निजीकरण का अर्थ है सरकार के नियंत्रण से बाहर रहकर कार्य करने की विधि । यह व्यक्तिगत स्तर पर भी हो सकता है और संगठनात्मक, संस्थात्मक, व्यावसायिक स्तर पर, शिक्षा का निजीकरण व्यवसाय और कंपनियों के क्षेत्र में हो सकता है । Show निजीकरण वह सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा निजी क्षेत्र किसी सरकारी उद्यम का स्वामी बन जाता है अथवा उसका प्रबंध करता है। ए.एन. के अनुसार निजीकरण का अर्थ है उद्यमों का स्वामित्व सरकारी अथवा सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में बदला जाना । स्वामित्व का हस्तांतरण पूर्ण सार्वजनिक इकाईयों तथा इसके एक भाग के लिए हो सकता है । निजीकरण के उद्देश्यविकसित तथा विकासशील दोनों ही प्रकार के देशों में निजीकरण को महत्व दिया जा रहा हैं। निजीकरण के विचारधारा के पक्ष में निम्नलिखित उद्देश्यों का उल्लेख किया जाता है।
निजीकरण की विशेषताएँ
भारत में निजीकरण को प्रोत्साहित करने वाले कारक1. नये आर्थिक सुधार कार्यक्रम:- 1991 में भारत सरकार ने नये आर्थिक सुधारों के तरत अनेक घोषणाएँ की इनमें 100 करोड़ रुपये से अधिक सम्पति वाली संस्थाएँ बिल के केन्द्रीय सरकार की अनुमति के भी स्थापित हो सकेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योगों में कमी बड़े औद्योगिक घरानों को विस्तार से छूट लाइसेंस समाप्ति एवं सरलीकरण, विदेशी विनियोजनकों का उपक्रम में 51 प्रतिषत तक समता पूंजी को रखने की छूट, फेरा एवं एमआर. टी.पी. अधिनियमों में ढील, रूपये की पूर्ण परिवर्तनीयता सीमा व उत्पाद शुल्कों में कमी आदि प्रमुख रूप से शामिल है। इन सबके फलस्वरूप एक ऐसा वातावरण तैयार हुआ जिसमें निजी उद्यमी अधिक स्वतंत्रता के साथ कार्य कर सकते है। 2. सरकार पर बढ़ता ऋणभार:- स्वतंत्रता के पश्चात भारत की सार्वजनिक क्षेत्र को प्राथमिकता के आधार पर विकसित करने का निर्णय सातवीं योजना तक चलता रहा फलस्वरूप सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं व विदेशी सरकारों से ऋण प्राप्त करती रहीं इस समय अधिकांश सार्वजनिक उपक्रम घाटे में चलते रहे तथा सरकार उन्हें सहायता प्रदान करती रही अतः सरकारी विदेशी ऋण जाल में फसती चली गयी। अब सरकार इस ऋण जाल से निकलने के लिए निजीकरण का सहारा ले रही हैं जिससे इन स्थापित उद्योगों का कुशलपूर्वक संचालन संभव हो सकेगा तथा सरकार को और अधिक ऋण नहीं लेना पड़ेगा। 3.विदेशी कपंनियो की उपस्थितिः- जहाँ एक ओर विकसित पूंजीवादी देशों में आर्थिक मंदी के फलस्वरूप अति उत्पादन तथा बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के विदेशी उत्पादनों के उपयोग पर बढ़ते हुये प्रभाव को देखते हुये भारत के विस्तृत बाजार तथा कम प्रतियोगिता को देखते हुये भारत की ओर आकर्षित हुये। फलस्वरूप भारत में निजीकरण को प्रोत्साहन मिला। 4. भारतीय उद्योगों को प्रतियोगीः- भारतीय उद्योगों को सरकार के पिछले 45 वर्षों से संरक्षण में रखा जिससे इन उद्यमों में नो लागत कम करने का प्रयास किया और न ही अपनी वस्तु की किस्म में सुधार किया अतः स्पष्ट है कि यदि हमें अपने उत्पादनों को निर्यातोन्मुखी बनाना हैं तो भारतीय उद्योगों की गुणवत्ता कीमत की दृष्टि से प्रतियोगी बनाना होगा और यह निजीकरण द्वारा ही संभव हो सकता हे। 5. उत्पादन बढ़ाने का विस्तृत आधार- भारत में जहाँ एक ओर विस्तृत बाजार उपलब्ध हैं वहीं दूसरी ओर उसकी औद्योगिक अद्यः संरचना पर्याप्त रूप से विकसित हो चुकी हैं । भारत में सस्ता श्रम तकनीकी एवं प्रबंधकीय कुशलता तथा आवश्यक कच्चा माल प्रचुरता से उपलब्ध हैं। अतः निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने पर उत्पादक कम कीमत पर अच्छे किस्म की वस्तु का उत्पादन करने में समक्ष होगे जिससे न केवल घरेतु बाजार की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता हैं बल्कि विदेशी बाजारों में भी अपनी वस्तु को बेचने में सक्षम हो सकते हैं। निजीकरण के लाभ / गुणनिजीकरण से प्राप्त होने वाले लाभों का संक्षिप्त विवेचन इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता सकता है।
निजीकरण के दोषभारत जैसे प्रजातािन्त्राक समाज में निजीकरण के कई खतरे अथवा कठिनाइयां हैं। इनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं।
निजीकरण कार्यकुशलता औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं का एक मात्रा उपाय नहीं है। उसके लिए तो समुचित आर्थिक वातावरण और कार्य संस्कृति में आमूल चूक परिवर्तन होना भी आवश्यक है। निजीकरण के क्या लाभ हैं?निजीकरण के लिए बुनियादी आर्थिक तर्क यह दिया जाता है कि अपने उद्यमों को सुनिश्चित रूप से अच्छी तरह चलाने के लिए सरकारों के पास बहुत ही कम प्रोत्साहन होते हैं। राज्य के एकाधिकार में, तुलना की कमी एक समस्या है। तुलना करने के लिए प्रतियोगी के उपस्थित न होने से, यह कहना बहुत कठिन होता है कि उद्यम कुशल है या नहीं।
5 निजीकरण क्या है ?`?इसमें संगठन के विभिन्न स्वरूप हैं— एकल स्वामित्व, साझेदारी, संयुक्त हिंदू परिवार, सहकारी समितियाँ एवं कंपनी। सार्वजनिक क्षेत्र में जो संगठन होते हैं, उनकी स्वामी सरकार होती है और सरकार ही उनका प्रबंध करती है। इन संगठनों का स्वामित्व पूर्ण रूप से अथवा आंशिक रूप से राज्य सरकार अथवा केंद्रीय सरकार के पास होता है।
निजीकरण क्या है Drishti?प्रमुख बिंदु सरकार से निजी क्षेत्र में स्वामित्व, संपत्ति या व्यवसाय के हस्तांतरण को निजीकरण कहा जाता है। इसके तहत सरकार इकाई या व्यवसाय की स्वामी नहीं रह जाती है। निजीकरण को कंपनी में अधिक दक्षता और निष्पक्षता लाने की दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
निजीकरण के नुकसान क्या है?निजीकरण के नुकसान (Demerits of privatisation):
वे अपनी सेवा या वस्तु की कीमतें बढ़ा सकते हैं जो भी वे चाहे। अकुशल, दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब लोग के लिए निजीकरण काम नहीं भी कर सकता है। प्राइवेट कर्मचारी स्वयं समाज के इन वर्गों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहल नहीं करेंगे।
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