दुर्गा जी को दूर्वा क्यों नहीं चढ़ती - durga jee ko doorva kyon nahin chadhatee

हिंदी न्यूज़ धर्मNavratri 2019: नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के ये खास नियम पता हैं आपको

इस बार नवरात्र 29 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं। पूजा के दौरान इन खास नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।  ’    नौ दिनों तक माता का व्रत रखें। अगर शक्ति न हो तो पहले, चौथे और...

दुर्गा जी को दूर्वा क्यों नहीं चढ़ती - durga jee ko doorva kyon nahin chadhatee

Anuradhaस्मार्ट टीम,नई दिल्लीFri, 27 Sep 2019 10:49 AM

इस बार नवरात्र 29 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं। पूजा के दौरान इन खास नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। 

’    नौ दिनों तक माता का व्रत रखें। अगर शक्ति न हो तो पहले, चौथे और आठवें दिन का उपवास अवश्य करें। 
’    पूजा स्थान में दुर्गा, लक्ष्मी और मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके फूलों से सजाकर पूजन करें।
’    नौ दिनों तक मां दुर्गा के नाम की ज्योति जलाएं।
’    मां के मंत्र का स्मरण जरूर करें- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ 
’    इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
’    मां दुर्गा को तुलसी दल और दूर्वा चढ़ाना मना है।
’    पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है। आसन लाल रंग का और ऊनी होना चाहिए।
’    पूजा के समय लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है। वहीं इस दौरान लाल रंग का तिलक भी लगाएं। 
’    कलश की स्थापना शुभ मुहूर्त में करें और कलश का मुंह खुला न रखें। 
’    पूजा करने के बाद मां को दोनों समय लौंग और बताशे का भोग लगाएं।
’    मां को सुबह शहद मिला दूध अर्पित करें। पूजन के पास इसे ग्रहण करने से आत्मा व शरीर को बल प्राप्ति होती है।  
’    आखिरी दिन घर में रखीं पुस्तकें, वाद्य यंत्रों, कलम आदि की पूजा जरूर करें।

नवरात्र में इस दिन करें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना

29    सितम्बर, प्रतिपदा-नवरात्र के पहले दिन घट या कलश स्थापना की जाती है। इस दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है।
30    सितम्बर, द्वितीया-नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है।
01    अक्तूबर, तृतीया-नवरात्र के तीसरे दिन मां  चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
02    अक्तूबर, चतुर्थी-नवरात्र के चौथे दिन मां के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। 
03    अक्तूबर, पंचमी-नवरात्र के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। 
04    अक्तूबर, षष्ठी-नवरात्र के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है।
05    अक्तूबर, सप्तमी-नवरात्र के सातवें 
दिन  कालरात्रि की पूजा होती है।
06    अक्तूबर, अष्टमी-नवरात्र के आठवें दिन माता के भक्त महागौरी की आराधना करते हैं। 
07    अक्तूबर, नवमी-नवरात्र का नौवें 
दिन मां सिद्धिदात्री 
की पूजा और नवमी हवन करके नवरात्र परायण किया जाता है। 
08    अक्तूबर, दशमी-दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी  

दुर्गा जी को दूर्वा क्यों नहीं चढ़ती - durga jee ko doorva kyon nahin chadhatee

पूजा पाठ के दौरान फूलों का भी विशेष महत्व होता है. हर देवी-देवता को किसी खास तरह के फूल पसंद होते हैं. लिहाजा देवी मां (Goddess Durga) की पूजा करते समय भी आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि मां को कौन से फूल सबसे ज्यादा पसंद हैं (Favorite flowers).

हमारे जीवन में वास्तु शास्त्र का बेहद महत्व होता है, वास्तु में जीवन से जुड़ी हर एक शुभ अशुभ बात का उल्लेख किया गया है.वास्तु में हर एक चीज को सही प्रकार से करने के बारे में बताया गया है.वास्तु विज्ञान में  जीवन यापन हो पूजा-पाठ हो सभी के बारे में उल्लेख किया गया है.वास्तु में पूजा-पाठ को लेकर भी वास्तु शास्त्र में भी कई नियम बनाए गए हैं. बताया गया है कि मां भगवती को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए और कौन सा नहीं.

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त जमकर पूजा-अर्चना करते हैं. माता की कृपा पाने के लिए भक्त हमेशा ही विशेष रूप से पूजा अर्चना करते हैं. अगर मां भगवती को प्रसन्न करना है तो उनके अप्रिय फूल को पूजा में कभी ना चढाएं. जी हां.दुर्गा मां की पूजा के लिए कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. पूजा के लिए सबसे अहम चीज है पुष्प जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.

माता रानी को कौन से फूल ना चढ़ाएं

माता रानी के नौ रूपों के लिए भक्त हमेशा अलग-अलग फूल चढ़ाते हैं, जिससे मां की कृपा मिले. वहीं कई ऐसे भी फूल हैं जिन्हें अर्पित करने पर माता रानी रुष्ट हो सकती है. हम सभी को पता है कि सभी देवता या देवियों एक प्रिय पुष्प होता है, जो चढ़ाना काफी शुभ होता है. फूल, खुशूबू व रंग का मिलाजुला रूप और इनका सीधा संबंध घर के वास्तु शास्त्र से है.

इसी बात को ध्यान रखते हुए भारतीय मनीषियों ने तंत्रसार, मंत्र महोदधि और लघु हारित में कहा है कि श्री विष्णु को सफेद और पीले फूल प्रिय हैं. सूर्य, गणेश और भैरव को लाल फूल पसंद हैं, जबकि भगवान शंकर को सफेद फूल प्रिय हैं. लेकिन खास बात ये है कि किस एनर्जी पैटर्न को कौन-सा रंग या गंध फेवरेबल नहीं है.

भगवान विष्णु को अक्षत यानी चावल नहीं चढ़ाने चाहिए, साथ ही मदार और धतूरे के फूल भी नहीं चढ़ाने चाहिए. वहीं माता दुर्गा को दूब, मदार, हरसिंगार, बेल और तगर न चढ़ाएं. चम्पा और कमल को छोड़कर किसी भी फूल की कली नहीं चढ़ानी चाहिए.  जो फूल अपवित्र स्थानों पर उगते हैं, जिन फूलों की पंखुड़ियों बिखरी हुई होती हैं, तेज गंध वाले फूल, सूंघे हुए फूल, जमीन पर गिरे हुए फूल- ऐसे फूल देवी मां को भूल से भी न चढ़ाएं वरना देवी मां नाराज हो सकती हैं.अक्सर होता है कि माता रानी पर किसी भी तरह का फूल या फिर कली हम चढ़ा देते हैं, तो कि कभी नहीं करना चाहिए. इससे माता रानी नाराज भी हो सकती हैं. जहां तक हो सके मां रानी पर लाल रंग के फूल ही अर्पित करने चाहिए.

नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

दुर्गा को दूर्वा क्यों नहीं चढ़ता है?

दुर्गा माता को दूर्वा क्यों नहीं चढ़ाई जाती है? देवी देवता अपनी विशेष शक्तियों के विशेषज्ञ और सद्गुणों से सम्पन्न होते हैं । उनकी प्रकृति यानी स्वभाव और प्रवृत्तियों के अनुसार ही उनकी पूजा योग्य वस्तुओं का निर्धारण विद्वानों ने किया है। यही शास्त्रीय परंपरा रही है।

दुर्गा जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

मां दुर्गा को कनेर, धतूरा और मदार जैसे पुष्प चढ़ाना वर्जित माना जाता है।

दुर्गा जी को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के साथ शालिग्राम स्वरुप में हुआ है. इस कारण से हर साल तुलसी विवाह भी आयोजित होता है. विष्णु जी के आशीर्वाद से ही तुलसी को उनकी पूजा में अवश्य शामिल किया जाता है. शालिग्राम स्वरुप में ​विवाह होने के कारण माता लक्ष्मी को तुलसी प्रिय नहीं हैं.

मां दुर्गा को क्या पसंद है?

हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से रोगों और हर संकट से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन मां को गुड़ वाली शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है।