यह बात सुनने में भले ही अजीब लगे पर यह सौ फीसदी सत्य है कि व्यक्ति के मन में जो विचार उत्पन्न होते हैं वे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। व्यक्ति के विचार ही व्यक्ति के तनावग्रस्त होने का मुख्य कारण माने जा सकते हैं। Show
जो व्यक्ति अपने आस पड़ोस से या अपने प्रतिद्वंद्वी से ईष्र्या भाव अपने मन में रखता है तो इन विचारों से उस व्यक्ति में तनाव उत्पन्न होता है। समाज में कुछ ऐसे लोग अवश्य मिल जायेंगे जो कारण व अकारण किसी से भी किसी बात को लेकर झगड़ा कर बैठते हैं या घृणा करने लगते हैं। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है तथा ऐसे व्यक्ति सदैव तनाव ग्रस्त पाये जाते हैं। क्रोध व्यक्ति के रक्तचाप को बढ़ाता है जो क्रोधी व्यक्ति के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सेक्स जीवन के लिए एक आवश्यक एवं अभिन्न अंग है पर सेक्स के प्रति जरूरत से अधिक रूझान व्यक्ति के मस्तिष्क को उत्तेजित करता है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति के मस्तिष्क की शिराओं पर अनावश्यक अधिक दबाव पड़ता है जो अन्य रोगों के लिए प्रवेश द्वार बन जाता है। व्यक्ति को तनावरहित करने के लिए कई सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं। व्यक्ति को चाहिए कि किसी अन्य व्यक्ति की गलती पर टोकाटाकी न करें। इससे खीझ होती है। गलतियां तो प्राय: प्रत्येक मनुष्य से हो जाती हैं। अगर आपका सहयोगी किसी प्रकार की गलती कर डालता है तो उसे बड़े प्यार व धीरज से उसकी गलती का अहसास करा कर समझा दें ताकि वह दुबारा इस तरह की गलती न दुहराये। क्रोध व झगड़े से उस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगड़ेगा। आप ही तनावग्रस्त हो जाएंगे। व्यक्ति को अपने अन्दर सहनशीलता, प्रेम, व स्नेह को अपने स्वभाव में शामिल करना चाहिए। व्यक्ति को चाहिए कि सदैव अपने आप को काम में व्यस्त रखें। अपने मन को प्रदूषित होने से बचाने हेतु सबसे उत्तम उपाय स्वयं को व्यस्त रखना है। जो व्यक्ति संगीत में रूचि रखते हैं वे खाली वक्त संगीत सुनकर गुजार सकते हैं। घर के छोटे-छोटे कामों में रूचि लें। हर समय अपने मन को व्यस्त रखें क्योंकि एक कहावत है 'खाली मन शैतान का घर' होता है। खाली मन क्या विचार करेगा, कहना असंभव है। अगर अशुद्ध विचारों का मन ने मनन किया तो इसका प्रतिकूल असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिये अच्छे कार्य करने की आदत बनाना अनिवार्य है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों के प्रति लगाव पैदा करें। घर या कमरे में एक दो पौधे अवश्य लगायें और उनकी देखभाल करते रहनी चाहिए। खाली समय में अपने मस्तिष्क में बुरे विचार कदापि न आने दें। अगर आ जायें तो तुरन्त किसी अन्य वस्तु पर ध्यान बंटाये। निराशा की भावना अपने ऊपर हावी न होने दें। अनावश्यक विवाद में न पड़ें चाहे वह राजनीति हो या अन्य विषय। इससे व्यक्ति की मानसिक शक्ति का अपव्यय होता है। सुबह आधा घण्टे नियमित व्यायाम करें और शरीर को ढीला छोड़ कर आराम दें। निरन्तर अभ्यास करते रहने से कई प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं और जीवन तनाव से मुक्त हो जाता है। - भोला नाथ स्वर्ण विषयसूची
यदि हम हिम्मत से धैर्य से काम लें तो किसी भी मुसीबत से बच सकते हैं कैसे?इसे सुनेंरोकेंइसलिए सबसे महत्वपूर्ण है प्रतिकूल समय में धैर्य को बनाए रखना। धैर्य से हीं कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। जिस व्यक्ति के पास धैर्य नहीं, वह छोटी से छोटी समस्याओं का सामना भी सही तरीके से नहीं कर पाता है। सकारात्मक सोचने के लिए कैसे जब उदास? इसे सुनेंरोकेंअकसर हंसते रहें। कॉमेडी, मनोरंजन, मस्ती और खुशी के मौकों के माध्यम से हँसी और सकारात्मक भावनाएं आपके उत्साह को बनाएं रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। और हां, उदास होने पर हंसने में कोई बुराई नहीं है––अपनी उदासी से बाहर निकलने के लिए कभी-कभार हंसी का एक पल ही काफी है। विकट परिस्थिति में क्या करना चाहिए?इसे सुनेंरोकेंहमें परिस्थिति के गुण दोष के आधार पर निर्णय लेना चाहिए न की घबराकर कोई कदम उठाना चाहिए जिससे की हमारे पक्ष में होने वाली बात का भी विपरीत असर हो जाये । सबसे बड़ी बात हमें किसी भी विपरीत स्थिति में धैर्य , सहनशीलता और शांति से निर्णय लेने की आदत डालनी चाहिए अगर ऐसा हुआ तो हम अपने जीवन में अवश्य सफल होंगे । मुसीबत के समय में मनुष्य का साथ कौन देता है *? इसे सुनेंरोकेंमुसीबत के समय इंसान खुद अपना सहायक होता है। ईश्वर भी उसी की सहायता करते हैं जो खुद की सहायता करता है। मुसीबत में कौन साथ देता है?इसे सुनेंरोकेंमुसीबत में स्वविवेक साथ देता है। केवल घरवाले साथ देते हैं। मुसीबत में वही साथ दे सकता जिसका यह तीन विशिष्ट चारित्रिक दुर्बलत नहीं हे। इसे सुनेंरोकेंइसलिए धैर्य को बनाए रखने की प्रवृति का विकास करें। धैर्य रखने का सीधा मतलब अपने स्वभाव के शांत होने से है। जब आप शांत होकर स्थिरता के साथ चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने को उत्तेजित नहीं होने देते तो आप इतना मजबूत हो जाते हैं कि किसी भी कठिनाई का समाना आप कर सकते हैं। धैर्यवान कैसे बने? कैसे धैर्यवान बनें
जीवन में कठिनाइयों का सामना कैसे किया जाना चाहिए?इसे सुनेंरोकेंAnswer: इसलिये, हमें हमेशा अपना मानसिक संतुलन बनाये रखना चाहिए और अपने पूरे दिलो-दिमाग का इस्तेमाल करके अपने जीवन के कठिन दौर का धैर्य के साथ सामना करना चाहिए. इसी तरह, हमें कभी भी यह नहीं भूलना चाहिए कि, हम अपने जीवन में हमेशा सफल नहीं होते हैं या जीवन में हमें सब कुछ नहीं मिल पाता है. कठिन समय में क्या करें? इसे सुनेंरोकेंधैर्य बनाए रखें बुरे वक्त में धैर्य बनाए रखना जरूरी है. यह विचार गांठ बांध कर रखें कि हर वक्त गुजर जाता है. आपका बुरा वक्त भी गुजर जाएगा और कुछ अच्छा होगा. अगर आप धैर्य खो देंगे तो आप गलत निर्णय भी ले सकते हैं इसलिए शांत रहें और धैर्य बनाकर रहें. मुसीबत के समय इंसान को क्या करना चाहिए?इसे सुनेंरोकेंअर्थात- किसी भी तरह का दुख, मुसीबत या आपदा से उसी समय तक डरना चाहिए जब तक वे आपसे दूर हैं. लेकिन जब वही संकट या मुश्किल की घड़ी आपके सामने आ जाए, सिर पर आकर खड़ी हो जाए तो निडर होकर, बिना किसी शंका के उस पर प्रहार करें, उसका सामना करें. मुश्किलों से जीतने का और उनसे छुटकारा पाने का यही एक मात्र रास्ता है. हमें मुसीबतों का सामना कैसे करना चाहिए? इसे सुनेंरोकेंतो इसलिए हमें भी चाहे कितनी बड़ी मुसीबत में क्यू न हो हमे अपना धैर्य नही खोना चाहिए और अपने दिमाग से काम लेना और फिर क्यू अगर हम धैर्य से काम ले तो बिगड़े काम भी बन सकते है. धैर्य रखना कैसे सीखे?इसे सुनेंरोकेंलंबी साँसें लें और अपने मन को साफ रखने की कोशिश करें। सांस लेने पर ध्यान दें और इस तरह से आप अपने इस व्यवहार पर काबू पा सकेंगे। यदि आप कुछ महत्वहीन और अल्पकालिक परिस्थितियों में अपना धैर्य बनाए रखने के लिए प्रयास करते हैं, तो आप अपने अंदर इस से भी ज़्यादा गंभीर परिस्थितियों से निपटने के सामर्थ्य को विकसित कर रहे हैं। धैर्य मनुष्य का साथ कैसे देता है? इसे सुनेंरोकेंमन की सहनशीलता का नाम धैर्य है। जीवन में सुख और दुख आते-जाते रहते हैं। सुख को मनुष्य सहज ही बिता लेता है परंतु दुख को हमें सहना पड़ता है। धैर्य ही वह धन है जो मनुष्य को महान बनाता है। हँसकर परिस्थितियों का सामना करने से क्या लाभ हो सकते है?कठिन परिस्थितियों में भी अपना संतुलन बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? इसे सुनेंरोकेंअपना आत्मविश्वास लगातार बढ़ाते रहें हमेशा खुश रहने और हरेक वस्तु, काम या परिस्थिति को सकारात्मक रवैये से देखने की कोशिश करें ताकि आपका आत्मविश्वास लगातार बढ़ता ही रहे. इससे आप यकीनन शांत, तनावमुक्त, मानसिक तौर पर संतुलित और प्रसन्नचित्त रहेंगे. मुसीबत में कौन काम आता है?इसे सुनेंरोकेंआचार्य चाणक्य कहते हैं कि मुसीबत या दुख आने पर धन ही मनुष्य के काम आता है। इसलिए मुसीबत से बचने के लिए मनुष्य को धन की रक्षा करनी चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि पत्नी धन से बढ़कर है, इसलिए उसकी रक्षा धन से पहले करनी चाहिए। परंतु धन और पत्नी से पहले और इन दोनों से बढ़कर अपनी खुद की रक्षा करनी चाहिए। मुसीबत में व्यक्ति का साथ कौन देता है? धैर्य कैसे रखा जाए?कैसे धैर्यवान बनें
कैसे जीवन में कठिन परिस्थितियों को संभालने के लिए? इसे सुनेंरोकेंपरिस्थितियों को स्वीकारना सीखे। जीवन की कठिनाईयों से निपटने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि सबसे पहले आप इसकी उपस्थिति को स्वीकार करें । आप जब जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं , तो सबसे पहले उन्हें स्वीकार करें और उसे उस अवसर के रूप में देखें जो आपकी छिपी ताकतों को सामने लाएगा । प्रतिकूल समय में व्यक्ति के मन में कैसे विचार आते हैं?इसे सुनेंरोकेंऐसे लोग जो समाज से दूर रहते है और खुद को अकेला रखते है, ऐसे व्यक्ति खुद को बहुत अकेला महसूस करते है और आगे चलकर अवसाद के मरीज हो जाते हैं। वास्तव में ऐसा कहा जाता है कि हर व्यक्ति अपने भाग्य का खुद ही जिम्मेदार है। प्रतिकूलताएं हमारे जीवन की ऐसी परिस्थिति होती हैं जो हमें अपने जीवन में कुछ करने का मौका देती हैं। धैर्यवान बनने से क्या लाभ है? इसे सुनेंरोकेंधैर्य ही ऐसी शक्ति है, जो मानव के आत्मा को सबल बनाता है। किसी कार्य के प्रारंभ से लेकर प्रतिफल प्राप्त होने तक धीरज रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। जो धैर्यवान होते हैं, उन्हें वह सबकुछ हासिल होता है जिसके लिए वह प्रयासरत होते हैं। मनुष्य के जीवन में धैर्य का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। धैर्य के क्या क्या लाभ है?इसे सुनेंरोकेंविषम परिस्थितियां उत्पन्न हो जाने पर भी मन में चिंता, शोक और उदासी उत्पन्न न होने देने का गुण धैर्य है। धैर्य मनुष्य के व्यक्तित्व को ऊंचा उठाने का एक उत्तम गुण है। धैर्यवान व्यक्ति विपत्ति आने पर भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रखता है और शांतचित्त होकर इस पर नियंत्रण करते हुए दुख से बचने का सरल मार्ग खोज लेता है। विपरीत परिस्थिति क्या है? इसे सुनेंरोकेंविपरीत परिस्थिति अर्थात संकट का समय। ऐसा समय जो आपके समर्थन में नहीं है या संकटकाल है। संकट के समय ही यह सिद्ध करने का होता है कि आप योग्य हो, काबिल हो और सर्वेश्रेष्ठ हो। कठिन परिस्थिति में क्या करना चाहिए?अगर आपका जीवन अंधकारमय हुआ है तब आप उसका सामना कैसे करेंगे स्पष्ट कीजिए *? प्रोबिंग से प्राप्त जानकारी के आधार पर आप क्या बना पाने की बेहतर स्थिति में होते है?इसे सुनेंरोकेंप्रदर्शन के बारे में वार्तालाप सकारात्मक होने के बावजूद भी कठिन होते हैं। वार्तालाप को एक विषयपरक, व्यावसायिक स्तर पर रखने के लिए उपयोग में लिए गए मापदंड बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि प्रतिक्रिया उनके प्रदर्शन के बारे में है, उन पर व्यक्ति के रूप में नहीं। आधार कार्ड केंद्र कैसे खोले? आधार कार्ड केंद्र के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया
हमारे मन में गलत विचार क्यों आते हैं?नकारात्मक विचार क्यों आता है
दिमाग हमेशा तथ्यों और कल्पनाओं के आधार पर नकारात्मक सोच पैदा करता है, जिससे उस समय के मनुष्यों को फायदा मिलता था। वर्तमान में मनुष्य में जिनेटिकली नकारात्मक विचार इसी कारण से आते हैं। रिसर्च में भी यह बात सामने आई कि नकारात्मक विचार और भाव दिमाग को खास निर्णय लेने के लिए उकसाते हैं।
व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार कब आते है?Answer: जब वह दुखी या परेशानी में होता है।
मन में नकारात्मक विचार आए तो क्या करें?नकारात्मक विचार आपको भी करते हैं परेशान?. नकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों से दूर रहें ऐसे लोग जो हमेशा नकारात्मक सोच रखते हैं या ऐसी बातें करते हैं। ... . नकारात्मक ख्याल आए तो ध्यान बदल दें ... . योग और प्राणायम करें ... . आसपास सफाई रखें ... . ईश्वर में ध्यान लगाएं ... . हंसते रहो ... . सुस्ती दूर भगाएं, व्यस्त रहें. सोच कैसे उत्पन्न होती है?यह हमारे विचारों अथवा संकल्पों की तीव्रता तथा हमारे विश्वास की सीमा पर निर्भर है कि हमारे विचार कब कर्म फल के रूप में हमारे सामने उपस्थित होते हैं। सोच अच्छी या बुरी यानी सकारात्मक या नकारात्मक कुछ भी हो सकती है। इसी सोच का चुनाव करना व्यक्ति, उसके परिवेश, शिक्षा-दीक्षा और संस्कारों पर निर्भर करता है।
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