अपघटक- इस वर्ग के अंतर्गत प्रमुख रूप से कवक एवं जीवाणु आते हैं। ये मृत उत्पादक और उपभोक्ताओं का अपघटन कर देते हैं। इससे मृत जीव-जंतु भौतिक तत्वों में परिवर्तित हो जाते हैं। Show
Decomposers- Fungi and bacteria mainly come under this class. They decompose dead producers and consumers. Due to this the dead animals are converted into physical elements. आज के इस लेख में पारिस्थितिकी एवं पारिस्थितिक तंत्र के बारे में अध्ययन करेंगे। इस लेख में हम लोग जानेंगे कि पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) क्या है? पारिस्थितिकी (Ecosystem) किसे कहते हैं? पारिस्थितिकी तंत्र के घटक कौन-कौन से हैं? तो चलिए सबसे पहले हम लोग जानते हैं कि पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं? FOR CTET,UPTET,HTET,RTET,MPTET & Other TET Exams.अनुक्रमपारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?पारिस्थितिकी किसे कहते हैं? पारिस्थितिकी तंत्र के घटक कौन-कौन से हैं? उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटन करता क्या है?
पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) क्या है?पारिस्थितिक तंत्र एक ऐसा तंत्र है जिसमें जीवधारी आपस में एक दूसरे के साथ पर्यावरण के भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ अंतः क्रिया करते हैं। ➨ ऐ जी टेंसले ने सन 1935 में सर्वप्रथम पारिस्थितिक तंत्र की विचारधारा का प्रतिपादन किया था। पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषालैंडमैन के अनुसार :- किसी भी आकार की किसी भी क्षेत्रीय इकाई में भौतिक, जैविक क्रियाओं द्वारा निर्मित व्यवस्था पारिस्थितिक तंत्र कहलाती है। ऐ जी टेंसले के अनुसार:- पारिस्थितिक तंत्र, वातावरण के सभी जैविक एवं अजैविक कारकों के संपूर्ण संतुलन के फल स्वरुप बनी हुई पद्धति है। पारिस्थितिक तंत्र के घटक कौन-कौन से हैं?पारिस्थितिक तंत्र के 2 घटक होते हैं:- 1. जैविक घटक (Biotic component) पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) के जैविक घटकजैविक घटक के अंतर्गत उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटनकर्ता सम्मिलित होते हैं। उत्पादक(Producer):- भोजन जो उत्पन्न करता है उसे उत्पादक के श्रेणी में रखते हैं। जैसे – पेड़ पौधे। उपभोक्ता(Consumer):- वे सभी जीव जो अपना भोजन के लिए उत्पादक पर निर्भर रहते हैं उसे उपभोक्ता कहते हैं। अपघटन या अपघटनकर्ता (Decomposer):- पृथ्वी पर जो जीव मर जाते हैं तो उस जीव को अब गठन करने वाले सजीव को अपघटनकर्ता कहते हैं।उपभोक्ता को तीन श्रेणी में बांटा गया है- 1. प्रथम श्रेणी प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता:- प्रथम श्रेणी में वह सारे जीव आते हैं जो उत्पादक (पेड़ पौधों) को खाते हैं। जैसे:- गाय, बकरी, चूहा इत्यादि। द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता:- प्रथम श्रेणी के जीव को खाने वाले जीव को द्वितीय श्रेणी में रखा गया है। जैसे:- बिल्ली, भेड़िया, गीदड़ इत्यादि। तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता:- द्वितीय श्रेणी के जीव को जो जीव खाता है उसे तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता में रखा जाता है। जैसे :- बाघ,शेर, इत्यादि। पेड़-पौधा ⟸ बकरी ⟸ भेड़िया ⟸ शेर( उत्पादक ⟸ प्रथम श्रेणी ⟸ द्वितीय श्रेणी ⟸ तृतीय श्रेणी ) पारिस्थितिकी तंत्र के अजैविक घटक
पारिस्थितिकी (Ecology) किसे कहते हैं?विज्ञान की वह शाखा जिसमें समस्त जैविक घटकों (जीवो) तथा अजैविक घटकों (भौतिक पर्यावरण) के मध्य अंतर संबंधों का अध्ययन किया जाता है उसे पारिस्थितिकी कहते हैं। ➨ पारिस्थितिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अर्नेस्ट हैकल ने 1869 में किया था। पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) क्या है?यदि आप CTET या TET EXAMS की तैयारी कर रहें हैं तो RKRSTUDY.NET पर TET का बेहतरीन NOTES उपलब्ध है। NOTES का Link नीचे दिया गया है :-
इस लेख में हम लोगों ने पारिस्थितिकी एवं पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े बातों का अध्ययन किया। हम लोगों ने जाना कि पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) क्या है? पारिस्थितिकी तंत्र के घटक कौन कौन से होते हैं। paristhitik tantra ka arth ghatak;सबसे 1935 मे टेन्सले नामक वैज्ञानिक ने पारिस्थितिकी तंत्र या इको-सिस्टम शब्द को प्रस्तावित किया था। सोबिशियस ने इकोसिस्टम को बायोसीनोसिस और फोरबिस ने माइक्रोकाॅस्म के नाम से संबोधित किया। जबकि रूसी वैज्ञानिक सूकाचेव ने इसके लिये एक नवीन शब्द जियोबायोसीनोसिस दिया। लेकिन टेन्सले द्वारा दिया गया शब्द पारिस्थितिकी तंत्र या इकोसिस्टम सर्वमान्य, सरल और उपयोगी शब्द है। टान्सले के अनुसार," किसी एकल क्षेत्र मे मिलने वाले सभी जीवधारी तथा वातावरण मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र बनाते है।" टान्सले का मानना है कि पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरण के सभी जैविक तथा अजैविक कारकों के अन्तर्सम्बन्धों से निर्मित होता है। उनके अनुसार किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र के दो भाग होते है-- 1. किसी क्षेत्रीय इकाई मे निवास करने वाले जीवधारियों का समूह। 2. उस क्षेत्रीय इकाई का भौतिक पर्यावरण अथवा निवास क्षेत्र। टान्सले का कहना है कि क्षेत्रीय इकाई मे निवास करने वाले जीवधारियों तथा उनके भौतिक पर्यावरण के साथ स्थापित अन्तर्सम्बन्धों से पारिस्थितिकी तंत्र का अस्तित्व कायम रहता है। 1963 मे ओडम नामक वैज्ञानिक ने पारिस्थितिकी तंत्र की परिभाषा इस प्रकार दी, पारिस्थितिकी तंत्र पारिस्थितिकी की वह आधारभूत इकाई है, जिसमे जैविक और अजैविक वातावरण एक-दूसरे पर अपना प्रभाव डालते हुये पारस्परिक अनुक्रिया से ऊर्जा और रासायनिक पदार्थों के निरंतर प्रवाह से तंत्र की कार्यात्मक गतिशीलता बनाये रखते है। वस्तुतः वह तंत्र जिसमे जन्तु तथा वनस्पति आपस मे एक-दूसरे से प्रतिक्रिया कर सामंजस्य रखते है, पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है। पारिस्थितिकी तंत्र कई स्तरों मे मिलता है। उदाहरणार्थ-- तालाब के जलीय-तंत्र कवक, जीवाणु (अपघटक), उपभोक्ता (शाकाहारी और माँसाहारी), उत्पादक जलीय वनस्पति जन्तु निमग्न पौधे आदि होते है। मरुस्थलों का पारिस्थितिक तंत्र कम जटिल होता है जबकि भूमध्यरेखीय प्रदेश का अधिक जटिल होता है। एक निश्चित क्षेत्र मे सभी जीव एवं वहां का भौतिक पर्यावरण, एक-दूसरे को प्रभावित करते है जिससे शक्ति के संचार स्वरूप संरचना जैविक भिन्नता और पार्थिव चक्र तंत्र मे निर्मित होता है। यही पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है। पौधे और जन्तु और भौतिक पर्यावरण एक साथ मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र या पारितंत्र का निर्माण करते है। जीव एवं पर्यावरण, इन दोनो मे अंतःक्रिया होती रहती है। इस प्रकार ऊर्जा-प्रवाह मे जैविक एवं अजैविक घटक दोनों का ही समान रूप से महत्व है। कोई भी जीव बिना पर्यावरण के जीवित नही रह सकता। पारिस्थितिकी तंत्र के घटक (paristhitik tantra ke ghatak)हर पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना दो तरह के घटकों से होती है-- (अ) जीवीय घटकजैविक अथवा जीवीय घटकों को दो भागो मे विभक्त किया जाता है-- 1. स्वपोषित घटक वे सभी जीव इसे बनाते है जो साधारण अकार्बनिक पदार्थों को प्राप्त कर जटिल पदार्थों का संश्लेषण कर लेते है अर्थात अपने पोषण हेतु खुद भोजन का निर्माण अकार्बनिक पदार्थों से करते है। ये सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अकार्बनिक पदार्थों, जल तथा कार्बन-डाई-डाइऑक्साइड को प्रयोग मे लाकर भोजन बनाते है जिनका उदाहरण हरे पौधे है। ये घटक उत्पादक कहलाते है। 2. परपोषित अंश ये स्वपोषित अंश द्वारा उत्पन्न किया हुआ भोजन दूसरे जीव द्वारा प्रयोग मे लिया जाता है। ये जीव उपभोक्ता अथवा अपघटनकर्ता कहलाते है। कार्यत्मक दृष्टिकोण से जीवीय घटकों को क्रमशः उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटक श्रेणियों मे विभक्त किया जाता है-- (A) उत्पादक इसमे जो स्वयं अपना भोजन बनाते है जैसे हरे पौधे, वे प्राथमिक उत्पादक होते है तथा इन पर निर्भर जीव-जन्तु और मनुष्य गौण उत्पादक होते है क्योंकि वे पौधे से भोजन लेकर उनसे प्रोटीन, वसा आदि का निर्माण करते है। (B) उपभोक्ता ये तीन तरह के होते है- (अ) प्राथमिक जो पेड़, पौधों की हरी पत्तियां भोजन के रूप मे काम लेते है जैसे गाय, बकरी, मनुष्य आदि। इन्हे शाकाहारी कहते है। (ब) गौण अथवा द्वितीय जो शाकाहारी जन्तुओं अथवा प्राथमिक उपभोक्ताओं को भोजन के रूप मे करते है जैसे शेर, चीता, मेढ़क, मनुष्य आदि। इन्हे मांसाहारी कहते है। (स) तृतीय इस श्रेणी मे वे आते है जो मांसाहारी को खा जाते है जैसे साँप मेंढ़क को खा जाता है, मोर साँप को खा जाता है। (C) अपघटक इसमे प्रमुख रूप से जीवाणु एवं कवकों का समावेश होता है जो मरे हुए उपभोक्ताओं को साधारण भौतिक तत्वों मे विघटित कर देते है एवं फिर से वायु माण्डल मे मिल जाते है। (ब) अजैविक घटकसभी जीवधारियों के अस्तित्व को कायम रखने के लिये कुछ अजैविक पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन अजैविक पदार्थों को जीव निर्माणकारी पदार्थ कहा जाता है। पारिस्थितिकी तंत्र के अजैविक घटकों मे निम्न तीन घटक सम्मिलित होते है-- 1. अकार्बनिक पदार्थ अकार्बनिक पदार्थों मे जीवन के लिए अति आवश्यक तत्वों, जैसे-- कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा फाॅस्फोरस आदि तत्व सम्मिलित है, जो स्थलीय व जलीय वातावरण मे उपस्थित रहते है। यह तत्व जीवधारियों की विभिन्न जैविक क्रियाओं मे सम्मिलित होकर अनेक आवश्यक कार्बनिक तथा शरीर निर्माणक पदार्थों का निर्माण करने मे सहयोग करते है। इन तत्वों को वृहद् पोषक तत्व भी कहा जाता है। इसके अलावा अजैविक घटको मे लोहा, मैंगनीज, मैगनीशियम, जस्ता तथा कोबाल्ट आदि तत्वों की जीवधारियों को अल्प मात्रा मे आवश्यकता पड़ती है। इसी कारण इन तत्वों को लघु पोषक तत्व कहा जाता है। 2. कार्बनिक पदार्थ प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा आदि कार्बनिक पदार्थ वातावरण मे मुक्त अवस्था मे मिलते है, जबकि क्लोरोफिल, डी. एन. ए. तथा ए. टी. पी. ऐसे कार्बनिक पदार्थ है, जो जीवित कोशिकाओं के अंदर तथा बाहर भी मिलते है। यह कार्बनिक पदार्थ जैविक तथा अजैविक वस्तुओं को जोड़ने का कार्य करते है। समस्त कार्बनिक पदार्थ जीवों के मृत हो जाने पर विघटित होकर अपघटित पदार्थ या जीवांश मे बदल जाते है। यह जीवांश मृदा मे मिलकर ऐसे तत्वों का निर्माण करते है, जो स्वपोषी अथवा हरे पौधे के विकास के लिये आवश्यक होते है। 3. भौतिक वातावरण अजैविक घटक के भौतिक वातावरण मे सूर्य, ऊर्जा, तापमान तथा आर्द्रता आदि सम्मिलित है, जो स्वपोषी पेड़-पौधे के भोजन निर्माण मे सहयोगी होते है। भौतिक वातावरण के इन अजैविक घटकों की परिवर्तनशीलता की पारिस्थितिकी तंत्र की सीमाओं के निर्धारण मे महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। वस्तुतः किसी पारिस्थितिकी तंत्र के भौतिक वातावरण के अजैविक घटक उस पारिस्थितिकी तंत्र के जैव समुदाय की प्रकृति को निर्धारित करते है। उदाहरण के लिये, आर्द्र क्षेत्रों मे हाथी व घड़ियाल जैसे जन्तु मिलते है, जबकि शुष्क मरूस्थलीय क्षेत्रों मे प्रमुख पशु ऊँट तथा भेड़ ही अपना अस्तित्व कायम रख सकते है। पारिस्थितिकी तंत्र के दो घटक कौन कौन से हैं?Solution : पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के दो प्रमुख घटक यथा-जैविक और अजैविक घटक होते हैं। उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटक जैविक घटक के अंतर्गत, जबकि जल, वायु, मृदा, प्रकाश आदि अजैविक घटक के अंतर्गत आते हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र के कितने घटक होते हैं?Video Solution: पारिस्थितिक तंत्र के जैविक तथा अजैविक घटकों के नाम लिखिए। Solution : सभी पारिस्थितिक तंत्र में दो घटक होते हैं(1) जैविक घटक, (2) अजैविक घटक। (1) जैविक घटक-इसमें पेड़-पौधे तथा जन्तु होते हैं।
परिस्थिति के दो मुख्य रूप कौन कौन से हैं?प्रस्थिति दो प्रकार की होती हैं; प्रदत प्रस्थिति और अर्जित प्रस्थिति ।
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