ले. ज. बीएस राजू - फोटो : social media Show
विस्तारलेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू को थलसेना का नया उप प्रमुख नियुक्त किया गया है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू को उप सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किए जाने पर बधाई दी है। लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू 1 मई 2022 को पद ग्रहण करेंगे। डीजी मिलिटरी ऑपरेशंस की कमान संभाली ले. जनरल बीएस राजू को 15 दिसंबर 1984 को जाट रेजिमेंट में कमीशन किया गया था। उनका करिया 38 साल का रहा है, जहां वह सेना मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण रेजिमेंट, स्टाफ और निर्देशात्मक नियुक्तियों का हिस्सा रहे। फिलहाल वह डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस का पद संभाल रहे हैं। कश्मीर में तैनाती के दौरान अहम भूमिका निभाई ले. जनरल राजू एक बेहतरीन पायलट भी हैं और उन्होंने सोमालिया में UNOSOM II के तहत हिस्सा भी लिया था। उन्होंने भारत में सभी अहम करियर पाठ्यक्रमों में भी हिस्सा लिया है और ब्रिटेन में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में एनडीसी पूरा किया है। सेना में शानदार योगदान के लिए उन्हें उत्तम युद्ध सेवा पदक अति विशिष्ट सेवा पदक और युद्ध सेवा पद से सम्मानित किया गया है। मनोज पांडे देश के सर्वोच्च सैन्य संस्थानों में से एक एनडीए यानी नेशनल डिफेंस अकेडमी के छात्र रहे हैं. दिसंबर 1982 में उन्हें कोर ऑफ इंजीनियर्स में शामिल किया गया था.New Army Chief: थलसेना प्रमुख बनाए गए मनोज पांडे Image Credit source: TV9 Gfx/Nilesh New Army Chief: लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे (Manoj Pande) को देश का नया थलसेना प्रमुख बनाया गया है. शनिवार को उन्होंने जनरल एमएम नरवणे (General MM Naravane) की जगह ली और देश के 29वें थल सेना प्रमुख के तौर पर पदभार ग्रहण किया. वह सेना के इंजीनियरिंग विंग से आते हैं और ऐसा पहली बार है, जब सेना की इंजीनियर कोर के किसी अधिकारी ने थलसेना (Army) की कमान संभाली है. इससे पूर्व 28 बार पैदल सेना, तोपखाना और बख्तरबंद रेजिमेंट के अधिकारी ही थलसेना प्रमुख बनाए जाते रहे हैं. तमाम चुनौतियों और जिम्मेदारी के बीच मनोज पांडे के हाथ अब 13 लाख कर्मियों वाली थल सेना की कमान है. लेफ्टिनेंट जनरल पांडे कौन हैं, अबतक कौन सी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं, उनके करियर की उपलब्धियां क्या रही हैं, क्यों वे ही थलसेना प्रमुख पद के लिए सबसे उपयुक्त हैं और संसद पर हुए हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन पराक्रम में उनका क्या रोल रहा है…. ये तमाम बातें जानते हैं विस्तार से. मां रेडियो में अनाउंसर थीं और पिता प्रोफेसरलेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे नागपुर के रहने वाले हैं. उनकी पत्नी डॉक्टर जबकि बेटा और बहु एयरफोर्स में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में उनके बचपन के दोस्त दिलीप अठावले से उनके परिवार के बारे में बताया गया है. मनोज पांडे के पिता चंद्रशेखरजी पांडे नागपुर विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रह चुके हैं, वहीं उनकी मां प्रेमा पांडे ऑल इंडिया रेडियो में अनाउंसर थीं और नियमित रूप से रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम मधु मालती की प्रस्तोता थीं. लेफ्टिनेंट जनरल पांडे की पत्नी अर्चना पांडे डेंटिस्ट हैं. उनके बेटे और बहु दोनों भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) में पायलट हैं. पूर्वी सेना की कमान संभाल रहे थे मनोज पांडेमनोज पांडे देश के सर्वोच्च सैन्य संस्थानों में से एक एनडीए यानी नेशनल डिफेंस अकेडमी के छात्र रहे हैं. दिसंबर 1982 में उन्हें कोर ऑफ इंजीनियर्स में शामिल किया गया था. वे अब तक थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे के बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी थे. बीते एक फरवरी को लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को थल सेना का उप-प्रमुख बनाया गया था. 1 फरवरी से पहले वह थल सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और आसपास के सेक्टरों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की रखवाली का काम सौंपा गया था. देखें पदभार के दौरान की कुछ तस्वीरें:
संभाल चुके हैं कई अहम जिम्मेदारियांजनरल पांडे का सैन्य करियर करीब 4 दशक का रहा है. अपने विशिष्ट करियर में जनरल पांडे ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं. उन्होंने अंडमान और निकोबार कमांड (CINCAN) के कमांडर-इन-चीफ के रूप में भी काम किया है. बता दें कि CINCAN भारत की एकमात्र त्रि-सेवा कमान है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ पल्लनवाला सेक्टर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान एक इंजीनियर रेजिमेंट के तौर पर कमान संभाली थी. ऑपरेशन पराक्रम में बड़ी भूमिकादिसंबर 2001 में संसद पर हुए आतंक हमले के बाद सेना ने ऑपरेशन पराक्रम की शुरुआत हुई थी. इस खास ऑपरेशन के तहत आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान से सटने वाली भारत की पश्चिमी सीमा पर सैन्य हथियारों और सेना के जवानों की बड़े पैमाने पर लामबंदी की गई थी. एक समय तो ऐसा लग रहा था, जैसे भारत और पाकिस्तान युद्ध की कगार पर खड़े हों. ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उन्होने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ पल्लनवाला सेक्टर में एक इंजीनियर रेजिमेंट के तौर पर कमान संभाली थी. पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक दी सेवामनोज पांडे ने अपने 39 साल के सैन्य करियर में कई भूमिकाओं में खुद को साबित किया है. वे लद्दाख से लेकर अंडमान और निकोबार तक और पूर्वोत्तर भारत से लेकर पश्चिमी सेक्टर तक सेवा में रहे हैं. उन्होंने वेस्टर्न थिएटर में एक इंजीनियर ब्रिगेड, लद्दाख सेक्टर में एक माउंटेन डिवीजन, एलओसी के साथ एक पैदल सेना ब्रिगेड और उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली है. वह अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ का कार्यभार संभाल चुके हैं. अब देश के थल सेना की कमान उनके हाथ में है. आगे क्या होंगी चुनौतियां?जनरल पांडे को ऐसे समय में भारतीय सेना की कमान दी गई है, जब देश कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है. इन चुनौतियों में पाकिस्तान के साथ एलओसी और चीन के साथ एलएसी पर संघर्ष शामिल है. सेना प्रमुख के रूप में, उन्हें थिएटर कमांड को तैयार करने की सरकार की योजना के मुताबिक, नौसेना और वायु सेना के साथ भी समन्वय करना होगा और तमाम चुनौतियों से पार पाना होगा. थल सेना प्रमुख कौन है 2022?जनरल मनोज पांडे ने 30 अप्रैल 2022 को जनरल मनोज मुकुंद नरवने से 29वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया. जनरल नरवने चार दशकों के शानदार करियर के बाद सेवानिवृत्त हुए.
तीनों सेनाओं के प्रमुख कौन होता है?तीनों सेना प्रमुखों में एडमिरल आर हरि कुमार सबसे सीनियर हैं. जनरल पांडे तीसरे नंबर पर हैं. तीनों सेना प्रमुखों से प्रधानमंत्री मोदी ने अलग अलग 30 मिनट तक मुलाकात की.
भारत की थल सेना कितनी है?भारत के पास सेना में सक्रिय सैनिकों की संख्या 14,55,550 और रिज़र्व सैनिकों की संख्या 11,55,000 है जो दुनियाभर में सबसे अधिक संख्याओं में से एक है.
|