मध्य काल की समय सीमा कब से कब तक है? - madhy kaal kee samay seema kab se kab tak hai?

हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल को गद्यविकास काल या जागरण काल भी कहा गया है। इसका समय वि. सं. 1900 से आजतक या 1843 ई. से आजतक माना गया है। मुगल-साम्राज्य के पतन से ही इसका आरम्भ माना गया है। और आज हम आधुनिक काल का परिचय, समय-सीमा, पृष्ठभूमि, परिस्थियाँ और प्रमुख विशेषताएँ बात करने वाले हैं।

भारतीय विलासिता और विग्रह के फलस्वरूप, व्यापार की प्रवंचना से आए हुए अंग्रेज जब भारतवर्ष में शासक के रूप में जम गए तब भारतीयों का ध्यान जीवन के कटु सत्य की ओर गया। दो विभिन्न संस्कृति और सभ्यताओं के संघर्ष से जनजीवन में जाग्रति की भावना उठने लगी। लोगों का ध्यान अपने राजनैतिक दायित्वों पर गया और राष्ट्रीय भावों को प्रकट करने की भावना बलवती हो उठी। यद्यपि राष्ट्रीय उद्बोधन के भाव भूषण के समय में ही दृष्टिगोचर होने लगे थे, परंतु उस अंकुरित बीज में अब पल्लवित और कुसुमित होने की इच्छा तीव्र होने लगी थी।

Table of Contents

  • आधुनिक काल का परिचय
  • आधुनिक काल की पृष्ठभूमि
    • भारतेंदु युग क्या है?
    • द्विवेदी युग आधुनिक काल क्या है?
    • प्रसाद युग आधुनिक काल की विशेषता
    • प्रेमचंद युग आधुनिक काल का परिचय
    • वर्तमान युग आधुनिक काल

आधुनिक काल का परिचय

साहित्यिक जागरण के साथ जनता में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक जागृति भी होने लगी थी। विदेशी शासन के साथ-साथ इस देश में अपने धर्म का प्रचार भी करने लगे थे, किया मुसलमानों ने भी था। परंतु उनमें और इनमें अंतर केवल इतना ही था कि उनका प्रचार तलवार के ज़ोर पर आधारित था, इनका बुद्धिवाद पर अपने-अपने धार्मिक विचारों के प्रचार-प्रसार, खंडन-मंडन के लिए पद्य उपयुक्त माध्यम नहीं था।

प्राचीन काल में मुद्रण-यंत्रों के अभाव में साहित्य की सुरक्षा के लिए पुस्तकें कंठस्थ की जाती थीं। पद्य की संगीतात्मकता के कारण वह सरलता से याद हो जाता था। अंग्रेजों के साथ-साथ इस देश में मुद्रण-यंत्र भी आए। पुस्तकों का कंठ करना अनावश्यक समझा जाने लगा।

यद्यपि गद्य की परम्परा ब्रजभाषा तथा उससे पूर्व भी थी, परंतु उसकी वास्तविक धारा जैन-सम्पर्क स्थापित करने की भावना से प्रेरित होकर शासन की सुविधा के लिए अंग्रेज अफ़सरों के द्वारा प्रभावित की गई। लल्लूलाल तथा सदल मिश्र ने जॉन गिलक्राइस्ट की प्रेरणा से तथा मुंशी सदासुखलाल और इंशाअल्ला खाँ ने स्वांतः सुखाय खडी बोली में प्रारम्भिक गद्य लिखा।

आधुनिक काल की पृष्ठभूमि

सन 1857 के विप्लव के बाद ही समाज-सुधार और राष्ट्रीयता का स्वर मुखरित होता है। और आधुनिक काल को अलग-अलग विभागों में बाँटा गया है, जैसे कि भारतेंदु युग, प्रेमचंद युग, आदि।

भारतेंदु युग क्या है?

नवोत्थान काल के सबसे अधिक व्यापक एवं प्रभावोत्पादक स्वरूप के दर्शन हमें भारतेंदु-युग में होते हैं। इस युग में भारतेन्दु हरिश्चंद्र की प्रेरणा से गद्य साहित्य की समस्य विधाओं पर उनके समकालीन लेखकों ने तथा उन्होंने स्वयं लेखनी चलाई। भारतेंदु ने विवादास्पद गद्य के स्वरूप को निश्चित किया।

इस युग में नाटकों की प्रधानता रहीं। भारतेंदु से पूर्व भी दो चार नाटक लिखे गए थे, परंतु वे नाटक कहलाने योग्य न थे। भारतेन्दु जी ने स्वयं 14 नाटकों की रचयन की, इनमें कई प्रहसन भी हैं। इसमें सत्य हरिश्चंद्र, मुद्राराक्षस, नीलदेवी, भारत दुर्दशा, चंद्रावती आदि प्रमुख हैं। भारतेन्दु के नाटक उनके जीवनकाल में ही खेले गए थे।

उस काल में भारतेन्दु के अतिरिक्त बाबू तोताराम, बाबू राधाकृष्णदस, गोकलचंद्र आदि प्रमुख नाटककार थे। भारतेन्दु काल के गद्य लेखकों में पंडित प्रतापनारायण मिश्र, पंडित बालकृष्ण भट्ट, पंडित बद्रीनारायण चौधरी, लाला श्रीनिवास दास तथा पंडित अम्बिकादत्त के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

द्विवेदी युग आधुनिक काल क्या है?

यह युग आलोचनात्मक युग था। भारतेन्दु के समय में लेखकों ने व्याकरण तथा वाक्य-विन्यास की ओर कम ध्यान दिया। अंग्रेजी पढ़े-लिखे जो लोग श्रद्धा तथा भक्ति के कारण हिन्दी के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए थे, व्याकरण के नियमों से अनभिज्ञ थे।

‘सरस्वती’ के सम्पादक के रूप में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भाषा को शुद्ध, सुसंस्कृत और परिमार्जित बनाने में पूर्ण योगदान दिया। वे अशुद्ध लेखों को काट-छाँट कर लेखों के दोष बताने में चूकते न थे। उनकी प्रेरणाओं से नवीन विषयों पर खोजपूर्ण निबंध लिखे गए।

द्विवेदी युग में हिन्दी साहित्य ने अपनी शैशवावस्था छोड़कर युवावस्था में प्रवेश किया। भारतेन्दु युग में भी जो बंगला साहित्य का अनुकरण हुआ था, वह द्विवेदी युग में अधिक न रहा। लेखों में मौलिकता आई और उन्होंने ठोस साहित्य का निर्माण किया। भाषा भी परिष्कृत और सुसंस्कृत हुई तथा शैली का भी परिमार्जन हुआ।

प्रसाद युग आधुनिक काल की विशेषता

यह युग कहानी तथा नाटक प्रधान था। बाबू जयशंकर प्रसाद जी ने अजातशत्रु, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, विशाख, कामता आदि उच्च कोटि के नाटक लिखे जिनमें प्रसाद जी की महान साहित्यिक प्रतिभा के दर्शन होते हैं।

जिस प्रकार द्विजेंद्र लाला राय ने मुगलकालीन भारत का चित्र उपस्थित किया है उसी प्रकार प्रसाद जी ने विशेष रूप से बौद्धकालीन भारत के इतिहास को अपनाया। प्रसाद जी ने हिंदुओं को सभ्यता तथा नैतिक श्रेष्ठता दिखाई। प्रसाद जी के नाटकों में मनोवैज्ञानिकता पर्याप्त मात्रा में हैं। कहीं-कहीं सुंदर अंतर्द्वंद्व दिखाए गए हैं।

इस युग में प्रसाद जी के अतिरिक्त पंडित बद्रीनाथ भट्ट, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, जगन्नाथ प्रसाद ‘मिलिंद’, पंडित गोविंदबल्लभ पंत तथा श्री हरीकृष्ण प्रेमी के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

प्रेमचंद युग आधुनिक काल का परिचय

यह युग उपन्यासों का युग था। यद्यपि प्रसाद जी ने भी ‘कंकाल’ और ‘तितली’ उपन्यास लिखे थे, परंतु नाटककार के रूप में प्रसाद जी अधिक सफल हुए। उपन्यास सम्राट के रूप में प्रेमचंद जी आते हैं। इनके प्रतिज्ञा, ग़बन, गोदान, कर्मभूमि, रंगभूमि, सेवासदन, निर्मला, प्रेमाश्रम आदि उपन्यास अधिक प्रसिद्ध हैं।

चरित्रप्रधान उपन्यास लिखने में आप सिद्धहस्त थे। इन्होंने निम्न तथा मध्य कोटि के लोगों में मानवता के दर्शन कराए। प्रेमचंद जी कहानी लिखने में भी उतने ही सफल हुए जितने उपन्यास लिखने में। कुछ लोगों का यहाँ तक विचार है कि वे कहानी लिखने में उपन्यासों की अपेक्षा अधिक सफल हुए।

प्रेमचंद जी ने अपनी कहानियों में समाज के उपेक्षित लोगों की ओर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। प्रेमचंद के युग के अन्य कलाकारों में पंडित विशम्भरनाथ कौशिक, सुदर्शन, वृंदावनलाल वर्मा, मुंशी प्रतापनारायण श्रीवास्तव चण्डी, हृदएश तथा बेचन शर्मा उग्र आदि प्रमुख हैं।

वर्तमान युग आधुनिक काल

वर्तमान को किसी विशेष विधा का युग नहीं कहा जा सकता है और न कोई ऐसा प्रकांड लेखक ही है, जिसने इस काल पर अपनी स्पष्ट छाप छोड़ी हो। केवल प्रेम भरी छोटी-छोटी कविताएँ तथा प्रेमी और प्रेमिकाओं से पूर्ण अश्लील कहानियाँ तथा इसी प्रकार छोटे-छोटे उपन्यास चल रहे हैं।

वर्तमान के बारे में अभी कोई निश्चित सम्मति नहीं दी जा सकती। निराला, महादेवी, पंत और गुप्त जी के काव्य अपना ऐतिहसिक महत्त्व रखते हैं, परंतु उसके भी पढ़ने वाले आज कितने लोग हैं?

मध्य काल का समय कब से कब तक है?

इसे दो अवधियों में विभाजित किया जा सकता है: 'प्रारंभिक मध्ययुगीन काल' 6वीं से लेकर 13वीं शताब्दी तक और 'गत मध्यकालीन काल' जो 13वीं से 16वीं शताब्दी तक चली, और 1526 में मुगल साम्राज्य की शुरुआत के साथ समाप्त हो गई।

मध्यकाल में नाम क्या था?

Detailed Solution. मध्यकालीन भारत में, "फणम" शब्द सिक्कों को संदर्भित करता है।

प्रारंभिक काल कब से कब तक माना जाता है?

प्रारंभिक काल (1184 - 1350 ई.)

मध्यकालीन इतिहास के जनक कौन है?

हेरोडोटस ( इतिहास का जनक).