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जीवन परिचय
राजा राम मोहन राय का योगदान
ब्रह्म समाज
शैक्षिक सुधार
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राजा राममोहन राय कौन थे उनके बारे में लिखिए?राजा राम मोहन राय (1772 – 1833) – मुख्य तथ्य
पंद्रह वर्ष की आयु तक, राजा राममोहन राय ने बांग्ला, फारसी, अरबी और संस्कृत सीख ली थी। उन्हें हिंदी और अंग्रेजी भी आती थी। वे वाराणसी गए और वेदों, उपनिषदों और हिंदू दर्शन का गहन अध्ययन किया। उन्होंने ईसाई धर्म और इस्लाम का भी अध्ययन किया।
राजा राममोहन राय ने कौन कौन से सामाजिक कार्य किए?राजा राममोहन राय का योगदान
राजा राम मोहन राय ने वर्ष 1814 में मूर्ति पूजा, जातिगत कठोरता, निरर्थक अनुष्ठानों, अन्य सामाजिक बुराइयों, का विरोध करने के लिए कोलकाता के अंदर आत्मीय सभा की स्थापना भी की थी। राजा राम मोहन राय ने ईसाई धर्म के कर्मकांड की आलोचना भी की थी।
राजा राममोहन राय का उद्देश्य क्या था?इसके प्रवर्तक, राजा राममोहन राय, अपने समय के विशिष्ट समाज सुधारक थे। 20 अगस्त,1828 में ब्रह्म समाज को राजा राममोहन और द्वारकानाथ टैगोर ने स्थापित किया था। इसका एक उद्देश्य भिन्न भिन्न धार्मिक आस्थाओं में बँटी हुई जनता को एक जुट करना तथा समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना था।
राजा राममोहन राय कौन थे उन्हें समाज सुधारक क्यों कहा जाता है?समाज सुधार:
वह महिलाओं की स्वतंत्रता और विशेष रूप से सती एवं विधवा पुनर्विवाह के उन्मूलन पर अपने अग्रणी विचार और कार्रवाई के लिये जाने जाते थे। उन्होंने बाल विवाह, महिलाओं की अशिक्षा और विधवाओं की अपमानजनक स्थिति का विरोध किया तथा महिलाओं के लिये विरासत तथा संपत्ति के अधिकार की मांग की।
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