माइग्रेन के कुछ लक्षण और कारण ऐसे भी हैं, जो मरीज तो क्या डॉक्टर को भी चक्कर में डाल सकते हैं। बावजूद इसके मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब माइग्रेन पर काबू पाया जा सकता है... Show
माइग्रेन सिरदर्द का तेज और असहनीय रूप है। वैसे तो सिरदर्द के लिए तनाव, थकावट और नींद न आना जैसे सामान्य कारण हो सकते हैं, लेकिन मस्तिष्क में ट्यूमर या संक्रमणों के अलावा माइग्रेन भी सिरदर्द का कारण हो सकता है। रोग का स्वरूप आम तौर पर माइग्रेन की समस्या आधे सिर में होती है, लेकिन कभी-कभी पूरे सिर में भी हो सकती है। माइग्रेन सिरदर्द का सबसे सामान्य कारण है। आम तौर पर माइग्रेन को लाइलाज समझा जाता हैं, लेकिन अब माइग्रेन के करीब 65 प्रतिशत मरीजों को दवाओं की मदद से पूरी तरह ठीक करना संभव हो गया है। दवाओं और विभिन्न थेरेपीज की मदद से शेष मरीजों को सामान्य एवं दर्दरहित जीवन जीने लायक बनाया जा सकता है। माइग्रेन की पीड़ा बहुत तीव्र हो सकती है। इसमें नस फटने जैसा या फोड़े में मवाद पडऩे जैसा असहनीय दर्द होता है। कई मरीजों को लगातार सिरदर्द होता है। यहां तक कि उन्हें कंघी करने से भी दर्द होता है। यह रोग किसी भी उम्र में यहां तक कि बचपन में भी पांच-छह साल की उम्र में भी शुरू हो सकता है। बच्चों को माइग्रेन होने पर यह जरूरी नहीं है कि उन्हें सिरदर्द हो। बच्चों में माइग्रेन का दौरा पडऩे पर उल्टी व चक्कर आना और पेट दर्द जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। लक्षण कुछ लक्षण माइग्रेन का संदेह बढ़ा देते हैं... - अगर मरीज को लंबे समय से सिरदर्द हो। - इलाज में दवाएं बेअसर हो चुकी हों। - सिरदर्द के साथ जी मिचलाना। - दर्द महसूस होने के अलावा उल्टी आना। - दृष्टि संबंधी दिक्कतें होना। - सिरदर्द का कोई स्पष्ट कारण नजर न आ रहा हो, तो यह माइग्रेन हो सकता है। - सिर के किसी एक तरफ या दोनों तरफ तीव्र झनझनाहट या दर्द होना। - काले धब्बे जैसा दिखना, रोशनी, ध्वनि और गंध को सह नहीं पाना, थका-थका महसूस करना और गर्दन में अकडऩ होने जैसी समस्याएं भी माइग्रेन का लक्षण हो सकती हैं। जांचों से नहीं पता चलता माइग्रेन के मरीजों में कैट स्कैन और एम.आर.आई समेत सभी परीक्षणों और जांच के निष्कर्ष सामान्य आते हैं। दौरा पडऩे से पहले आभास माइग्रेन का दौरा पडऩे से कुछ देर पहले मरीज को इसका आभास हो जाता है। यह आभास दृष्टि में बाधा या चमकदार सितारे या टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं दिखने जैसा हो सकता है। इस आभास के कुछ समय बाद ही चेहरे, हाथ या पैरों में सुन्नपन, झनझनाहट और कमजोरी महसूस होने लगती है। कई बार घबराहट के साथ चक्कर आने लगते हैं और बोलने में असुविधा होती है। कुछ ही मिनटों में ये लक्षण शरीर के एक भाग से अन्य भागों में फैलने लगते हैं। आरंभिक लक्षणों के धीरे-धीरे समाप्त होते ही तेज दर्द आरंभ हो जाता है। मरीज तेज ध्वनि, गंध और प्रकाश बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। माइग्रेन की पीड़ा 4 से 72 घंटे तक रह सकती है। माइग्रेन का दौरा कुछ मरीजों में साल में एक या दो बार पड़ता है, लेकिन कुछ मरीजों को रोज ही इसका सामना करना पड़ता है। इन बातों पर दें ध्यान चीज, पनीर, चाकलेट और शराब खास तौर पर रेड वाइन जैसे खाद्य पदार्थ लेने से माइग्रेन के दौरे पड़ सकते हैं। इसका कारण है कि इन खाद्य पदार्थों में फिनाइल एथीलैमाइन नामक एक रसायन होता है, जो रक्त नलिकाओं में फैलाव उत्पन्न करता है। कारण माइग्रेन का दर्द इतना भीषण क्यों होता है। इस बारे में अनेक धारणाएं हैं, लेकिन माइग्रेन के बारे में पक्के तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। अनेक सालों तक वैज्ञानिक यह विश्वास करते रहे हैं कि माइग्रेन का संबंध मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं के फैलने और सिकुडऩे से है। इस धारणा के अनुसार माइग्रेन की पीड़ा शरीर में पाए जाने वाले सेरोटोनिन नामक रसायन के स्तर में परिवर्तन से पैदा होती है। सेरोटोनिन शरीर में कई कार्र्यों को अंजाम देता है और और इसका रक्त नलिकाओं पर भी असर हो सकता है। जब सेरोटोनिन का स्तर ज्यादा होता है, तब रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं और जब सेरोटोनिन के स्तर में गिरावट आती है, तब रक्त नलिकाएं फैल जाती हैं। इसी फैलाव के कारण माइग्रेन और अन्य तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। अब शोधकर्ताओं ने अपने नये अध्ययनों एवं अनुसंधानों से पता लगाया है कि माइग्रेन की समस्या मस्तिष्क की कुछ खास कोशिकाओं में आनुवांशिक गड़बडिय़ों के कारण पैदा होती है। कुछ नयी इमेजिंग तकनीकों की मदद से वैज्ञानिक अब देख सकते हैं कि माइग्रेन के दौरे के दौरान मस्तिष्क में किस तरह के परिवर्तन आते हैं। माइग्रेन के कारणों के बारे में ठीक-ठीक पता नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि माइग्रेन जेनेटिक गड़बड़ी है। इलाज माइग्रेन के मरीजों को इसके दौरे से बचने के लिए नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए। माइग्रेन का दौरा पडऩे पर दवाओं की मदद से मरीज को असहनीय पीड़ा से तत्काल राहत दिलायी जा सकती है। इसके अलावा कुछ ऐसी दवाएं आ चुकी हैं, जिनके छह माह तक नियमित सेवन से माइग्रेन को दूर किया जा सकता है। कई मरीज लगातार लंबे समय तक दर्द निवारक दवाओं का सेवन करते रहते हैं, लेकिन उन्हें खास किस्म का माइग्रेन जैसा सिरदर्द हो सकता है। इसलिए मरीजों को डॉक्टर के परामर्श के बगैर लंबे समय तक इन दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। नियमित व्यायाम, जॉगिंग, तैराकी, योग, मेडिटेशन और तनाव दूर करने वाली अन्य विधियों की मदद से या तो माइग्रेन से बचा जा सकता है या फिर इस रोग के दौरे में दर्द से राहत पायी जा सकती है। माइग्रेन के दौरे से बचने के लिए भरपूर नींद लेनी चाहिए और तनाव से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। माइग्रेन एक प्रकार का तेज सिरदर्द है। यह घबराहट, उल्टी, या प्रकाश और आवज के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षणों के साथ हो सकता है। कई लोगों में यह दर्द सिर के एक तरफ ही महसूस होता है। माइग्रेन एक सामान्य अक्षम मस्तिष्क विकार है।विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि माइग्रेन का सिरदर्द अक्षम करने वाली स्थितियों में शीर्ष 10 में है। माइग्रेन अक्सर युवावस्था में शुरू होता है और 35 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। डब्लूएचओ के मुताबिक, यह महिलाओं में ज्यादा आम है, आमतौर पर लगभग 2:1 के कारक द्वारा, हार्मोनल प्रभावों के कारण होता है। माइग्रेन समान्य सिर दर्द से काफी अलग होता है। इसमे जो दर्द होता है वो काफी तेज होता है, और कभी-कभी बर्दाशत से बाहर हो जाता है।माइग्रेन लोगों को कैसे प्रभावित करता है यह भी अलग-अलग हो सकता है। ये ट्रिगर, गंभीरता, लक्षण और फ्रीक़ुएन्सी की एक श्रृंखला है। कुछ लोगों के हर हफ्ते एक से ज्यादा बार ये होते हैं, जबकि अन्य को कभी-कभार ही होते हैं। बच्चों में, माइग्रेन अटैक कम समय के होते हैं और पेट के लक्षण अधिक प्रमुख होते हैं।वैश्विक अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया की लगभग 1% आबादी को क्रोनिक माइग्रेन हो सकता है। माइग्रेन के लक्षण | Migraine Symptoms in Hindiमाइग्रेन के लक्षण चरणों में होते हैं, जैसे : - प्रोड्रोम सिरदर्द से कुछ घंटे या दिन पहले, माइग्रेन से पीड़ित लगभग 60% लोगों में ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं:
ऑरा ये लक्षण आपके नर्वस सिस्टम से आता हैं और इसमें अक्सर आपकी दृष्टि शामिल होती है। वे आमतौर पर 5 से 20 मिनट की समय में धीरे-धीरे शुरू होते हैं, और एक घंटे से भी कम समय मे खत्म हो जाता है। केवल 20% माइग्रेन पीड़ित सिरदर्द शुरू होने से पहले औरा का अनुभव करते हैं। जैसे -
अटैक एक माइग्रेन का सिरदर्द अक्सर सुस्त दर्द के रूप में शुरू होता है और धीरे-धीरे धड़कते हुए दर्द में बदल जाता है। स्थिति आमतौर पर शारीरिक गतिविधि के दौरान खराब हो जाता है। दर्द आपके सिर के एक तरफ से दूसरी तरफ जा सकता है, आपके सिर के सामने हो सकता है, या ऐसा महसूस हो सकता है कि यह आपके पूरे सिर पर असर कर रहा है।लगभग 80% लोगों को सिरदर्द के साथ मतली और लगभग उल्टी होती है। आप पेल और चिपचिपे भी हो या बेहोशी महसूस कर सकते हैं। पोस्टड्रोम यह अवस्था सिरदर्द के एक दिन बाद तक रह सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
माइग्रेन के कारण | Migraine Causes in Hindi माइग्रेन के कारण साफतौर पर पता नही है। लेकिन ये दिमाग में होने वाले बदलाव के कारण हो सकते हैं जो इन्हे को प्रभावित करते हैं:-
आनुवंशिक विशेषताएं भी एक कारण हो सकती हैं, क्योंकि परिवार का इतिहास होना माइग्रेन का एक सामान्य जोखिम कारक है।माइग्रेन से पीड़ित अधिकांश लोगों को आचनाक अटैक आता है, जिसका अर्थ है कि उन्होंने अटैक को ट्रिगर करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। इस तरह से कभी-कभी यह रोग व्यवहार करता है। कुछ लोगों को जब माइग्रेन अटैक आता है जिनका एक पहचान योग्य कारण होता है। हर किसी का अलग-अलग ट्रिगर होते हैं, जिसके कारण माइग्रेन का दर्द शुरु होता है। आज की सोच यह है कि एक माइग्रेन की संभावना तब शुरू होती है जब अति सक्रिय तंत्रिका नर्व्स सेल संकेत भेजती हैं जो आपके ट्राइजेमिनल सेल को ट्रिगर करती हैं, जो आपके सिर और चेहरे को सनसनी देती है। यह आपके शरीर को सेरोटोनिन और कैल्सीटोनिन जीन-संबंधित पेप्टाइड (सीजीआरपी) जैसे रसायनों को छोड़ने का संकेत देता है। सीजीआरपी आपके दिमाग की परत में रक्त वाहिकाए सूज जाता है। फिर, न्यूरोट्रांसमीटर सूजन और दर्द का कारण बनते हैं। लेकिन कुछ सामान्य कारण हैं जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं। सामान्य ट्रिगर में तनाव, कुछ खाद्य पदार्थ, भोजन छोड़ना, शराब, बहुत अधिक या बहुत कम सोना, मौसम में बदलाव या बैरोमीटर का दबाव, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, और दर्दनाक मस्तिष्क की चोटें शामिल हैं। जबकि माइग्रेन किसी भी लिंग, उम्र, जाति, जातीयता या पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित कर सकता है, यह महिलाओं में विशेष रूप से आम है। माइग्रेन के ट्रिगर का कारण | Migraine triggers Causes in Hindi1. हार्मोनल परिवर्तन, उदाहरण के लिए, मासिक धर्म के समय के आसपास। 2. भावनात्मक ट्रिगर, जैसे तनाव, अवसाद, चिंता और उत्तेजना। 3. आहार संबंधी कारक, शराब, कैफीन, चॉकलेट, पनीर, खट्टे फल, और टाइरामाइन युक्त खाद्य पदार्थो। 4. दवाएं, जैसे नींद की गोलियां, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी), और कुछ गर्भनिरोधक गोलियां। 5. पर्यावरणीय कारक, टिमटिमाती स्क्रीन, तेज गंध, सेकेंड हैंड स्मोक, तेज आवाज, भरे हुए कमरे, तापमान में बदलाव और तेज रोशनी। खाने के चीजे जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है | Which Food Causes Migraine in Hindi1. चॉकलेट 2. डेयरी खाद्य पदार्थ, विशेष रूप से चीज 3. मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) वाले खाद्य पदार्थ 4. टाइरामाइन युक्त खाद्य पदार्थ, जिसमें रेड वाइन, पुराने पनीर, स्मोक्ड मछली, चिकन लीवर, अंजीर और कुछ बीन्स शामिल हैं। 5. फल (एवोकैडो, केला, खट्टे फल) 6. नाइट्रेट युक्त मीट (बेकन, हॉट डॉग, सलामी, क्योर मीट) 7. प्याज 8. मूंगफली और दूसरे नट और बीज 9. प्रोसेसड, फर्मेंटेड, या मसालेदार भोजन। माइग्रेन का जोखिम कारक -माइग्रेन की समस्या के सम्भावना कुछ जोखिम कारक के कारण बढ़ जाती है, जैसे - 1. जेंडर - महिलाओं को पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज्यादा माइग्रेन की परेशानी होती है। 2. उम्र- ज्यादातर लोगों को माइग्रेन का सिरदर्द 10 से 40 साल की उम्र के बीच होने लगता है। लेकिन कई महिलाओं को पता चलता है कि उनका माइग्रेन 50 साल की उम्र के बाद ठीक हो गया या दूर हो जाता है। 3. परिवार के इतिहास- माइग्रेन से पीड़ित पांच में से चार लोगों के परिवार के दूसरे सदस्य होते हैं जो उन्हें लेते करते हैं। यदि माता-पिता में से किसी एक को इस प्रकार के सिरदर्द का इतिहास रहा है, तो उनके बच्चे में इसके होने की आधा प्रतिशत यानी 50 संभावना होती है। यदि माता-पिता दोनों के पास है, तो जोखिम 75 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। 4. मेडिकल कारण- अवसाद, चिंता, बायपोलर विकार, नींद संबंधी विकार और मिर्गी आपकी मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। माइग्रेन का प्रकार | Migraine Types in Hindiमाइग्रेन कई प्रकार के होते है : 1. क्रोनिक माइग्रेन: इसमें प्रति माह 15 दिनों से अधिक समय तक एक एपिसोड होना शामिल है। 2. मासिक धर्म माइग्रेन: यह एक पैटर्न में होता है जो मासिक धर्म चक्र का फोल्लो करता है। 3. एब्डोमिनल माइग्रेन: इसमें माइग्रेन के एपिसोड शामिल होते हैं जो आंत और पेट में अनियमित कार्य से जुड़े होते है। यह मुख्य रूप से 14 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। 4. वेस्टिबुलर माइग्रेन: गंभीर चक्कर आना माइग्रेन के इस रूप का एक लक्षण है। 5. हेमिप्लेजिक माइग्रेन: इस माइग्रेन के कारण शरीर के एक तरफ अस्थायी कमजोरी होती है। 6. बेसिलर माइग्रेन: इस दुर्लभ प्रकार को ब्रेनस्टेम ऑरा के साथ माइग्रेन के रूप में भी जाना जाता है, और यह बोलने जैसे न्यूरोलॉजिकल कार्यों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा ऑरा और बिना ऑरा के माइग्रेन भी शामिल है माइग्रेन के प्रकार मे । क्या माइग्रेन का इलाज हो सकता है ? माइग्रेन का कोई पक्का इलाज नही है, लेकिन हा इसके लक्षणों का इलाज कर हम इसे काबू मे रख सकते है और जो चीजे माइग्रेन को ट्रीगर करती है उस काम या चीज़ों को करने से दूर रह सकते है। डॉक्टर से सही सलाह और अक्सर उनके सम्पर्क मे रहने से आपको मदद मिलेगी। माइग्रेन का बचाव हालांकि माइग्रेन का पुख्ता कारण तो नही पता लेकिन कुछ उपायों की मदद से हम इसे बचाव मे मदद मिल सकती है , जैसे की -
माइग्रेन की घरेलू या प्राकृतिक उपाय -
माइग्रेन की जांचआपका डॉक्टर आपके स्वास्थ्य इतिहास और आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा। यदि आपके पास अपने लक्षणों और आपके द्वारा देखे गए किसी भी ट्रिगर की डायरी है तो यह मदद कर सकता है, जैसे - आपके माइग्रेन का क्या लक्षण है, ये दर्द कितने दिन तक रहता है। क्या परिवार मे किसी को माइग्रेन का दर्द रहा है, इत्यादी। आपका डॉक्टर अन्य चीजों का पता लगाने के लिए इमेजिंग परीक्षण के लिये कह सकता है जो, जिनमें शामिल हैं:
माइग्रेन का इलाज | Treatment of Migraineमाइग्रेन का इलाज इसके के आधर पर किया जाता है, इसका कोई खास दवा नही होता । हार्वर्ड हेल्थ स्कूल के मुताबिक, तीन दवाए को हाल ही स्वीकृति दी गई है जो की माइग्रेन की रोकथाम और सिरदर्द को कम करने मे मदद करेगी । 2018 मे एफडीए ने तीन नई दवाओं को मंजूरी दी - एरेनुमाब (एमोविग), फ्रीमैनेजुमाब (एजोवी), और गैलकेनेज़ुमैब (एमगैलिटी) - ये विशेष रूप से माइग्रेन को रोकने और उनकी आवृत्ति, तीव्रता और समय को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई पहली दवाएं है । यह एक बड़ा विकास था, क्योंकि माइग्रेन को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अन्य दवाएं अन्य स्थितियों, जैसे दौरे, अवसाद, उच्च रक्तचाप, या अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई थीं। लेकिन उनके दुष्प्रभाव (जैसे वजन बढ़ना, चक्कर आना, या फजी सोच) अक्सर लोगों को इलाज छोड़ देने का कारण बनते हैं। यदि आपको बार-बार माइग्रेन होता है, तो आपका अटैक को कम करने के लिए बताये गए दवा ले। इसके प्रभावी होने के लिए आपको हर दिन दवा लेने की जरूरत है।
बोटुलिनम टॉक्सिन टाइप ए (बोटॉक्स) इंजेक्शन भी माइग्रेन के अटैक को कम करने में मदद कर सकते हैं यदि वे महीने में 15 दिन से ज्यादा होते हैं। माइग्रेन के अटैक को कम करने के लिये ये दवाए उपयोगी है । ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दर्द की दवाएं, जैसे एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन, या एस्पिरिन अक्सर आपके माइग्रेन के हल्के होने पर मददगार होती हैं। निम्नलिखित प्रेस्क्राईब्ड दवाएं माइग्रेन एपिसोड की संख्या को कम करने में मदद कर सकती हैं जिन्हें गंभीर माइग्रेन का अनुभव होता है:
यहा एक बात का ध्यान रखना जरूरी है की आप किसी भी दवा का सेवन खुद से ना करे, डॉक्टर के सलाह पर ही दवा ले। माइग्रेन के दवा मे सावधानी- दवाए स्वस्थ्य परेशानी को दूर करने के लिये जाते है, लेकिन आप भी जानते है की ज़रूरत से ज्यादा दवा की डोज लेना नुकसानदेह भी हो सकता है।
कुछ माइग्रेन की दवाएं रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती हैं। यदि आपको दिल का दौरा पड़ने या हृदय रोग होने का खतरा है, तो इन दवाओं का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। कुछ माइग्रेन की दवाओं का सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए। अपने डॉक्टर से बात करें कि यदि आप गर्भवती हैं या गर्भवती होने की योजना बना रही हैं तो आपके लिए कौन सी दवा सही होगी। परिणाममाइग्रेन एक मेडिकल स्थिति है जिसमे तेज सिर दर्द शामिल होता है। यह कई तरीको से रोजमर्रा की जिंदगी पर असर करता है। माइग्रेन किसी भी उम्र के व्यक्ति हो सकता है। लेकिन इसके जोखिम को अपने ट्रीगर को पहचान कर कम कर सकते है या जो चीजे इसे बढ़ा सकती है उनसे बचाव कर सकते है। माइग्रेन का जांच कर और इसके लक्षणों के आधर पर इलाज, और दवाए दी जाती है। एक-दो दिन के सर दर्द को माइग्रेन ना माने, बल्कि डॉक्टर को दिखाए और उनके सलाह के अनुसार काम करे। माइग्रेन का परमानेंट इलाज क्या है?कहा जाता है कि माइग्रेन का दर्द होने पर हाथों से अगर सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो राहत मिलती है। मालिश के लिए आप तेल का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। तेज रोशनी के कारण भी माइग्रेन का दर्द होता है। ऐसे में यदि आपको माइग्रेन की समस्या है तो तेज रोशनी से जितना हो सके बचना चाहिए।
माइग्रेन को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?2- हाथ खिंचाव श्वास- यह एक बहुत ही सरल व्यायाम है, जो माइग्रेन के लिए फायदेमंद हो सकता है, यह आपके शरीर की मांसपेशियों को फैलाता है, जो आपके सिरदर्द को नियंत्रण में लाने के लिए भी सहायता है, आइए जानते हैं इस योगासन को करने के तरीके.
माइग्रेन कितने दिनों में ठीक होता है?इसका दर्द चार से 72 घंटों तक रह सकता है. माइग्रेन में जी मिचलाने की समस्या होती है, जिससे उल्टी भी हो सकती है. माइग्रेन आपका पाचन खराब कर सकता है और कुछ लोगों में तो माइग्रेन के दौरान ब्लड प्रेशर भी लो हो जाता है.
क्या माइग्रेन जानलेवा बीमारी है?रिसर्चरों ने दावा किया है कि माइग्रेन की बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। इस पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया है कि जिन लोगों को सिरदर्द की सीरियस प्रॉब्लम होती है, उन्हें दिल की बीमारी और हार्ट अटैक के कारण असमय मौत होने की ज्यादा आशंका होती है।
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