प्रताप नामक समाचार पत्र के संपादक कौन थे? - prataap naamak samaachaar patr ke sampaadak kaun the?

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प्रताप समाचार पत्र के संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी थे। महाशय कृष्ण और उनके बेटे वीरेंद्र लाहौर के कुछ अग्रणी उर्दू संपादकों में से एक थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की भावनाओं को भारी आबादी के बीच मुखर करने के लिए 'प्रताप' नामक एक समाचार पत्र लॉन्च किया।

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रमेश सिंह प्रताप के संपादक थे यह हिंदी साप्ताहिक पत्र था जिसे 1913 में प्रकाशित किया गया था

ramesh Singh pratap ke sampadak the yah hindi saptaahik patra tha jise 1913 mein prakashit kiya gaya tha

रमेश सिंह प्रताप के संपादक थे यह हिंदी साप्ताहिक पत्र था जिसे 1913 में प्रकाशित किया गया थ

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प्रताप नामक समाचार पत्र के संपादक कौन थे? - prataap naamak samaachaar patr ke sampaadak kaun the?
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इसे सुनेंरोकेंप्रताप हिन्दी का समाचार-पत्र था जिसने भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभायी। प्रताप के जरिये जहाँ न जाने कितने क्रान्तिकारी स्वाधीनता आन्दोलन से रूबरू हुए, वहीं समय-समय पर यह अखबार क्रान्तिकारियों हेतु सुरक्षा की ढाल भी बना। इसे गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ ने सन् १९१३ से कानपुर से निकालना आरम्भ किया।

निम्नलिखित में से कौन सा एक दैनिक पत्र है?

अंग्रेजी भाषा

नाममुख्य विषयआवृतिएकोमोडेशन टाइम्सरियल स्टेटसाप्ताहिकऑफ्टरनूनटेब्लॉइडदैनिक

प्रताप नामक समाचार पत्र के संपादक कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंप्रताप पत्रिका के पहले संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी थे।

दैनिक जागरण समाचार पत्र विश्वसनीय समाचार पत्र है इस वाक्य में कौन सी संज्ञा का प्रयोग हुआ है?

पढ़ना:   व्यवहार अध्ययन के लिए कौन सी विधि अत्यधिक वैज्ञानिक और वस्तुनिष्ठ है?

यह समाचार पत्र विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला दैनिक समाचार पत्र है। इस बात की पुष्टि विश्व समाचार पत्र संघ (वैन) द्वारा की गई है। वर्ष 2008 में बीबीसी और रॉयटर्स की नामावली के अनुसार यह प्रतिवेदित किया गया कि यह भारत में समाचारों का सबसे विश्वसनीय स्रोत दैनिक जागरण है।…दैनिक जागरण

प्रकारदैनिक समाचार पत्रजालपृष्ठजागरण.कॉम

प्रताप के लेखक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंमहाराणा प्रताप के लेखक/नाटककार/रचयिता महाराणा प्रताप (Mahaaraana Prataap) के लेखक/नाटककार/रचयिता (Lekhak/Natakkar/Rachayitha) “राधाकृष्ण दास” (Raadhaakrishna Das) हैं।

प्रताप समाचार पत्र कब प्रकाशित हुआ?

इसे सुनेंरोकेंइसी तरह कानपुर के बाबू नारायण प्रसाद अरोड़ा, शिव नारायण मिश्र, गणेश शंकर विद्यार्थी और कोरोनेशन प्रेस के मालिक यशोदानंदन शुक्ल के द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी के संपादकत्व में नौ नवंबर 1913 को फीलखाना से हिंदी अखबार प्रताप का प्रकाशन शुरू हुआ।

हिंदी का प्रथम दैनिक पत्र कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंभारत के पहले हिंदी समाचार पत्र उदन्त मार्तंड को पहली बार साल 1826 में 30 के रोज ही प्रकाशित किया गया था.

पढ़ना:   आईबीपीएस का एग्जाम कब होता है?

समाचार पत्र का प्राण कौन होता है?

इसे सुनेंरोकेंसमाचार पत्र या अख़बार, समाचारो पर आधारित एक प्रकाशन है, जिसमें मुख्यत: सामयिक घटनायें, राजनीति, खेल-कूद, व्यक्तित्व, विज्ञापन इत्यादि जानकारियां सस्ते कागज पर छपी होती है। समाचार पत्र संचार के साधनो में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

समाचार पत्र कौन सी संज्ञा है?

इसे सुनेंरोकेंजिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – रमेश, महेश, गंगा, हिमालय। व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, दिशाओं, देशों, राष्ट्रीयता, समुद्रों, नदियों, पर्वतों, सड़कों, पुस्तकों, समाचार पत्रों, घटनाओं, दिन-महीनों, त्यौहार-उत्सवों इत्यादि को स्थान दिया जाता है।

समाचार पत्र कौन सी संज्ञा?

इसे सुनेंरोकें2- जातिवाचक संज्ञा—जो संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि की पूरी जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं जैसे—मनुष्य, बच्चा, औरत, लड़की, अध्यापक, डाकिया, नदी, पर्वत, शहर, समाचार-पत्र, अध्यापक आदि।

प्रताप पत्रिका के संपादक कौन है?

प्रताप पत्रिका के पहले संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी थे। गणेश शंकर विद्यार्थी एक भारतीय पत्रकार थे।

प्रताप समाचार पत्र के संस्थापक कौन थे?

इसे गणेश शंकर 'विद्यार्थी' ने सन् १९१३ से कानपुर से निकालना आरम्भ किया।

राजस्थान में प्रताप समाचार पत्र के संपादक कौन थे?

प्रताप समाचार पत्र- गणेश शंकर विद्यार्थी व विजय सिंह पथिक इस समाचार पत्र के संस्थापक थे तथा ये कानपुर से निकलता था। राजस्थान समाचार पत्र- मनीषा समर्थदान द्वारा इस समाचार पत्र का संपादन अजमेर से 1889 में किया गया।

कानपुर से प्रकाशित प्रताप समाचार पत्र का संपादक कौन था?

प्रताप के संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी थे। यह पत्र उस समय के संयुक्त प्रांत के कानपुर नगर से प्रकाशित होता था। गणेश शंकर विद्यार्थी हिंदी पत्रकारिता के एक जाने-माने व्यक्तित्व रहे हैं। 'प्रताप' नामक साप्ताहिक पत्र की आजादी के समय बेहद धूम थी और यह साप्ताहिक पत्र भारतीयों में बेहद लोकप्रिय था