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परिभाषापेशाब की जांच (Urinalysis) क्या है?पेशाब की जांच एक लैब टेस्ट है। इस टेस्ट के जरिए डॉक्टर को पेशाब में दिखने वाली समस्याओं के जरिए शरीर की अन्य समस्याओं का पता लगा लेते हैं। बहुत सी बीमारियां और विकार इस बात को प्रभावित करते हैं कि शरीर से अपशिष्ट पदार्थ और टॉक्सिन कैसे निकलता है। इसका मतलब यह है कि अगर फेफड़े, किडनी, यूरिनरी ट्रैक्ट, त्वचा और ब्लैडर में किसी प्रकार की समस्या है तो इसका प्रभाव आपकी पेशाब में साफ नजर आने लगता है। पेशाब की जांच ड्रग स्क्रिनिंग या प्रेग्नेंसी टेस्ट के समान नहीं है, हालांकि तीनों ही टेस्ट में पेशाब का नमूना देना होता है। पेशाब की जांच क्यों की जाती है?पेशाब की जांच सामान्य परीक्षण है जो कई कारणों से किया जाता है:
दूसरे टेस्ट जैसे प्रेग्नेंसी टेस्ट और ड्रग स्क्रिनिंग भी पेशाब के नमूने पर भरोसा किया जाता हैं, लेकिन इन परीक्षणों में उन पदार्थों को देखा जाता है जो आमतौर पर पेशाब की जांच में शामिल नहीं होते। उदाहरण के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) नामक एक हार्मोन को मापा जाता है। ड्रग स्क्रिनिंग में टेस्ट के उद्देश्य के आधार पर विशिष्ट दवाओं या उनके मेटाबॉलिक प्रोडक्ट्स का पता लगाया जाता है। और पढ़ें: Hematuria: (हेमाट्यूरिया) पेशाब में खून आना क्या है?
एहतियात/चेतावनीपेशाब की जांच से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?यदि आपको UTI है, तो टेस्ट के लिए सैंपल देने में आपको थोड़ी असुविधा हो सकती है। पेशाब का नमूना लेने से पहले और बाद में अपने हाथ धो लें। पेशाब के नमूने को दूषित होने से बचाने के लिए सभी निर्देशों का पालन करें। और पढ़ें: Ferritin Test : फेरिटिन टेस्ट क्या है? प्रक्रियापेशाब की जांच से पहले क्या करें?टेस्ट से पहले पर्याप्त पानी पिएं ताकि टेस्ट के लिए पर्याप्त सैंपल मिल सके। हालांकि, बहुत अधिक पानी पीने से परीक्षण परिणाम गलत भी हो सकते हैं। टेस्ट के दिन यदि आपकी डायट अनुमति देती है, तो एक या दो अतिरिक्त ग्लास जूस या पानी पिएं। टेस्ट के लिए आपको उपवास करने या अपने डायट में बदलाव की आवश्यकता नहीं है। साथ ही अपने डॉक्टर को उन दवाओं और सप्लीमेंट्स के बारे में बताएं जो आप ले रहे हैं। इनमें से कुछ जो आपके परीक्षण के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं उनमें शामिल हैं:
कुछ दूसरी दवाएं भी परीक्षण परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। पेशाब की टेस्ट से पहले आपने जो कुछ भी लिया हो उसके बारे में डॉक्टर को बताएं। पेशाब की जांच के दौरान क्या होता है?
कुछ मामलों में डॉक्टर आपको मूत्रमार्ग से ब्लैडर में कैथेटर डालने के बाद पेशाब के लिए कह सकता है। इसमें थोड़ी असुविधा होती है। यदि आपको यह तरीका असहज लगता है तो डॉक्टर से दूसरे वैकल्पिक तरीके के बारे में बात करें। सैंपल देने के बाद आपका काम हो जाता है। उसके बाद सैंपल को लैब में भेजा जाता है या फिर अस्पताल में ही रहता है यदि वहां ज़रूरी उपकरण मौजूद हैं तो। पेशाब की जांच के बाद क्या होता है?आपका डॉक्टर परीक्षण के लिए इन तरीकों में से किसी एक या अधिक का इस्तेमाल कर सकता है: माइक्रोस्कोपिक एग्जामइसमें डॉक्टर माइक्रोस्कोप के नीचे पेशाब की बूंद डालकर देखता है। वह निम्न की जांच करता है:
डिपस्टिक टेस्टइस टेस्ट के लिए डॉक्टर एक केमिकल उपचार वाली प्लास्टिक स्टिक को सैंपल में डालता है। कुछ पदार्थों की मौजूदगी के कारण स्टिक का रंग बदलने लगता है। इससे डॉक्टर को जांचने में मदद मिलती है-
पेशाब में पार्टिकल्स का हाई कॉन्संट्रेशन इस बात का संकेत है कि आप अच्छी तरह हाइड्रेटेड हैं। ph लेवल अधिक होना यूरिनरी ट्रैक्ट या किडनी की समस्या का संकेत है। शुगर की उपस्थिति डायबिटीज का संकेत है। विज़ुअल एग्ज़माआपका डॉक्टर असामान्यताओं के लिए सैंपल की जांच करता है जैसे-
यदि आपके मन में पेशाब की जांच से जुड़ा कोई सवाल है, तो कृपया अधिक जानकारी और निर्देशों को बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। और पढ़ें: बार-बार पेशाब आने की समस्या को दूर कर देंगे ये आसान घरेलू उपाय
परिणामों को समझेंमेरे परिणामों का क्या मतलब है?पेशाब की जांच के परिणाम आने के बाद डॉक्टर आपके साथ उसकी चर्चा करेगा। यदि परिणाम असामान्य है तो दो विकल्प उपलब्ध होते हैं- यदि आपको पहले किडनी की समस्या, यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़ी परेशानी या दूसरी संबंधित समस्याएं हुई हैं तो पेशाब में उपस्थित असामान्य पदार्थ के कारणों की जांच डॉक्टर आगे दूसरे परीक्षण या फिर से पेशाब की जांच के लिए कहेगा। यदि आपमें बीमारी के कोई लक्षण या अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं नहीं है और शारीरिक जांच में स्वास्थ्य सामान्य आता है तो किसी फॉलो अप टेस्ट की जरूरत नहीं है। पेशाब में प्रोटीनआमतौर पर पेशाब में प्रोटीन की न के बराबर मात्रा होती है, लेकिन प्रोटीन का स्तर कई कारणों से बढ़ सकता है जैसे-
ये कारक आमतौर पर किसी गंभीर समस्या का संकेत नहीं है, लेकिन असामान्य रूप से प्रोटीन का अधिक स्तर उन स्थितियों का संकेत हो सकते हैं जो किडनी की बीमारी कारण बनती है, जैसे-
यदि आसामान्य रूप से प्रोटीन लेवल हाई होता है तो डॉक्टर इसके कारणों की जांच के लिए फॉलो अप टेस्ट का आदेश दे सकता है सभी लैब और अस्पताल के आधार पर पेशाब की जांच की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता। यूरिन टेस्ट कौन कौन से होते हैं?आपको बता दें कि यूरिन टेस्ट के जरिए कई बीमारियों और यूरिनरी ट्रैक्ट की दिक्कत का भी पता लगाने का काम आ सकता है। इसके अलावा लीवर, किडनी और डायबिटीज जैसी बीमारी का पता लगाने के लिए भी यूरिन टेस्ट किए जाते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो कभी ना कभी अपने जीवन काल में पैथोलॉजिकल यूरिन टेस्ट करा चुके हैं।
यूरिन के कितने टेस्ट होते हैं?मूत्र परीक्षण पट्टिका के द्वारा मूत्र में निम्नलिखित पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है- प्रोटीन, ग्लूकोज, कीटोन, हीमोग्लोबिन, बिलिरुबिन (bilirubin), यूरोबिलिनोजेन (urobilinogen), एसीटोन, नाइट्राइट, तथा श्वेतकोशिका। इसके अलावा इससे मूत्र का pH एवं विशिष्ट घनत्व का भी ज्ञान हो जाता है।
यूरिन कितने प्रकार के होते हैं?आयुर्वेद अनुसार मूत्र को तीन प्रकार के मलो में शामिल किया है एवं शरीर मे इसका प्रमाण 4 अंजली माना गया है ।
यूरिन टेस्ट नार्मल कितना होना चाहिए?पुरुषों में अगर इसका स्तर 2.5 mg/dl या उससे कम है तो इसे लो यूरिक एसिड माना जाता है। वहीं, महिलाओं में लो यूरिक एसिड 2.5mg/dl बताया जाता है। इसके अलावा, पुरुषों में 2.5 से लेकर 7.0mg/dl होता है और महिलाओं में 1.5 से 6.0mg/dl होता है। वहीं, यूरिक एसिड का स्तर पुरुषों में 7 से ऊपर और महिलाओं में 6 से ऊपर होता है।
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