पृथ्वी का कांपने का क्या अर्थ है? - prthvee ka kaampane ka kya arth hai?

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पृथ्वी का कांपने का क्या अर्थ है? - prthvee ka kaampane ka kya arth hai?

हिन्दू धर्म जैसा, वेरी साइंटिफिक धर्म जिसकी कई बातें लगातार सत्य साबित होने से दुनिया भर के वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित होते जा रहे हैं, वही धर्म अगर कुछ कहता है तो उसके पीछे कोई लाजिक जरूर होता है !

वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य

भूकम्प जब हिलाने लगे शहर को, तब आप क्या क्या कर सकते हैं ?

हमारा अनन्त वर्ष पुराना और परम आदरणीय हिन्दू धर्म कहता है की हमारी पृथ्वी (जिस पर हम सभी जीव जन्तु रहते हैं) वो सात खम्भे पर टिकी है और सबसे बड़ी खतरनाक बात है की बहुत से भ्रष्ट लोग, जाने अनजाने इन्ही सात खम्भों पर बार बार चोट पंहुचा रहे हैं, जिससे ये खम्भे अब स्थिर खड़े रहने की बजाय, बुरी तरह से कांपने लगे हैं !

खम्भों का कम्पन अगर बढ़ गया तो खम्भों पर टिकी पृथ्वी भी काँप जायेगी जिसका परिणाम उम्मीद से बढ़कर दुखद हो सकता है !

इसलिए अब भी समय हैं इन सात खम्भों के कम्पन को रोककर फिर से उन्हें मजबूत बनाने के लिए !

ये सात खम्भे कौन है और ये क्यों काँप रहे हैं इसको जानने के बाद हो सकता है बहुत से लोगों को ये जानकारी अंध विश्वास या फिजूल लगे और इसमें आश्चर्य भी नहीं है क्योंकि जिस हिसाब से बुद्धि हीनता और चारित्रिक पतन समाज में अन्दर तक जड़ जमा चुका है उस लिहाज से जब तक कोई चमत्कार देखने सुनने को न मिले, लोगों के मन में अच्छी चीज या जानकारी के लिए भी प्रेम या आकर्षण नहीं पैदा होता है ! अज्ञान को ही कलियुग में सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है !

इसी अज्ञान के नाश के लिए, भगवान् कलियुग में शस्त्र अवतार की जगह, सिर्फ ज्ञान अवतार ही लेते हैं ! अभी से पहले 2 अवतार भगवान ने, श्री आदि शंकराचार्य और श्री गौतम बुद्ध के रूप में लिया था !

प्राचीन भारत के ज्ञान विज्ञान के मूर्धन्य जानकार श्री डॉक्टर सौरभ उपाध्याय जी बताते हैं की महाभारत काल में धृत राष्ट्र और पांडु के पैदा होने से ठीक पहले इस पृथ्वी पर इतना ज्यादा अच्छा माहौल हो गया था की स्वर्ग के देवता भी स्वर्ग छोड़ धरती पर आम आदमी के साथ रहना ज्यादा पसंद करते थे ! पर उस अच्छे माहौल का कंस, शिशुपाल, जरासंध, कौरव आदि असंख्य अधर्मियों ने जो सत्यानाश किया की महाभारत जैसा महा विनाशक युद्ध हुआ !

इस भयंकर युद्ध के बाद पृथ्वी पर पैदा हुई भीषण नकारात्मकता और निराशा को समाप्त करने के लिए श्री कृष्ण ने एक महा यज्ञ का आयोजन किया जिसमे पूरे ब्रहमांड से हर तरह के जीवों (जैसे – नाग, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, किरात, विद्याधर, ऋक्ष, पितर, देवता, दिक्पाल आदि, जिन्हें आजकल के वैज्ञानिक एलियन समझते हैं) को बुलाकर आदेश दिया था की अब से वे लोग पृथ्वी के मानवों से कोई सम्बन्ध नहीं रखेंगे क्योंकि आने वाले समय में पृथ्वी पर मानवों के अधिकाँश वंशज भावनात्मक और शारीरिक रूप से बहुत कमजोर होंगे और वे अपने छोटे से छोटे फायदे के लिए दूसरों को दुःख देने में हिचकेंगे नहीं !

श्री डॉक्टर सौरभ उपाध्याय जी का कहना है की, चूंकि मानव के अतिरिक्त ऊपर लिखी जीवों की सारी प्रजातियाँ टेक्नालाजी (विज्ञान और तकनीकी) में मानवों से कहीं आगे हैं इसलिए मानव उनसे प्राप्त शक्तियों का प्रयोग छोटे छोटे स्वार्थों को पूरा करने के लिए नही कर पायें इसी लिए श्री कृष्ण ने इन प्रजातियों को मानवों से सम्बन्ध रखने के लिए मना कर दिया था जबकि महा भारत काल तक मानव और इन प्रजातियों में कई तरह के लेन देन रोज हुआ करते थे !

हमारे परम आदरणीय हिन्दू धर्म में पृथ्वी जिन 7 खम्भों पर टिकी हैं उन खम्भों के नाम हैं – गौ (गाय माता), दान वीरता (दानी मनुष्य), सतीत्व, ब्राह्मणत्व (ब्राह्मण), सत्य (न्याय), प्रेम और धर्म !

अब इसमें बताने की जरूरत नहीं है की ये खम्भे क्यों काँप रहे हैं !

निरीह गाय माता का पिछले कितने साल से कत्ले आम हो रहा है वो भी भारत जैसी पवित्र भूमि पर भी, जहाँ सबको पता है की गाय माता पूरे मानव जाति के लिए ईश्वर की सबसे बड़ी लाभकारी वरदान है ! एक अकेले देशी गाय माता के गो मूत्र और गोबर से बंजर जमीन से भी बढ़िया फसल उगाई जा सकती है ! गो मूत्र और गोबर उच्च क्वालिटी के खाद के साथ उच्च किस्म के कीट नाशक भी हैं और इनके प्रयोग से खेती की पैदावार इतनी बढ़ाई जा सकती है की दुनिया का कोई भी आदमी भूखा ना सोये ! देशी गाय माँ का दूध अपने आप में एक पूर्ण और अति पौष्टिक आहार है जो ताकत प्रदान करने के साथ कैंसर, एड्स जैसे घातक रोगों में भी बहुत फायदा है ! गो मूत्र तो घोषित रूप से कैंसर की दवा साबित हो चुकी है ! तो मामूली घास फूस खा कर, ऐसे अन्य असंख्य कीमती फायदे प्रदान करने वाली, ईश्वर की सबसे बेश कीमती तोहफा गाय माता को, क्यों सिर्फ कुछ किलो मांस के लिए काटा जा रहा है ? गाय माता के प्रति ये अहसान फरामोशी निश्चित रूप से पूरी मानव जाति के लिए अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है !

लोगों का मन करता है तो अपने अय्याशी पर लाखो खर्च करते हैं, वही लोग मुसीबत में अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मंदिरों में सोना चांदी भी चढ़ाते हैं, पर वास्तव में बिना किसी स्वार्थ के सिर्फ किसी भूखे आदमी या किसी भूखे जानवर के पेट में खाना डालने के लिए कितने लोग पैसा खर्च करते हैं ?

ब्रह्म (अर्थात ईश्वर) का अति दुष्कर सत्य अन्वेषण (खोज) करने वाले कितने सच्चे त्यागी तपस्वी ब्राह्मण बचे हैं ? शास्त्रों के अनुसार, ब्राह्मण कोई जाति विशेष में पैदा हुआ आदमी नहीं होता है, ब्राह्मण वही होता है जो ब्रह्म अर्थात परम रहस्य स्वरुप ईश्वर की बिना धैर्य खोये अति कष्ट साध्य खोज (अर्थात तप) करे !

हमारे धर्म ग्रंथो में सती नारियों का अत्यंत महत्व बताया गया है और इन्हें शुभदायक कहा गया है !

जब समाज में अत्याचारियों, पापियों को उनके पाप का दंड ना मिले तो फिर दंड देने का काम प्रकृति को खुद करना पड़ता है ! जब समाज में न्याय की व्यवस्था कमजोर पड़ने लगे और गलत काम करने वाले पापियों के मन में पाप करने के लिए डर ख़त्म होने लगे तो समझ लेना चाहिए की उस समाज से सत्य गायब हो रहा हैं ! सत्य का लगातार कमजोर होना निश्चित ही इस धरती को कांपने पर मजबूर कर देगा ! धरती अगर कांपी तो ऐसा भूकम्प आएगा की, पापियों के साथ ऐसे लोग भी दुःख झेलेंगे जिन्होंने इन पापियों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया ! पापी आदमियों के पाप या अधर्म को लगातार सहते जाना कोई संतोष का धार्मिक गुण नहीं होता है बल्कि कायरता का अधर्म होता है ! और जो समाज अपने ऊपर पापियों का शासन लगातार बर्दाश्त करता जाता है वो पूरा समाज भी पापियों के साथ प्रकृति का क्रोध झेलता है !

प्रेम की बात जिसका देखो वही कर रहा है पर उसमे से ज्यादातर ढोंग है ! अरे वो लोग प्रेम की बात कैसे कर भी सकते हैं जो निरीह पशु पक्षियों की लाश खाते हैं ! मुर्गियों, बकरे के छोटे बच्चों के जब गले काटे जाते हैं और उनसे खून का फौवारा छूटता है तब उनका प्रेम कहाँ चला जाता है ! लव (प्रेम) के नाम पर लड़के लड़कियों द्वारा बिना शादी के बार बार अमर्यादित रिश्ते बनाने की छूट ही, टूटते परिवार और बढ़ते तलाक तथा अश्लीलता के कारण हैं ! शादी के बाद शादी टूटने की सबसे ज्यादा वजह देखने को मिलती है शादी से पहले और शादी के बाद के नाजायज रिश्ते ! नाजायज प्रेम से उत्पन्न होने वाले पति पत्नी के झगड़े से सन्तान की मनोदशा पर बहुत बुरा असर पड़ता है और कुण्ठित मनोदशा से बड़े होने वाली संतान बड़े होकर देश को कैसे खुश हाल बना पाएंगे !

धर्म एक रास्ता है जिसका सबसे बड़ा उद्देश्य यही है की आदमी को लगातार याद दिलाते रहना की उसने इस धरती पर किस लिए जन्म लिया है ! धर्म ही एक ऐसा फ़िल्टर (छलनी) है जो आदमी को रोज यह बताता रहता है की वो क्या कर सकता है और क्या नहीं कर सकता है ! धर्म ही है जो आदमी के अन्दर के ईश्वर को बाहर निकालता है ! बिना धर्म का आधार लिए कोई भी आदमी अच्छे रास्तों पर ज्यादा दिन नहीं चल पाता है ! पर धर्म का कत्तई ये मतलब नहीं हैं की खूब पूजा करो, खूब व्रत रखो या खूब मंदिर जाओ आदि ! धर्म का सही मतलब समझने के लिए सच्चे साधुओं के पास जाना चाहिए, ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए और जितना हो सके गरीबों दुखियारों की सेवा करनी चाहिए !

समाज में शान्ति और सुख बना रहे इसलिए कम से कम एक स्तर का नैतिक माहौल तो होना ही चाहिए, नहीं तो हर तरफ अराजकता बढ़ती जायेगी जिससे समाज का स्वतः पतन अवश्यम्भावी है !

समाज में नैतिक माहौल बना रहे ये शासन का भी परम कर्तव्य है और शासन के वो भ्रष्ट लोग जो अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ अपनी तिजोरियों को भरने में लगे रहे, वे भी ईश्वर के क्रोध के पात्र हैं ! ईश्वर का क्रोध किसी प्राकृतिक आपदा के रूप में परिलक्षित होगा या व्यक्तिगत समस्या के रूप में, इसका निर्णय स्वयं ईश्वर ही करते हैं !

पर ये तो तय है की ईश्वर ने जिन्हें, धरती के अस्तित्व का आधार मतलब पृथ्वी के खम्भे के रूप में निर्धारित किया हैं, उनके साथ बार बार खिलवाड़ मानव जाति के लिए निश्चित रूप से शुभ नहीं, बेहद दर्दनाक होगा !

(ब्रह्माण्ड व एलियंस सम्बंधित हमारे अन्य हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-

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सावधान, पृथ्वी के खम्भों का कांपना बढ़ता जा रहा है !

जिसे हम उल्कापिंड समझ रहें हैं, वह कुछ और भी तो हो सकता है

Our research group finds U.F.O. and Aliens’ footprints

The facts published by us are still the riddles for the scientists

Is it possible to interact with aliens?

The Autobiography of the Divine saint (Part – 1) The incredible journey from earth to Golok and Golok to earth

Are Scientists telling the complete truth about Bermuda Triangle ?

What we consider as meteorites, can actually be something else as well

How aliens move and how they disappear all of sudden

Who are real aliens and what their specialties are

Why satellites can not see some meteorites before they fall down

Know how to identify the aliens who are born in human form

There is nothing imaginary here, everything is true

Eventually what do we get benefited with if the actual contact with Aliens gets established

Beware, shaking of pillars of earth is increasing !

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पृथ्वी के कांपने का क्या अर्थ है?

पृथ्वी के अचानक कांपने या थरथराने को _____कहते हैं। Solution : भूकंप पृथ्वी की सतह को हिलाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के लिथोस्फीयर में ऊर्जा अचानक उत्सर्जित होती है जो भूकंपनीय तरंगें पैदा करती है। पृथ्वी की सतह पर, भूकंप जमीन को हिलाने और विस्थापित करके | या विरुपित करके खुद को प्रकट करते हैं।

Iii पृथ्वी के काँपने का क्या अर्थ है ?`?

हवा, पानी (समुद्र का) और भूगर्भ ताप के प्रभाव से परतों का स्थान बदलता रहता है। जिसके प्रभाव से प्रतिदिन दुनिया के किसी-न-किसी हिस्से में भूकंप के झटके आते रहते हैं। किन्तु जब यह प्रक्रिया बहुत तीव्रता से होती है, तब भयंकर तबाही वाला भूकंप आता है, इसी को कवि ने पृथ्वी का काँपना कहा है!

पृथ्वी को कंपनी का क्या अभिप्राय है?

साधारण भाषा में भूकंप का अर्थ है- पृथ्वी का कंपन। यह एक प्राकृतिक घटना है। ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती हैं।

धरती क्यों हिलती है?

पृथ्वी क्यों हिलती है? भूकंप पृथ्वी की पर्पटी के अंदर गहरे विक्षोभ के कारण होता है। ऊर्जा की मुक्ति एक भ्रंश के साथ होती है। क्रस्टल चट्टानों का तेजी से टूटना एक भ्रंश है।