सूरत अधिवेशन 1907 के अध्यक्ष कौन थे? - soorat adhiveshan 1907 ke adhyaksh kaun the?

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1907 में हुए सूरत अधिवेशन में कांग्रेस दो दलों में विभाजित हो गई। इस विभाजन का असर छत्तीसगढ़ में भी हुआ। सूरत अधिवेशन की अद्यक्षता राजबिहारी घोष ने की थी।


छत्तीसगढ़ पर प्रभाव :
रायपुर टाउन हॉल में 29 मार्च सन् 1907 में प्रांतीय राजनैतिक अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता आर.एन.मुधोलकर ने की तथा डा. हरीसिंह गौड़ स्वागत समिति के अध्यक्ष थे। दादा साहेब खापर्डे ने सुझाव दिया कि अधिवेशन की कार्यवाही वन्देमातरम् गान से प्रांरभ की जानी चाहिए किन्तु डा. गौड़ और मुधोलकर इस पर सहमत नहीं हुए। इस पर दादा साहेब और डा.मुन्जे अधिवेशन स्थल छोड़कर चले गए।


नरम दल: हरि सिंह गौर, सी.एम. ठक्कर, देवेंद्र चौधरी, रायबहादुर, शिवराम मुंजे, केलकर, देवेन्द्रनाथ चौधरी।
गरम दल: खापर्डे, लक्ष्मणराव उदयगीरकर, रविशंकर शुक्ल, वामनराव लाखे, ठाकुर हनुमान सिंह।

बाद में रविशंकर शुक्ल के प्रयासों से दोनों दल एक हो गए।



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Surat mein Congress ka Vibhajan kab hua?(सूरत में कांग्रेस का विभाजन) Surat mein Congress ka Vibhajan 1907 mein hua.

Immediate Cause Of SURAT SPLIT सूरत विभाजन का तात्कालिक कारण – अध्यक्ष का विवाद -उग्रवादी (Extremist) लाला लाजपत रॉय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे जबकि उदारवादी (Moderator) रास बिहारी बोस को।

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  • सन 1907 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन सूरत में हुआ था जिसकी अध्यक्षता रास बिहारी घोष ने की थी।
  • स्वराज शब्द को परिभाषित करने के सवाल पर उग्रवादियों एवं उदारवादियों में तीव्र मतभेद हो गये। उदारवादी इसका अर्थ औपनिवेशिक स्वशासन से समझते थे, जबकि उग्रवादियों को पूर्ण स्वराज से कम कुछ भी मंजूर नहीं था।
  • इसी अधिवेशन में कांग्रेस गरम दल और नरम दल नामक दो दलों में बंट गयी। इसी को सूरत विभाजन कहते हैं।
  • इस अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रथम बार ‘स्वराज’ की बात कही।
  • 1907 के कांग्रेस के सूरत विभाजन का कारण पार्टी में दो विचारधाराओं का जन्म लेना था जिसकी शुरुआत 1905 के बनारस अधिवेशन में ही हो गई थी जब गोपाल कृष्ण गोखले की अध्यक्षता में अधिवेशन हुआ तो बाल गंगाधर तिलक ने उदारवादियों की “याचिका एवं याचना की नीति” का कड़ा विरोध किया।
  • दिसम्बर 1906 में अध्यक्ष पद को लेकर कलकत्ता अधिवेशन में एकबार फिर मतभेद उभरकर सामने आया। उग्रवादी नेता, बालगंगाधर तिलक या लाला लाजपत राय में से किसी एक को अध्यक्ष बनाना चाहते थे जबकि नरमपंथी डा० रास बिहारी घोष के नाम का प्रस्ताव लाये।
  • परिणामस्वरूप कांग्रेस का नरम दल (नेतृत्व-गोपाल कृष्ण गोखले) एवं गरम दल (नेतृत्व-बाल गंगाधर तिलक) विभाजन हो गया।
  • ‘एनी बेसेंट’ ने इसे कांग्रेस के इतिहास में सबसे दुखदायी घटना बताया।

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सूरत अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?

सन 1907 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन सूरत में हुआ जिसमें कांग्रेस गरम दल और नरम दल नामक दो दलों में बंट गयी। इसी को सूरत विभाजन कहते हैं। 1907 के अधिवेशन की अध्यक्षता रास बिहारी घोष ने की थी।

1907 के सूरत विभाजन के पीछे मुख्य कारण क्या था?

1 1907 के सूरत विभाजन का मुख्य कारण क्या था? Ans. 1 नरमपंथी विभाजन विरोधी आंदोलन को केवल बंगाल तक ही सीमित रखना चाहते थे, जबकि चरमपंथी इसे पूरे देश में और अलग-अलग क्षेत्रों में फैलाना चाहते थे। 1907 में INC में विभाजन का मुख्य कारण उग्रवादियों की नरमपंथियों की क्षमता में विश्वास की कमी थी।

कांग्रेस का प्रथम विभाजन 1907 के सूरत अधिवेशन में हुआ था इसमें दूसरा विभाजन कब हुआ था?

कांग्रेस पार्टी का पहला विभाजन 1907 के सूरत अधिवेशन में हुआ तो इसका दूसरा विभाजन 1918 के मुंबई अधिवेशन में हुआ था

गरम दल की स्थापना कब हुई?

इन्हीं उदारवादी नेताओं ने 1885 ई. से 1905 ई.