राजस्थान का सबसे छोटा कृषि जलवायु खण्ड कौन सा है? - raajasthaan ka sabase chhota krshi jalavaayu khand kaun sa hai?

शस्य विज्ञान के इस टॉपिक के अंतर्गत हम राजस्थान के कृषि जलवायु खंड (Agricultural Climate Zone of Rajasthan) के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ ही राजस्थान में कृषि के लिए मौसम एवं मानसून के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। 

राजस्थान का सबसे छोटा कृषि जलवायु खण्ड कौन सा है? - raajasthaan ka sabase chhota krshi jalavaayu khand kaun sa hai?


राजस्थान के कृषि जलवायु खंड

👉 योजना आयोग के अनुसार भारत को 15 कृषि जलवायु खंडो में बांटा गया है। 

👉 राजस्थान भारत में 14 वे कृषि जलवायु खंड में आता है। 

👉 राजस्थान का दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र भारत के 8वें शस्य जलवायु खण्ड में स्थित है। जिसका नाम मध्य पठारी पर्वतीय क्षेत्र है।

👉 भारत में शस्य पारिस्थितिकी (Agro Ecological Zone) जोन 20 है।

👉 ICAR के 131 शस्य जलवायु खण्ड है।

👉 राजस्थान के कृषि शस्य जलवायु खंड के आधार पर 10 भागों में बांटा गया है।

👉 क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा कृषि शस्य जलवायु खण्ड I-C है।

👉 क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे छोटा कृषि शस्य जलवायु खण्ड IV-B है।

👉 राजस्थान में कृषित क्षेत्र के आधार पर सबसे बड़ा कृषि शस्य जलवायु खण्ड III-B है।

👉 राजस्थान का सबसे कम कृषित क्षेत्र वाला जलवायु खण्ड IV-A है।

👉 स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय I-C खण्ड में है।

👉 महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर IV-A खण्ड में है।

👉 केन्द्रीय मरू क्षैत्र अनुसंधान संस्थान जोधपुर (CAZRI) खण्ड I-A में है।

👉 शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (AFRI) खण्ड I-A में है। 

👉 राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र (NMRC) भरतपुर III-B खण्ड में है।

👉 सर्वाधिक अन्न उत्पादक गंगानगर जिला खण्ड (कृषि जलवायु खण्ड) I-B में है।

👉 सर्वाधिक वर्षा वाला व सबसे आर्द्र कृषि शस्य जलवायु खण्ड-V में है।

👉 सर्वाधिक पशुधन खण्ड I-A में है।


Table of Agricultural Climate Zone of Rajasthan

राजस्थान का सबसे छोटा कृषि जलवायु खण्ड कौन सा है? - raajasthaan ka sabase chhota krshi jalavaayu khand kaun sa hai?


राजस्थान के कुल कृषित क्षेत्र में से - 

 1. 46.79 क्षेत्र धान्य फसलें मोटे अनाज।

 2. 13.76% क्षेत्र तिलहनी फसलें।

 3. 12.35% क्षेत्र दलहनी फसलें।

 4. 27.10% क्षेत्र में गन्ना, कपास, मसालें, सब्जियां बोयी जाती हैं।


कृषि के लिए मौसम एवं जलवायु 


मौसम 

मौसम किसे कहते है? - वायुमण्डल में होने वाले अचानक एवं अस्थायी परिवर्तन को मौसम कहते हैं। 

अथवा 

किसी विशेष समय पर वायुमण्डल की अवस्था को मौसम कहते है।

अथवा 

वायुमण्डल में प्रतिक्षणी बदलती दशाओं को मौसम कहा जाता है।


👉 मौसम एक छोटे क्षेत्र एवं बहुत कम समय के लिये होता है। जैसे एक दिन, सप्ताह, एक माह आदि।

👉 ऋतु किसे कहते है? - जब एक-सा मौसम अधिक दिनों तक बना रहता है तो उसे ऋतु कहते है।


जलवायु 

जलवायु किसे कहते है? - वर्ष के विभिन्‍न महिनों में किसी स्थान के वायुमण्डल में परिवर्तन कि अवस्था, तापक्रम, वातावरण में नमी के परिमाण और वर्षा आदि के मिश्रित प्रभाव को जलवायु कहते हैं। 

अथवा 

किसी निश्चित क्षेत्र के दिर्घकालीन वायुमण्डलीय या मौसम की दशाओं का औसत जलवायु कहलाता है।


समष्टि जलवायु (Macro Climate) - वह जलवायु जो प्रथम कुछ मीटर भूमि से ऊपर विद्यमान होती है। विशेषकर ऊँचाई के साथ-साथ सघनता में परिवर्तनशील होती है तथा वहां उपस्थित समय के साथ-साथ भी परिवर्तनशील होती है। उसे समष्टि जलवायु कहते है।

व्यष्टि जलवायु (Micro Climate) - पृथ्वी के समीपवृर्त्ती जलवायु जहां पादप एवं जन्तु निवास करते हैं उसे व्यष्टि जलवायु कहते है। 

पादप जलवायु (Plant Climate) - पादप जलवायु का तात्पर्य ढकी हुई वनस्पति जैसे फसलें, घासें, बगीचे, वन आदि में मौसम के तत्वों की विलदित विशेषताओं से है।


👉 मौसम विज्ञान (Metrology) यह एक ग्रीक शब्द है जो मेट्रोक्स से बना है।

👉 जलवायु विज्ञान में मौसम में घटित घटनाओं का विश्लेषण किया जाता है।

👉 IMD (Indian Metrology Department) की स्थापना वर्ष 1875 में पूना महाराष्ट्र में हुई।

👉 IAMD (Indian Agriculture Metrology Department) की स्थापना वर्ष 1932 में दिल्ली में हुई।

👉 भारत वर्ष की जलवायु मानसूनी जलवायु है।

👉 शस्य जलवायु विज्ञान किसे कहते है? - वह विज्ञान जिसके अन्तर्गत भूमि, वायुमण्डल और पोधों की वृद्धि के पारस्परिक संम्बध का अध्ययन किया जाता है उसे शस्य जलवायु विज्ञान कहते है।

👉 राजस्थान में सबसे कम वर्षा उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान में होती है।

👉 सामान्य पौधों में 90 प्रतिशत जल व 10 प्रतिशत शुष्क भार होता है।

👉 फसलों की औसत वृद्धि के लिए 10 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम 75 से 400 सेमी, वर्षा तथा 35 से 45 प्रतिशत आर्द्रता की आवश्यकता होती है।

👉 जलवायु के प्रकाश, तापमान, आर्द्रता,वायु, वायुदाब, वायुराशि, तत्व है।

👉 फसल उत्पादन की दृष्टि से जलवायु का प्रमुख तत्व प्रकाश है

👉 अधिकांश पौधे 30-40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर अच्छी वृद्धि करते हैं।

👉 पृथ्वी के चारों ओर उपस्थित वायुमण्डल में विद्यमान वाष्प आर्द्रता की मात्रा कहलाती है।

👉 वायुमण्डल की आर्द्रता जलवायु का निर्माण करती है।

👉 यदि वायुमण्डल में से वायु को निकाल दे तो जलवायु में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

 

वायुमण्डल (Atmosphere)


👉 पृथ्वी के चारों ओर वायु का आवरण वायुमण्डल कहलाता है।

👉 वायुमण्डल गुरूत्वाकर्षण बल द्वारा पृथ्वी से जुडा हुआ है।

👉 पृथ्वी के धरातल के पास सघन वायु होती है

👉 वायुमण्डल पृथ्वी के साथ परिभ्रमण करता है

👉 1300 किमी ऊँचाई तक वायुमण्डल उपस्थित है।

👉 वायुमण्डल में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन का भाग है।

👉 वायुमण्डल में कार्बनडाई ऑक्साइड 0.03 प्रतिशत व आर्गन 0.93 प्रतिशत, हीलियम, क्रीप्टान, नियोन, जीनान, ओजोन, रिडान, मैथेन गैसों का मिश्रण होता है।

👉 वायुमण्डल में 21 प्रतिशत ऑक्सीजन का भाग है


वायुमंडल की परते (Layers of the atmosphere)


वायुमंडल की परते - वायुमंडल में निम्न परते पाई जाती है।


 1. क्षोभ मण्डल (Troposphere)

👉 वायुमण्डल की सबसे निचली परत क्षोभ मंडल (8-18 किमी.) कहलाती है।

👉 क्षोभ मंडल के उपरी भाग में वायु दाब धरातल की अपेक्षा 25 प्रतिशत ही रह जाता है।

👉 क्षोभ मंडल को समताप मण्डल से पृथक करने वाले संक्रमण स्तर को क्षोभ मंडल सीमा कहते हैं।

👉 मौसम की सभी घटनाएँ क्षोभ मंडल में होती है। जैसे - बदल बनना, वर्षा, कोहरा, व ओस का गिरना।

👉 यह सबसे घनी वायु की परत है। तथा वायुमंडल के कुल भाग का 75% वजन इसी मण्डल में स्थित है।

👉 क्षोभ मण्डल में ऊँचाई के साथ तापमान में प्रति किलोमीटर 6.5 डिग्री सेण्टीग्रेड़ गिरावट आती है जिसे ताप हास कहते है।

👉 क्षोभ मण्डल में वायु का तापमान समान रूप से समुद्रतल से प्रति 165 मीटर ऊँचाई पर एक डिग्री सैल्सियस की दर से गिरता है


2. समताप मण्डल (Stratosphere) 

👉 वायुमण्डल की दूसरी परत कहलाती है।

👉 18-56 किमी. तक समताप मण्डल की ऊँचाई होती है। इसलिए समताप मण्डल को ओजोन परत भी कहते हैं। 

👉 समताप मण्डल के नीचे की परत ओजोन परत (28 से 25 किमी. ऊंचाई तक) है।

👉 समताप मण्डल वायुमण्डल की संबसे गर्म परत है।

👉 निचले भाग में 20 किमी.ऊंचाई तक तापमान स्थिर रहता है। उसे समताप मण्डल कहा जाता है।


3. ओजोन मण्डल (Ozone sphere)

👉 ओजोन मण्डल सूर्य की पराबैगंनी किरणों से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है।

👉 ओजोन मण्डल में मुख्य रूप से ओजोन गैस (O3) विद्यमान है।

👉 ओजोन गैस का पाया जाना समताप मण्डल में ऊँचाई पर जाने पर तापमान में वृद्धि का कारण है।


4. मध्य मण्डल (Mesosphere)

👉 वायुमण्डल की तीसरी परत मध्यमण्डल कहलाती है।

👉 वायुमण्डल की तीसरी परत मध्यमण्डल की ऊँचाई 56-80 किमी. होती है।

👉 मध्यमण्डल में तापमान ऊँचाई के साथ घटता है। यह ठण्डा क्षेत्र माना जाता हैं।


5. आयन मण्डल (Ionosphere) 

👉 वायुमण्डल की चौथी परत कहलाती है। आयन मण्डल में रेड़ियों तरंगें पाई जाती है इसी कारण विश्व की संचार प्रणाली सक्षम है।

👉 640 किमी ऊँचाई तक आयन मण्डल का विस्तार है।

👉 आयन मण्डल में वायुदाब अत्यधिक कम होता है।

👉 आयन मण्डल में तापमान ऊँचाई के साथ-साथ बढता है।


6. बाह्य मण्डल (Outer sphere) 

👉 बाह्य मण्डल में हाइड्रोजन व हीलियम गैसों की प्रधानता होती है।

👉 वायुमण्डल के लगभग एक हजार किमी मोटे आवरण का वह भाग जो धरातल पर पडता है। वायुदाब कहलाता है।

👉 किसी क्षेत्र का वायुदाब एवं नमी कम होने पर वर्षा की संभावना मानी जाती है।

👉 वायुदाब 760 मिमी. से अधिक होने पर मौसम शुष्क माना जाता है।

👉 वायुराशि वायुमण्डल का वह भाग जिसमें कई हजार किमी तक तापमान आर्द्रता, वायुदाब तथा घनत्व आदि एक समान होते हैं। 


अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ 

👉 भारत में मौसम विज्ञान का प्रमुख केन्द्र नई दिल्ली में स्थित है।

👉 राजस्थान में मौसम विज्ञान का प्रमुख कार्यालय जयपुर में स्थित है।

👉 विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) जैनेवा स्विटजरलैण्ड में स्थित है तथा इसकी स्थापना वर्ष 1951में हुई।

👉 दिन का न्यूनतम तापमान सुबह 3 से 4 बजे तथा अधिकतम तापमान दोपहर 12 से 2 नापते हैं।

👉 भू-मण्डल को दो समान भागों में पूर्व से पश्चिम की ओर बांटने वाली रेखा को भू-मध्य रेखा कहते है।

👉 पृथ्वी पर दिन-रात का निर्धारण देशान्तरिय स्थित ग्रीनविच वैद्यशाला में की जाती हैं।

👉 भारत में देशान्तरिय स्थिति की गणना इलाहबाद स्थित वैद्यशाला में की जाती है।

👉 राजस्थान में देशान्तरिय स्थिति की गणना जयपुर स्थित वैद्यशाला में की जाती है। इसका निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह ने करवाया था।

👉 पृथ्वी के धरातल पर तापमान का निर्धारण एवं वितरण अंक्षाशों के अनुसार होता है।

👉 ग्रीष्म काल में महाद्वीपों के आन्तरिक भागों के तापमान में अचानक वृद्धि हो जाने के कारण दोपहर पश्चात्‌ पश्चिम की ओर से चलने वाली गर्म एवं शुष्क वायु को लू कहते हैं।

👉 अधिकांशीय चक्रवाती वर्षा शीतकाल में होती है।

👉 वायुमण्डल की सबसे ऊपरी भाग पर हाइड्रोजन गैस पायी जाती है। हाइड्रोजन गैस सबसे हल्की होती है तथा सबसे भारी नाइट्रोजन होती है।

👉 वायुमण्डल में नाइट्रोजन 90 से 200 किमी., ऑक्सीजन 200 से 700 किमी., हीलियम 700 से 1100 किमी. एवं हाइड्रोजन 1100 किमी. से अधिक ऊँचाई तक पायी जाती है।

👉 प्रकाश की लाल किरणें पौधों के ऊतकों के विकास को प्रभावित करती है।

👉 प्रकाश की नीली व पीली किरणें पौधों के ऊतकों के विकास की वृद्धि का विरोध करती है।

👉 प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रकाश की तीव्रता को नियंत्रण करती है।


👉 प्रकाश की अवधि का पौधों पर फूल व फल आने पर प्रभाव पडता है उसे दीप्तिकालिता (Photoperiodism) कहते हैं। प्रकाश की दीप्तिकालिता के आधार पर फसलों तीन भागो मे बांटा गया है।-

1. अल्प प्रकाशी पौधे (Short Day Plant) - इस प्रकार के पौधों में पुष्पन के लिए अपेक्षाकृत छोटे दिनों की आवश्यकता होती है। उदाहरण - मक्का, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन

2. दीर्घ प्रकाशी पौधे (Long Day Plant) -इस प्रकार के पौधों में पुष्पन के लिए अपेक्षाकृत लम्बे दिनों की आवश्यकता होती है। उदाहरण-गेहूँ, जौ, बरसीम, मटर, चना, मसूर

3. दिवस निष्प्रभावी पौधे (Day Natural Plant) - पौधों के पुष्पन क्रिया पर प्रकाश अवधि का कोई प्रभाव नहीं पडता है। उदाहरण-कपास, सूरजमुखी, टमाटर


👉 मध्यवृति प्रदीप्त कालीक पौधे - उदाहरण गन्ना (13 घंटे)

👉 अधिकांश पौधे 30-40 डिग्री सैल्सियस के बीच तापमान पर अच्छी वृद्धि करते हैं।

👉 तापमान जितना कम होगा आर्द्रता उतनी ही अधिक होगी।

👉 वातावरण की वाष्प की मात्रा को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं

👉 नमी या जल जो पृथ्वी पर वर्षा, बर्फ. ओस, ओलों के रूप में गिरता है, वर्षण कहलाता है।

👉 वर्षा की मात्रा किसी स्थान की वनस्पति को निश्चित करती है।

👉 वायु की गति बढने पर वार्ष्पोत्सजन की दर बढ जाती है।

👉 वायु की गति तेज होने पर वायु का तापमान कम हो जाता है।

👉 वायु की गति तेज होने पर CO2, की उपलब्धता बढ जाती है।

👉 शुष्क तथा लगातार तेज हवाओं वाले स्थानों में पौधे अपने साधारण कद की अपेक्षा बौने रह जाते है।

👉 शुष्क तथा लगातार तेज हवाओं वाले क्षेत्रों में पौधे बौने रह जाते है-क्योंकि ऐसी स्थिति में पौधों की कोशिकाओं में आर्द्रता की कमी रहने के कारण वे कभी भी पूर्ण रूप से स्थिर नहीं रह पाते।

👉 मौसम के मुख्य तत्व वर्षा एवं बादल, वायुमण्डल में नमी, तापमान, वायु वायुदाब, वायु दिशा, वायु गति है।

👉 वायु का तापक्रम, वायु का दबाव, वायु की गति व दिशा, मानसूनी हवाएं, चक्रवती हवाएं, वातावरण की आर्द्रता, बादल और वर्षा, औस, कोहरा व धुंध हिम, पाला आदि मौसम को प्रभावित करने वाले कारक होते है।

👉 पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायु में दबाव होता है।

👉 तापमान बढ़ता है तो वायु का दाब कम हो जाता है।

👉 जून से सितम्बर तक मानसूनी हवाएं उठती है।

👉 गर्मी के मौसम में मानसूनी हवाएं उठती है।


मानसुन (Monsoon)


👉 इस शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द मोसीम से हुई है।

👉 जून से सितम्बर तक मानसूनों का सामान्य समय होता है।


भारत में मानसून दो प्रकार तरह का आता है-


1. दक्षिणी-पश्चिमी मानसून

👉 भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून (75%) से सबसे ज्यादा वर्षा होती है। इसलिए इसकों वर्षाकालीन मानसून भी कहते हैं।

👉 दक्षिणी पश्चिमी मानसून 1 जून को केरल के तट पर प्रवेश करता है इस मानसून की आगे बढ़ने की रफ्तार 30 किमी. प्रति घण्टा की होती है।

👉 इस मानसून से तमिलनाडू के पूर्वी घाट को छोडकर समस्त भारत में वर्षा होती है।

👉 इसका उद्गम स्थान हिन्द महासागर है।


यह दो शाखाओं में विभाजित हैं -

1 . अरब सागर शाखा - इससे 80 प्रतिशत अधिक वर्षा होती है।

2. बंगाल की खाड़ी - इससे 20 प्रतिशत वर्षा होती है।


👉 भारत देश में मानसूनी हवाएं दो ओर से (बंगाल की खाड़ी से तथा अरब सागर से आती है।

👉 दक्षिणी पूर्वी मानसून बंगाल की खाडी से आने वाला मानसून कहलाता है।

👉 अरब सागर से आने वाला मानसून दक्षिणी पश्चिमी मानसून कहलाता है।


2. उत्तरी पूर्वी मानसून या चक्रवातीय वर्षा

👉 इसको पुनरावृत्ति (लौटता हुआ) मानसून भी कहते हैं। यह देश के दक्षिण भाग आन्ध्रप्रदेश व तमिलनाडु में वर्षा करता हैं।


मौसम का पूर्वानुमान (Weather For Casting)

1. नोव कास्टिंग - एक दिन की अवधि के लिए अर्थात कुछ घंटो के लिए

2. लघु अवधि मौसम पूर्वानुमान - 1 से 2 दिन की अवधि के लिए

3. मध्य अवधि मौसम पूर्वानुमान - 3 से 10 दिन की अवधि के लिए

4.  दीर्घ अवधि मौसम पूर्वानुमान - 10 दिन से अधिक अवधि के लिए


अन्य महत्वपूर्ण बिन्दू :-


👉 भारत में औसत वार्षिक वर्षा 1190 मिमी. व विश्व में 1000 मिमी. व राजस्थान में औसतन 575 मिमी. वर्षा होती है।

👉 उत्तर एवं मध्य भारत में जनवरी-फरवरी माह में होने वाली वर्षा पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है एवं इस वर्षा को मावठ भी कहते हैं। यह वर्षा रबी फसलों के लिए अच्छी होती है।

👉 वायु की गति को एनीमोमीटर से मापा जाता है।

👉 वायु का दाब बेरोमीटर से मापा जाता है।

👉 वायु दिशा सूचक (Wind Vine) से वायु की दिशा मापी जाती हैं।

👉 ओसांक पर वाष्प दबाव तथा उच्चतम वाष्प दबाव के अनुपात को आपेक्षित आर्द्रता (Relative Humidity) कहते है और यह प्रतिशत में जताई जाती है।

राजस्थान में सबसे छोटा कृषि जलवायु खण्ड कौन सा है?

Detailed Solution आर्द्र दक्षिणी मैदान राजस्थान का सबसे छोटा कृषि-जलवायु क्षेत्र है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफल 1.72 मिलियन हेक्टेयर है। इस क्षेत्र में औसत वर्षा 500-1100 मिमी है। यह क्षेत्र राज्य के दक्षिणी भाग में फैली पहाड़ियों और घाटी की विशेषता है।

राजस्थान में सबसे बड़ा कृषि जलवायु खण्ड कौन सा है?

👉 राजस्थान में कृषित क्षेत्र के आधार पर सबसे बड़ा कृषि शस्य जलवायु खण्ड III-B है। 👉 राजस्थान का सबसे कम कृषित क्षेत्र वाला जलवायु खण्ड IV-A है। 👉 स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय I-C खण्ड में है। 👉 महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर IV-A खण्ड में है।

राजस्थान में कृषि जलवायु खण्ड कितने है?

राजस्थान को 10 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा भारत को 126 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में रेखांकित किया गया है।

राजस्थान में कौन सी कृषि जलवायु प्रदेश में बाजरा बोया जाता है?

राजस्थान का पश्चिमी भाग बाजरा उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है जबकि जयपुर जिला बाजरा उत्पादन में प्रथम स्थान पर हैं राजस्थान में बाजरे की साधारण किस्म के अतिरिक्त Raj-171 प्रमुख किस्म है। राजस्थान के पूर्वी भाग में संकर बाजरा होता है। उसे सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है।