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कोशिका झिल्ली एक अर्ध पारगम्य सजीव झिल्ली है जो प्रत्येक सजीव कोशिका के जीव द्रव्य को घेर कर रखती है। कोशिका झिल्ली का निर्माण तीन परतों से मिलकर होता है, इसमें से बाहरी एवं भीतरी परतें प्रोटीन द्वारा तथा मध्य वाली परत का निर्माण लिपिड या वसा द्वारा होता है। यह कोशिका की आकृति का निर्माण करती है एवं जीव द्रव्य की रक्षा करती है। अन्तर कोशिकीय विसरण एवं परासरण की क्रिया को नियंत्रित करने के साथ-साथ यह विभिन्न रचनाओं के निर्माण में भी सहायता करती है।कोशिका झिल्ली को सी. क्रेमर एवं नेगेली (1855) ने कोशिका कला एवं प्लोव ने जीवद्रव्य कला कहा। [1] "कोशिका झिल्ली का इतिहास" जबकि 1665 में रॉबर्ट हुक की कोशिकाओं की खोज ने cell theory के प्रस्ताव का नेतृत्व किया, हुक ने cell membrane सिद्धांत को गुमराह किया कि सभी कोशिकाओं में एक कठिन सेल की दीवार होती थी क्योंकि केवल plant cell को समय पर देखा जा सकता था। माइक्रोस्कोपिस्टों ने सेल की दीवार पर 150 वर्षों तक ध्यान केंद्रित किया जब तक कि microscope में अग्रिम नहीं किए गए। 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में, कोशिकाओं को अलग-अलग संस्थाओं के रूप में मान्यता दी गई थी, असंबद्ध और व्यक्तिगत सेल की दीवारों से बंधे होने के बाद यह पाया गया था कि पौधे की कोशिकाओं को अलग किया जा सकता है। इस सिद्धांत ने कोशिका संरक्षण और विकास के लिए एक सार्वभौमिक तंत्र का सुझाव देने के लिए पशु कोशिकाओं को शामिल किया। 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक, माइक्रोस्कोपी अभी भी कोशिका झिल्ली और सेल की दीवारों के बीच अंतर करने के लिए पर्याप्त उन्नत नहीं थी। हालांकि, कुछ माइक्रोस्कोपिस्टों ने इस समय सही ढंग से पहचान की कि अदृश्य रहते हुए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आंतरिक रूप से घटकों के intracellular movement के कारण पशु कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली मौजूद थे, लेकिन बाहरी रूप से नहीं और यह कि झिल्ली पौधे को लगाने के लिए एक कोशिका भित्ति के बराबर नहीं थे। यह भी अनुमान लगाया गया था कि कोशिका झिल्ली सभी कोशिकाओं के लिए महत्वपूर्ण घटक नहीं थे। कई लोगों ने 19 वीं शताब्दी के अंत में एक कोशिका झिल्ली के अस्तित्व का खंडन किया। 1890 में, cell theory के एक अद्यतन में कहा गया था कि cell membrane मौजूद थी, लेकिन केवल माध्यमिक संरचनाएं थीं। यह ऑस्मोसिस और पारगम्यता के साथ बाद के अध्ययन तक नहीं था कि कोशिका झिल्ली को अधिक मान्यता मिली। 1895 में, अर्नेस्ट ओवरटन ने प्रस्ताव दिया कि सेल झिल्ली लिपिड से बने थे प्लाज्मा झिल्ली Archived 2022-03-17 at the Wayback Machine का रासायनिक संघटन (Chemical Composition of Plasma Membrane)/ रासायनिक संरचना -[संपादित करें]समस्त जैव-झिल्लियाँ प्राय: लिपिड्स (Lipids), प्रोटीन्स (Proteins) एवं कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohy drates) की बनी होती हैं। लिपिड एवं प्रोटीन्स की उपस्थिति के कारण इसे लाइपोप्रोटीन झिल्ली (Lipoprotein membrane) भी कहते हैं। कुछ झिल्लियों में न्यूक्लिक एसिड एवं एन्जाइम भी पाये जाते हैं। 1. लिपिड्स (Lipids)- कोशिका झिल्ली के शुष्क भार का लगभग 21-50% भाग लिपिड का बना होता है। कोशिका झिल्ली में मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन प्रकार के लिपिड्स पाये जाते हैं—(i) फॉस्फोलिपिड्स, (ii) ग्लाइकोलिपिड्स एवं (iii) स्टीरॉल्स। कोशिका झिल्लियों में उपस्थित लिपिड्स ध्रुवीय प्रकृति (Polar nature) के होते हैं, जिसमें एक जलस्नेही सिर (Hydrophilic head) एवं दो जलविरोधी पूँछ (Hydrophobic tail) होते हैं, जो कि आपस में ग्लिसरॉल ब्रिज (Glycerol bridge) के द्वारा जुड़े रहते हैं। प्रत्येक कला में लिपिड्स के दो स्तर होते हैं, जो कि प्लाज्मा कला को आधारीय संरचना प्रदान करते हैं तथा पानी में घुलनशील पदार्थों के लिए अपारगम्य अवरोध की भाँति कार्य करते हैं। लिपिड्स का हाइड्रोफिलिक सिर कोलीन (Choline), फॉस्फेट (Phosphate) एवं ग्लिसरॉल (Glyccrol) का बना होता है, जबकि इसकी पूँछे वसीय अम्लों (Fatty acids) की बनी होती हैं। 2. प्रोटीन्स (Proteins)- कोशिका झिल्ली में सामान्यतः निम्न प्रकार के प्रोटीन्स पाये जाते हैं (a) संरचनात्मक प्रोटीन्स, (b) वाहक प्रोटीन्स संरचनात्मक प्रोटीन (Structural proteins) प्लाज्मा कला का कशेरुक दण्ड (Backbone) होता है। ये लाइपोफिलिक प्रकृति के होते हैं। कोशिका झिल्ली में उपस्थित वाहक प्रोटीन्स (Carrier proteins) को परमीएजेस (Permeases) कहते हैं। ये प्रोटीन पदार्थों के आवागमन में सहायक होती हैं। प्रत्येक प्रकार की झिल्ली में प्रोटीन की मात्रा अलग-अलग होती हैं। इसकी मात्रा 50% - 75% तक होती हैं। कला में उपस्थित प्रोटीन्स को स्ट्रोमैटिन (Stromatin) कहते हैं। 3. कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates)-जन्तुओं के यकृत एवं लाल रक्त कणिकाओं (R.B.Cs.) की प्लाण्मा झिल्लियों में हेक्सोज ऐमीन एवं फ्रक्टोज आदि कार्बोहाइड्रेट्स पाये जाते हैं। 4. एन्जाइम्स (Enzymes) – प्लाज्मा कला में अब तक लगभग 30 एन्जाइम्स की उपस्थिति का पता लगाया जा चुका है। इसमें से प्रमुख एन्जाइम्स इस प्रकार हैं (i) 5'- न्यूक्लिओटाइडेज (ii) Mg 2+ ATPase (iii) Na' - K+ ऐक्टिवेटेड - Mg 2+ ATPase (iv) RNAase (v) सक्सिनिक डीहाइड्रोजिनेज आदि (vi) कोलीन एस्टरेज
सन्दर्भ[संपादित करें]
प्लाज्मा झिल्ली किसकी बनी होती है?कोशिका झिल्ली का निर्माण तीन परतों से मिलकर होता है, इसमें से बाहरी एवं भीतरी परतें प्रोटीन द्वारा तथा मध्य वाली परत का निर्माण लिपिड या वसा द्वारा होता है। यह कोशिका की आकृति का निर्माण करती है एवं जीव द्रव्य की रक्षा करती है।
कोशिका किसकी बनी होती है?कोशिका भित्ति का निर्माण सेलूलोज, पेक्टोज तथा अन्य निर्जीव पदार्थों द्वारा होता है। कोशिका भित्ति में दो परतें होती हैं जिनके मध्य लमेला नामक दीवाल होती है। कोशिका भित्ति का मुख्य कार्य कोशिका को आकृति प्रदान करना एवं प्रोटोप्लाज्म की रक्षा करना है।
प्लाज्मा झिल्ली क्या होता है?प्लाज्मा कोशिकाएं क्या हैं? प्लाज्मा कोशिकाएं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं। वे लिम्फोसाइट्स नामक प्रतिरक्षा कोशिकाओं के एक समूह का हिस्सा हैं। प्लाज्मा कोशिकाएं एंटीबॉडी नामक विशेष प्रोटीन का उत्पादन करती हैं (एंटीबॉडी के लिए दूसरा शब्द है इम्युनोग्लोबुलिन).
कोशिका झिल्ली को प्लाज्मा झिल्ली क्यों कहते हैं?Solution : लिपिड और प्रोटीन से बनी प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है जो पारगम्य झिल्ली का काम करते हुए कोशिका के अंगो को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है। चूंकि प्लाज्मा झिल्ली आवश्यक पदार्थों को उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर आने-जाने देती है इसलिए इसे वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं।
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