दक्कन दंगा आयोग क्यों गठित किया गया? - dakkan danga aayog kyon gathit kiya gaya?

दकान विद्रोह कब हुआ और दकान दंगा कमीशन कब नियुक्त किया गया: 1874-1879 में दचन विद्रोह महाराष्ट्र के पूना, अहमदाबाद, सतारा और शोलापुर आदि क्षेत्रों में मुख्य रूप से फैला हुआ है। दचन विद्रोह मुख्य तो मराठा किसानों द्वारा सूद पर पैसे देने वाले साहूकारों के विरूद्ध किया गया था।

दकान विद्रोह के प्रमुख कारण क्या थे

इसके कुछ प्रमुख कारण थे -

  1. साहूकारों और अनाज के व्यापारियों द्वारा किसानों का दमन: - इस विद्रोह का प्रमुख आधार सूदखोर साहूकारों द्वारा किसानों पर अत्याचार था। महाराष्ट्र के पूना और अहमदनगर जिलों में गुजराती और मारवाड़ी साहूकार में सभी हथकण्डे अपनाकर किसानों का शोषण कर रहे थे। साहूकारों द्वारा किसानों को उच्च ब्याज के जाल में फसा दिया गया था।
  2. ब्रिटिश सरकार द्वारा संवर्धित भूमि कर: - अमेरिकी गृह युद्ध (1863-65) के बाद से आयी कपास के निर्यात मे कमी के कारण भारतीय किसानों की आय प्रभावित हुई थी लेकिन ब्रिटिश सरकार द्वारा भूमि कर में कोई कमी नहीं करी गयी।

उपरोक्त दोनों कारणों से किसान आर्थिक रूप से टूट गया था।

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दक्कन दंगा आयोग की नियुक्ति जो हुआ था वह अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी को हुआ था दक्कन विद्रोह जो हुआ था वह महाराष्ट्र से पुणे अहमदाबाद सतारा और सोलापुर आदि में पूर्ण रूप से ख्याल आता है यह विद्रोह साहूकारों के विरुद्ध किया गया था दक्कन विद्रोह तथा महाराष्ट्र के पुणे के एवं अहमदनगर जिलों में गुजराती और मारवाड़ी सॉन्ग का ढेर ढेर सारे हथकंडे अपनाकर अपनी किसानों का शोषण कर रहे थे दिसंबर 18 से 74 ईसवी में एक सूदखोर कालूराम ने किसान ने के खिलाफ अदालत से घर की नीलामी की डिक्री प्राप्त कर ली थी इस पर किसानों के साहूकारों का विरोध आंदोलन शुरू हो गया था साहूकारों के विरुद्ध आंदोलन की शुरुआत 1814 में हुई थी जिसका शिरूर तालुका के कारण कारण गांव से हुई थी

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दक्कन दंगा आयोग दक्कन विद्रोह में दंगों की प्रकृति तथा कारणों की जांच के लिए सरकार ने द्यारा नियुक्त किया गया था। आयोग का एकमत से निष्कर्ष था कि गरीबी के परिणामस्वरूप किसानों की ऋणाग्रस्तता दक्कन विद्रोह का एकमात्र कारण थी। आयोग के सुझाव पर सरकार ने 1879 ई. में दक्कन कृषक राहत अधिनियम पारित किया। बतादें कि पश्चिमी भारत के दक्कन क्षेत्र में होने वाले कृषक विद्रोह का मुख्य रैयतवाड़ी भू-राजस्व व्यवस्था थी। यहां ​के किसान करों के भारी बोझ के साथ-साथ साहूकारों के चंगुल में भी फंसे हुए थे। अमेरिकी गृहयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् कपास की कीमतों में भारी गिरावट आई। ऐसी परिस्थिति में साहूकारों का शोषण और बढ़ गया। 1867 ई. में सरकार ने भू-राजस्व की दरों में 50% की वृद्धि कर दी, जिसके कृषक समस्याएं चरम पर पहुंच गई, इन्हीं परिस्थितियों में दक्कन में विद्रोह हुए। ....अगला सवाल पढ़े

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Web Title : Dakkan Danga Aayog Kya Hai

दक्कन विद्रोह कब हुआ और दक्कन दंगा कमीशन कब नियुक्त किया गया : 1874-1879 में दक्कन विद्रोह महाराष्ट्र के पूना, अहमदाबाद, सतारा और शोलापुर आदि क्षेत्रों में मुख्य रूप से फैला। दक्कन विद्रोह मुख्यतः मराठा किसानों द्वारा सूद पर पैसा देने वाले साहूकारों के विरूद्ध किया गया था।

दक्कन विद्रोह के प्रमुख कारण क्या थे

इसके दो प्रमुख कारण थे –

  1. साहूकारों एवं अनाज के व्यापारियों द्वारा किसानों का दमन :- इस विद्रोह का प्रमुख आधार सूदखोर साहूकारों द्वारा किसानों पर अत्याचार था। महाराष्ट्र के पूना एवं अहमदनगर जिलों में गुजराती एवं मारवाड़ी साहूकार ढेर सारे हथकण्डे अपनाकर किसानों का शोषण कर रहे थे। साहूकारों द्वारा किसानों को उच्च ब्याज के जाल में फसा दिया गया था।
  2. ब्रिटिश सरकार द्वारा बढ़ाया गया भूमि कर :- अमेरिकी गृह युद्ध (1863-65) के बाद से आयी कपास के निर्यात मे कमी के कारण भारतीय किसानों की आय प्रभावित हुई थी परन्तु ब्रिटिश सरकार द्वारा भूमि कर में कोई कमी नहीं करी गयी।

उपरोक्त दोनों कारणों से किसान आर्थिक रूप से टूट चुका था। दिसम्बर, 1874 ई० में शिरूर तालुका के करडाह गाँव के एक सूदखोर कालूराम ने किसान (बाबा साहिब देशमुख) के खिलाफ़ अदालत से घर की नीलामी की डिक्री (कुर्की वारंट) प्राप्त कर ली। इस पर किसानों ने साहूकारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया और साहूकारों के घरों एवं कार्यालयों में घुस कर लेखा बहियाँओं को जलाना शुरू कर दिया गया।

1875 ई0 तक यह आन्दोलन अन्य जगहों पर फैल गया। बही-खाते जला दिए गए तथा ऋणबंधों को नष्ट करा जाने लगा। साहूकार एवं अनाज व्यापारी रातों-रात गाँव छोड़कर भागने लगे।

दक्कन आंदोलन का नेतृत्व किसने किया

वासुदेव बलवंत फड़के ने दक्कन विद्रोह का नेतृत्व किया। इसमें उनको महाराष्ट्र के शिक्षित वर्ग का खासा सहयोग प्राप्त हुआ। जस्टिस एम० जी० रानाड़े इसमें से प्रमुख नामों में से एक थे।

दक्कन आंदोलन के परिणाम

1. ब्रिटिश सरकार ने “दक्कन उपद्रव आयोग” का गठन किया। किसानों की स्थिति में सुधार हेतु 1876 ई० में “दक्कन कृषक राहत अधिनियम 1879” को पारित किया गया।

दक्कन कृषक राहत अधिनियम 1879 – इस अधिनियम का मूल उद्देश्य निम्नवत है –

  • बेदखल खेतिहर किसानों को उनकी जमीनें वापस लौटाना था।
  • विशेष अवसरों जैसे शादी एवं त्यौहारों पर किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कराना।
  • ऋणग्रस्त भूमि की बिक्री किसी बाहरी व्यक्ति को करने पर प्रतिबंध।
  • दिवालिया किसानों की सहायता करना।

2. किसानों के आत्म विश्वास में वृद्धि।

दक्कन दंगा कमीशन क्यों गठित किया गया ?

दक्कन दंगा कमीशन किसानों की स्थिति में सुधार हेतु 1876 ई० में गठित किया गया। जिसका उद्देश्य बेदखल खेतिहर किसानों को उनकी जमीनें वापस लौटाना, दिवालिया हो चुके किसानों की सहायता करना, ऋणग्रस्त भूमि की बिक्री किसी बाहरी व्यक्ति को न करना एवं विशेष अवसरों जैसे शादी एवं त्यौहारों पर किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कराना था।

दक्कन दंगा कमीशन क्यों गठित किया गया?

जून 1875 तक लगभग एक हजार किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया और विद्रोह को पूरी तरह से दबा दिया गयादक्कन विद्रोह एक खंडित क्रांति थी। अंत में भारत सरकार ने विद्रोह के कारणों की जांच के लिए दक्कन दंगा आयोग की नियुक्ति की। 1879 के कृषक राहत अधिनियम ने दक्कन के किसानों की बेहतरी के लिए कई उपाय किए।

दक्कन दंगा आयोग कब गठित हुआ ?`?

दक्कन दंगा कमीशन किसानों की स्थिति में सुधार हेतु 1876 ई० में गठित किया गया।

ढक्कन का विद्रोह कब हुआ था?

मई 1875 – जून 1875दक्कन विद्रोह / अवधिnull

दक्कन के किसानों का महाजनों के प्रति गुस्सा क्यों था?

1870 ई के आस-पास दक्कन के रैयत ऋणदाताओं के प्रति अत्यधिक क्रुद्ध थे। ऋणदाता द्वारा ऋण देने से इनकार किए जाने पर, रैयत समुदाय को बहुत गुस्सा आया। किसानों को लगता था की ऋणदाता इतना संवेदनहीन हो गए है जो उनकी हालत पर तरस नहीं खाता। ऋणदाता लोग देहात के प्रथागत मानकों यानी रूढ़ि रिवाजों का भी उल्लंघन कर रहे थे।