नमस्ते शब्द में कौन सी संधि है? - namaste shabd mein kaun see sandhi hai?

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नमस्ते शब्द में कौन सी संधि है? - namaste shabd mein kaun see sandhi hai?
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नमस्ते शब्द में कौन सी संधि है? - namaste shabd mein kaun see sandhi hai?

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What is sandhi vichchhed of Namaste in hindi? Namaste ka sandhi viched kya Hai?. Know below (नमस्ते संधि विच्छेद) namaste sandhi vichchhed in hindi grammar.


संधि का नामसंधि विच्छेदनमस्ते (Namaste)नमः + ते

नमस्ते में संधि का प्रकार (Type of Sandhi) : Visarga Sandhi (विसर्ग संधि).


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Sandhi of नमस्ते , नमस्ते Sandhi in Hindi language. Get here Sandhi Vigrah of नमस्ते Hindi, Sandhi नमस्ते , Know Sandhi नमस्ते , नमस्ते Sandhi What are the संधि of नमस्ते , संधि of Namaste , Namaste Ka संधि क्या होगा ? What is the संधि of Namaste in Hindi?

Likewise इसी तरह सन्धि शब्द जो देखे गएImportant Question of Namaste
नमस्ते शब्द का संधि विच्छेद क्या होगी ?
नमस्ते शब्द का अर्थ क्या है?
संधि विच्छेद of नमस्ते
नमस्ते संधि विच्छेद क्या होगा ?
नमस्ते किस संधि का उदाहरण है ?
नमस्ते का विग्रह क्या होगा ?
What is sandhi vichchhed of Namaste in hindi?
Know below (संधि विच्छेद) sandhi vichchhed of Namaste in hindi grammar. Another word for likewise - Namaste ?
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नमस्ते का संधि विच्छेद = नम: + ते, जिन व्यंजनों में परिवर्तन के कारण संधि है = (विसर्ग + त् /थ् = स्) या (विसर्ग + च् /छ् = श्) या (विसर्ग + ट् /ठ् = ष्)

विद्यार्थियों के लिए विसर्ग संधि के बारे में संक्षेप में जानकारी इस प्रकार है:-व्यंजन संधि के अनेक भेद एवं प्रकार हैं। यहाँ पर हमने व्यंजन संधि के नमस्ते से संबन्धित भेद को समझाया है। विद्यार्थी व्यंजन संधि को गहराई से समझने के लिए नीचे दिये गए लिंक लिंक पर जाएँ और व्यंजन संधि के सभी 10 नियमों का विस्तार से अध्ययन कर सकते हैं।

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विसर्ग संधि की परिभाषा

विसर्ग तथा व्यंजन या स्वर के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं। यदि प्रथम पद के अंत में किसी भी स्वर के बाद विसर्ग आये तथा दूसरे पद के प्रारंभ में “त् /थ्” आये तो विसर्ग दन्त्य “स्” में और “च् /छ्” आये तो विसर्ग तालव्य ’श’ में और यदि ट् /ठ् आये तो विसर्ग मूर्धन्य “ष्” में बदल जाता है।

नम: + ते = नमस्ते
आ: + चर्य = आश्चर्य
नि: + छल = निश्चल
शिर: + त्राण = शिरस्त्राण (कवच)

विभिन्न परीक्षाओं में नमस्ते में कौन सी संधि है आदि प्रश्न कई प्रकार से पूछे जाते हैं।जैसे कि :-

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नमस्ते शब्द में कौन सी संधि है?
नमस्ते का संधि विग्रह?
नमस्ते में कौन सी संधि है?
नमस्ते का संधि भेद कीजिये?
नमस्ते संधि का नाम बताइये?
नमस्ते का संधि विच्छेद?

परीक्षा में दिये गए शब्द में कौन सी संधि है अथवा संधि विच्छेद के प्रश्न सदैव स्कोरिंग होते हैं क्योंकि आपको मात्र एक-दो शब्द ही लिखने होते हैं। इसके लिए आपको लिख-लिख कर अभ्यास करते रहना चाहिए।

संधि में पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद है . जैसे - धनादेश = धन + आदेश . यहाँ पर कुछ प्रचलित संधि विच्छेदों को दिया जा रहा है ,जो की विद्यार्थियों के बड़े काम आएगी .

संधि विच्छेद

संधि में पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद है . जैसे - धनादेश = धन + आदेश . यहाँ पर कुछ प्रचलित संधि विच्छेदों को दिया जा रहा है ,जो की विद्यार्थियों के बड़े काम आएगी .

स्वाधीन = स्व + आधीन ( दीर्घ संधि )

पुस्तकालय = पुस्तक + आलय ( दीर्घ संधि )

प्रधानाध्यापक = प्रधान + अध्यापक ( दीर्घ संधि )

स्वाध्याय = स्व + अध्याय ( दीर्घ संधि )

सर्वाधिक = सर्व + अधिक  ( दीर्घ संधि )

योजनावधि = योजन + अवधि  ( दीर्घ संधि ) 

विद्यालय = विद्या + आलय  ( दीर्घ संधि )
अन्तकरण = अंत + करण ( विसर्ग संधि )
अंतपुर = अंत : + पुर (विसर्ग संधि )
अनुयय = अनु + अय (यण संधि )
अन्वेषण = अनु + एषण (यण संधि )
अन्तर्निहित = अंत: + निहित (विसर्ग संधि )
अंतर्गत = अंत: + गत ( विसर्ग संधि )
अंतर्ध्यान = अंत : + ध्यान (विसर्ग संधि )
अन्योक्ति = अन्य + उक्ति (गुण संधि )
अंडाकार = अंड + आकार ( दीर्घ संधि )
अनायास = अनु + आयास ( व्यंजन संधि )
अन्वित = अनु + इत ( यण संधि )
अनूप = अनू + ऊप ( व्यंजन संधि )
अनुपमेय = = अनु + उपमेय ( दीर्घ संधि )
अंतर्राष्ट्रीय = अन्तः + राष्ट्रीय ( विसर्ग संधि )
अनंग = अन + अंग ( व्यंजन संधि )
अजन्त = अच् + अंत (व्यंजन संधि )
अध्याय = अधि + आय ( यण संधि )
अध्ययन = अधि + अयन ( यण संधि )
अधीश = अधि + ईश (दीर्घ संधि )
अधिकांश = अधिक + अंश ( दीर्घ संधि )
अधोगति = अध : + गति ( विसर्ग संधि )
अब्ज = अप + ज ( व्यंजन संधि )
अभ्यस्त = अभि + अस्त ( य ण संधि )
अहोरूप = अह : + रूप ( विसर्ग संधि )
आकृष्ट = आकृष + त (व्यंजन संधि )
अविष्कार = आवि : + कार ( विसर्ग संधि )
इत्यादि = इति + आदि (यण संधि )
आत्मावलंबन = आत्मा + अवलम्बन ( दीर्घ संधि )
आत्मोसर्ग = आत्म + उत्सर्ग ( गुण संधि )
आध्यात्मिक= आधि + आत्मिक (यण संधि)

अत्यधिक = अति + अधिक (यण संधि )
अत्यावश्यक = अति + आवश्यक (यण संधि )

इत्यादि = इति + आदि ( गुण संधि ) 

परोपकार = पर + उपकार ( गुण संधि )

नरोत्तम = नर + उत्तम ( गुण संधि )

अल्पायु = अल्प + आयु  (दीर्घ स्वर संधि ) 

मंगलाकार = मंगल + आकार (दीर्घ स्वर संधि ) 

मत्स्याकार = मत्स्य + आकार (दीर्घ स्वर संधि ) 

मध्यावकाश = मध्य + अवकाश (दीर्घ स्वर संधि ) 

विद्याध्ययन = विद्या + अध्ययन (दीर्घ स्वर संधि ) 

चिरायु = चिर + आयु (दीर्घ स्वर संधि ) 

तथास्तु = तथा + अस्तु (दीर्घ स्वर संधि ) 

परमेश्वर = परम + ईश्वर (दीर्घ गुण संधि ) 

महोदय = महा + उदय (दीर्घ गुण संधि ) 

पदोन्नति = पद + उन्नति (दीर्घ गुण संधि ) 

विद्दोत्मा = विद्या + उत्तमा (दीर्घ गुण संधि ) 

सर्वोच्च = सर्व + उच्च (दीर्घ गुण संधि ) 

प्रत्येक = प्रति + एक (यण स्वर संधि) 

कुर्मावतार = कूर्म + अवतार (दीर्घ स्वर संधि ) 

नागाधिराज = नाग + अधिराज (दीर्घ स्वर संधि ) 

अनावृष्टि = अन + आवृष्टि (दीर्घ स्वर संधि ) 

पीताम्बर = पीत + अम्बर (दीर्घ स्वर संधि ) 

मतानुसार = मत + अनुसार (दीर्घ स्वर संधि ) 

युगानुसार = युग + अनुसार (दीर्घ स्वर संधि ) 

व्ययामादी = व्यायाम + आदि (दीर्घ स्वर संधि ) 

सत्याग्रही = सत्य + आग्रही (दीर्घ स्वर संधि ) 

समांनातर = समान + अंतर (दीर्घ स्वर संधि ) 

स्वाभिमानी = स्व + अभिमानी (दीर्घ स्वर संधि ) 

गुरुत्वाकर्षण = गुरुत्व + आकर्षण (दीर्घ स्वर संधि ) 




हिमांचल = हिम + अंचल (दीर्घ स्वर संधि )

हिमालय = हिम + आलय (दीर्घ स्वर संधि ) 

अश्वारोही = अश्व + आरोही (दीर्घ स्वर संधि ) 

क्रोधाग्नि = क्रोध + अग्नि (दीर्घ स्वर संधि ) 

अखिलेश = अखिल + ईश (दीर्घ स्वर संधि ) 

परोपकार = पर + उपकार (दीर्घ स्वर संधि ) 

महर्षि = महा + ऋषि (दीर्घ स्वर संधि ) 

महोत्सव = महा + उत्सव (दीर्घ स्वर संधि ) 

यथोचित = यथा + उचित (दीर्घ स्वर संधि ) 

रहस्योदघाटन = रहस्य + उद्घाटन (दीर्घ स्वर संधि ) 

लोकोक्ति = लोक + उक्ति (दीर्घ स्वर संधि ) 

सर्वोत्तम = सर्व + उत्तम (दीर्घ स्वर संधि ) 

अत्यधिक = अति + अधिक (यण स्वर संधि) 

अखिलेश्वर = अखि + ईश्वर (गुण स्वर संधि ) 

महोत्सव = महा + उत्सव (गुण स्वर संधि ) 

आत्मोत्सर्ग = आत्मा + उत्सर्ग (गुण स्वर संधि ) 

जीर्णोद्धार = जीर्ण + उद्धार (गुण स्वर संधि ) 

धनोपार्जन = धन + उपार्जन (गुण स्वर संधि ) 

स्वेच्छा = स्व + इच्छा (गुण स्वर संधि ) 

मरणोत्तर = मरण + उत्तर (गुण स्वर संधि ) 

प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष  (यण स्वर संधि) 

प्रत्याघात = प्रति + अघात  (यण स्वर संधि) 

स्वालंबन = स्व + अवलंबन (दीर्घ स्वर संधि ) 

कालांतर = काल + अंतर (दीर्घ स्वर संधि ) 

दोषारोपण = दोष + आरोपण (दीर्घ स्वर संधि ) 

निम्नाकित = निम्न + अंकित (दीर्घ स्वर संधि ) 

मदांध = मद + अंध (दीर्घ स्वर संधि ) 

स्वर्णाक्षरों = स्वर्ण + अक्षरों (दीर्घ स्वर संधि ) 

महत्वाकांक्षा = महत्व + आकांक्षा (दीर्घ स्वर संधि )
भावुक = भौ + उक (अयादि संधि)
भास्कर = भा: + कर (विसर्ग संधि )
भानूदय = भानु + उदय (दीर्घ संधि )
भावोन्मेष = भाव + उदय ( गुण संधि )
भिन्न = भिद + न ( व्यंजन संधि )
भूर्जित = भू + उर्जित (दीर्घ संधि )
भूदार = भू + उदार ( दीर्घ संधि )
भूषण = भूष + अन ( व्यंजन संधि )
भगवतभक्ति = भगवत + भक्ति ( व्यंजन संधि )
मतैक्य = मत + एक्य ( वृद्धि संधि )
मनस्पात = मन : + ताप (विसर्ग संधि )
मनोहर = मन : + हर (विसर्ग संधि )
मनोयोग = मन : + योग (विसर्ग संधि )
मनोरथ = मन : + रथ (विसर्ग संधि )
मनोविकार = मन : + विकार ( विसर्ग संधि )
महत्व = महत + त्व ( व्यंजन संधि )
महालाभ = महान + लाभ (व्यंजन संधि )
महिष = महि + ईश ( गुण संधि )
मायाधीन = माया + अधीन ( दीर्घ संधि )
महामात्य = महा + अमात्य (दीर्घ संधि )
यज्ञ = यज + न ( व्यंजन संधि )

राज्याभिषेक = राज्य + अभिषेख (दीर्घ स्वर संधि ) 

स्वाध्याय = स्व + अध्याय (दीर्घ स्वर संधि ) 

परमावश्यक = परम + आवश्यक (दीर्घ स्वर संधि ) 

शरीरांत = शरीर + अंत (दीर्घ स्वर संधि ) 

स्वाधीनता = स्व + आधीनता (दीर्घ स्वर संधि ) 

पुलकावली = पुलक + अवलि (दीर्घ स्वर संधि ) 

राज्यगार = राज्य + आगार (दीर्घ स्वर संधि ) 

सत्याग्रह = सत्य + आग्रह (दीर्घ स्वर संधि ) 

तमसावृत = तमसा + आवृत (दीर्घ स्वर संधि ) 

गौरवान्वित = गौरव + अन्वित (दीर्घ स्वर संधि )
अंतर्गत = अंत + गत ( विसर्ग संधि )
सर्वोदय = सर्व + उदय ( गुण स्वर संधि )
वसंतोत्सव = वसंत + उत्सव स्वर संधि
निस्सार = नि: + सार (विसर्ग संधि )
सहानुभूति = सह + अनुभूति ( दीर्घ स्वर संधि
ग्रामोत्थान = ग्राम + उत्थान ( गुण स्वर संधि )
दुसाहस = दु:+ साहस ( विसर्ग संधि)
अत्यधिक = अति + अधिक ( स्वर संधि )
निम्नाकित = निम्न + अंकित ( दीर्घ संधि )
निर्दोष = नि : + दोष ( विसर्ग संधि )
दोषारोपण = दोष + आरोपण ( दीर्घ स्वर संधि )
विद्यालय = विद्या + आलय ( दीर्घ संधि )
सदैव = सदा + एव ( वृद्धि स्वर संधि )
वृहदाकार = वृहत + आकार ( व्यंजन संधि )
परामत्मा = परम + आत्मा ( दीर्घ स्वर संधि )
अश्वारोहण = अश्व + आरोहण ( दीर्घ + sस्वर संधि )
आत्मोत्सर्ग = आत्म + उत्सर्ग ( गुण स्वर संधि )
मनोयोग = मन : + योग ( विसर्ग संधि )
मदांध = मद + अंध ( दीर्घ स्वर संधि )
जगदाधार = जगत + आधार ( व्यंजन संधि )
भुवनेश = भुवन + ईश (गुण स्वर संधि )
लाभान्वित = लाभ + अन्वित ( दीर्घ स्वर संधि )
हिमाच्छादित = हिम + आच्छादित ( दीर्घ स्वर संधि )
मदांध = मद + अंध (दीर्घ स्वर संधि )
जीर्णोद्धार = जीर्ण + उद्धार ( गुण स्वर संधि )
निबुद्धि = नि : + बुद्धि ( गुण स्वर संधि (
अत्यंत = अति + अंत (यण स्वर संधि )
निष्कटक = नि : कंटक (विसर्ग संधि)
नदीश = नदी = नदी + ईश (विसर्ग संधि)
आद्यापि = अद्य + अपि (गुण स्वर संधि )
ततैव = तव + एव ( वृद्धि स्वर संधि )
स्वागत = सु + आगत (स्वर संधि )
स्वाभिमान = स्व + अभिमान (स्वर संधि )
अत्यंत = अति + अंत (स्वर संधि )
पावक = पौ + अक (स्वर संधि )
निर्धन = नि : + धन ( विसर्ग संधि )
निश्चल = नि : + छल ( विसर्ग संधि )
संकीर्ण = सम + कीर्ण ( व्यंजन संधि )
पराधीनता = पर + अधीनता ( स्वर संधि )
निश्चय = नि : + चय (विसर्ग संधि )
सारांश = सार + अंश ( स्वर संधि )
पदारूढ़ = पद + आरूढ़ ( स्वर संधि )
पवन = पो + अन ( स्वर संधि )
इत्यादि = इति + आदि ( स्वर संधि )
निर्जीव = नि : + जीव ( विसर्ग संधि )
निर्भय = नि : + भय ( विसर्ग संधि )
मध्यान्ह = मध्य + याह ( स्वर संधि )
उद्दाम = उत + दाम ( व्यंजन संधि )
संसार = सम + सार ( व्यंजन संधि )
प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष (स्वर संधि )
सम्बन्ध = सम + बंध ( व्यंजन संधि )
अत्याचार = अति + आचार ( स्वर संधि )
अन्याय =  अन + न्याय ( स्वर संधि )
अभ्युदय = अभि + उदय ( स्वर संधि )
पुरषोत्तम = पुरुष + उत्तम ( स्वर संधि )
भगवत भक्त = भगवत + भक्त ( व्यंजन संधि )
अंतर्गत = अंत + गत ( विसर्ग संधि )
संतुष्ट = सम + तुष्ट ( व्यंजन संधि )
उत्कृष्ट = उतकृष + त ( व्यंजन संधि )
सन्यास = सन + न्याय ( व्यंजन संधि )
मनोवृति = मन : + वृति ( विसर्ग संधि )
तिरस्कार = तिर : + कार ( विसर्ग संधि )
यद्दपि = यदि + अपि ( स्वर संधि )
रसात्मक = रस + आत्मक ( स्वर संधि )
धिग्दंड = धिक् + दंड ( व्यंजन संधि )
अन्वेषण = अनु + एशण ( व्यंजन संधि )
उलंघन = उत + लंघन ( व्यंजन संधि )
सत्यस्वरूप = सत + स्वरूप ( व्यंजन संधि )
मनोहर = मन : + हर ( विसर्ग संधि )
दुष्परिणाम = दु: + परिणाम ( विसर्ग संधि )
गवेषणा = गम + एषण ( स्वर संधि )
वसंतागमन = वसंत + आगमन ( स्वर संधि )
निर्दलित = नि : + दलित ( विसर्ग संधि )
राजोद्यान = राजा + उद्यान ( विसर्ग संधि )
अंतरपथ = अंत : + पथ (विसर्ग संधि )
उल्लास = उत  + लास (व्यंजन संधि )
दिगंबर = दिक् + अम्बर (व्यंजन संधि )
अनासक्ति = अन + आसक्ति ( व्यंजन संधि )
निर्धूम = नि :धूम ( विसर्ग संधि )
गण्डस्थल = गण्ड: + स्थल (विसर्ग संधि )
यद्पि = यदि + अपि (स्वर संधि )
निर्धात = नि : + घात (विसर्ग संधि )
कालाग्नि = काल+ अग्नि (स्वर संधि )
रविंद्र = रवि + इंद्र (स्वर संधि )
रामायण = राम + आयन ( स्वर संधि )
अमरासन  = अमर + आसन (स्वर संधि )
मृण्मय = मृत + मय  ( व्यंजन संधि )
उन्मुक्त = उत  + मुक्त (व्यंजन संधि )
शरदचंद्र = शरत + चंद्र ( व्यंजन संधि )
वनस्थली = वन : + थली  (विसर्ग संधि )
दुरंत = दु : + अंत ( विसर्ग संधि )
निरंतर = नि : + अंतर (विसर्ग संधि )
सदैव = सदा + एव  ( स्वर संधि )
वहिर्मुख = वहि : + मुख ( विसर्ग संधि )
अत्यंत = अति + अंत (स्वर संधि )


अश्वारोही = अश्व + आरोही (स्वर संधि )
अधिकांश = अधिक + अंश ( स्वर संधि )
स्वागतार्थ = सु + आगत + अर्थ ( स्वर संधि )
परंपरागत = परंपरा + आगत ( स्वर संधि )
उन्मत्त = उत + मत्त ( व्यंजन संधि )
उल्लास = उत + लास ( व्यंजन संधि )
निर्वासित = नि : + वासित ( विसर्ग संधि )
निस्पंद = नि : + पंद ( विसर्ग संधि )
नियमानुसार = नियम + अनुसार ( स्वर संधि )
नवागत = नव + आगत ( स्वर संधि )
नरेश = नर + ईश (स्वर संधि )
स्वागत = सु + आगत (स्वर संधि )
महोत्सव = महा + उत्सव ( स्वर संधि )
प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष ( स्वर संधि )
उद्दाम = उत + दाम (व्यंजन संधि )
निराश = नि : आश (विसर्ग संधि )
पुरस्कार = पुर :+ कार ( विसर्ग संधि )
निराशा = नि :+ आशा (विसर्ग संधि )
परमात्मा = परम + आत्मा ( स्वर संधि )
निरोग = नि : + रोग ( विसर्ग संधि )
निरर्थक = नि : + अर्थक ( विसर्ग संधि )
विनयावत = विनय + अनवत ( व्यंजन संधि )
उद्दत = उत + हत (व्यंजन संधि )
अनायास = अन + आयास ( स्वर संधि )
सूर्योदय = सूर्य + उदय (स्वर संधि )
अंतरंग = अंत : + अंग ( विसर्ग संधि )
प्रतीक्षा = प्रति + इक्षा  ( स्वर संधि )
त्रिपुरारी = त्रिपुर + अरि ( स्वर संधि )
यद्दपि = यदि + अपि ( स्वर संधि )
दिगंबर = दिक् + अम्बर ( व्यंजन संधि )
निरगुन  = नि : + गुण ( विसर्ग संधि )
परमार्थ = परम + अर्थ ( स्वर संधि )
पावक = पौ + अक (स्वर संधि )
अमरासन = अमर + आसन (स्वर संधि )
उज्जवल = उत + ज्वल (व्यंजन संधि )
सन्देश = सम + देश (व्यंजन संधि )
ज्योतिवाह = ज्योति :+ वाह (विसर्ग संधि )
उन्मुक्त = उत + मुक्त (व्यंजन संधि )
अंतरपथ = अंत :+ पथ (विसर्ग संधि )
निश्चय = नि :+ चय (विसर्ग संधि )
स्वर्ग = स्व :+ ग (विसर्ग संधि )
निष्फलता = नि :+ फलता (विसर्ग संधि )
सन्यास = सम + न्यास (व्यंजन संधि )
उन्मद = उत + मद (व्यंजन संधि )
दुर्लभ = दु :+ लभ (विसर्ग संधि )
दुष्कांड = दु :+ काण्ड (विसर्ग संधि )
अत्याचारी = अति + आचारी (स्वर संधि )
नराधम = नर + अधम (स्वर संधि )
तुरंत = दु : + अंत (विसर्ग संधि )
यद्यपि = यदि + अपि (स्वर संधि )
गवेषणा = गो + एषणा (व्यंजन संधि )
उन्मत्त = उत + मत्त (व्यंजन संधि )
अश्वारोही = अश्व + आरोही (स्वर संधि )
रामायण = राम + अयन (स्वर संधि )
अत्याचार = अति + आचार ( स्वर संधि )
समुन्न्नत = सम + उन्नत (स्वर संधि )
शरतचंद्र = शरत + चंद्र (व्यंजन संधि )
महोत्सव = महा + उत्सव (व्यंजन संधि )
नमस्ते = नम: + ते (विसर्ग संधि )
निर्धन = नि: + धन (विसर्ग संधि )
अन्वेषण = अनु + एषण (यण संधि )
संरक्षक = सम + रक्षक (व्यंजन संधि )
अमरासन = अमर + आसन (स्वर संधि )
दिगंबर = दिक् + अम्बर (व्यंजन संधि )
धिग्दन्ड = धिक् + दंड (व्यंजन संधि )
प्रलयोल्का = प्रलय + उल्का (स्वर संधि )

नमस्ते मे कौनसी संधि है?

namaste mein kaun si Sandhi hai? नमस्ते शब्द में विसर्ग संधि है

नमस्कार शब्द का संधि विग्रह क्या है?

'नमस्कार' का संधि विच्छेद 'नमः+कार' है। यहाँ विसर्ग संधि का प्रयोग किया गया है।

प्रणाम शब्द में कौन सी संधि है?

pranam mein kaun si Sandhi hai? प्रणाम शब्द में व्यंजन संधि है।

नीरज शब्द में कौन सी संधि है?

नीरज में संधि का प्रकार (Type of Sandhi) : Visarga Sandhi (विसर्ग संधि).