सरकंडे के पौधे की क्या विशेषता है? - sarakande ke paudhe kee kya visheshata hai?

स्वामी विशुद्धानन्द जी अनेक नामों से विखयात रहें है। भारत में काली कमली वाले बाबा के नाम से उनके अनेक मंदिर मठ है। स्वामी योगानन्द ने अपनी पुस्तक योगी कथामृत में गंन्ध बाबा के नाम से इनका सविस्तार वर्णन किया है।

महर्षि विशुद्धानंद अपने शिष्य उद्धव नारायण के साथ बैठे हुए थे। उद्धव नारायण बाबा के सूर्य विज्ञानसे परिचित एवं अत्यधिक प्रभावित थे। बाबा अपने शिष्यों के पति अपार एवं अपरिमित स्नेह रखते थे। तथा उन्हें सूर्य विज्ञान के सिद्धांत समझाते एवं उनके प्रयोगों को प्रत्यक्ष करके दिखाते रहते थे। वे शास्त्रों में वर्णित अगणित एवं अनगिनत घटनाओं को सहज भाव से प्रदर्शित कर देते थे। इसी क्रम में महाभारत काल में प्रचलित अग्निबाण की चर्चा चल रही थी। उद्धव नारायण अपनी जिज्ञासा प्रकट करने से स्वयं को रोक नहीं पा रहे थे। जिज्ञासावश दद्धव नारायण ने बाबा विशुद्धानंद से कहा--’’बाबा! शास्त्रों में वर्णित अग्निबाण, वायुबाण आदि के प्रयोगों के बारे में जो उल्लेख मिलता है, क्या ये सारी बातें सही है या मात्र कपोल कल्पना है।’’बाबा अपने शिष्य की बातों को सुनकर मुस्कराने लगे। वे बोले--’’उद्धव! ज्ञान-विज्ञान अनेक रहस्यों से आवृत है। यदि इन रहस्यों को अनावृत कर लिया जाए, इनको भेद दिया जाए तो इसका यथार्थ रूप प्रकट हो जाता है, इसके प्रकाश से हम परिचित हो जाते है, फिर इस विषय के प्रति समस्त संशय, भ्रम एवं संदेह विलीन हो जाते है, उसे मैं अभी दूर किए देता हूँ।’’

गंभीर स्वर में बाबा आगे बाले-’’ तुम्हारी बुद्धि पर कई आवरण पड़े है, इसलिए वह दृश्य-ज्ञान से परे एवं पार की चीजों को न देख पाती है और न सोच पाती है, परतु क्या आँख बंद कर देने पर सूर्य का अस्तित्व मिट जाता है। नहीं! हम केवल सूर्य से दूर हो जाते है और सोचते है कि सूर्य है ही नहीं। जो अगोचर है, दृष्टि से ओझल है, उसे अस्वीकार नहीं करना चाहिए। अच्छा जाओ और उस सरकंड़े के जो पौधे लगे है, उनमें से तीन टुकड़े काटकर ले आओ। ‘‘उद्धव नारायण ने कहा--’’अवश्य गुरूदेव!’’ और वह सरकंड़े के हरे पौंधे में से तीन लंबे-मोटे टुकडे काटकर ले आया। काटते समय सरकंडे के पौधे से सफेद दूध जैसा चिपचिपा द्रव निकला। वह उसको साफ करके लें आया और टुकडों को बाबाके सामने रख दिया। बाबा ने तीनों टुकडों को देखा और उनमें से एक का धनुष बनाया। उस धनुष को उन्होने अपने हाथों में लिया और पता नहीं कौन सा मंत्र फुँका किवह धनुष देखते-देखते मजबूत एवं सुंदर धातु में परिवर्तित हो गया। फिर उन्होनें दूसरे सरकंडे के टुकडे को उठाया और मंत्र फुँका तो वह धातु का तीर बन गया। इस घटना को देख उद्धव को अत्यंत हैरानी हुई । इस दृश्य को देख्खकर वह खुशी से उछल पड़ा, क्योंकि वह अद्भुत एवं आश्चर्यजनक घटनाओं का साक्षी जो बन रहा था। बाबा ने कहा--’’ उद्धव! यह सामान्य तीर-कमान हैं इसमें कोई  विशेषता नहीं है, परंतू अब इसका वास्तविक प्रयोग देखो। ‘‘यह कहकर बाबा ने धनुष पर बाण चढ़ाया और कुछ मंत्र पढ़ा, फिर उसे सामने खड़े बरगद के पेड़ की ओर छोड़ दिया। क्षणमात्र में ही तीर बरगद के वृक्ष के पेड़ चीरते हुए उस पार निकल गया ओर एकाएक बरगद के पेड़ में भीषण आग लग गई । आग की लपटें तेजी से उठ रही थी। एक क्षण में विशाल बरगद का हरा-भरा पेड़ जलकर ठूँठ बन गया। बाबा ने कहा-’’उद्धव! इस आग को कोई  नहीं बुझा सकता। यह अभिमंत्रित आग है। फायर ब्रिगेड के लिए भी पूरी शक्ति लगाकर इसे बुझा पाना संभव नहीं हें इसे कहते हैं अग्निबाण।’’ बाबा आगे बोले-’’ वत्स! अग्निबाण से बड़ी-बड़ी इमारतों को जलाया जा सकता है। पूरे के पूरे शहर को दावानज में परिवर्तित किया जा सकता है, यहाँ तक कि समुद्र में आग भी लगजाएगी सकती है। इसका प्रयोग प्रकृति में विक्षोभ एवं असंतुलन उत्पन्न करता है, अत: इसे केवल विशेष परिस्थितियों में प्रयोग किया जामा है। ‘‘ उद्धव ने कहा--’’ इस आग को कैसे बुझाया जा सकता है और क्या इस बरगद के पेड़ को पुन: पूर्वस्थिति में लाया जा सकता है? ‘‘ बाबा ने कहा-’’ वत्स! तुम्हारे प्रशनों का उतर यह अगला तीर देगा। ‘‘ बाबा ने तीसरे सरकंडे के टुकड़े को अभिमंत्रित करके तीर बनाया और  उसे धनुष पर चढ़ाकर बरगद के जले पेड़ पर चला दिया। पल भर में ही उसके ऊपर आसमान में काले मेघ घुमड़ने लगे और बारिश से आग बुझ गई  और आग के बुझते ही जला हुआ पेड़ पुन: उसी रूप में दृश्यमान हो गया। अब उद्धव से रहा नहीं गया और वह जोर से बोल पड़ा--’’ बाबा! क्या यही वरूणबाण है? ‘‘ बाबा धीरे से मुस्कराए ओर बोले --’’ हाँ उद्धव। ‘‘ इसके बाद बाबा ने एक मंत्र का उच्चारण किया तो सरकंडे के तीन टुकड़े जैसे थे, वैसे ही बन गए और वहाँ सब कुछ ऐया हो गया, मानो कुछ हुआ ही न हो। बाबा ने कहा-’’ उद्धव! अब तुमको समझ में आया कि शास्त्रसम्मत बातें अर्थहीन एवं कपोलकल्पित नहीं हैं इनमें गहरा रहस्य है। हाँ इतना अवश्य है कि हर कोई उस रहस्य को भेदने की जानकारी नहीं रखता। ‘‘उद्धव! अब जाकर भोजन ग्रहण कर लो। आज शाम को गोपीनाथ आ रहा है। उसके पास तमाम जिज्ञासा रहती है। संध्या वंदन के पश्चात इस विषय  पर चर्चा करेंगे।’’ गोपीनाथ बाबा के प्रिय शिष्य थे। इस बात से उद्धव नारायण भी परिचित थें, परंतु बाबा का प्यार सारे शिष्यों पर समान रूप से था। शाम को बाबा का चहरा दमक रहा था। बाबा के सामने थोड़ी गोपीनाथ एक आसन पर बैठे हुए थे और बाई  ओर उद्धव विराजमान थें। अपने गुरू के समक्ष दोनों शिष्य शिशुवत् भाव से उपस्थित थे। बाबा ने गोपीनाथ की ओर दृष्टिपात किया और कहा--’’वत्स! अध्यात्म एवं विज्ञान, दोनों ही प्रायोगिक एवं अनुभवगम्य क्षेत्र है। अध्यात्म शाश्वत है, परतु विज्ञान सामयिक। अध्यात्म चेतना का परम विज्ञान है, इसलिए यह शाश्वत है,कभी समाप्त एवं धूमिल नहीं होने वाला है, जबकि विज्ञान जड़ जगत एवं पदार्थ पर आधारित होने के कारण सामयिक होता है। यह सामयिक इसलिए भी है, क्योंकि पदार्थ जगत (संसार) में जब एक आविष्कार होता है तो कुछ अंतराल बाद नया आविष्कार होता है और नए आविष्कार के सूत्र सिद्धांत से नई  तकनीकें ढूँढी जाती है,अर्थात पुराने के स्थान पर सामयिक रूप से उपयोगी नई तकनीक विकसित हो जाती है और लोग पुराने के बदले नई चीजों का उपयोग करने लगते हे। बाबा की बात समाप्त हो चुकी थी। गोपीनाथ को अपनी खोज का आधार मिल गया था एवं उद्धव नारायण अत्यंत प्रसन्न थे। गोपीनाथ इस अनंत की खोज के लिए मन में नए ताने-बाने बुनने लगे।

सरकंडे के पौधे की विशेषता क्या है?

सरकंडे का तना खोखला होता है, जो रुके हुए पानी को आक्सीजन देता है। आक्सीजन से पानी में बैक्टीरिया पनपते हैं और वही पानी साफ करते हैं। डा. सोनी बताती हैं कि यह प्रयोग हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के बरमाणा की एक ब्रांडेड सीमेंट फैक्ट्री में हो चुका है।

सरकंडा क्या होते हैं?

[सं-पु.] - 1. एक पौधा जिसके तने में गाँठें होती हैं; गाँठदार सरपत 2.

पौधे की 5 विशेषताएं क्या हैं?

पौधों की सात विशेषताएँ पोषण, श्वसन, गति, उत्सर्जन, वृद्धि, प्रजनन और संवेदनशीलता हैं।

सरकंडा से क्या क्या बनता है?

This is Expert Verified Answer.
Answer: सरकंडे से निम्नलिखित चीज़ें बनती हैं– टोकरी सूप कलम चटाई.
Explanation:.
सरकंडे एक पौधा जिसके तने में गाँठें होती हैं; गाँठदार सरपत 2. मूँज; सरई. सरकंडे से निम्नलिखित चीज़ें बनती हैं– टोकरी सूप कलम चटाई.