videshee nivesh mein kya shaamil hai?


प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI क्या है)

  • FDI एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक देश (मूल देश) के निवासी किसी अन्य देश (मेज़बान देश) में एक फर्म के उत्पादन, वितरण और अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करते हैं।
  • यह विदेशी पोर्टफोलियो(Foreign Portfolio Investment-FPI) निवेश से भिन्न है, इसमें विदेशी इकाई केवल एक कंपनी के स्टॉक और बॉन्ड  खरीदती है लेकिन यह FPI निवेशक को व्यवसाय पर नियंत्रण का अधिकार नहीं प्रदान करता है।
  • FDI के प्रवाह में शामिल पूंजी किसी उद्यम के लिये एक विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक द्वारा (या तो सीधे या अन्य संबंधित उद्यमों के माध्यम से) प्रदान की जाती है।

FDI में तीन घटक-

इक्विटी कैपिटल (Equity Capital), पुनर्निवेशित आय (Reinvested Earnings) और इंट्रा-कंपनी लोन  (Intra-Company Loans) शामिल हैं।

  • इक्विटी कैपिटल विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक की अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के उद्यम के शेयरों की खरीद से संबंधित है।
  • पुनर्निवेशित आय में (प्रत्यक्ष इक्विटी भागीदारी के अनुपात में) प्रत्यक्ष निवेशकों द्वारा की गई कमाई शामिल होती है जिसे किसी कंपनी के सहयोगियों (Affiliates)  द्वारा लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है या यह कमाई प्रत्यक्ष निवेशक को प्राप्त नहीं होती है।
  • इंट्रा-कंपनी लोन या  लेन-देन में प्रत्यक्ष निवेशकों (या उद्यमों) और संबद्ध उद्यमों के बीच अल्पकालिक या दीर्घकालिक उधार और निधियों का उधार शामिल होता है।

भारत में FDI आने का मार्ग:

स्वचालित मार्ग (Automatic Route): इसमें विदेशी संस्था को सरकार या RBI की पूर्व स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होती  है।

सरकारी मार्ग (Government Route):इसमें विदेशी संस्था को सरकार की स्वीकृति लेनी  आवश्यक होती है।

विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (Foreign Investment Facilitation Portal- FIFP)उन आवेदनों (Applications) को एकल खिड़की निकासी’ (Single Window Clearance) की सुविधा प्रदान करता है जो अनुमोदन मार्ग (Approval Route) से प्राप्त होते हैं।

विदेशी निवेश क्या होता है (Foreign Investment):

  • जब कोई देश विकासात्मक कार्यो के लिये अपने घरेलू स्रोत से संसाधनों को नहीं जुटा पाता है तो उसे देश के बाहर जाकर शेष विश्व की अर्थव्यवस्था से संसाधनों को जुटाना पड़ता है।
  • शेष विश्व से ये संसाधन या तो कर्ज (ऋण) के रूप में जुटाए जाते हैं या फिर निवेश के रूप में।
  • कर्ज के रूप में जुटाए गए संसाधनों पर ब्याज देना पड़ता है, जबकि निवेश की स्थिति में हमें लाभ में भागीदारी प्रदान करनी होती है।
  • विदेशी निवेश विकासात्मक कार्यों के लिये एक महत्त्वपूर्ण ज़रिया है। विदेशी निवेश को निम्न दो रूपों में देखा जा सकता है-

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI):

  • यदि विदेशी निवेशक को अपने निवेश से कंपनी के 10% या अधिक शेयर प्राप्त हो जाएँ जिससे कि वह कंपनी के निदेशक मंडल में प्रत्यक्ष भागीदारी कर सके तो इस निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेशकहते हैं। इससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment- FPI):

  • यदि किसी विदेशी निवेशक द्वारा कंपनी के 10% से कम शेयर खरीदे जाएँ तो उसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेश कहते हैं। FPI के अंतर्गत विदेशी संस्थाओं द्वारा खरीदे गए शेयर को विदेशी संस्थागत निवेश, जबकि विदेशी व्यक्तियों द्वारा खरीदे गए शेयर को पत्रागत/अर्हता प्राप्त विदेशी निवेश कहते हैं।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की तुलना में बेहतर माने जाते हैं क्योंकि FDI किसी देश की अर्थव्यवस्था को समुचित स्थिरता प्रदान करते हैं जबकि FPI निवेश अस्थिर प्रकृति के होते हैं और इनमें संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था से निकल जाने की प्रवृति देखी जाती है।

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश:

  • भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को दो अलग-अलग मार्गों के माध्यम से अनुमति दी जाती है- पहला, स्वचालित (Automatic) और दूसरा, सरकारी अनुमोदन के माध्यम से।
  • स्वचालित मार्ग में विदेशी संस्थाओं को निवेश करने के लिये सरकार की पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
  • हालाँकि उन्हें निर्धारित समयावधि में निवेश की मात्रा के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करना होता है।
  • विशिष्ट क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सरकारी अनुमोदन के माध्यम से होता है।

 वर्ष 2019-20 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI)

  • उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) द्वारा जारी नवीनतम आकँड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) में वृद्धि दर्ज़ की गई है। 
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18% की वृद्धि दर्ज की गई है जो वर्तमान में बढ़कर 73.46 बिलियन डॉलर हो गया है। यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पिछले चार वर्षों के दौरान सबसे अधिक है। इस निवेश के परिणामस्वरुप रोज़गार में सृजन होगा।
  • विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में 247 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया है।

वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान निम्नलिखित क्षेत्रों में अधिकतम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है-

  • सेवा (7.85 बिलियन डॉलर)
  • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (7.67 बिलियन डॉलर)
  • दूरसंचार (4.44 बिलियन डॉलर)
  • व्यापार (4.57 बिलियन डॉलर)
  • ऑटोमोबाइल (2.82 बिलियन डॉलर)
  • निर्माण (2 बिलियन डॉलर)
  • रसायन (1 बिलियन डॉलर)

वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में अधिकतम योगदान सिंगापुर का (14.67 बिलियन डॉलर) है। हालाँकि यह निवेश वित्तीय वर्ष 2018-19 में सिंगापुर द्वारा किये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (16.22 बिलियन डॉलर) की तुलना में कम है।

गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निम्नलिखित देशों का भी योगदान है-

  • मॉरीशस (8.24 बिलियन डॉलर)
  • नीदरलैंड (6.5 बिलियन डॉलर)
  • अमेरिका (4.22 बिलियन डॉलर)
  • केमेन द्वीप (3.7 बिलियन डॉलर)
  • जापान (3.22 बिलियन डॉलर)
  • फ्राँस (1.89 बिलियन डॉलर)।
  • ध्यातव्य है कि वित्तीय वर्ष 2018-1) के दौरान कुल 62 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था।
  • वित्तीय वर्ष 2013-14 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 36 बिलियन डॉलर का था, जबकि वर्तमान में यह दोगुना हो गया है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कितने प्रकार के होते हैं?

विदेशी निवेशक दो प्रकार से निवेश कर सकते हैं- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ)। किसी भी दूसरे देश की परियोजना या कंपनी में किया जाने वाला निवेश एफडीआइ है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के उदाहरण क्या है?

१) चिंतित उद्यम के प्रबंधन में भाग लेने के लिए आदेश में मौजूदा विदेशी उद्यम के शेयरों का अधिग्रहण किया जा सकता है। २) मौजूदा उद्यम और कारखानों पर लिया जा सकता है। ३) १००% स्वामित्व के साथ एक नई सहायक कंपनी विदेशों में स्थापित किया जा सकती है। ४) यह शेयर धारिता के माध्यम से एक संयुक्त उद्यम में भाग लेने के लिए संभव है।

निम्नलिखित में से कौन विदेशी प्रत्यक्ष निवेश होगा?

GDR आय को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में गिना जाता है।

विदेशी निवेश में क्या तात्पर्य है?

उत्तर: “विदेशी निवेश” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा भारतीय कंपनियों की पूंजीगत लिखतों में तथा किसी एलएलपी की पूंजी में प्रत्यावर्तनीय आधार पर किया गया निवेश