उपवास के दौरान क्या नहीं करना चाहिए? - upavaas ke dauraan kya nahin karana chaahie?

फूड डेस्क। उपवास अगर सही नियम और तरीके से किए जाएं तो सेहत के लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं। ​ एम्स नई दिल्ली की असिस्टेंट डाइटीशियन रेखा पाल शाह का कहना है कि कई लोग उपवास के नाम पर ऑयली, मीठा, फ्रूट्स, मेवे वगैरह सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा खा लेते हैं, इससे उपवास का फायदा मिलने के बजाय नुकसान हो सकता है। रेखा बता रही हैं खान-पान से जुड़ी ऐसी कुछ गलतियां जो लोग उपवास के दौरान करते हैं और इससे सेहत को नुकसान पहुंच सकता है या फिर उपवास से मिलने वाला फायदा नहीं मिलता।  

1. एनर्जी बनाए रखने के लिए प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स वाली डाइट लें। फैटी चीजें कम खाएं। 

2. उपवास में फ्रूट, दूध, जूस जैसे फूड लें जिनसे दिन भर में बॉडी को जरूरी कैलोरी मिलती रहे। 

3. सिर्फ चाय या नींबू पानी पीकर व्रत न रहें। सॉलिड फूड भी लेना बहुत जरूरी है। 

4. उपवास में सिंघाड़े या कुट्टू के आटे की पुड़ी या पराठा के बजाय रोटी बनाकर खाना ज्यादा हेल्दी है। 

5. खाली पेट रहने से एसिडिटी बढ़ सकती है। इसलिए ज्यादा देर तक पेट खाली न रखें। 

6. खाली पेट खट्टे फल खाने से जलन हो सकती है। नींबू, संतरा, मौसम्बी के बजाय तरबूज, खीरा, एप्पल खाएं। 

7. एक बार ढेर सारा फलाहार करने के बजाय थोड़ी थोड़ी देर में फ्रूट सलाद या दही जैसी चीज लेना फायदेमंद है। 

8. नारियल पानी दिन में कई बार ले सकते हैं। इससे बॉडी के जरूरी न्यूट्रिएंट्स और इलेक्ट्रोलाइट्स भी मिलेंगे। 

9. उपवास में ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इससे बॉडी हाइड्रेट रहेगी और अंदरूनी सफाई भी होगी। 

10. उपवास के दौरान मूंगफली, बादाम, अखरोट जैसे ड्रायफ्रूट्स खाने से पेट भरा रहेगा और एनर्जी भी मिलेगी। 

आगे की स्लाइड्स में जानिए उपवास के दौरान कौन सी गलतियां न करें...

(नहाते समय कौन से काम नहीं करने चाहिए, जानने के लिए क्लिक करें आखिरी स्लाइड पर)

व्रत-उपवास के दौरान न करें ये कार्य, जानिए क्यों? 

व्रत हमारी सात्विक परंपरा है। लेकिन  व्रत के दौरान अगर आपने कुछ ऐसे कार्य किए जो निषेध बताए गए हैं तो आपका व्रत टूट सकता है। जानिए व्रत के नियम ... 

1 क्षमा, सत्य, दया, दान, शौच, इन्द्रिय-संयम, देवपूजा, अग्निहो़त्र, संतोष तथा चोरी ना करना, यह 10 नियम सम्पूर्ण व्रतों में आवश्यक माने गए हैं।

2  बार-बार पानी पीने से, पान खाने से, दिन में सोने से, मैथुन करने से उपवास दूषित हो जाता है।

3 व्रत करने वाले मनुष्य को कांसे का बर्तन, मधु, पराए अन्न का त्याग करना चाहिए तथा व्रती को अशुद्ध वस्त्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। 

मत-मतांतर से यह भी कहा जाता है कि सुंदर वस्त्र, अलंकार, सुगंधित वस्तुएं, इत्र आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। जबकि कुछ पंडितों की मान्यता है कि व्रत के दिन साफ-सुंदर व सजा-धजा होना चाहिए। ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि दूसरा मत अधिक सही है। व्रत के दिन शुद्ध व सजा-संवरा होना चाहिए। 

हिन्दू धर्म में संपूर्ण वर्ष में कई प्रकार के उपवास आते हैं, जैसे वार के उपवास, माह में दूज, चतुर्थी, एकादशी, प्रदोष, अमावस्या या पूर्णिमा के उपवास। वर्ष में नवरात्रि, श्रावण माह या चातुर्मास के उपवास आदि। लेकिन संभवत: बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उपवास का विधान क्या है। अधिकतर लोग तो खूब फरियाली खाकर उपवास करते हैं या अपने मन से नियम बनाकर उपवास करते हैं।

यह देखा गया है कि नवरात्रि में कुछ लोग चप्पल छोड़ देते हैं लेकिन गाली देना नहीं। जबकि नवरात्रि में यदि आप उपवास कर रहे हैं तो यात्रा, सहवास, वार्ता, भोजन आदि त्यागकर नियमपूर्वक उपवास अर्थात माता के पास रहना होता है। उपवास का अर्थ ही होता है कि किसी का अपने मन में वास करना। व्रत का अर्थ होता है तप या संकल्प।

हालांकि उपवास में कई लोग साबूदाने की खिचड़ी, फलाहार या राजगिरे की रोटी और भिंडी की सब्जी खूब ठूसकर खा लेते हैं। इस तरह के उपवास से कैसे लाभ मिलेगा? उपवास के शस्त्रों में उल्लेखित नियम का पालन करेंगे तभी तो लाभ मिलेगा।


1.मन : उपवास करते वक्त मन में जो विचार चल रहे हैं उस पर ध्यान देना जरूरी है। मन में बुरे-बुरे विचार आ रहे हैं या आप बुरा सोच रहे हैं तो कैसे मिलेगा लाभ?

2.वचन : आप किसी से किसी भी प्रकार की वार्तालाप कर रहे हैं तो उसमें शब्दों के चयन पर ध्यान देना जरूरी है। असत्य और अपशब्द बोल रहे हैं तो कैसे मिलेगा लाभ?

3.कर्म : आप कुछ भी कर रहे हैं तो उस कर्म पर ध्यान दें। खूब सोना, सहवास करना या क्रोध करना उपवास में वर्जित होता है।

उपवास के दौरान क्या करें?

मन, वचन और कर्म से शुद्ध और पवित्र बने रहें। इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए।

उपवास के कई प्रकार होते हैं उन्हें अच्छे से जान लें। व्रत या उपवास में एक समय भोजन करने को एकाशना या अद्धोपवास कहते हैं। ऐसा नहीं कर सकते कि आप सुबह फलाहार ले लें और फिर शाम को भोजन कर लें। इसी तरह पूरे समय व्रत करने को पूर्णोपवास कहते हैं। पूर्णोपवास के दौरान जल ही ग्रहण किया जाता है।

कुछ दिनों तक सिर्फ रसदार फलों या भाजी आदि पर रहना फलोपवास कहलाता है। अगर फल बिलकुल ही अनुकूल न पड़ते हो तो सिर्फ पकी हुई साग-सब्जियां खानी चाहिए। नवरात्रि में अक्सर ये उपवास किया जाता है, लेकिन साबूदाने के प्रचलन के चलते लोग दोनों समय खूब डटकर साबूदाने की खिचड़ी खाकर मस्त रहते हैं। उसमें भी दही मिला लेते हैं। ऐसे में तो फिर व्रत या उपवास का कोई मतलब नहीं। व्रत या उपवास का अर्थ ही यही है कि आप भोजन को त्याग दें।

चातुर्मास के व्रत में तो दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है।

श्रावण व्रत : व्रत ही तप है। यह उपवास भी है। हालांकि दोनों में थोड़ा फर्क है। व्रत में मानसिक विकारों को हटाया जाता है, तो उपवास में शारीरिक। इन व्रतों या उपवासों को कैसे और कब किया जाए, इसका अलग नियम है। नियम से हटकर जो मनमाने व्रत या उपवास करते हैं, उनका कोई धार्मिक महत्व नहीं। व्रत से जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं रहता। व्रत से ही मोक्ष प्राप्त किया जाता है। श्रावण माह को व्रत के लिए नियुक्त किया गया है। श्रावण मास में उपाकर्म व्रत का महत्व ज्यादा है, इसे 'श्रावणी' भी कहते हैं।

उपवास के लाभ : अगर आप उपवास करने का तरीका व उपवास के प्रकार के बारे में जानकर उपवास करेंगे तो निश्चित ही लाभ मिलेगा। उपवास में जहां शरीर स्वस्थ होता है वहीं उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उपवास से मानसिक सुदृढ़ता बढ़ती है और आत्मबल का विाकस होता है। उपवास जिस उद्देश्य के लिए किया गया है वह पूर्ण होता है। यदि किसी भी प्रकार की मनोकामना की गई है और उपवास नियम और ईमादनारी से किया गया है तो निश्चित ही मनोकामना पूर्ण होती है।

उपवास से पाचन क्रिया सही होती है। वजन नियंत्रित होता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सही बनी रहती है। शरीर से विजातीय पदार्थबाहर निकल जाते हैं।

व्रत के दिन क्या क्या नहीं करना चाहिए?

ऐसा कतई ना करें वरना टूट जाएगा व्रत.
1 क्षमा, सत्य, दया, दान, शौच, इन्द्रिय-संयम, देवपूजा, अग्निहो़त्र, संतोष तथा चोरी ना करना, यह 10 नियम सम्पूर्ण व्रतों में आवश्यक माने गए हैं।.
2 बार-बार पानी पीने से, पान खाने से, दिन में सोने से, मैथुन करने से उपवास दूषित हो जाता है।.

क्या व्रत में दिन में सो सकते हैं?

व्रत करने वाले व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि दिन में नहीं सोना चाहिए और उसके अंदर क्षमा की भावना हो। दिन में सोने से व्रत का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता और क्षमा की भावना होने से आप ईश्वर के करीब आ पाते हैं। साथ ही इसको आदत भी बना लें।

उपवास के नियम क्या है?

उपवास करने के दिन भूलकर भी क्रोध ना करें और अपने मन में किसी प्रकार का नकारात्मक विचार ना रखें। व्रत वाले दिन हमेशा हल्का सुपाच्य फलाहार करें और भूलकर भी तामसिक भोजन ना करें. व्रत के पूर्ण होने पर उसका विधि-विधान से उद्यापन करें और अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटते हुए घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें.

उपवास रखने से कौन सा अंग खराब हो जाता है?

उपवास आपके गुर्दों को प्रभावित कर सकता है तथा यह गुर्दे की पथरी का कारण भी बन सकता है। इस समस्या से बचने के लिए हमें पर्याप्त पानी (तरल पदार्थ) पीना चाहिए ताकि कैल्शियम तथा इस तरह के संबद्ध पोषक तत्व जमा ना हो सकें। 3. मधुमेह, उच्च रक्तचाप, या खून की कमी से पीड़ित लोगों को व्रत रखने से कुछ परेशानियां हो सकती हैं।