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सहेजे गए शब्द "मस्ती का 'आलम" शब्द से संबंधित परिणाममस्ती का 'आलमहिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मस्ती का 'आलम के अर्थदेखिएमस्ती का 'आलमmastii kaa 'aalam•مَسْتی کا عالَممَسْتی کا عالَم کے اردو معانیसूचनार्थ: औपचारिक आरंभ से पूर्व यह रेख़्ता डिक्शनरी का बीटा वर्ज़न है। इस पर अंतिम रूप से काम जारी है। इसमें किसी भी विसंगति के संदर्भ में हमें पर सूचित करें। या सुझाव दीजिए संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें . चित्र संलग्न कीजिए चित्र चुनिए (format .png, .jpg, .jpeg & max size 4MB and upto 4 images) मैं रेख़्ता को अपने चित्रों को उपयोग करने के लिए अधिकृत करता/करती हूँ और उसके कॉपीराइट के लिए स्वयं उत्तरदायी हूँ। Recent Wordsनिम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
B. बलिदानी वीर जहाँ भी जिस ओर जोश से बढ़ते है उनके कदमो से सारे वातावरण में धूल छा जाती है अर्थात् सब ओर उनका अस्तित्व दिखाई देता है। 743 Views जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए। यह सही है कि जीवन में मस्ती अर्थात् मजा होना चाहिए क्योंकि इससे ही व्यक्ति जीवन मैं आनंद व हर्ष अनुभव करता है। लेकिन यदि हमारे द्वारा की गई मस्ती किसी को नुकसान पहुँचाए तो उसे हम मस्ती का नाम नहीं दे सकते। हम बलि-वीरों की मस्ती को सर्वश्रेष्ठ व आनंददायक मानते हैं क्योंकि लाख कठिनाइयाँ सहने पर भी वे संतुष्ट व आनंदित रहते हैं। उनके हृदय में सदा आगे बढ़ने की चाह बनी रहती है। अपने जीवनकाल में कुछ विशेष कार्य करके वे लोगों के लिए प्रेरक बनना चाहते हैं। 9545 Views कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है? कवि का मानना है कि जब वे अपने बंधु-बांधवों से मिलने आते हैं तो सबके चेहरों पर खुशी छा जाती है और जब सहसा जाने की बात आती है तो वही खुशी अश्रुओं का रूप धारण कर लेती है अर्थात् उनके जाने का दुख सहन नहीं होता। लेकिन वीरों को तो अपने चुने मार्ग पर बढ़ना ही होता है। 2133 Views एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि “हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।” दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्व दिया है कि “मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।” यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है। ऐसे परस्पर विरोधी विचारों का समावेश कविता में इसलिए किया गया है क्योंकि बलिदानी वीर अपने विचारों उद्यम व बलिदान पथ के स्वयं ही मालिक थे। उनके विचारों में दुख-सुख, उल्लास-अश्रु, बंधन-मुक्ति आदि शब्दों का कोई महत्त्व न था। उनका लक्ष्य तो था देश को स्वाधीन करवाना और इस हेतु वे निरंतर कार्यरत रहते हैं। 1138 Views कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी? कविता में हमें सबसे अच्छी लगी दीवानों की ‘मस्ती’। सुख-दुख सब सहते हुए भी वै मस्त हैं उन्हें किसी की परवाह नहीं। मस्ती में जीकर जान हथेली पर रखकर देश को स्वतंत्र करवाना चाहते हैं। 1164 Views भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है? कवि संसार के लोगों के प्रति स्वच्छंद रूप में प्रेम लुटाता है क्योंकि उसका मानना है कि इस दुनिया के लोग सदैव दूसरों से पाने की चाहत रखते हैं। सभी को प्रसन्न रखने पर भी उसका हृदय द्रवित है, उसके हृदय पर असफलता का निशान है कि अपने जीवनकाल में उसने बहुत प्रयत्न करके भी स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की। इसके लिए कवि निराश तो नहीं लेकिन यह टीस उसके मन में अवश्य है कि उसके भरसक प्रयत्नों से भी देश आजाद न हो सका। साथ ही उसे प्रसन्नता इस बात की है कि उसने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु हर संभव प्रयत्न किया है। 932 Views मस्ती का आलम साथ चला का क्या अर्थ है?Explanation: इसका अर्थ यह है कि कवि कहता है कि जहां हम जाऐंगे वहाँ पर खुशी होगी तो बेफिक्र रहो और अपनी जिंदगी खुशी से बिताओ।
मस्ती का आलम से कवि का क्या तात्पर्य है?'मस्ती का आलम' से कवि काक्या अभिप्राय है? जिम्मेदारियों का त्याग बेघर होना दूसरों को तंग करना
आए बनकर उल्लास अभी आँसू बनकर बह चले अभी सब कहते ही रह गए अरे तुम कैसे आए कहाँ चले?हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ कल वहाँ चले, मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले। आए बनकर उल्लास अभी, आँसू बनकर बह चले अभी, सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहाँ चले? दो बात कही, दो बात सुनी; कुछ हँसे और फिर कुछ रोए। छककर सुख-दुख के घूँटों को हम एक भाव से पिए चले।
धूल उड़ाते हुए चलने का क्या अर्थ है?Answer. धूल उड़ाते जहाँ चले' शब्दों का क्या अर्थ है? ... बलिदानी वीर जहाँ भी जिस ओर जोश से बढ़ते है उनके कदमो से सारे वातावरण में धूल छा जाती है अर्थात् सब ओर उनका अस्तित्व दिखाई देता है।
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