विद्वानों ने इतिहास को उसके साक्ष्यों के आधार पर मुख्य रूप से तीन हिस्सों में विभाजित किया है। ये प्रागैतिहासिक काल, आद्य ऐतिहासिक काल और ऐतिहासिक काल के नाम से जाने जाते हैं। Show प्रागैतिहासिक काल के अंतर्गत इतिहास के उस कालखंड को शामिल किया जाता है, जिसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे समक्ष केवल पुरातात्विक साक्ष्य ही उपलब्ध हैं। इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे पास किसी भी प्रकार के साहित्यिक साक्ष्य उपस्थित नहीं हैं। इस आधार पर प्रागैतिहासिक काल के अंतर्गत मानव इतिहास के आरंभ से लेकर के हड़प्पा सभ्यता से पहले तक का काल शामिल किया जाता है। आद्य ऐतिहासिक काल के अंतर्गत इतिहास के उस कालखंड को शामिल किया जाता है, जिसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे समक्ष पुरातात्विक साक्ष्य के साथ-साथ साहित्यिक साक्ष्य भी उपलब्ध हैं, लेकिन उन साहित्यिक साक्ष्यों को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। इस आधार पर आद्य ऐतिहासिक काल के अंतर्गत हड़प्पा सभ्यता और वैदिक संस्कृति को शामिल किया जाता है। ऐतिहासिक काल के अंतर्गत इतिहास के उस कालखंड को शामिल किया जाता है, जिसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे समक्ष साहित्यिक और पुरातात्विक दोनों ही साक्ष्य उपलब्ध हैं तथा साहित्यिक साक्ष्य को पढ़ा जा चुका है और उनके आधार पर उस कालखंड के बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही है। इस कालखंड के अंतर्गत वैदिक सभ्यता के बाद से लेकर वर्तमान काल तक का संपूर्ण इतिहास शामिल किया जाता है। IAS हिंदी से जुड़े हर अपडेट के बारे में लिंक किए गए लेख में जानें। प्रागैतिहासिक कालप्रागैतिहासिक काल को मुख्य रूप से पाषाण काल के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस काल में पाषाण उपकरणों की प्रधानता थी। विद्वानों ने प्रागैतिहासिक काल को पाषाण उपकरणों की उपस्थिति के आधार पर तीन खंडों में विभक्त किया है। ये तीन खंड हैं- पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नवपाषाण काल। 1. पुरापाषाण काल (25 लाख ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व) : इतिहास के इस कालखंड में मानव एक शिकारी व खाद्य संग्राहक के रूप में अपना जीवन व्यतीत करता था। इस दौर में मानव को पशुपालन व कृषि का ज्ञान नहीं था। इतिहास के इस समय में मानव आग से परिचित तो था, लेकिन वह उसका समुचित उपयोग करना नहीं जानता था। अपनी गतिविधियों के संचालन के लिए मानव इस दौरान अनेक प्रकार के पाषाण उपकरणों का प्रयोग करता था। पुरापाषाण काल में भी मनुष्य अलग-अलग समय में अलग-अलग तरह के पाषाण उपकरणों का उपयोग कर रहा था। इन्हीं पाषाण उपकरणों के आधार पर इतिहासकारों ने पुरापाषाण काल को पुनः तीन काल खंडों में विभाजित किया है। ये हैं- निम्न पुरापाषाण काल, मध्य पुरापाषाण काल और उच्च पुरापाषाण काल। 1.1 निम्न पुरापाषाण काल (25 लाख ईसा पूर्व से 1 लाख ईसा पूर्व) :
1.2 मध्य पुरापाषाण काल (1 लाख ईसा पूर्व से 40,000 ईसा पूर्व) :
1.3 उच्च पुरापाषाण काल (40,000 ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व) :
2. मध्य पाषाण काल (10,000 ईसा पूर्व से 4,000 ईसा पूर्व) :
3. नवपाषाण काल (4,000 ईसा पूर्व से 1,000 ईसा पूर्व) :
इस प्रकार, प्रागैतिहासिक काल के दौरान पत्थर ही मानव विकास को आगे बढ़ाने में सबसे प्रमुख साधन सिद्ध हुए थे। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के विभिन्न कार्यों को संपन्न करने के लिए पाषाण उपकरण को ही आधुनिक बनाया था और उन्हीं पाषाण उपकरणों व अन्य पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर ही आज हम प्रागैतिहासिक काल के इतिहास का लेखन कर सकते हैं। फिर जहाँ तक आईएएस की परीक्षा में इतिहास के इस खंड से पूछे जाने वाले प्रश्नों का सवाल है, तो इतिहास वैकल्पिक विषय के अलावा इस खंड से प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं। और वैकल्पिक विषय में भी इस खंड से मानचित्र से संबंधित सवाल ही पूछे जाते हैं। इसीलिए सामान्य अध्ययन की अपेक्षा इतिहास वैकल्पिक विषय वाले अभ्यर्थियों के लिए यह टॉपिक अधिक महत्वपूर्ण है। प्रागैतिहासिक काल को कितने भागों में बांटा गया है?मानव सभ्यता के आरंभिक काल अर्थात प्रागैतिहासिक काल को तीन भागों में बांटा है। पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल ।
प्रागैतिहासिक काल का जनक कौन है?Notes: रॉबर्ट ब्रूस फुट को भारतीय प्रागैतिहासिक कालीन इतिहास का पिता कहा जाता है।
प्रागैतिहासिक काल का दूसरा नाम क्या है?मानव के आरंभिक विकास के इस प्रागैतिहासिक काल को आमतौर पर पुरापाषाण युग (Paleolithic Age) यानी पुराना पत्थर काल कहा जाता है।
प्रागैतिहासिक काल से क्या तात्पर्य है?प्रागितिहास (Prehistory) मानव अतीत के उस भाग को प्रागितिहास कहते हैं जबकि मानव का अस्तित्व तो था परन्तु लेखन कला का आविष्कार अभी नहीं हुआ था . विश्व इतिहास में लेखन कला का आरंभ सबसे पहले मेसोपोटामिया सभ्यता में लगभग ३२०० ई॰पू॰ से माना जाता है .।
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