प्रेगनेंसी के आठवें महीने में पैरों में दर्द क्यों होता है? - preganensee ke aathaven maheene mein pairon mein dard kyon hota hai?

Show

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में पैरों में होने वाली ऐंठन की समस्या प्रेगनेंसी का समय बढ़ने के साथ बढ़ती जाती है. जिन महिलाओं का वजन प्रेगनेंसी से पहले से बढ़ा हुआ है, उन्हें अक्सर ये समस्या ज्यादा होती है.

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अक्सर महिलाओं को पैरों में एेंठन की समस्या होती है. जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का समय बढ़ता है, ये समस्या भी बढ़ जाती है. लेकिन इसमें बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसा वजन बढ़ने, पैरों में सूजन आने और गर्भावस्था में थकान होने की वजह से होता है.

जिनका वजन गर्भावस्था से पहले भी ज्यादा रहा है, उन्हें पैरों में दर्द की समस्या ज्यादा होती है. वजन बढ़ने से पैरों की नसों पर दबाव पड़ता है और रक्त संचार ठीक से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से पैरों में एेंठन की समस्या होती है. कुछ उपायों को आजमाकर पैरों में दर्द की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है.

1. किसी दीवार के सहारे बैठकर दोनों टांगों को आगे की ओर सीधा करें. अब पंजे को पिण्डली की तरफ खींचें. कुछ देर रुकें फिर वापस सामान्य स्थिति में ले आएं. ध्यान रहे पंजे को बाहर की ओर न मोड़ें वर्ना परेशानी बढ़ सकती है.

2. बैठकर अपने पैरों के पंजों को 30 बार आगे-पीछे झुकाएं. इसके बाद पंजों को क्लॉक वाइज और एंटी क्लॉक वाइज घुमाएं. इससे काफी आराम मिलेगा.

3. भरपूर मात्रा में पानी पिएं, नारियल पानी पिएं और अन्य लिक्विड डाइट लें. इसके अलावा पैरों को लगातार लटकाकर न बैंठे. न ही लगातार खड़े रहकर कोई काम करें.

4. सोते समय पैरों को ऊंचा करके सोएं. इससे काफी आराम मिलेगा. इसके अलावा दोनों पैरों के बीच कुशन लगाकर सोएं.

5. बैठे हुए, ऑफिस में काम करते समय या टीवी देखते समय अपने टखनों को घुमाती रहें और अपने पैरों की उंगलियों को हिलाती-डुलाती रहें.

6. तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी से भी पैरों में एेंठन की समस्या होती है. इसलिए अपनी विशेषज्ञ को इस बारे में जरूर बताएं और उनके द्वारा निर्देशित सप्लीमेंट लें. इससे भी आपको राहत मिल सकती है.

अपनी पसंद की भाषा में प्रेगनेंसी केयर से जुड़े वीडियो देखने के लिए डाउनलोड करें Saheli App

ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें

प्रेगनेंसी के आठवें महीने में पैरों में दर्द क्यों होता है? - preganensee ke aathaven maheene mein pairon mein dard kyon hota hai?

In this Article

  • गर्भावस्था में पैरों में दर्द के कारण
  • गर्भावस्था के दौरान होने वाली पैरों से संबंधित सबसे आम समस्याएं
  • गर्भावस्था के दौरान पैरों के दर्द से राहत पाने के उपाय
  • गर्भावस्था के दौरान पैर दर्द के लिए एक्सरसाइज

गर्भावस्था के दौरान, आपके अंदर पल रहे बच्चे को विकसित होने और उसे जगह देने के लिए आपके शरीर जबरदस्त बदलाव होते हैं। इसका अर्थ यह होता है कि आपको मॉर्निंग सिकनेस से लेकर पैरों में सूजन के साथ गंभीर दर्द, जैसे कई सारे लक्षण दिखाई देते हैं, जो आपको रोजमर्रा के जीवन में भी तकलीफ दे सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान पैरों में लगातार दर्द आपको खड़े होन, चलना या यहाँ तक ​​कि उन पर बहुत देर तक जोर डालना मुश्किल बना सकता है। गर्भावस्था के दौरान पैरों के दर्द को रोकने के लिए आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकती हैं, लेकिन आप दर्द को कम करने के लिए कुछ तरीकों का उपयोग कर सकती हैं और राहत पा सकती हैं। लेकिन, गर्भावस्था के दौरान पैरों के दर्द से निपटने के तरीकों पर चर्चा करने से पहले, आइए इसके कारणों को समझें।

गर्भावस्था में पैरों में दर्द के कारण

शरीर में होने वाले परिवर्तनों के साथ, लगभग सभी गर्भवती महिलाएं अपने पैरों में दर्द का अनुभव करती हैं। लेकिन, प्रत्येक मामले के कारण भिन्न हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान पैरों में दर्द के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:

  • प्राकृतिक रूप से वजन बढ़ने से आपके पैर और आपके पंजे की आर्च के पास के लिगामेंट्स पर दबाव पड़ सकता है, जिससे आपके पैर दर्द कर सकते हैं।
  • बढ़ते बच्चे के वजन के परिणामस्वरूप आपके शरीर में गुरुत्वाकर्षण का केंद्र बदल जाता है। इसके लिए आपको खड़े होने के दौरान अपनी स्थिति और पोस्चर को बदलना पड़ता है जिससे आपके पैरों पर अनुचित जोर पड़ता है।
  • अतिरिक्त वजन के कारण आपकी चाल बदल सकती है। इससे आपके पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान खून की मात्रा बढ़ने से पैरों में ऐंठन भी हो सकती है।
  • गलत आकार के या टाइट जूते-चप्पल आपके पैरों पर जोर डालकर दर्द पैदा कर सकते हैं
    प्रेगनेंसी के आठवें महीने में पैरों में दर्द क्यों होता है? - preganensee ke aathaven maheene mein pairon mein dard kyon hota hai?

आइए पैरों से जुड़ी कुछ आम समस्याओं पर एक नजर डालें, जो गर्भवती महिलाओं को अक्सर अनुभव होती हैं।

गर्भावस्था के दौरान होने वाली पैरों से संबंधित सबसे आम समस्याएं

1. एडिमा

गर्भावस्था के दौरान, महिलाएं अक्सर एडिमा से पीड़ित होती हैं, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें उनके पैर सूज जाते हैं और इससे असुविधा और दर्द होता है, ऐसा अक्सर दूसरी तिमाही में होता है।

जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, गर्भाशय फैलता जाता है और पेल्विक क्षेत्र में ब्लड वेसेल्स पर बहुत जोर पड़ता है। यह ब्लड सर्कुलेशन में बाधा डालता है और पैरों में खून जमा होने का कारण बनता है, जिससे पैर सूज जाते हैं।

कई बार, ज्यादा वॉटर रिटेंशन से भी पैरों में सूजन आ जाती है। आपके पैरों पर तब बैंगनी रंग के निशान भी विकसित हो सकते हैं। अगर एडिमा से आपको चलने-फिरने में बहुत तकलीफ होती है और यह असह्य हो जाती है तो डॉक्टर को दिखाना ही सबसे श्रेष्ठ है।

2. ओवर-प्रोनोशन

ओवर-प्रोनोशन को फ्लैट फूट के रूप में भी जाना जाता है और यह पैरों पर अत्यधिक दबाव के कारण होता है। गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने के कारण पंजे का आर्च समतल हो सकता है और एड़ी को पैर के अग्रभाग से जोड़ने वाले टिश्यूज, जिन्हें प्लांटर फेशिया कहते हैं, उन पर जोर पड़ सकता है।

ओवर-प्रोनोशन से आपकी पीठ के साथ-साथ पिंडलियों की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।

आइए जानें कि गर्भावस्था के दौरान आप पैरों के दर्द से कैसे निपट सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान पैरों के दर्द से राहत पाने के उपाय

यद्यपि पैरों में दर्द गर्भावस्था के दौरान दिखने वाले कई लक्षणों में से एक है, लेकिन इसके लिए कई उपचार हैं। उनमें से कुछ के बारे में जानने के लिए नीचे पढ़ें।

  1. अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आप ऑर्थोटिक्स का उपयोग कर सकती हैं। आपके पैर के आर्च को सपोर्ट  देने और इसे चपटा होने से रोकने के लिए आपके जूते में ऑर्थोटिक्स डाले जा सकते हैं।
  2. हमेशा ध्यान रखें कि आप सही जूते पहनें जो आरामदायक हों और सपोर्ट दें। ऐसे जूते न पहनें जो बहुत टाइट हों क्योंकि वे आपके अंदरूनी नाखूनों की वजह से दर्द को बढ़ा सकते हैं।
  3. हमेशा पैरों को ऊपर उठाकर बैठें। यह ब्लड फ्लो को सुविधाजनक बनाने और एडिमा को रोकने में मदद करेगा।
  4. ब्लड फ्लो में सुधार के लिए अपनी एड़ियों को गोल घुमाएं। इस सरल एक्सरसाइज को करने से पैर की ऐंठन से छुटकारा पाने में भी मदद मिल सकती है।
  5. खुद को हाइड्रेटेड रखें। ढेर सारा पानी पिएं क्योंकि डिहाइड्रेशन से सूजन में वृद्धि हो सकती है और वॉटर रिटेंशन बढ़ सकता है।
  6. बैलेंस्ड डाइट लें और अतिरिक्त नमक से बचें क्योंकि यह वॉटर रिटेंशन बढ़ा सकता है।
  7. अपने पैरों पर ऑलिव ऑयल के तेल से मालिश करें या दर्द को दूर करने के लिए फूट मसाज लें। दर्द से प्रभावी राहत के लिए आप गुनगुने तेल से मालिश भी कर सकती हैं।
  8. कॉटन के मोजे पहनें जो ब्लड सर्कुलेशन को आसान बना सकते हैं।
  9. पैरों में ब्लड सर्कुलेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स पहनें। एडिमा आपके पैरों से रक्त पंप करने में आपके शरीर की क्षमता को कम करता है। ये स्टॉकिंग्स पैरों में नसों के पास की मांसपेशियों के संकुचन को सरल बनाने में मदद करते हैं, जिससे रक्त ऊपर की ओर जाता है।
  10. यदि आप तेज दर्द से जूझ रही हैं तो राहत पाने के लिए बर्फ की थैली का प्रयोग करें।
  11. चौड़े मुंह वाले एक बर्तन में एक कप सादा या सेंधा नामक पानी में घोलें और उसमें अपने पैरों को 15 से 20 मिनट तक रखें।

गर्भावस्था के दौरान आपके वजन के कारण आपके पैर बहुत तकलीफ से गुजरने वाले हैं। हालांकि गर्भावस्था की शुरुआत में पैरों में दर्द बहुत आम नहीं है, ज्यादा परेशानी की संभावना को कम करने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। नियमित एक्सरसाइज और एक उचित आहार पैर दर्द को दूर रखने में मदद कर सकते हैं। आइए कुछ ऐसी एक्सरसाइज पर नजर डालते हैं जो आपके पैर के दर्द को कम करने और बेचैनी को घटाने के लिए मददगार हो सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान पैर दर्द के लिए एक्सरसाइज

1. एंकल फ्लेक्स

गर्भावस्था के दौरान टखनों के आसपास की सूजन के कारण खड़े होना और चलना भी मुश्किल हो जाता है। यह एक्सरसाइज आपकी एड़ियों को ढीला करने और सूजन और दर्द को कम करने में मदद करेगी और उनमें थोड़ी ताकत भी देगी। इसे करने का तरीका जानिए:

  1. अपनी पीठ को यथासंभव सीधा रखते हुए एक कुर्सी पर बैठें।
  2. अपने पैरों को उठाएं या उन्हें ऊपर उठाने के लिए एक छोटा स्टूल रखें। यदि आप अपने पैरों को उठाने के लिए तकिया इस्तेमाल करना चाहती हैं तो आप बिस्तर पर लेट सकती हैं।
  3. अब, अपने घुटनों को झुकाए बिना अपने पैर की उंगलियों को अपने चेहरे की ओर खींचें। 2 से 3 सेकंड के लिए इस स्थिति में रहने के बाद छोड़ दें।
  4. इसे दोनों पैरों के लिए 5 से 10 बार दोहराएं।

2. एंकल रोटेशन्स

ऊपर दी गई एक्सरसाइज का यह विस्तृत रूप है। इसे करने का तरीका जानिए:

  1. अपनी पसंद के अनुसार कुर्सी पर बैठें या बिस्तर पर लेटें। एक स्टूल या एक तकिए का उपयोग करके अपने पैरों को उठाएं।
  2. अब, अपनी एक एड़ी को क्लॉकवाइज 5 से 10 बार घुमाएं।
  3. अब उसी एड़ी को एंटी-क्लॉकवाइज दिशा में उतने ही समय के लिए घुमाएं।
  4. दूसरी एड़ी के लिए एक्सरसाइज दोहराएं।

गर्भावस्था के दौरान पैरों के दर्द से निपटने के लिए ‘राइस’ – रेस्ट, आइस, कंप्रेस और एलिवेट को एक ट्रिक के रूप में ध्यान में रखना भी बहुत मददगार हो सकता है। जब भी आपको ऐसा लगे कि आपके रोजमर्रा के कामों को करने के लिए दर्द बहुत अधिक है, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से बात करने की आवश्यकता होगी। आप यह स्थिति आने से पहले ही घर पर पैर दर्द से राहत पाने के तरीकों के लिए भी अपने डॉक्टर से पूछ सकती हैं।

स्रोत और संदर्भ:

स्रोत १
स्रोत २

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी के दौरान पैरों की मालिश (फूट मसाज)
प्रेगनेंसी के दौरान पसलियों में दर्द

प्रेगनेंसी के 8 महीने में क्या क्या परेशानी आती है?

जैसा की हम पहले ही बात कर चुके हैं की 31 Week Pregnancy in Hindi प्रेगनेंसी के आठवें महीने में आपके शिशु का आकार और वजन काफी बढ़ता है जिसके कारण आपके गर्भ का आकार भी बढ़ जाता है। गर्भ का आकार बढ़ने की वजह से आपका पेट सामने की तरफ बाहर निकल जाता है जिससे आपकी पीठ पर भर पड़ता है और उसमें दर्द की शिकायत आती है।

आठवें महीने में क्या क्या लक्षण होते हैं?

अपनी प्रेग्‍नेंसी के आठवें महीने में आप अपनी गर्भावस्‍था के अंतिम चरण में हैं। इस समय बच्‍चे का आकार ऐसा है कि उसने आपके गर्भाशय को घेर रखा है इसलिए वह अब पहले की तरह आपके पेट में उछलकूद नहीं कर सकता। अब उसके करवट लेने या हाथ-पैरों को हिलाने-डुलने की गतिविधियां होती रहेंगी। अब आपको उसके मूवमेंट पर पूरा ध्‍यान रखना है।

प्रेगनेंसी में अगर पैरों में दर्द हो तो क्या करना चाहिए?

प्रेग्‍नेंसी के दौरान पैरों के दर्द से आराम पाने के लिए आप गुनगुने पानी में पैरों को डालकर सिकाई कर सकते हैं। गुनगुने पानी में सेंधा नमक डालकर भी सिकाई करने से फायदा होगा। इससे पैरों में सूजन को कम करने में मदद मिलेगी। पानी बहुत ज्‍यादा गर्म नहीं होना चाहिए

गर्भावस्था के आठवें महीने में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

प्रेग्‍नेंसी के आठवें महीने में आपको डाइट का बहुत ध्यान रखना है। संतुलित आहार लें और थोडी़-थोड़ी देर में कुछ देर खाती रहें। इसके अलावा आठवें महीने में पेशाब न रोक पाने की समस्‍या से बचने के लिए रोज कीगेल एक्सरसाइज करें। इससे डिलीवरी के बाद पेल्विक हिस्‍से की मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी।