खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? पिछले दिनों एक्ट्रेस महिमा चौधरी का एक छोटा-सा विडियो सामने आया था। वीडियो में वह बता रही थीं कि उन्होंने अपना रुटीन चेकअप कराया था जिसमें ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) होने की आशंका जताई गई थी। इसके बाद कन्फर्म करने के लिए कुछ टेस्ट हुए और इलाज शुरू हुआ। शुरुआत में वह डर गई थीं, लेकिन अब हिम्मत से भरी हैं और यह जंग जीत रही हैं। यहां उनके कैंसर का जिक्र इसलिए किया गया क्योंकि बहुत-सी महिलाएं रुटीन चेकअप ही नहीं करवातीं। आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में कैंसर के 13 से 14 लाख मरीज सालाना सामने आते हैं। वहीं, हर 8 में से 1 महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका है। पहले यह कैंसर अमूमन 40 साल की उम्र के बाद होता था, लेकिन अब 20 साल बाद ही ऐसे कुछ मामले आ जाते हैं। कई बार कैंसर के लक्षण जल्दी नहीं उभरते। ऐसे में इलाज जल्दी शुरू नहीं हो पाता। ब्रेस्ट कैंसर ऐसा कैंसर है जिसका वक्त पर पता चले और इलाज शुरू हो जाए तो पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। इसका पता कैसे लगाएं, इलाज और बचाव कैसा हो? जाने-माने एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी दे रही हैं रजनी शर्माकैंसर शरीर में कैसे जगह बनाता है और कैसे इससे बचें: हमारे शरीर में अरबों-खरबों कोशिकाएं या सेल्स होती हैं। शरीर के सभी अंग सेल से बने होते हैं जो लगातार डिवाइड होते रहते हैं। कैंसर की कोशिकाएं कहीं बाहर से नहीं आतीं। किसी खास अंग में कुछ सेल्स असामान्य हो जाते हैं या उद्देश्यहीन बढ़ने लगते हैं। कैंसर सेल्स में ये बदलाव आ जाता है कि ये इम्यून सिस्टम को चकमा देना सीख लेते हैं जबकि इम्यून सिस्टम ही हमें दुरुस्त रखता है। कह सकते हैं कि ये शरीर में आतंकवादी सेल्स बन जाते हैं और जहां जाते हैं वहीं आतंक मचाते हैं। ब्रेस्ट में यह कैंसर गांठ (ट्यूमर) के रूप में सामने आ सकता है। यह गांठ 2 तरह की हो सकती है: बिनाइन और मैलिग्नेंट। बिनाइन गाठ खतरनाक नहीं होती, जबकि मैलिग्नेंट गांठ कैंसर में बदल जाती है। इसका मतलब है कि वहां असामान्य कोशिकाएं बेकाबू होकर बढ़ रही हैं और दूसरे अंगों में भी पहुंच सकती हैं। सबसे जरूरी बातें जान लीजिए
1. अगर कोई गांठ बन गई है और उसमें दर्द नहीं है तो कैंसर होने की आशंका ज्यादा है। दर्द है तो कैंसर की आशंका कम है। पीरियड्स के दिनों के आसपास भी ब्रेस्ट में गांठें बन जाती हैं, लेकिन उनमें दर्द होता है। ऐसे में चिंता की बात नहीं होती। ऐसी गांठें बनती हैं और कुछ दिनों में ठीक हो जाती हैं। 2. निपल से किसी तरह का खून जैसा रिसाव। 3. महिला प्रेग्नेंट न हो और बच्चे को ब्रेस्ट फीड भी न कराती हो लेकिन ब्रेस्ट से दूध या पानी जैसा डिस्चार्ज हो। 4. बिना वजन बढ़े, प्रेग्नेंट हुए ब्रेस्ट के साइज या शेप में बदलाव आ जाए। 5. ब्रेस्ट एक-दूसरे से दूसरी दिशा में जाने लगें या एक समान स्तर पर न रहें। 6. निपल अंदर की ओर धंसने लगे। 7. स्किन संतरे के छिलके जैसी होने लगे, खिंचाव हो या लाल हो जाए। ब्रेस्ट कैंसर की वजहें आमतौर पर लोग समझते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर जेनेटिक ही ज्यादा होता है यानी परिवार में मां या बहन के अलावा दादी-नानी या मौसी, बुआ को हुआ हो तभी हो सकता है। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। 10-15 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर ही जेनेटिक हैं। यह पिता या मां के परिवार से आनुवंशिक तौर पर महिला या लड़की में आ सकता है। इतना ही नहीं, पुरुषों में भी यह कैंसर आ सकता है। किसी महिला के परिवार में सगे रिश्तेदारों और मां या पिता की बहनों या उनकी मां को भी हुआ हो तो ब्रेस्ट कैंसर जीन टेस्ट (BRCA1 और BRCA2) करा लेना चाहिए। यह ब्लड टेस्ट हैं। अगर यह पॉजिटिव है तो ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, ओवरी कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है। ये टेस्ट जिंदगी में एक ही बार कराने होते हैं। टेस्ट पॉजिटिव आता है तो डॉक्टर की सलाह से लाइफस्टाइल सुधार कर कैंसर की आशंका को कम किया जा सकता है। खुद जांच करना है सबसे ज्यादा जरूरी मेनोपॉज वाली महिलाएं हर महीने की कोई एक तारीख फिक्स कर सकती हैं। किसी का जन्मदिन 1 तारीख को होता है तो वे 1 तारीख को सेल्फ एग्जामिनेशन करें। यह है सही तरीका
अगर अगर किसी के परिवार में यह बीमारी नहीं है तो वह 40 से 70 साल की उम्र तक सालाना जांच कराए। अगर ठोस ब्रेस्ट हों या उम्र कम है यानी 20 से 40 के बीच है तो मैमोग्रफी का रिजल्ट सही नहीं मिलता। ऐसे में अल्ट्रासाउंड किया जाता है। अगर कैंसर का जेनेटिक कनेक्शन है, बुआ, मौसी आदि को यानी ब्लड रिलेशन में किसी को 40 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर हुआ था तो उनसे 10 साल पहले यानी 30 की उम्र से ही स्क्रीनिंग शुरू कर देनी चाहिए। मैमोग्रफी में कोई भी असामान्य बात पता चलने पर आगे जांच की जाती है। मैमोग्राम में ग्रेड 1 से 3 तक सामान्य माना जा सकता है लेकिन 4 और 5 है तो बायोप्सी की जानी चाहिए। मैमोग्रफी का खर्च सिंगल ब्रेस्ट करीब 1300 रुपये, दोनों 2300 रुपये (लगभग) ये जांच भी जरूरी MRI का खर्च: 5-6 हजार रुपये के आसपास जेनेटिक टेस्टिंग: इसमें BRCA-1 और 2 शामिल हैं। खर्च: 10-15 हजार रुपये के आसपास। दोनों टेस्ट करीब 30 हजार रुपये ब्रेस्ट से छोटा-सा टिश्यू निकाल कर जांच की जाती है। इसके लिए FNAC (Fine Needle Aspiration Cytology) टेस्ट कराएं। इस जांच में ब्रेस्ट के अंदर से बारीक सुई से थोड़ा-सा फ्लूइड लिया जाता है। इसके बाद जरूरत हुई तो Core needle biopsy (CNB) की जाती है। इसमें मोटी सुई का इस्तेमाल होता है। FNAC - 4 से 5 हजार रुपये, CNB - 10-12 हजार रुपये तीन तरह का हो सकता है यह कैंसर बायोप्सी के बाद पता चलता है कि किस तरह का ब्रेस्ट कैंसर है: 1. हार्मोन डिपेंडेंट : शरीर में जितना एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन ज्यादा बनेगा, उसी हिसाब से ट्यूमर भी बढ़ता है। यह हार्मोन डिपेंडेंट होता है। करीब 60 फीसदी महिलाओं का कैंसर इसी तरह का होता है। 2. Her2 पॉजिटिव : ये ट्यूमर जल्दी बढ़ते हैं। हरटू पॉजिटिव में टारगेटेड थेरपी दी जाती है। लेकिन इसकी दवाएं महंगी होती हैं। सामान्य हरसेप्टिन का इंजेक्शन अब 12-14 हजार रुपये में आ जाता है। पहले यह करीब 1 लाख रुपये का था। करीब 15-20 फीसदी मामले ऐसे ही होते हैं। 3. ट्रिपल नेगेटिव: यह सबसे गंभीर कैंसर होता है। यह 30-40 की उम्र में होता है। बहुत जल्दी बढ़ता है। कीमो और रेडिएशन थेरपी के बाद भी इसके वापस आने की आशंका ज्यादा होती है। 15-20 फीसदी कैंसर इसी तरह के होते हैं। कैंसर की अलग-अलग स्टेज कैंसर कितना गंभीर है, इसका पता ग्रेड और स्टेज से चलता है। किस तरह का है, कितनी तेजी से फैलने वाला है। स्टेज 1, माइल्ड : इसमें कैंसर सिर्फ ब्रेस्ट तक ही सीमित रहता है। स्टेज 2, मॉडरेट : इसमें ब्रेस्ट से शुरू होकर बगल तक फैल जाता है। स्टेज 3 और 4, गंभीर: तेजी से फैल सकता है। अगर ब्रेस्ट कैंसर लिवर, फेफड़ों या हड्डियों तक पहुंच गया है तो स्टेज 4 है। इलाज शुरू करने से पहले कैंसर स्पेशलिस्ट मरीज का इलाज तय करते हैं। थेरपी तय करते हैं। लिंफ नोड निकालना है या ब्रेस्ट, रेडियो थेरपी, कीमोथेरपी या हार्मोन थेरपी लेने की जरूरत है इसका फैसला उन्हें करना होता है। ऐसे होता है इलाज इस कैंसर का इलाज मल्टी-डिसिप्लिनरी होता है। इसका मतलब है कि कंबाइंड इलाज होता है। इसमें कीमोथेरपी, सर्जरी, टारगेटिड सर्जरी, रेडिएशन थेरपी सभी तरीकों का इस्तेमाल होता है। एक साथ कई एक्सपर्ट जैसे- सर्जन, मेडिकल ऑन्कॉलजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कॉलजिस्ट मिलकर टीम बनाकर इलाज करते हैं। रेडियोथेरपी: कैंसर के सेल मारने के लिए मशीन की मदद से ट्यूमर पर कंट्रोल्ड रेडिएशन डाला जाता है। एक दिन में करीब 15-20 मिनट और हफ्ते में 5 दिन तक रेडियोथेरपी की जाती है। कीमोथेरपी: इसमें मरीज को दवाएं दी जाती हैं, जो कैंसर सेल को मारती हैं। लेकिन इसमें कैंसर के साथ-साथ नॉर्मल सेल को भी नुुकसान होता है। सर्जरी दो तरह की होती है 1. ब्रेस्ट का उतना ही हिस्सा निकाला जाता है जितने में कैंसर हो। 2. पूरा ब्रेस्ट निकाला जाता है। ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी पर जोर : आजकल ब्रेस्ट कंजरवेशन सर्जरी की जाती है। अगर कैंसर फैल गया है तो कीमो देकर उस हिस्से को छोटा करके सर्जरी करते हैं। इसमें ब्रेस्ट को बचा दिया जाता है। अगर ब्रेस्ट का बड़ा हिस्सा निकाला गया तो शरीर के किसी और हिस्से से मसल या फैट लेकर वहां लगाया जाता है। अगर पूरा ब्रेस्ट निकाला गया हो तो ऑन्कॉप्लास्टी की जाती है। इसके लिए सिलिकॉन इंप्लांट्स आदि भी लगाए जाते हैं। सिलिकॉन इंप्लांट : लगभग 8000 रुपये से 2.5 लाख रुपये तक कब मानें कैंसर है खत्म कैंसर का पता चलने के बाद ट्यूमर को खत्म किया जाता है। लेकिन इसके बाद भी यह आशंका दूर करने के लिए कि वह दूसरे ब्रेस्ट में न हो जाए आगे जांच की जाती है। अगर किसी भी स्टेज में मरीज को कैंसर-फ्री कह दिया जाए तो भी पांच साल तक फॉलोअप होता है। आगे कौन-सी जांच होंगी, यह डॉक्टर तय करते हैं। शुरू के 3-4 साल ज्यादा रिस्क रहता है। हार्मोन पॉजिटिव वाले केस में कई बार 10-15 साल बाद में भी इसके लौटने की आशंका रहती है। ट्रिपल नेगेटिव वाले केस में 3 साल तक वापस नहीं आता तो बाद में भी कैंसर होने की आशंका कम रहती है। कैंसर खत्म होने के बाद जांच दूसरे साल हर 3 महीने पर तीसरे साल हर 4 महीने पर चौथे साल हर 5 महीने पर पांचवे साल में साल में 1 बार अगर कोई कैंसर सेल नहीं मिलती तो माना जाता है कि वह कैंसर दोबारा नहीं होगा। लेकिन किसी दूसरी तरह के कैंसर के होने की आशंका खत्म करने के लिए रुटीन चेकअप कराते रहना चाहिए। साथ ही अपने डॉक्टर की सलाह माननी चाहिए। ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े मिथ
पुरुषों को भी यह कैंसर, लक्षण जान लीजिए -कोई गांठ हो सकती है। -एग्जिमा जैसा जख्म हो सकता है। -निपल से कोई रिसाव हो सकता है। जांच : MRI, बायोप्सी यहां से ले सकते हैं मदद कुछ सपोर्ट ग्रुप हैं जो कैंसर के मरीजों की मदद करते हैं। यहां सपोर्ट ग्रुप के फेसबुक पेज की जानकारी दी गई है। इसके अलावा वेबसाइट हैं जहां से ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी हर तरह की जानकारी ली जा सकती है। फेसबुक पेज Stupid Cancer CanSupport - Caring for People with Cancer वेबसाइट breastcancerindia.net indiancancersociety.org tmc.gov.in नैशनल ब्रेस्ट कैंसर हेल्पलाइन +91-80469-83383 भविष्य में उम्मीद बढ़ी... पिछले महीने यह खबर आई कि दुनिया में पहली बार एक दवा के ट्रायल में शामिल कैंसर के सभी मरीज ठीक हो गए। हालांकि यह ट्रायल सिर्फ 18 मरीजों पर हुआ है। उन्हें 6 महीने तक Dostarlimab (डोस्टारलिमैब) नाम की दवा दी गई, जिसके बाद मरीजों का रेक्टल कैंसर ठीक हो गया। सभी मरीजों में कैंसर ट्यूमर गायब होते देखा गया। इस ट्रायल स्टडी को ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित किया गया है। इसके लेखक डॉ. ल्यूस ए डियाज ने कहा, ‘कैंसर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जिसमें इलाज के बाद हर मरीज का कैंसर गायब हो गया है।’ ट्रायल के दौरान 3-3 हफ्ते पर 6 डोज में पूरा इलाज किया गया। 6 महीने बाद इंडोस्कोपी, एमआरआई और अन्य रिपोर्ट में पाया गया कि गुदा (रेक्टल) कैंसर ठीक हो गया है। हालांकि इस बारे में एक्सपर्ट कहते हैं कि रेक्टल कैंसर ऐसा कैंसर है जो सेल के जीन में बदलाव कर सकता है, जिसकी वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम इसे नॉर्मल सेल समझने लगता है, जबकि वह कैंसर सेल होता है। यह दवा (डोस्टारलिमैब) कैंसर सेल के जेनेटिक बदलाव का खुलासा कर देती है। यह एक प्रकार की इम्यूनोथिरेपी की दवा है। खुलासे के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम कैंसर सेल को पहचान लेता है और उसे मार देता है। लेकिन इस दवा की रिसर्च सिर्फ रैक्टल यानी गुदा के कैंसर के लिए है। सिर्फ 18 लोग ही इसका हिस्सा हैं। यह रैक्टल कैंसर के भी कुछ प्रकार पर ही काम कर रही है और 5 साल तक फॉलोअप के बाद और सिर्फ यही दवा लेने की वजह से अगर मरीज का कैंसर ठीक हो जाता है तो उसे कैंसर फ्री कहा जाएगा। जब 1000 से ज्यादा लोगों पर स्टडी हो और उसके रिजल्ट 5 साल तक ठीक रहें तो दवा कारगर है। स्पेशल ब्लड टेस्ट इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने जून में EasyCHeck-Breast नाम का ब्लड टेस्ट पेश किया है। बताया गया है कि इस सिंगल टेस्ट से ब्रेस्ट कैंसर का 90% तक सही पता लगाया जा सकता है। यह ब्लड टेस्ट 40 साल से ऊपर की महिलाओं में शुरुआती दौर में ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने में मदद कर सकेगा। इस किट की कीमत लगभग 6000 रुपये होगी जो अगले साल से भारत में मिलेगी। (नोट: यहां बताई गईं सभी जांचों और इलाज के रेट कम या ज्यादा हो सकते हैं।) एक्सपर्ट पैनल
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