प्रमुख बंध कितने हैं प्रमुख बन्ध? - pramukh bandh kitane hain pramukh bandh?

  • 1. सिग्मा बंध
  • 2. पाई बंध
    • सिग्मा बंध पाई बंध से प्रबल क्यों होता है
    • सिग्मा बंध व पाई बंध में अंतर

कक्षकों के अतिव्यापन के प्रकार के आधार पर सहसंयोजी आबंध को दो प्रकार में बांटा गया है।
1. सिग्मा (σ) बंध
2. पाई (π) बंध

1. सिग्मा बंध

दो परमाणुओं के मध्य एक ही अक्ष पर उनके कक्षकों के सिरे के अतिव्यापन से जो बंध बनता है। उसे सिग्मा बंध (Sigma bond in Hindi) कहते हैं। इसे σ बंध द्वारा दर्शाया जाता है। सिग्मा बंध निम्न प्रकार के अतिव्यापन से बनते हैं।

(i) s-s अतिव्यापन –
दो परमाणुओं के s-कक्षकों के अतिव्यापन से बने बंध को s-s बंध या σ बंध कहते हैं।

प्रमुख बंध कितने हैं प्रमुख बन्ध? - pramukh bandh kitane hain pramukh bandh?

(i) s-p अतिव्यापन –
एक परमाणु के s-कक्षक तथा दूसरे परमाणु के p-कक्षक के सिरे पर अतिव्यापन द्वारा जो बंध बनते हैं। उसे s-p बंध या σ बंध कहते हैं।

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(i) p-p अतिव्यापन –
दो परमाणुओं के p-कक्षकों के अक्षों पर अतिव्यापन से बने बंध को p-p बंध या σ बंध कहते हैं।

प्रमुख बंध कितने हैं प्रमुख बन्ध? - pramukh bandh kitane hain pramukh bandh?

2. पाई बंध

दो परमाणुओं की बाह्य कोश के दो p-कक्षकों या p व d या दो d-कक्षकों के पाश्र्वीय अतिव्यापन से जो बंध बनते है। उसे पाई बंध (Pi bond in Hindi) कहते हैं। इसे π बंध द्वारा दर्शाया जाता है।
दो p-कक्षकों के पाश्र्वीय अतिव्यापन से बने पाई बंध को चित्र द्वारा प्रदर्शित किया गया है।

प्रमुख बंध कितने हैं प्रमुख बन्ध? - pramukh bandh kitane hain pramukh bandh?

पाई बंध में इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अंतरानाभिकीय अक्ष पर शून्य होता है। तथा अंतरानाभिकीय अक्ष के तल के ऊपर और नीचे इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिकतम होता है।

सिग्मा बंध पाई बंध से प्रबल क्यों होता है

यह तो हम जानते ही हैं कि सहसंयोजक आबंध की प्रबलता अतिव्यापन के विस्तार पर निर्भर करती है। जिस बंध पर अतिव्यापन जितना अधिक होगा वह बंध उतना ही अधिक प्रबल होगा।
सिग्मा बंध कक्षकों के सिरों (अक्ष) पर अतिव्यापन से बनते हैं जबकि पाई बंध कक्षकों के पाश्र्वीय अतिव्यापन से बनते हैं। चूंकि अक्ष अतिव्यापन, पाश्र्वीय अतिव्यापन से अधिक प्रबल होता है जिसके फलस्वरूप अक्षीय अतिव्यापन में पाश्र्वीय अतिव्यापन की तुलना में अधिक ऊर्जा मुक्त होती है। जिस कारण सिग्मा बंध पाई बंध से प्रबल होता है।

सिग्मा बंध व पाई बंध में अंतर

क्रम संख्या सिग्मा बंध पाई बंध
1 इसमें इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अंतरानाभिकीय अक्ष पर अधिकतम होता है। इसमें इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अंतरानाभिकीय अक्ष पर शून्य होता है।
2 यह कक्षकों के अक्षों पर अतिव्यापन से बनते हैं। यह दो p-कक्षकों या p व d या दो d-कक्षकों के पाश्र्वीय अतिव्यापन से बनते हैं।
3 यह आबंध अधिक प्रबल होते हैं। यह बंध सिग्मा बंध की तुलना में दुर्बल होते हैं।

प्रमुख बंध कितने होते हैं?

बन्ध चार प्रकार के होते हैं। मूल बन्ध : गुदा संबंधी रोक। उड्डियान बन्ध : मध्य पेट को उठाना। जालन्धर बन्ध : ठोड्डी को बन्द करना।

योग में बंद कितने प्रकार के होते हैं?

बन्ध (योग).
मूल बन्ध.
उड्डियान बन्ध.
जालन्धर बन्ध.
महा बन्ध.

बन्ध का क्या अर्थ है?

बंध का अर्थ है रोकना, कसना, बांधना या ताला लगाना। यदि हम योग में 'बंध' की बात करें तो यह शरीर के कुछ हिस्सों में ऊर्जा प्रवाह को रोककर, उसे अन्य अंगों में प्रवाहित या संचित करने का कार्य करता है। सही मायनों में यह ऊर्जा के वितरण का कार्य करता है। इससे आंतरिक अंगांे की मालिश होती है तथा रक्त का जमाव दूर होता है।

बंध कहाँ कहाँ लगते हैं?

किसी किसी अभ्यास में दो या तीन बंधों और मुद्राओं को सम्मिलित करना पड़ता है। यौगिक क्रियाओं का जब नित्य विधिपूर्वक अभ्यास किया जाता है निश्चय ही उनका इच्छित फल मिलता है। मुद्राओं एवं बंधों के प्रयोग करने से मंदाग्नि, कोष्ठबद्धता, बवासीर, खाँसी, दमा, तिल्ली का बढ़ना, योनिरोग, कोढ़ एवं अनेक असाध्य रोग अच्छे हो जाते हैं