एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहुप्रकार्यात्मक क्यों हो जाते हैं? Show एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि कोई भी नगर एक प्रकार्य पर आश्रित नहीं रह सकता। सभी नगर बहु-प्रकार्य होते हैं अर्थात् प्रत्येक नगर एक से अधिक प्रकार्य करता है। कुछ नगर अपने एक महत्वपूर्ण कार्य के लिए अवश्य जाने जाते हैं। अत: उसके प्रधान व्यवसाय के आधार पर ही नगर का वर्गीकरण किया जा सकता हैं। जैसे कुरुक्षेत्र एक धार्मिक नगर है और फरीदाबाद एक शैक्षणिक नगर है, लेकिन यह वर्गीकरण एक सामान्य अवलोकन है। वैज्ञानिक विषलेषण पर आधारित तथ्य-परक अवलोकन नहीं है। अपनी केंद्रीय अथवा नोडीय स्थान की भूमिका के अतिरिक्त अनेक शहर और नगर विशेषीकृत सेवाओं का निष्पादन करते हैं। कुछ शहरों और नगरों को कुछ निश्चित प्रकार्यों में विशिष्टता प्राप्त होती हैं और उन्हें कुछ विशिष्ट क्रियाओं, उत्पादनों अथवा सेवाओं के लिए जाना जाता है। फिर भी प्रत्येक शहर अनेक प्रकार्य करता है। उनके प्रमुख अथवा विशेषीकृत प्रकार्यों के आधार पर उसका वर्गीकरण किया जाता है; उच्चतर कम के प्रशासनिक मुख्यालयों वाले शहरों को प्रशासन नगर कहते हैं, जैसे कि चंडीगढ़, नई दिल्ली, भोपाल, शिलांग, गुवाहाटी, इंफाल, श्रीनगर, गांधी नगर, जयुपर, चेन्नई इत्यादि। मुंबई सेलम, कोयंबटूर, मोदीनगर, जमशेदपुर, हुगली, भिलाई इत्यादि औद्योगिक नगरों के रूप में प्रसिद्ध है। मसूरी, शिमला, पचमढ़ी, जोधपुर, जैसलमेर, उडगमंडलम (ऊटी), माउंट आबू , पर्यटन नगरों के रूप में प्रसिद्ध है। विशेषीकृत नगर भी महानगर बनने पर बहुप्रकार्यात्मक बन जाते हैं जिनमें उद्योग व्यवसाय, प्रशासन, परिवहन इत्यादि महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। ये प्रकार्य इतने अंतर्ग्रथित हो जाते हैं कि नगर को किसी विशेष प्रकार्य वर्ग मेंवर्गीकृत नहींकिया जा सकता। Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Important Questions and Answers. बहुविकल्पीय प्रश्न: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न: निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए: प्रश्न 1. स्तम्भ अ (दशा) स्तम्भ ब (सम्बन्ध) (i) अत्यधिक पास - पास मकानों वाली बस्ती (अ) आधुनिक नगर (ii) पाटलीपुत्र (ब) गैरीसन नगर (iii) कोलकाता (स) 31.16% (iv) अंबाला (द) प्राचीन नगर (v) भारत का नगरीकरण प्रतिशत (य) गुच्छित उत्तर: स्तम्भ अ (दशा) स्तम्भ ब (सम्बन्ध) (i) अत्यधिक पास - पास मकानों वाली बस्ती (य) गुच्छित (ii) पाटलीपुत्र (द) प्राचीन नगर (iii) कोलकाता (अ) आधुनिक नगर (iv) अंबाला (ब) गैरीसन नगर (v) भारत का नगरीकरण प्रतिशत (स) 31.16%
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न: निम्न में से सत्य असत्य कथनों की पहचान कीजिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अतिलघु उत्तरीय प्रश्न: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10. प्रश्न 11.
प्रश्न 12.
प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19.
प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्राचीन नगर क्या है? इनके विकसित होने के कारण बताओ? भारत के प्राचीन नगरों के नाम बताओ?
प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30.
प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33.
प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38. प्रश्न 39.
प्रश्न 40. प्रश्न 41. प्रश्न 42. प्रश्न 43.
प्रश्न 44. प्रश्न 45. लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1): प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
(i) गुच्छित बस्तियाँ: घरों का एक संहत तथा संकुचित रूप से निर्मित क्षेत्र गुच्छित बस्ती कहलाता है। मध्य भारत के बुन्देलखण्ड क्षेत्र, नागालैण्ड तथा राजस्थान में इस प्रकार की बस्तियाँ प्रमुख रूप से मिलती हैं। (ii) अर्द्धगुच्छित बस्तियाँ ऐसी बस्ती किसी परिक्षिप्त (एकाकी) बस्ती के किसी सीमित क्षेत्र में गुच्छित होने के कारण निर्मित होती हैं। गुजरात के मैदान तथा राजस्थान के कुछ भागों में इस प्रकार की बस्तियाँ प्रमुखता से मिलती हैं। प्रश्न 10.
प्रश्न 11.
प्रश्न 12. प्रश्न 13.
प्रश्न 14.
प्रश्न 15.
प्राचीन नगर: प्रश्न 16. प्रश्न 17.
प्रश्न 18. जनसंख्या का आकार शहरों की संख्या कुल शहरी जनसंख्या (हज़ार में) नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत जनसंख्या का आकार 468 2,27, 899 60.45
प्रश्न 19.
प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2): प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
(i) भौतिक कारक: स्थलाकृति, उच्चावच, जलवायु एवं जल की उपलब्धता आदि कारक बस्तियों के प्रारूप के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे शुष्क क्षेत्र में जल की उपलब्धता महत्त्वपूर्ण कारक है। ऐसे क्षेत्रों में मकान जल-स्रोत के चारों ओर बनाये जाते हैं। राजस्थान जैसे राज्य के शुष्क मरुस्थल में बस्तियों का संकुलित रूप मुख्य रूप से जल आपूर्ति से निर्धारित होता है। (ii) सांस्कृतिक एवं मानव: जातीय कारक - इसके अन्तर्गत सामाजिक संरचना, जाति एवं धर्म आदि ग्रामीण बस्तियों के प्रारूप निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे देश के अनेक गाँवों में उच्च जातियों के मकान बस्ती के मध्य में उनके केन्द्र के रूप में बसे होते हैं। इनके चारों ओर गाँव के समुदाय की सेवा करने वाली जातियों के मकान होते हैं। (iii) सुरक्षा सम्बन्धी कारक: भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों के निर्धारण में सुरक्षा कारक भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चोरियों एवं डकैतियों से सुरक्षा मुख्य उद्देश्य होता है। जंगली जानवरों से भी अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए लोग गुच्छित बस्तियों में ही मकान बना लेते हैं। प्रश्न 3. गुच्छित बस्तियाँ: परिक्षिप्त बस्तियाँ: (i) गुच्छित बस्तियाँ उपजाऊ जलोढ़ मैदानों में पायी जाती (i) परिक्षिप्त बस्तियाँ पर्वतीय या उच्च भूमि तथा सुदूर जंगलों में पायी जाती हैं। (ii) इन बस्तियों में मकान एक-दूसरे से सटे हुए तथा छोटे होते हैं। (ii) इन बस्तियों में मकान एक-दूसरे से दूर तथा खुले होते (iii) इन बस्तियों के चारों ओर खेत फैले होते हैं। (iii) इन बस्तियों में पहाड़ी ढालों व जंगलों में मिलने वाले खेत छोटे होते हैं। (iv) इन बस्तियों में लोग मिल-जलकर खेती व सरक्षा आदि कार्य करते हैं। (iv) इन बस्तियों में लोग एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं। (v) इन बस्तियों में पानी के निकास की उचित व्यवस्था नहीं होती फलस्वरूप गलियों में गंदगी रहती है। (v) इन बस्तियों में पानी के निकास की उचित व्यवस्था होती है फलस्वरूप बस्तियाँ साफ होती हैं। (vi) ये बस्तियाँ मध्य भारत व उत्तरी-पूर्वी राज्यों में देखनेको मिलती हैं। (vi) ये बस्तियाँ मेघालय, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश एवं केरल के अनेक भागों में देखने को मिलती हैं।
परिक्षिप्त बस्तियों की विशेषता:
प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. वृद्धि नगरों/नगरीय संकुलों की संख्या नगरीय जनसंख्या (हजारों मे) कुल नगरीय जनसंख्या का दशकीय वृद्धि 1901 1911 1921 1931 1941 1951 1961 1971 1981 1991 2001 2011 1,827 1,815 1,949 2,072 2,250 2,843 2,365 2,590 3,378 4,689 5,161 6,171 25,851.9 25,941.6 28,086.2 33,456.0 44,153.3 62,443.7 78,936.6 1,09,114 1,59,463 2,17,611 2,85,355 3,77,000 10.84 10.29 11.18 1.99 13.86 17.29 17.97 19.91 23.34 25.71 27.78 31.16 - 0.35 8.27 19.12 31.97 41.42 26.41 38.23 46.14 36.47 31.13 31.08 प्रश्न 8.
(i) परिवहन नगर: ऐसे नगर जो मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों में संलग्न रहते हैं, पत्तन नगर के रूप में विकसित हो जाते हैं, परिवहन नगर कहलाते हैं। कांडला, कोच्चि, विशाखापट्टनम आदि प्रमुख पत्तन नगर हैं। इसके अतिरिक्त कुछ परिवहन नगर आन्तरिक परिवहन केन्द्र के रूप में विकसित होते हैं; जैसे - धुलिया, मुगलसराय, इटारसी, कटनी आदि। (ii) प्रशासनिक नगर: प्रमुख प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में विकसित नगरों को प्रशासनिक नगर कहते हैं। इस दृष्टि से समस्त राज्यों की राजधानियाँ प्रशासनिक नगर हैं। लेकिन कुछ प्रशासनिक नगर अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के रूप में नई दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर, भोपाल, शिलांग, गुवाहाटी, इंफाल, श्रीनगर, गांधीनगर निबन्धात्मक प्रश्न: प्रश्न 1.
2. अर्द्धगुच्छित बस्तियाँ इस प्रकार की बस्तियों को विखण्डित बस्तियों के नाम से भी जाना जाता है। इन बस्तियों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
3. पल्लीकृत बस्तियाँ इस प्रकार की बस्तियों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
4. परिक्षिप्त बस्तियाँ: इन बस्तियों को एकाकी बस्तियों के नाम से भी जाना जाता है। इन बस्तियों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 2. (ख) मध्यकालीन नगर-वर्तमान में भारत के लगभग 100 नगरों का विकास मध्यकालीन युग में प्रमुख रूप से रजवाड़ों तथा राज्यों के मुख्यालयों के रूप में हुआ। इनमें से अधिकांश किला नगर हैं जिनका निर्माण प्राचीन खंडहरों पर हुआ है। ऐसे नगरों में दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, आगरा तथा नागपुर आदि महत्वपूर्ण हैं। (ग) आधुनिक नगर-ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों तथा अन्य यूरोपियनों ने भारत में अनेक नगरों का विकास किया। सर्वप्रथम उन्होंने भारत के तटीय भागों पर सूरत, दमन, गोवा तथा पांडिचेरी (पुड्डुचेरी) नामक व्यापारिक पत्तनों का विकास किया। बाद में तीन प्रमुख महानगरों-मुंबई, चेन्नई तथा कोलकाता का विकास अंग्रेजी शैली में किया। इसके साथ ही ब्रिटिश शासकों द्वारा प्रशासनिक केन्द्रों, ग्रीष्मकालीन स्थलों के रूप में पर्वतीय नगरों को स्थापित किया तथा पहले से मौजूद नगरों में सिविल, प्रशासनिक एवं सैन्य क्षेत्र जोड़ दिए गए। ब्रिटिश शासकों द्वारा पर्वतीय नगरों के विकास के पीछे मुख्य कारण ग्रीष्म काल में मैदानी क्षेत्रों में पड़ने वाली गर्मी से बचाव करना था। ब्रिटिश शासकों को पर्वतीय क्षेत्रों की जलवायु अपने देश जैसी महसूस होती थी। सन् 1850 के बाद आधुनिक उद्योगों पर आधारित नगर जमशेदपुर की स्थापना भी की गई। आजादी के बाद भारत के विभिन्न भागों में अनेक नगर प्रशासनिक केन्द्रों के रूप में (जैसे-चण्डीगढ़, भुवनेश्वर, गांधीनगर तथा दिसपुर) तथा औद्योगिक केन्द्रों के रूप में (जैसे-भिलाई, दुर्गापुर, सिंदरी तथा बरौनी) विकसित हुए। पुराने महानगरों के चारों ओर अनेक अनुषंगी नगरों का तेजी से विकास हुआ वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते निवेश के साथ समस्त भारत में बड़ी संख्या में मध्यम व लघु आकार के नगरों का विकास हुआ। प्रश्न 3. जनसंख्या आकार के आधार पर भारत के नगरों का वर्गीकरण - जनसंख्या आकार के अनुसार भारतीय नगरों को निम्नलिखित छः भागों में विभक्त किया जाता है। नगर जनसंख्या आकार 1 लाख से अधिक (क) प्रथम वर्ग 50 हजार से 99,999 (ख) द्वितीय वर्ग 20 हजार से 49,999 (ग) तृतीय वर्ग 10 हजार से 19,999 (घ) चतुर्थ वर्ग 5 हजार से 9,999 (ङ) पंचम वर्ग 5 हजार से कम (च) षष्टम वर्ग जनसंख्या आकार 1 लाख से अधिक 5 हजार से कम आगे दी गई तालिका में भारत में वर्गानुसार नगरों की संख्या तथा उनकी जनसंख्या तथा प्रतिशत वृद्धि को प्रदर्शित किया गया है। तालिका: भारत - वर्गानुसार शहरों और नगरों की संख्या एवं उनकी जनसंख्या, 2011 जनसंख्या का आकार शहरों की संख्या कुल शहरी जनसंख्या (हज़ार में) नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत जनसंख्या का आकार 468 2,27, 899 60.45 तालिका से स्पष्ट है कि प्रथम वर्ग के नगरों में भारत की कुल नगरीय जनसंख्या का 60.45 प्रतिशत भाग निवास करता है। जबकि सबसे कम प्रतिशत पंचम व षष्टम् वर्ग के नगरों में (क्रमशः 4.21% तथा 0.51%) निवास करता है। सन् 2011 में भारत में प्रथम वर्ग के कुल 468 नगर थे जिनमें से 53 नगर/नगरीय संकुल महानगर के रूप में मिलते हैं जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या दस लाख से अधिक है। भारत के 53 महानगरों में से छह महानगर मेगा नगर के रूप में मिलते हैं जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 50 लाख से अधिक है। मुम्बई, भारत में नगरीय केन्द्रों के आकार कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर तथा हैदराबाद नामक देश के छह मेगा नगर वर्ग के अनुसार नगरीय जनसंख्या का है। प्रश्न 4.
1 नगर:
2. शहर:
3. सन्नगर:
4. विश्वनगर:
5. मिलियन सिटी:
प्रश्न 5. (1) प्रशासनिक नगर: उच्च क्रम के प्रशासनिक मुख्यालय जिनमें प्रशासनिक कार्यों की प्रधानता मिलती है, प्रशासनिक नगर की श्रेणी में आते हैं। इनमें राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों की राजधानियाँ प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। उदाहरण के लिए चण्डीगढ़, लखनऊ, नई दिल्ली, श्रीनगर, भोपाल, जयपुर, पटना, गाँधीनगर तथा चेन्नई आदि। (2) औद्योगिक नगर: ऐसे नगर जिनमें उद्योग प्रमुख संचालित बल के रूप में कार्य करते हैं, औद्योगिक नगरों की श्रेणी में आते हैं। उनमें से कुछ औद्योगिक नगर ऐसे भी होते हैं जिनमें किसी एक विशेष प्रकार के उद्योग का विकास देखने को मिलता है। मुम्बई, कानपुर, अहमदाबाद, सलेम, कोयम्बटूर, मोदीनगर, जमशेदपुर, हुगली; भिलाई तथा राउरकेला इस श्रेणी के प्रमुख नगर हैं। (3) व्यापारिक नगर: ऐसे नगर जिनके द्वारा किये जाने वाले केन्द्रीय कार्यों में व्यापार तथा वाणिज्य की प्रधानता होती है, व्यापारिक नगर की श्रेणी में आते हैं। कोलकाता, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, हापुड़, हाथरस तथा सतना इस श्रेणी के प्रमुख भारतीय नगर हैं। (4) परिवहन नगर: ऐसे नगर जिनमें परिवहन सेवाएँ सर्वप्रमुख केन्द्रीय कार्य होते हैं, वे परिवहन नगर की श्रेणी में आते हैं। इनमें देश के सभी बन्दरगाह नगर (मुम्बई, मार्मागाओ, काण्डला, कोच्चि तथा कोझीकोड आदि) तथा आन्तरिक परिवहन के केन्द्र (जैसे-भुसावल, मुगलसराय, टूण्डला, इटारसी, कटनी तथा सिलीगुड़ी आदि) सम्मिलित हैं। (5) खनन नगर: इस श्रेणी के नगर खनिज सम्पन्न क्षेत्रों में विकसित होते हैं तथा इन नगरों के केन्द्रीय कार्यों में खनन कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं। भारत में अंकलेश्वर, सिंगरौली, झरिया, रानीगंज, गिरडीह तथा डिगबोई प्रमुख खनन नगर हैं। (6) गैरीसन (छावनी) नगर: इस प्रकार के नगरों का विकास सैनिक छावनियों के रूप में हुआ है। अम्बाला, नीमच, जालन्धर, महू, बबीना तथा उधमपुर इस श्रेणी के प्रमुख शहर हैं। (7) पर्यटन नगर: इस श्रेणी के नगरों द्वारा किए जाने वाले केन्द्रीय कार्यों में पर्यटन कार्य सर्वाधिक प्रभावी होते हैं। नैनीताल, शिमला, मसूरी, पंचमढ़ी, दार्जिलिंग, माउण्ट आबू, जोधपुर, जैसलमेर तथा ऊटी देश के महत्वपूर्ण पर्यटन नगर हैं। (8) शैक्षणिक नगर: ऐसे नगर जिनमें शिक्षण कार्य सर्वप्रमुख केन्द्रीय कार्य होता है, शैक्षणिक नगर की श्रेणी में आते हैं। रुड़की, ग्रेटर नोएडा, वाराणसी, पिलानी तथा इलाहाबाद देश के प्रमुख शैक्षणिक नगर हैं। (9) धार्मिक तथा सांस्कृतिक नगर: इस श्रेणी में धार्मिक अथवा सांस्कृतिक महत्व रखने वाले नगर आते हैं। उदाहरण के लिए मथुरा, वृन्दावन, वाराणसी, हरिद्वार, इलाहाबाद, बौद्ध गया, पुरी, अजमेर, अमृतसर, तिरुपति, कुरुक्षेत्र तथा उज्जैन। कोई भी नगर अपने द्वारा सम्पादित किए जाने वाले कार्यों की दृष्टि से स्थैतिक नहीं होता। कुछ विशेषीकृत कार्यों के आधार पर विकसित हुए नगर कुछ समय बाद विविध केन्द्रीय कार्य सम्पन्न करने लगते हैं। उन नगरों में केन्द्रीय कार्य इतने अधिक हो जाते हैं कि इनको किसी विशिष्ट कार्यात्मक वर्ग में रखना सम्भव नहीं हो पाता। वर्तमान में भारत में अधिकांश नगर विविध कार्य करने वाले नगरों के रूप में मिलते हैं। पल्लीकृत बस्तियां का स्थानीय नाम क्या है?उत्तर: पल्ली बस्तियाँ-कई बार बस्ती भौतिक रूप से एक-दूसरे से अलग अनेक इकाइयों में बँट जाती है, लेकिन उन सबका नाम एक रहता है। इन इकाइयों के स्थानीय नाम हैं—पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी आदि।
पल्ली कृत बस्तियां क्या है?पल्ली बस्तियों से अभिप्राय उन बस्तियों से है, जो भौतिक रूप से अनेक इकाइयों में बढ़ जाती हैं, लेकिन उन सभी इकाइयों का नाम एक ही रहता है। ऐसी इकाइयों को देश के अलग-अलग भागों में स्थानीय नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए कुछ पल्ली बस्तियों के स्थानीय नाम है, पान्ना, पाड़ा, नंगला, ढाणी, पाली आदि।
बस्तियों के मुख्यतः कितने प्रकार होते हैं?Expert-Verified Answer. Answer:. (i) स्थायी बस्तियां।. (ii) अस्थायी बस्तियां।. (iii) ग्रामीण बस्तियां।. (iv) शहरी बस्तियां।. Explanation:. (i) स्थायी बस्तियां: ये ऐसी बस्तियाँ हैं जहाँ लोग स्थायी रूप से रहते हैं, अपने घर बनाते हैं और उस स्थान पर बहुत लंबे समय तक रहते हैं।. ग्रामीण बस्ती कितने प्रकार के होते हैं?Solution : ग्रामीण बस्ती दो प्रकार की होती है- (1) सघन और (2) प्रकीर्ण। सघन बस्ती में घर पास-पास होते हैं तथा प्रकीर्ण बस्ती में दूर-दूर फैले हुए।
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