1st नवम्बर, 1956 को मध्यप्रदेश बनने के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा का अपने वर्तमान रूप में पुनर्गठन हुआ. इस पुनर्गठन में विन्ध्यप्रदेश, मध्यभारत, महाकौशल और भोपाल राज्य की विधान सभाओं को शामिल किया गया। इन विधानसभाओं का एकीकरण होते ही इन चारों विधानसभाओं के सदस्य अपने आप मध्यप्रदेश की नयी और पहली विधानसभा के सदस्य बन गये। Read more... Show MLA Login ऑनलाइन उत्तर / E-Vidhan App प्रक्रियाओं संबंधी प्रपत्र NeVA विधान सभा इतिहास15 अगस्त, 1947 के पूर्व देश में कई छोटी-बड़ी रियासतें एवं देशी राज्य अस्तित्व में थे। स्वाधीनता पश्चात् उन्हें स्वतंत्र भारत में विलीन और एकीकृत किया गया। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद देश में सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिसके कारण संसद एवं विधान मण्डल कार्यशील हुए। प्रशासन की दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया था। सन् 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को नया राज्य मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। इसके घटक राज्य मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विन्ध्य प्रदेश एवं भोपाल थे, जिनकी अपनी विधान सभाएं थीं। पुनर्गठन के फलस्वरूप सभी चारों विधान सभाएं एक विधान सभाएं एक विधान सभा में समाहित हो गईं। अत: 1 नवंबर, 1956 को पहली मध्यप्रदेश विधान सभा अस्तित्व में आई। इसका पहला और अंतिम अधिवेशन 17 दिसम्बर, 1956 से 17 जनवरी, 1957 के बीच संपन्न हुआ। मध्यप्रदेश के घटक राज्यों एवं इकाइयों का संक्षिप्त ब्यौरा इस प्रकार है :- विन्ध्य प्रदेश विधान सभा4 अप्रैल, 1948 को विन्ध्यप्रदेश की स्थापना हुई और इसे ''ब'' श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया गया। इसके राजप्रमुख श्री मार्तण्ड सिंह हुए। सन् 1950 में यह राज्य ''ब'' से ''स'' श्रेणी में कर दिया गया। सन् 1952 के आम चुनाव में यहां की विधान सभा के लिए 60 सदस्य चुनें गये, जिसके अध्यक्ष श्री शिवानन्द थे। 1 मार्च, 1952 से यह राज्य उप राज्यपाल का प्रदेश बना दिया गया। पं. शंभूनाथ शुक्ल उसके मुख्यमंत्री बने। विन्ध्यप्रदेश विधान सभा की पहली बैठक 21 अप्रैल, 1952 को हुई। इसका कार्यकाल लगभग साढ़े चार वर्ष रहा और लगभग 170 बैठकें हुई। श्री श्याम सुंदर 'श्याम' इस विधान सभा के उपाध्यक्ष रहे। भोपाल विधान सभाप्रथम आम चुनाव के पूर्व तक भोपाल राज्य केन्द्र शासन के अंतर्गत मुख्य आयुक्त द्वारा शासित होता रहा। इसे तीस सदस्यीय विधान सभा के साथ ''स'' श्रेणी के राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था। तीस सदस्यों में 6 सदस्य अनुसूचित जाति और 1 सदस्य अनुसूचित जनजाति से तथा 23 सामान्य क्षेत्रों से चुने जाते थे। तीस चुनाव क्षेत्रों में से 16 एक सदस्यीय तथा सात द्विसदस्यीय थे। प्रथम आम चुनाव के बाद विधिवत विधान सभा का गठन हुआ। भोपाल विधान सभा का कार्यकाल मार्च, 1952 से अक्टूबर, 1956 तक लगभग साढ़े चार साल रहा। भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. शंकरदयाल शर्मा एवं इस विधान सभा के अध्यक्ष श्री सुल्तान मोहम्मद खां एवं उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल थे। मध्यभारत विधान सभा (ग्वालियर)मध्यभारत इकाई की स्थापना ग्वालियर, इन्दौर और मालवा रियासतों को मिलाकर मई, 1948 में की गई थी। ग्वालियर राज्य के सबसे बड़े होने के कारण वहां के तत्कालीन शासक श्री जीवाजी राव सिंधिया को मध्यभारत का आजीवन राज प्रमुख एवं ग्वालियर के मुख्यमंत्री श्री लीलाधर जोशी को प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया। इस मंत्रीमण्डल ने 4 जून, 1948 को शपथ ली. तत्पश्चात् 75 सदस्यीय विधान सभा का गठन किया गया, जिनमें 40 प्रतिनिधि ग्वालियर राज्य के, 20 इन्दौर के और शेष 15 अन्य छोटी रियासतों से चुने गये। यह विधान सभा 31 अक्टूबर, 1956 तक कायम रही। सन् 1952 में संपन्न आम चुनावों में मध्यभारत विधान सभा के लिए 99 स्थान रखे गए, मध्यभारत को 59 एक सदस्यीय क्षेत्र और 20 द्विसदस्यीय क्षेत्र में बांटा गया। कुल 99 स्थानों में से 17 अ.जा. तथा 12 स्थान अ.ज.जा. के लिए सुरक्षित रखे गए। मध्यभारत की नई विधान सभा का पहला अधिवेशन 17 मार्च, 1952 को ग्वालियर में हुआ। इस विधान सभा का कार्यकाल लगभग साढ़े-चार साल रहा। इस विधान सभा के अध्यक्ष श्री अ.स. पटवर्धन और उपाध्यक्ष श्री वि.वि. सर्वटे थे। सेन्ट्रल प्राविन्सेस एण्ड बरार विधान सभापूर्व में वर्तमान महाकौशल, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बरार क्षेत्र को मिलाकर सेन्ट्रल प्राविन्सेस एण्ड बरार नामक राज्य अस्तित्व में था। राज्य पूनर्गठन के बाद महाकौशल और छत्तीसगढ़ का क्षेत्र यानी पूर्व मध्यप्रदेश (जिसे सेन्ट्रल प्राविन्सेस कहा जाता था) वर्तमान मध्यप्रदेश का भाग बना। तद्नुसार उस क्षेत्र के विधान सभा क्षेत्रों को भी वर्तमान मध्यप्रदेश के विधान सभा क्षेत्रों में शामिल किया गया।
मध्य प्रदेश विधान सभा भारत में मध्य प्रदेश राज्य का एकसदनीय राज्य विधानमंडल है। विधानसभा की गद्दी राज्य की राजधानी भोपाल में है। यह भोपाल शहर के अरेरा पहाड़ी इलाके में राजधानी परिसर के केंद्र में स्थित एक भव्य इमारत, विधान भवन में स्थित है। विधानसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है यदि इसे उससे पहले भंग न किया जाए। वर्तमान में, इसमें 230 सदस्य शामिल हैं जो सीधे एकल-सीट निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं। 15वीं विधानसभा में महिला निर्वाचित महिलाओं की संख्या 21 है इतिहास[संपादित करें]मध्य प्रदेश विधायिका के इतिहास का पता 1913 से लगाया जा सकता है, क्योंकि इसी वर्ष 8 नवंबर को केंद्रीय प्रांत विधान परिषद का गठन किया गया था। बाद में, भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने निर्वाचित केंद्रीय प्रांत विधान सभा का प्रावधान किया। केंद्रीय प्रांत विधान सभा का पहला चुनाव 1937 में हुआ था। वर्तमान विधानसभा[संपादित करें]
राजनीतिक दल[संपादित करें]1951 से आज तक मध्य प्रदेश के लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणामों के लिए, मध्य प्रदेश के चुनाव देखें । इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
वर्तमान में मध्यप्रदेश के विधानसभा उपाध्यक्ष कौन है 2022?श्री श्याम सुंदर 'श्याम' इस विधान सभा के उपाध्यक्ष रहे।
विधानसभा के अध्यक्ष को क्या कहते हैं?विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा एवं विधानसभा सचिवालय का प्रमुख, पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष) होता है, जिसे संविधान, प्रक्रिया, नियमों एवं स्थापित संसदीय परंपराओं के अन्तर्गत व्यापक अधिकार होते हैं। सभा के परिसर में उनका प्राधिकार सर्वोच्च है।
राज्य विधान सभा का नेता कौन होता है?सदन के नेता (राज्य सभा). भारत में विधानसभा सीट कितनी है 2022?वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 426 हो गई।
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