विभवमापी की सुविधा कैसे बढ़ाई जा सकती है? - vibhavamaapee kee suvidha kaise badhaee ja sakatee hai?

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 3 Current Electricity (विद्युत धारा) are part of UP Board Solutions for Class 12 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 3 Current Electricity (विद्युत धारा).

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UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 3 Current Electricity (विद्युत धारा)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी कार की संचायक बैटरी का विद्युत वाहक बल 12 V है। यदि बैटरी को आन्तरिक प्रतिरोध 0.4 Ω हो तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या है?
हल-
E वैद्युत वाहक बल वाली बैटरी से ली जाने वाली धारा,
I = [latex s=2]\frac { E }{ R+r }[/latex]
जिसमें R बाह्य प्रतिरोध तथा r आन्तरिक प्रतिरोध है।
अधिकतम धारा के लिए बाह्य प्रतिरोध, R = 0
धारा, I = [latex s=2]\frac { E }{ r }[/latex] = [latex s=2]\frac { 12 }{ 0.4 }[/latex] = 30 A

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प्रश्न 2.
10 V विद्युत वाहक बल वाली बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 3 Ω है, किसी प्रतिरोधक से संयोजित है। यदि परिपथ में धारा का मान 0.5 A हो तो प्रतिरोधक का प्रतिरोध क्या है? जब परिपथ बन्द है तो सेल की टर्मिनल वोल्टता क्या होगी?
हल-
दिया है, बैटरी का वैद्युत वाहक बल E = 10 वोल्ट
बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध = 3 ओम
| परिपथ में धारा I = 0.5 ऐम्पियर
प्रतिरोधक का प्रतिरोध R = ?
बन्द परिपथ में बैटरी की टर्मिनल वोल्टता V= ?

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प्रश्न 3.
(a) 1 Ω, 2 Ω और 3 Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणी में संयोजित हैं। प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या है?
(b) यदि प्रतिरोधकों का संयोजन किसी 12 V की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है से सम्बद्ध है तो प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टता पात ज्ञात कीजिए।

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हल-
दिया है, R1 = 1 Ω; R2 = 2 Ω; R3 = 3 Ω
(a) यदि श्रेणी संयोजन में तुल्य प्रतिरोध R हो, तो
R = R1 + R2 + R3 = 1 + 2 + 3 = 6 ओम
(b) दिया है, बैटरी का वै० वा० बल E = 12 वोल्ट
बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध r = 0
तथा बाह्य प्रतिरोध R = 6 ओम
यदि संयोजन द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा i हो, तो
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प्रश्न 4.
(a) 2 Ω, 4 Ω और 5 Ω के तीन प्रतिरोधक पार्श्व में संयोजित हैं। संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
(b) यदि संयोजन को 20 V के विद्युत वाहक बल की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध किया जाता है तो प्रत्येक प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली धारा तथा बैटरी से ली गई कुल धारा का मान ज्ञात कीजिए।
हल-
(a) समान्तरक्रम में तुल्य प्रतिरोध Rp के लिए

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प्रश्न 5.
कमरे के ताप (27.0°C) पर किसी तापन-अवयव का प्रतिरोध 100 Ω है। यदि तापन-अवयव का प्रतिरोध 117 Ω हो तो अवयव का ताप क्या होगा? प्रतिरोधक के पदार्थ का ताप-गुणांक 1.70 x 10-4°C-1 है।

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प्रश्न 6.
15 मीटर लम्बे एवं 6.0 x 10-7 m2 अनुप्रस्थ काट वाले तार से उपेक्षणीय धारा प्रवाहित की गई है और इसका प्रतिरोध 5.0 Ω मापा गया है। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता क्या होगी?
हल-
दिया है, तार की लम्बाई l = 15 मीटर
तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A = 6.0 x 10-7 मीटर
तथा तार का प्रतिरोध R = 5.0 ओम
तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता ρ = ?

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प्रश्न 7.
सिल्वर के किसी तार का 27.5°C प प्रतिरोध 2.1 Ω और 100°C पर प्रतिरोध 2.7 Ω है। सिल्वर का प्रतिरोधकता ताप-गुणांक ज्ञात कीजिए।

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प्रश्न 8.
नाइक्रोम का एक तापन-अवयव 230 V की सप्लाई से संयोजित है और 3.2 A की प्रारम्भिक धारा लेता है जो कुछ सेकेण्ड में 2.8 A पर स्थायी हो जाती है। यदि कमरे का ताप 27.0°C है तो तापन-अवयव का स्थायी ताप क्या होगा? दिए गए ताप-परिसर में नाइक्रोम का औसत प्रतिरोध का ताप-गुणांक 1.70 x 10-4°C-1 है।

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प्रश्न 9.
चित्र 3.2 में दर्शाए नेटवर्क की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।

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प्रश्न 10.
(a) किसी मीटर-सेतु में जब प्रतिरोधक S = 12.5 Ω हो तो सन्तुलन बिन्दु, सिरे A से 39.5 cm की लम्बाई पर प्राप्त होता है। R का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। व्हीटस्टोन सेतु या मीटर सेतु में प्रतिरोधकों के संयोजन के लिए मोटी कॉपर की पत्तियाँ क्यों प्रयोग में लाते हैं ?
(b) R तथा S को अन्तर्बदल करने पर उपर्युक्त सेतु का सन्तुलन बिन्दु ज्ञात कीजिए।
(c) यदि सेतु के सन्तुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर और सेल का अन्तर्बदल कर दिया जाए तब क्या गैल्वेनोमीटर कोई धारा दर्शाएगा?

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प्रश्न 11.
8 V विद्युत वाहक बल की एक संचायक बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 0.5 Ω है, को श्रेणीक्रम में 15.5 Ω के प्रतिरोधक का उपयोग करके 120 V के D.C. स्रोत द्वारा चार्ज किया जाता है। चार्ज होते समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता क्या है? चार्जकारी परिपथ में प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में सम्बद्ध करने का क्या उद्देश्य है?
हल-
जब बैटरी को 120 V की D.C. सप्लाई से आवेशित किया जाता है, तो बैटरी में सामान्य अवस्था की अपेक्षा धारा विपरीत दिशा में होगी। अतः बैटरी की टर्मिनल वोल्टता,
V = E + Ir
यहाँ विद्युत वाहक बल, E = 8 V, आन्तरिक प्रतिरोध r = 0.5 Ω
परिपथ में धारा,

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श्रेणी-प्रतिरोध बाह्य D.C. सप्लाई से ली गई धारा को सीमित करता है। बाह्य प्रतिरोध की अनुपस्थिति में संचायक बैटरी द्वारा अनुमेय सुरक्षित धारा के मान से अधिक धारा प्रवाहित हो सकती है।

प्रश्न 12.
किसी पोटेशियोमीटर व्यवस्था में, 1.25 V विद्युत वाहक बल से एक सेल का सन्तुलन बिन्दु तार के 35.0 cm लम्बाई पर प्राप्त होता है। यदि इस सेल को किसी अन्य सेल द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो सन्तुलन बिन्दु 63.0 cm पर स्थानान्तरित हो जाता है। दूसरे सेल का विद्युत वाहक बल क्या है ?

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प्रश्न 13.
किसी ताँबे के चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व 8.5 x 1028 m3 आकलित किया गया है। 3 m लम्बे तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपवाह करने में इलेक्ट्रॉन कितना समय लेता है? तार की अनुप्रस्थ-काट 2.0 x 10-6 m2 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है।
हल-
दिया है, इलेक्ट्रॉन का संख्या घनत्व n = 8.5 x 1028 m3
तार की लम्बाई l = 3 m
तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A = 20 x 10-6 m2
तार में धारा i = 3.0 A
इलेक्ट्रॉन का आवेश e = 1.6 x 10-19 C
माना तार के एक (UPBoardSolutions.com) सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित होने में इलेक्ट्रॉन द्वारा लिया गया समय t है, तब सूत्र
i = neAvd से,

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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 14.
पृथ्वी के पृष्ठ पर ऋणात्मक पृष्ठ-आवेश घनत्व 10-9 C cm-2 है। वायुमण्डल के ऊपरी भाग और पृथ्वी के पृष्ठ के बीच 400 kV विभवान्तर (नीचे के वायुमण्डल की कम चालकता के कारण) के परिणामतः समूची पृथ्वी पर केवल 1800 A की धारा है। यदि वायुमण्डलीय विद्युत क्षेत्र बनाए (UPBoardSolutions.com) रखने हेतु कोई प्रक्रिया न हो तो पृथ्वी के पृष्ठ को उदासीन करने हेतु (लगभग) कितना समय लगेगा? (व्यावहारिक रूप में यह कभी नहीं होता है। क्योंकि विद्युत आवेशों की पुनः पूर्ति की एक प्रक्रिया है यथा पृथ्वी के विभिन्न भागों में लगातार तड़ित झंझा एवं तड़ित का होना)। (पृथ्वी की त्रिज्या = 6.37 x 106 m);

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प्रश्न 15.
(a) छह लेड एसिड संचायक सेलों, जिनमें प्रत्येक का विद्युत वाहक बल 2Vतथा आन्तरिक प्रतिरोध 0.015 Ω है, के संयोजन से एक बैटरी बनाई जाती है। इस बैटरी का उपयोग 8.5 Ω प्रतिरोधक जो इसके साथ श्रेणी सम्बद्ध है, में धारा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। बैटरी से कितनी (UPBoardSolutions.com) धारा ली गई है एवं इसकी टर्मिनल वोल्टता क्या है?
(b) एक लम्बे समय तक उपयोग में लाए गए संचायक सेल का विद्युत वाहक बल 1.9 V और विशाल आन्तरिक प्रतिरोध 380 Ω है। सेल से कितनी अधिकतम धारा ली जा सकती है? क्या सेल से प्राप्त यह धारा किसी कार की प्रवर्तक-मोटर को स्टार्ट करने में सक्षम होगी?

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प्रश्न 16.
दो समान लम्बाई की तारों में एक ऐलुमिनियम का और दूसरा कॉपर को बना है। इनके प्रतिरोध समान हैं। दोनों तारों में से कौन-सा हल्का है? अतः समझाइए कि ऊपर से जाने वाली बिजली केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों को क्यों पसन्द किया जाता है? (ρal = 2.63 x 10-8 Ωm, ρcu = 1.72 x 10-8 Ωm, Al का आपेक्षिक घनत्व = 2.7, कॉपर का आपेक्षिक घनत्व = 8.9)

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स्पष्ट है कि ऐलुमिनियम के तार का द्रव्यमान, कॉपर के तार के द्रव्यमान का आधा है अर्थात् ऐलुमिनियम का तार हल्का है। यही कारण है कि ऊपर से जाने वाले बिजली (UPBoardSolutions.com) के केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों का प्रयोग किया जाता है। यदि कॉपर के तारों का प्रयोग किया जाए तो खम्भे और अधिक मजबूत बनाने होंगे।

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प्रश्न 17.
मिश्रधातु मैंगनिन के बने प्रतिरोधक पर लिए गए निम्नलिखित प्रेक्षणों से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?

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हल-
दी गई सारणी के प्रत्येक प्रेक्षण से स्पष्ट है कि
[latex s=2]\frac { V }{ i }[/latex] = 19.7 Ω
इससे स्पष्ट है कि मैंगनिन का प्रतिरोधक लगभग पूरे वोल्टेज परिसर में ओम के नियम का पालन करता है, अर्थात् मैंगनिन की प्रतिरोधकता पर ताप का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

  1. किसी असमान अनुप्रस्थ काट वाले धात्विक चालक से एकसमान धारा प्रवाहित होती है। निम्नलिखित में से चालक में कौन-सी अचर रहती है-धारा, धारा घनत्व, विद्युत क्षेत्र, अपवाह चाल।
  2. क्या सभी परिपथीय अवयवों के लिए ओम का नियम सार्वत्रिक रूप से लागू होता है? यदि नहीं, तो उन अवयवों के उदाहरण दीजिए जो ओम के नियम का पालन नहीं करते।
  3. किसी निम्न वोल्टता संभरण जिससे उच्च धारा देनी होती है, का आन्तरिक प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए, क्यों?
  4. किसी उच्च विभव (H.T.) संभरण, मान लीजिए 6 kV को आन्तरिक प्रतिरोध अत्यधिक होना चाहिए, क्यों?

हल-

  1. केवल धारा अचर रहती है, जैसा कि दिया गया है। अन्य राशियाँ अनुप्रस्थ क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती हैं।
  2. नहीं, ओम का नियम सभी परिपथीय अवयवों पर लागू नहीं होता। निर्वात् नलिकाएँ, (डायोड वाल्व, ट्रायोड वाल्व) अर्द्धचालक युक्तियाँ (सन्धि डायोड तथा ट्रांजिस्टर) इसी प्रकार की युक्तियाँ हैं।
  3. किसी संभरण से प्राप्त महत्तम धारा
    imax = [latex s=2]\frac { E }{ r }[/latex]
    वि० वा० बल कम है; अतः पर्याप्त धारा प्राप्त करने के लिए आन्तरिक प्रतिरोध का कम होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त आन्तरिक प्रतिरोध के अधिक होने से सेल द्वारा दी गई ऊर्जा का अधिकांश भाग सेल के भीतर ही व्यय हो जाता है।
  4. यदि आन्तरिक प्रतिरोध बहुत कम है तो किसी कारणवश लघुपथित होने की दशा में संभरण से अति उच्च धारा प्रवाहित होगी और संभरण के क्षतिग्रस्त होने की संभावना उत्पन्न हो जाएगी।

प्रश्न 19.
सही विकल्प छाँटिए-

  1. धातुओं की मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता प्रायः उनकी अवयव धातुओं की अपेक्षा (अधिक/कम) होती है?
  2. आमतौर पर मिश्रधातुओं के प्रतिरोध का ताप-गुणांक, शुद्ध धातुओं के प्रतिरोध के ताप-गुणांक से बहुत (कम/अधिक) होता है।
  3. मिश्रधातु मैंगनिन की प्रतिरोधकता ताप में वृद्धि के साथ लगभग (स्वतन्त्र है/तेजी से बढ़ती है)।
  4. किसी प्रारूपी विद्युतरोधी (उदाहरणार्थ, अम्बर) की प्रतिरोधकता किसी धातु की प्रतिरोधकता की तुलना में (1022 /1023) कोटि के गुणक से बड़ी होती है?

उत्तर-

  1. अधिक।
  2. कम।
  3. स्वतन्त्र है।
  4. 1022

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प्रश्न 20.
(a) आपको Rप्रतिरोध वाले n प्रतिरोधक दिए गए हैं। (i) अधिकतम, (ii) न्यूनतम प्रभावी प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए आप इन्हें किस प्रकार संयोजित करेंगे? अधिकतम और न्यूनतम प्रतिरोधों का अनुपात क्या होगा?
(b) यदि 1 Ω, 2 Ω, 3 Ω के तीन प्रतिरोध दिए गए हों तो उनको आप किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त तुल्य प्रतिरोध हों:
(i) [latex s=2]\frac { 11 }{ 3 }[/latex] Ω
(ii) [latex s=2]\frac { 11 }{ 5 }[/latex] Ω
(iii) 6 Ω
(iv) [latex s=2]\frac { 6 }{ 11 }[/latex] Ω
(c) चित्र 3.7 में दिखाए गए नेटवर्को का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त कीजिए।

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प्रश्न 21.
किसी 0.5 Ω आन्तरिक प्रतिरोध वाले 12 V के एक संभरण (Supply) से चित्र 3.10 में दर्शाए गए अनन्त नेटवर्क द्वारा ली गई धारा का मान ज्ञात कीजिए। प्रत्येक प्रतिरोध का मान 1 Ω है।

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प्रश्न 22.
चित्र 3.12 में एक पोटेशियोमीटर दर्शाया गया है। जिसमें एक 2.0 V और आन्तरिक प्रतिरोध 0.40 Ω का कोई सेल, पोटेशियोमीटर के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टता पात बनाए A रखता है। कोई मानक सेल जो 1.02 V का अचर विद्युत वाहक बल बनाए रखता है (कुछ mA की बहुत सामान्य धाराओं के लिए) तार की 67.3 cm लम्बाई पर सन्तुलन बिन्दु देता है। मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए । इसके साथ परिपथ में श्रेणी 600 kΩ का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ सम्बद्ध किया जाता है, जिसे सन्तुलन बिन्दु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है। इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात विद्युत वाहक बल E के सेल से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है जिससे सन्तुलन बिन्द तार की 82.3 cm लम्बाई पर प्राप्त होता है।
(a) E का मान क्या है?
(b) 600 kΩ के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है?
(c) क्या इस उच्च प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(d) क्या परिचालक सेल के आन्तरिक प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(e) उपर्युक्त स्थिति में यदि पोटेशियोमीटर के परिचालक सेल का विद्युत वाहक बल 2.0 V के स्थान पर 1.0 V हो तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी?
(f) क्या यह परिपथ कुछ mV की कोटि के अत्यल्प विद्युत वाहक बलों (जैसे कि किसी प्रारूपी तापविद्युत युग्म का विद्युत वाहक बल) के निर्धारण में सफल होगी? यदि नहीं, तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे?

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हल-
(a) विभवमापी के तार की समान विभव प्रवणता के लिए, दो सेलों के वै० वा० बलों की तुलना करने का सूत्र निम्न है।
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(b) उच्च प्रतिरोध का प्रयोजन धारामापी में धारा को कम करना है जबकि जौकी संतुलन बिन्दु से दूर है। इससे प्रमाणिक सेल नुकसान (damage) से बचा रहता है।
(c) संतुलन बिन्दु उच्च प्रतिरोध से प्रभावित नहीं होता है, क्योंकि संतुलन की स्थिति में सेल के द्वितीयक परिपथ में धारा नहीं बहती।
(d) परिचालक सेल के आन्तरिक प्रतिरोध से संतुलन बिन्दु प्रभावित नहीं होता क्योंकि हमने तार पर विभव प्रवणता पहले से ही नियत रख दी है।
(e) नहीं, क्योंकि विभवमापी के कार्य करने के लिए परिचालक सेल का वै० वी० बल, द्वितीयक परिपथ के सेल के वै० वा० बल (E) से अधिक होना चाहिए।
(f) क्योकि संतुलन बिन्दु सिरे A के निकट होगा तथा मापन में त्रुटि बहुत अधिक होगी। इसके लिए परिचालक सेल के श्रेणीक्रम में एक परिवर्ती प्रतिरोध (R) जोड़ते हैं तथा इसका मान इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि तार AB के सिरों के बीच विभवपात द्वितीयक सेल के वै० वा० बल से (UPBoardSolutions.com) थोड़ा ही अधिक हो ताकि संतुलन बिन्दु अधिक लम्बाई पर प्राप्त हो, इससे मापन में त्रुटि कम होगी तथा मापने की यथार्थता बढ़ेगी।

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प्रश्न 23.
चित्र 3.13 दो प्रतिरोधों की तुलना के लिए विभवमापी परिपथ दर्शाता है। मानक प्रतिरोधक R = 10.0 Ω के साथ सन्तुलन बिन्दु 58.3 cm पर तथा अज्ञात प्रतिरोध X के साथ 68.5 cm पर प्राप्त होता है। X का मान ज्ञात कीजिए। यदि आप दिए गए सेल E से सन्तुलन बिन्दु प्राप्त करने में असफल रहते हैं तो आप क्या करेंगे?

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हल-
कुँजियों K1 तथा K2 को क्रमशः बन्द करके विभवमापी के तार पर सन्तुलन बिन्दु प्राप्त करने पर यदि संगत सन्तुलन लम्बाई क्रमशः l1 तथा l2 हो, तो R के सिरों का विभवान्तर = Kl1 = RI
तथा X के सिरों का विभवान्तर = Kl2 = XI
जहाँ I = विभवमापी के तार में धारा
तथा K = इसकी विभव प्रवणता
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यदि सन्तुलन बिन्दु प्राप्त नहीं होता है तो इसका अर्थ है कि R या X के सिरों के बीच विभवान्तर विभवमापी के तार AB के सिरों के बीच विभवान्तर से अधिक है। ऐसी स्थिति में बाह्य परिपथ में धारा का मान कम करने के लिए श्रेणीक्रम में एक उचित प्रतिरोध जोड़ना होगा जो बिन्दु C व D के बीच जोड़ा जाएगा।

प्रश्न 24.
चित्र 3.14 में किसी 1.5 V के सेल का आन्तरिक प्रतिरोध मापने के लिए एक 2.0 V को पोटेशियोमीटर दर्शाया गया है। खुले परिपथ में सेल का सन्तुलन बिन्दु 76.3 cm (UPBoardSolutions.com) पर मिलता है। सेल के बाह्य परिपथ में 9.5 Ω रतिरोध का एक प्रतिरोधक संयोजित करने पर सन्तुलन बिन्दु पोटेंशियोमीटर के तार की 64.8 cm लम्बाई पर पहुँच जाता है। सेल के आन्तरिक प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।

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हल-
यहाँ वैद्युत वाहक बल E = 1.5 वोल्ट जिसके संगत (जब सेल खुले परिपथ में है) विभवमापी के तार की संगत सन्तुलन लम्बाई l1 = 76.3 सेमी। सेल के साथ बाह्य प्रतिरोध R = 9.5 Ω संयोजित करने पर (अर्थात् जब सेल बन्द परिपथ में है) तो सेल के टर्मिनल विभवान्तर V के संगत लम्बाई l2 = 64.8 सेमी।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी चालक में 3.2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। प्रति सेकण्ड प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की संख्या होगी। (2015)
(i) 2 x 1019
(ii) 3 x 1020
(iii) 5.2 x 1019
(iv) 9 x 1020
उत्तर-
(i) 2 x 1019

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प्रश्न 2.
वैद्युत धारा घनत्व j तथा अपवाह वेग vd में सम्बन्ध है। (2015)
(i) j = nevd
(ii) j = [latex]\frac { ne }{ { v }_{ d } }[/latex]
(iii) j = [latex]\frac { { v }_{ d }e }{ n }[/latex]
(iv) j = [latex]{ v }_{ d }^{ 2 }[/latex]
उत्तर-
(i) j = nevd

प्रश्न 3.
प्रतिरोध की विमा है।
(i) [ML2T-2A-2]
(ii) [M2L3T-2A-2]
(iii) [ML2T-3A-2]
(iv) [ML3T-3A-3]
उत्तर-
(iii) [ML2T-3A-2]

प्रश्न 4.
40 W तथा 60 w के दो बल्ब 220 V लाइन से जोड़े जाते हैं, उनके प्रतिरोधों में अनुपात होगा
(i) 4 : 3
(ii) 3 : 4
(iii) 2 : 3
(iv) 3 : 2
उत्तर-
(iv) 3 : 2

प्रश्न 5.
एक ताँबे के तार को खींचकर 1% लम्बाई में वृद्धि कर दी जाए, तो प्रतिरोध में प्रतिशत परिवर्तन होगा (2009, 12)
(i) 4% वृद्धि
(ii) 2% वृद्धि
(iii) 1% वृद्धि
(iv) 2% कमी
उत्तर-
(ii) 2% वृद्धि

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प्रश्न 6.
50 Ω प्रतिरोध के धात्विक तार को खींचकर उसकी लम्बाई दो गुनी कर देते हैं। उसका नया प्रतिरोध है- (2016)
(i) 25 Ω
(ii) 50 Ω
(iii) 100 Ω
(iv) 200 Ω
उत्तर-
(iv) 200 Ω

प्रश्न 7.
एक 100 वाट-220 वोल्ट का बल्ब 110 वोल्ट की सप्लाई से जुड़ा है। बल्ब में व्यय होने वाली शक्ति होगी। (2017)
(i) 100 वाट
(ii) 50 वाट
(iii) 25 वाट
(iv) 2 वाट
उत्तर-
(iii) 25 वाट

प्रश्न 8.
2 ऐम्पियर की वैद्युत धारा चित्र 3.15 में प्रदर्शित परिपथ में प्रवाहित हो रही है। विभवान्तर (VB – VD) है। (2013)

विभवमापी की सुविधा कैसे बढ़ाई जा सकती है? - vibhavamaapee kee suvidha kaise badhaee ja sakatee hai?

(i) 12 वोल्ट
(ii) 6 वोल्ट
(ii) 4 वोल्ट
(iv) 0 वोल्ट
उत्तर-
(iv) 0 वोल्ट

प्रश्न 9.
समान्तर क्रम में जुड़े 10 ओम के दो प्रतिरोधों की तुल्य प्रतिरोध है। (2014)
(i) 20 ओम
(ii) 10 ओम
(iii) 15 ओम
(iv) 5 ओम
उत्तर-
(iv) 5 ओम

प्रश्न 10.
दो प्रतिरोध R तथा 2R एक विद्युत परिपथ में समान्तर क्रम में जुड़े हैं। R तथा 2R में उत्पन्न ऊष्मीय ऊर्जा का अनुपात होगा (2015)
(i) 1 : 2
(ii) 2 : 1
(iii) 1 : 4
(iv) 4 : 1
उत्तर-
(ii) 2 : 1

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प्रश्न 11.
एक चालक तार का प्रतिरोध R ओम है। इसको n बराबर भागों में बाँटकर उनको समान्तर क्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध होगा
(i) [latex s=2]\frac { R }{ { n }^{ 2 } }[/latex]
(ii) [latex s=2]\frac { { n }^{ 2 } }{ R }[/latex]
(iii) [latex s=2]\frac { n }{ R }[/latex]
(iv) [latex s=2]\frac { R }{ n }[/latex]
उत्तर-
(i) [latex s=2]\frac { R }{ { n }^{ 2 } }[/latex]

प्रश्न 12.
एक प्राथमिक सेल का वि० वा० बल 2.4 V है। इस सेल को जब लघुपथित कर देते हैं तो 4.0 A की वैद्युत धारा प्राप्त होती है। सेल को आन्तरिक प्रतिरोध है। (2014)
(i) 6.0 Ω
(ii) 1.2 Ω
(iii) 4.0 Ω
(iv) 0.6 Ω

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प्रश्न 13.
एक बैटरी जिसका वि० वा० बल 5 वोल्ट है तथा आन्तरिक प्रतिरोध 2.0 ओम है, एक बाहरी प्रतिरोध से जुड़ी है। यदि परिपथ में धारा 0.4 ऐम्पियर हो, तो बैटरी की टर्मिनल वोल्टता है। (2010, 12)
(i) 5 वोल्ट
(ii) 5.8 वोल्ट
(iii) 4.6 वोल्ट
(iv) 4.2 वोल्ट
उत्तर-
(iv) 4.2 वोल्ट

प्रश्न 14.
किरचॉफ का धारा का नियम किसके संरक्षण के परिणामस्वरूप है?
(i) ऊर्जा
(ii) संवेग
(iii) आवेश
(iv) द्रव्यमान
उत्तर-
(iii) आवेश

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प्रश्न 15.
5 मीटर लम्बे तथा 5 2 प्रतिरोध वाले विभवमापी के तार में 2 mA की धारा प्रवाहित हो रही है। विभवमापी की विभव-प्रवणता है। (2010)
(i) 2.0 x 10-3 वोल्ट/मीटर
(ii) 2.5 x 10-3 वोल्ट/मीटर
(iii) 1.6 x 10-3 वोल्ट/मीटर
(iv) 2.3 x 10-3 वोल्ट/मीटर
उत्तर-
(i) 2.0 x 10-3 वोल्ट/मीटर

प्रश्न 16.
विभवमापी के प्रयोग में दो सेलों के विद्युत वाहक बल E1 तथा E2 हैं। इन्हें श्रेणीक्रम में जोड़कर विभवमापी के तार पर अविक्षेप बिन्दु 58 सेमी पर प्राप्त होता है। जब E2 विद्युत वाहक बल वाली सेल की ध्रुवता उलट दी जाती है तब अविक्षेप बिन्दु 29 सेमी पर प्राप्त होता है। [latex s=2]\frac { { E }_{ 1 } }{ { E }_{ 2 } }[/latex] का अनुपात है (2014)
(i) 3 : 1
(ii) 2 : 1
(iii) 1 : 3
(iv) 1 : 2
उत्तर-
(ii) 2 : 1

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी चालक के भीतर वैद्युत-क्षेत्र [latex]\vec { E }[/latex] तथा धारा घनत्व [latex]\vec { J }[/latex] में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
[latex]\vec { E }[/latex] = p [latex]\vec { J }[/latex], जहाँ p चालक के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध है।

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प्रश्न 2.
समीकरण [latex]\vec { E }[/latex] = p [latex]\vec { J }[/latex] में p को मात्रक लिखिए। (2009)

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प्रश्न 3.
किन्हीं दो गुणों से एक चालक और एक अर्द्धचालक का भेद बताइए। (2009)
उत्तर-

  1. चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है, जबकि अंर्द्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन चालकों से कम होते हैं।
  2. चालकों का ताप बढ़ाने पर उनका प्रतिरोध बढ़ता है, जबकि अर्द्धचालकों का ताप बढ़ाने से उनका प्रतिरोध घटता है।

प्रश्न 4.
विशिष्ट चालकत्व (specific conductance) की परिभाषा दीजिए। इसकी इकाई भी लिखिए।
या
विशिष्ट चालकता के लिए सूत्र एवं मात्रक लिखिए। (2012, 18)
या
किसी चालक पदार्थ की विशिष्ट चालकता क्या है? विशिष्ट चालकता का अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में मात्रक दीजिए। (2014)
उत्तर-
किसी चालक के पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध (UPBoardSolutions.com) के व्युत्क्रम को उस पदार्थ की विशिष्ट चालकता (specific conductance) कहते हैं।
इसे ‘[latex s=2]\sigma[/latex]’ से प्रदर्शित करते हैं। अर्थात् [latex s=2]\sigma =\frac { 1 }{ \rho }[/latex] इसकी इकाई म्हो-मीटर-1 होती है।

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प्रश्न 5.
धारा-घनत्व, विशिष्ट चालकता तथा विद्युत-क्षेत्र के बीच परस्पर सम्बन्ध लिखिए तथा इससे विशिष्ट चालकता का मात्रक निकालिए। (2009, 11, 12)

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प्रश्न 6.
मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेग तथा वैद्युत धारा घनत्व में सम्बन्ध लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए। (2015)
हल-
धारा घनत्व (j) = nevd
जहाँ, n= मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या
e = इलेक्ट्रॉन का आवेश
vd = इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग

प्रश्न 7.
ताँबे के एक तार, जिसकी अनुप्रस्थ काट 2 x 10-6 मी2 है; में 3.2 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। तार में प्रवाहित धारा-घनत्व का मान ज्ञात कीजिए। (2011, 14)

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प्रश्न 8.
धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेग एवं भ्रांतिकाल में सम्बन्ध लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए। (2016)

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प्रश्न 9.
एक इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षा में 6 x 106 चक्कर प्रति सेकण्ड की दर से घूम रहा है। लूप में तुल्य प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए। (2016)

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प्रश्न 10.
0.5 मिमी त्रिज्या के एक तार में 0.5 ऐम्पियर की धारा बह रही है। यदि तार में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या 4 x 1028 प्रति मी3 हो, तो उनके अनुगमन वेग की गणना कीजिए। (2017)

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प्रश्न 11.
अनओमीय परिपथ से आप क्या समझते हैं? इसका एक उदाहरण दीजिए। (2009)
या
अनओमीय चालक किसे कहते हैं?
या
गत्यात्मक प्रतिरोध का अर्थ क्या है? (2010)
उत्तर-
वे परिपथ (अर्थात् चालक) जिनमें ओम के नियम का पालन नहीं होता है; अर्थात् जिनके सिरों पर आरोपित विभवान्तर V तथा संगत धारा i का अनुपात नियत नहीं रहता है, अनओमीय परिपथ (चालक) कहलाते हैं। ऐसे परिपथों के लिए V तथा i के अनुपात के नियत न रहने का अर्थ है कि (UPBoardSolutions.com) इनका वैद्युत प्रतिरोध परिवर्तनीय होता है। अतः इनके प्रतिरोध को गत्यात्मक प्रतिरोध (dynamic resistance) भी कहते हैं। अनओमीय परिपथ के किसी खण्ड के विभवान्तर में अल्पांश परिवर्तन ΔV तथा उसके संगत धारा में परिवर्तन Δi का अनुपात गत्यात्मक प्रतिरोध के बराबर होता है; अर्थात् गत्यात्मक प्रतिरोध = [latex s=2]\frac { \triangle V }{ \triangle i }[/latex]
उदाहरण- बल्ब को तन्तु तथा डायोड बल्ब।

प्रश्न 12.
एक तार का प्रतिरोध 10 ओम है। इसे दोगुनी लम्बाई तक खींचा जाता है। इसका नया प्रतिरोध क्या होगा?
हल-

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प्रश्न 13.
कार्बन प्रतिरोधक के सिरों पर 50 वोल्ट विभवान्तर लगाया जाता है। प्रतिरोधक पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वलयों के रंग क्रमशः लाल, पीला एवं नारंगी हैं। प्रतिरोधक में धारा का मान ज्ञात कीजिए। (2015)

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प्रश्न 14.
विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक एवं विमाएँ लिखिए। (2010, 11, 12, 15)
उत्तर-
मात्रक-ओम-मीटर या ओम-सेमी
विमा सूत्र- [ML3T-3A-2]

प्रश्न 15.
पूर्ण प्रज्वलन स्थिति में 100 वाट, 200 वोल्ट के विद्युत बल्ब का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2013)
हल-

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प्रश्न 16.
एक प्लैटिनम प्रतिरोध तापमापी का प्रतिरोध 0°C ताप पर 3.0 ओम तथा 1000°C पर 3.75 ओम है। किसी अज्ञात ताप पर इसका प्रतिरोध 3.15 ओम है। अज्ञात ताप का मान ज्ञात कीजिए। (2015)
हल-

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प्रश्न 17.
1000 W – 250 V के हीटर के तार का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2015)
हल-

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प्रश्न 18.
एक चालक में 50 वोल्ट पर 2 मिली-ऐम्पियर तथा 60 वोल्ट पर 3 मिली-ऐम्पियर धारा बहती है। चालक ओमीय है या अन-ओमीय इसे गणना द्वारा स्पष्ट कीजिए। (2017)

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प्रश्न 19.
ऐसे दो पदार्थों के नाम लिखिए जिनकी प्रतिरोधकता ताप बढ़ाने पर घटती है।
उत्तर-
अर्द्धचालक- जर्मेनियम तथा सिलिकॉन।

प्रश्न 20.
किसी धातु के प्रतिरोध पर ताष को क्या प्रभाव पड़ता है? (2015)
उत्तर-
ताप के बढ़ने से किसी धातु के प्रतिरोध का मान बढ़ता है अर्थात् धातु के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध अथवा पदार्थ की प्रतिरोधकता बढ़ जाती है। दूसरे शब्दों में, ताप के बढ़ने पर धातु की वैद्युत चालकता कम हो जाती है।

प्रश्न 21.
ताप बढाने से किसी चालक के प्रतिरोध में वृद्धि को दर्शाने वाला सूत्र लिखिए। (2015)
उत्तर-
जैसे-जैसे तार का ताप बढ़ता है इसके मुक्त इलेक्ट्रॉनों की वर्ग-माध्य-मूल चाल Vrms बढ़ती है। अतः चालक का प्रतिरोध

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प्रश्न 22.
1 किलोवाट के विद्युत बल्ब में 1 मिनट में कितनी ऊर्जा व्यय होगी? (2015)
हल-

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प्रश्न 23.
60 वाट, 30 वोल्ट के बल्ब को 90 वोल्ट सप्लाई पर जलाने के लिए श्रेणीक्रम में जुड़े प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए। (2014)

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प्रश्न 24.
दिये गये परिपथ में A और B के बीच तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।

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प्रश्न 25.
10 Ω प्रतिरोध के तार को 5 बराबर भागों में काट कर उनको समान्तर क्रम में जोड़ा गया है। इस संयोजन का परिणामी प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2014)
हल-
10 Ω के प्रतिरोध को 5 बराबर भागों में बाँटने पर प्रत्येक प्रतिरोध का मान = [latex s=2]\frac { 10 }{ 5 }[/latex] = 2 Ω
माना समान्तर क्रम में जोड़ने पर इनका तुल्य प्रतिरोध R है।

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प्रश्न 26.
सेल के आन्तरिक प्रतिरोध से आप क्या समझते हैं? (2015, 16, 18)
उत्तर-
जब किसी सेल की प्लेटों को तार द्वारा जोड़ देते हैं तो तार में वैद्युत धारा सेल की धन-प्लेट से ऋण-प्लेट की ओर तथा सेल के भीतर उसके घोल में ऋण-प्लेट से (UPBoardSolutions.com) धन-प्लेट की ओर बहती है। इस प्रकार, सेल की दोनों प्लेटों के बीच सेल के भीतर वैद्युत धारा के प्रवाह में घोल द्वारा उत्पन्न अवरोध को सेल का ‘आन्तरिक प्रतिरोध’ कहते हैं।

प्रश्न 27.
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है? (2018)
उत्तर-
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-

  • सेल के इलेक्ट्रोडों के बीच की दूरी पर- यह दूरी के अनुक्रमानुपाती होता है।
  • वैद्युत-अपघट्य के घोल में इलेक्ट्रोडों के डूबे हुए भागों के क्षेत्रफल पर- यह क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
  • वैद्युत-अपघट्य की प्रकृति तथा सान्द्रता पर- विभिन्न वैद्युत-अपघट्यों के लिए आन्तरिक प्रतिरोध भिन्न होता है तथा यह वैद्युत अपघट्य के घोल की सान्द्रता के भी अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 28.
सेल के विद्युत वाहक बल एवं टर्मिनल विभवान्तर में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2012, 13, 15)
उत्तर-
एकांक आवेश को पूरे परिपथ में सेल सहित प्रवाहित करने में सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा को सेल का ‘विद्युत वाहक बल’ कहते हैं, जबकि किसी परिपथ (UPBoardSolutions.com) के दो बिन्दुओं के बीच एकांक आवेश को प्रवाहित करने में किए गए कार्य को उन बिन्दुओं के बीच ‘टर्मिनल विभवान्तर’ कहते हैं।

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प्रश्न 29.
3.2 वोल्ट की एक बैटरी 1.5 ओम प्रतिरोध में 2 ऐम्पियर की धारा भेज रही है। बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2013)

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प्रश्न 30.
किसी वैद्युत परिपथ में 2 ऐम्पियर की धारा 5 मिनट तक प्रवाहित करने पर सेल द्वारा 1200 जूल कार्य किया जाता है। सेल के विद्युत वाहक बल की गणना कीजिए। (2012)
हल-
परिपथ में प्रवाहित वैद्युत आवेश
q = it = 2 x 5 x 60 = 600 कूलॉम
विद्युत वाहक बल = [latex s=2]\frac { 1200 }{ 600 }[/latex] = 2 वोल्ट

प्रश्न 31.
एक सेल से 0.5 ऐम्पियर धारा लेने पर उसका विभवान्तर 1.8 वोल्ट तथा 1.0 ऐम्पियर धारा लेने पर 1.6 वोल्ट हो जाता है। सेल का आन्तरिक प्रतिरोध तथा विद्युत वाहक बल ज्ञात कीजिए। (2015, 16)
हल-
दिया है, (i) जब = 0.5 ऐम्पियर तब
V = 1.8 वोल्ट तथा
(ii) जब
i = 1.0 ऐम्पियर तब
V = 1.6 वोल्ट
V = E – ir …..(1)
प्रथम स्थिति में समी० (1) से,
1.8 = E – (0.5) ….. (2)
द्वितीय स्थिति में समी० (1) से
1.6 = E – (1.0) r …..(3)
समी० (2) व (3) को हल करने पर,
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r = 0.4 Ω विद्युत वाहक बल
E = 2.0 वोल्ट

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प्रश्न 32.
मिश्रितक्रम में सेलों के संयोजन में अधिकतम धारा की क्या शर्त है? (2013)
उत्तर-
बैटरी का कुल आन्तरिक प्रतिरोध = बाह्य परिपथ का प्रतिरोध।

प्रश्न 33.
निम्न चित्र में धारा का मान ज्ञात कीजिए- (2017)

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हल-
बिन्दु P पर धारा i1 = बिन्दु P की ओर आने वाली धाराओं का योग – बिन्दु P से दूर जाने वाली धाराओं का योग
i1 = 2 + 2 – 1 = 3 A
बिन्दु Q पर धारा i2 = i1 – 1 A = 3 – 1 = 2 A
बिन्दु R पर धारा i2 + 1 A = i + 1.2 A
i = (2 + 1 – 1.2) A = 1.8 A

प्रश्न 34.
किरचॉफ का पहला नियम तथा दूसरा नियम किस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित है?
उत्तर-
किरचॉफ का पहला नियम आवेश के संरक्षण पर तथा दूसरा नियम ऊर्जा के संरक्षण पर आधारित है।

प्रश्न 35.
व्हीटस्टोन सेतु की सर्वाधिक सुग्राही होने की शर्त क्या है?
उत्तर-
व्हीटस्टोन सेतु के चारों प्रतिरोध जब एक ही कोटि (order) के होते हैं तो यह सर्वाधिक सुग्राही होता है।

प्रश्न 36.
व्हीटस्टोन सेतु में यदि सेल तथा धारामापी की स्थिति को आपस में बदल दिया जाए तो सन्तुलन की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्यों? (2009, 14)
उत्तर-
कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसका कारण यह है कि सेल तथा धारामापी व्हीटस्टोन सेतु के विकर्णो के सिरों के बीच जुड़े होते हैं। किसी भी एक विकर्ण के सिरों के बीच सेल जोड़ने पर दूसरे विकर्ण के सिरे समविभव पर होने से सेतु सन्तुलित रहता है।

प्रश्न 37.
यदि संलग्न चित्र 3.19 में दिखाया गया व्हीटस्टोन परिपथ सन्तुलित हो, तो अज्ञात प्रतिरोध x का मान बताइए। (2011)

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प्रश्न 38.
विभवमापी द्वारा मापे गये सेल का वि० वा० बल यथार्थ क्यों होता है ? (2009, 16)
उत्तर-
क्योंकि विभवमापी से पाठ्यांक तब लिया जाता है जब परिपथ में परिणामी धारा शून्य होती है। अर्थात् सेल खुले परिपथ में होती है।

प्रश्न 39.
विभवमापी की सुग्राहिता से क्या तात्पर्य है? इसे कैसे बढ़ाया जा सकता है? (2012, 16)
उत्तर-
विभवमापी की सुग्राहिता का अर्थ है कि जौकी को शून्य विक्षेप स्थिति से थोड़ा-सा खिसकाने पर धारामापी में बहुत अधिक विक्षेप उत्पन्न हो जाये। विभवमापी की सुग्राहिता विभव-प्रवणता के व्युत्क्रमानुपाती होती है। परन्तु विभव-प्रवणता K = [latex s=2]\frac { V }{ L }[/latex] (जहाँ V = विभवमापी के तार के सिरों का विभवान्तर), (UPBoardSolutions.com) अत: K ∝ [latex s=2]\frac { 1 }{ L }[/latex] अर्थात् विभवमापी के तार की लम्बाई L बढ़ाने से K का मान कम हो जाएगा; अर्थात् सुग्राहिता बढ़ जाएगी। इस प्रकार विभवमापी की सुग्राहिता में वृद्धि तार की लम्बाई में वृद्धि करके की जा सकती है।

प्रश्न 40.
किसी विभवमापी में 1.0182 वोल्ट विवा०बल के सेल के लिए सन्तुलन बिन्दु 339.4 सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है। विभवमापी की विभव प्रवणता ज्ञात कीजिए। (2016)

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धारा-घनत्व j से आप क्या समझते हैं? इसका मात्रक M.K.S.A. पद्धति में लिखिए तथा विमा सूत्र बताइए। यह सदिश राशि है या अदिश?
या
धारा-घनत्व की परिभाषा दीजिए तथा इसका मात्रक भी लिखिए।
या
धारा घनत्व (j) की परिभाषा लिखिए। (2013)
उत्तर-
धारा-घनत्व (Current Density)- किसी चालक में किसी बिन्दु पर प्रति एकांक क्षेत्रफल से अभिलम्बवत् गुजरने वाली धारा को उस बिन्दु पर ‘धारा-घनत्व’ कहते हैं। इसे j से प्रदर्शित करते हैं। यदि किसी चालक में प्रवाहित धारा , चालक के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A पर एकसमान रूप से वितरित हो, तब उस क्षेत्रफल के किसी बिन्दु पर धारा-घनत्व j = [latex s=2]\frac { i }{ A }[/latex]
M.K.S.A. पद्धति में इसका मात्रक ऐम्पियर प्रति मीटर तथा विमा [AL-2] है। धारा-घनत्व, चालक के भीतर किसी बिन्दु का एक लाक्षणिक गुण है (न कि सम्पूर्ण चालक का) तथा यह एक सदिश राशि है। किसी बिन्दु पर धारा-घनत्व की दिशा उस बिन्दु पर धनावेश के चलने की दिशा होती है।

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प्रश्न 2.
किसी धारावाही चालक में धारा घनत्व J, अनुगमन वेग vd, प्रति एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा मूल आवेश में सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2017)
या
मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग समझाइए। अनुगमन वेग व धारा-घनत्व के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2016)
या
किसी चालक में प्रवाहित धारा तथा इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह (अनुगमन) वेग में सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2013, 18)
या
मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेग के लिए विद्युत धारा के पद में व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए। (2017)
उत्तर-
मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग- [संकेत- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 के उत्तर में पढ़िए।]
धारा तथा अनुगमन वेग में सम्बन्ध- माना किसी धातु में किसी स्थान से t सेकण्ड में मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा ले जाया जाने वाला कुल आवेश q है, तब धातु में वैद्युत धारा
i = [latex s=2]\frac { q }{ t }[/latex] …(1)
माना तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A है तथा उसके प्रति एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या n व इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग vd है, तब
एक सेकण्ड में तार के क्षेत्रफल में से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nAvd
t सेकण्ड में तार के क्षेत्रफल में से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nAvd x t
तथा t सेकण्ड में तार के क्षेत्रफल में से गुजरने वाले आवेश की मात्रा
q = nAvd x t x e (जहाँ, e = इलेक्ट्रॉन का आवेश है)
q का मान समीकरण (1) में रखने पर। i = neAvd …(2)
यह वैद्युत धारा तथा अनुगमन वेग में सम्बन्ध है।
धारा-घनत्व तथा अनुगमन वेग में सम्बन्ध- हम जानते हैं कि
धारा-घनत्व j = [latex s=2]\frac { i }{ A }[/latex]
समीकरण (2) से हो का मान रखने पर
j = nevd
यह धारा-घनत्व तथा अनुगमन वेग के बीच सम्बन्ध है।

प्रश्न 3.
एक तार के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल 1 x 10-7 मीटर तथा तार में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2 x 1028 प्रति मीटर है। तार में 3.2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। ज्ञात कीजिए-
(i) तार में धारा-घनत्व,
(ii) तार में इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग। (2010)

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प्रश्न 4.
L लम्बाई के एक चालक को E विद्युत वाहक बल की सेल से जोड़ा जाता है। यदि इस चालक के स्थान पर समान पदार्थ व समान मोटाई के किसी अन्य चालक जिसकी लम्बाई 3L हो, सेल से जोड़ दिया जाए तब अनुगमन वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (2014).

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प्रश्न 5.
धातुओं में इलेक्ट्रॉनों के अनियमित (मुक्त) वेग और उनके अनुगमन वेग में क्या अन्तर है? (2014)
उत्तर-
धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन बन्द बर्तन में भरी गैस के अणुओं की तरह व्यवहार करते हैं तथा धातु के भीतर स्थित धन आयनों के बीच खाली स्थान में उच्च (UPBoardSolutions.com) वेग (105 मी/से) से अनियमित गति करते हैं, यह मुक्त इलेक्ट्रॉनों का वेग है। धातु के सिरों के बीच विभवान्तर होने पर मुक्त इलेक्ट्रॉन अपनी अनियमित गति के होते हुए भी एक निश्चित सूक्ष्म वेग (=10-4 मी/से) से उच्च विभव वाले सिरे की ओर खिसकते हैं, यह अनुगमन वेग है।

प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि [latex s=2]\hat { j } =\sigma \vec { E }[/latex] है, जहाँ E चालक का वैद्युत क्षेत्र, [latex s=2]\hat { j } [/latex] धारा घनत्व तथा विशिष्ट चालकता है। (2014)

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प्रश्न 7.
ताँबे में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व 8.5 x 1028 /मीटर3 है। 0.2 मीटर लम्बाई तथा 1 मिमी2 परिच्छेद क्षेत्रफल के ताँबे के तार से होकर प्रवाहित धारों का मान ज्ञात कीजिए, जबकि 4 वोल्ट की एक बैटरी जुड़ी है। तार में इलेक्ट्रॉनों की गतिशीलता 4.5 x 10-6 मी2/वोल्ट सेकण्ड है। (2015)

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प्रश्न 8.
एक तार में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2 x 1028 प्रति मी है। तार का अपवाह (अनुगमन) वेग 1.0 सेमी/सेकण्ड है। तार में धारा घनत्व की गणना कीजिए। (2013)

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प्रश्न 9.
एक चालक में 6.4 ऐम्पियर वैद्युत धारा प्रवाहित होती है। यदि चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 x 1024 प्रति मीटर हो तो उनका अनुगमन वेग ज्ञात कीजिए। (2014)
हल-
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प्रश्न 10.
विशिष्ट प्रतिरोध की परिभाषा दीजिए तथा मात्रक बताइए। विशिष्ट प्रतिरोध तथा विशिष्ट वैद्युत-चालकता में क्या सम्बन्ध है? या विशिष्ट प्रतिरोध की परिभाषा लिखिए। (2014, 15)
उत्तर-
विशिष्ट प्रतिरोध- ‘‘किसी धारावाही चालक के अन्दर किसी बिन्दु पर वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता E तथा उस बिन्दु पर धारा-घनत्व ) के अनुपात को चालक का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं।”

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प्रश्न 11.
किसी धातु के 20 सेमी लम्बे तार को खींच कर इसकी लम्बाई 25% बढ़ा दी जाती है। नये तार के प्रतिरोध में प्रतिशत वृद्धि की गणना कीजिए। (2009)

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प्रश्न 12.
चित्र 3.20 में किसी चालक में बहने वाली धारा I तथा उसके सिरों पर लगाए गए विभवान्तर V को ग्राफ द्वारा प्रदर्शित किया I (ऐम्पियर) गया है। चालक का प्रतिरोध, कोण θ के व्यंजक में कितना होगा? (2015)

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प्रश्न 13.
एक बल्ब पर 100 वाट तथा 220 वोल्ट अंकित है। जब बल्ब जल रहा हो, तब उसका प्रतिरोध एवं उसमें प्रवाहित धारा की गणना कीजिए। (2015)
हल-
यदि बल्ब का प्रतिरोध R ओम तथा वह V वोल्ट पर जलता है, तब उसमें क्षय वैद्युत शक्ति (वाट में)

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प्रश्न 14.
8 ओम के मोटे तार को खींचकर इसकी लम्बाई दोगुनी कर दी जाती है। तार के नये प्रतिरोध की गणना कीजिए। (2015, 16)
हल-
दिया है, तार का प्रतिरोध (R) = 8 ओम
तार की लम्बाई में वृद्धि (n) = 2
माना तार का नया प्रतिरोध = R’
तब, R’ = n²R = (2)² x 8 = 4 x 8 = 32 ओम

प्रश्न 15.
दिये गये तीन प्रतिरोधों में प्रत्येक का प्रतिरोध 42है तथा प्रत्येक को अधिकतम 64वाट तक की विद्युत शक्ति दी जा सकती है। पूरा परिपथ अधिकतम कितनी शक्ति ले सकता है ? (2012)
हल-
तार में व्यय वैद्युत-शक्ति P = i²R

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प्रश्न 16.
एक कार्बन प्रतिरोधक की तीन पट्टियों (बैण्ड) के वर्ण कोड़ क्रमशः नीला, काला तथा पीला हैं। यदि इनके सिरों के बीच 30 वोल्ट का विभवान्तर लगाया जाए तब इसमें प्रवाहित धारा क्या है? (2014)

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प्रश्न 17.
तीन प्रतिरोध तार हैं। प्रत्येक का प्रतिरोध 4 ओम है। इनके सम्भावित संयोजनों को प्रदर्शित कीजिए तथा प्रत्येक संयोजन में तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2016)
हल-
चित्र 3.22 (a) से,

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प्रश्न 18.
एक R ओम प्रतिरोध के तार को खींचकर तीन गुनी लम्बाई की जाती है। इस खींचे तार को । तीन बराबर लम्बाई के तारों में काट कर उन्हें समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाता है। इस संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या होगा? (2014)
हल-
माना तार की प्रारम्भिक लम्बाई l है तथा खींचने के पश्चात् l’ है। तार का प्रारम्भिक अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है तथा खींचने के पश्चात् A’ है। तार का प्रारम्भिक आयतन Al (UPBoardSolutions.com) तथा खींचने के पश्चात् A’l’ होगा। परन्तु खींचने पर तार का आयतन नहीं बदलेगा; अत:

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प्रश्न 19.
सेल के विद्युत वाहक बल से क्या तात्पर्य है ? किसी वोल्टमीटर से सेल का वि० वा० बल सही-सही क्यों नहीं नापा जा सकता है ?
या
किसी सेल के विद्युत वाहक बल से क्या तात्पर्य है? (2014)
उत्तर-
सेल का विद्युत वाहक बल- एकांक आवेश को पूरे परिपथ (सेल सहित) में प्रवाहित करने में सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा को सेल का ‘विद्युत वाहक बल’ (electromotive force) कहते हैं। यदि किसी परिपथ में q आवेश प्रवाहित करने पर सेल को W कार्य करना पड़े (ऊर्जा देनी पड़े) तो सेल का वि० वा० बल [latex s=2]\frac { W }{ q }[/latex] यदि W जूल में तथा q कूलॉम में हों तो E का मान वोल्ट (UPBoardSolutions.com) में प्राप्त होता है। यदि किसी परिपथ में 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित करने पर सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा 1 जूल हो, तो सेल का वि० वा० बल 1 वोल्ट होता है। वि० वा० बल प्रत्येक सेले का एक लाक्षणिक गुण होता है। सेल के विद्युत वाहक बल का सही मापन करने के लिए, इसको मापने के लिए प्रयुक्त यन्त्र का प्रतिरोध अनन्त होना चाहिए। परन्तु वोल्टमीटर का प्रतिरोध अनन्त नहीं होता है। इसलिए इससे विद्युत वाहक बल का सही-सही मापन नहीं किया जा सकता है।

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प्रश्न 20.
किसी सेल के टर्मिनल विभवान्तर, वि० वा० बल तथा आन्तरिक प्रतिरोध में सम्बन्ध स्थापित कीजिए तथा दिखाइए कि टर्मिनल विभवान्तर, सेल से ली गयी धारा पर निर्भर करता है। (2009, 16)
या
किसी सेल के विद्युत वाहक बल तथा इसके सिरों के बीच विभवान्तर (टर्मिनल विभवान्तर) में सम्बन्ध का सूत्र स्थापित कीजिए। (2013)
उत्तर-
माना E विद्युत वाहक बल तथा आन्तरिक प्रतिरोध वाली एक, सेल को चित्र 3.23 की भाँति एक कुंजी. K द्वारा किसी बाह्य परिपथ में जोड़ दिया गया है, जिसका प्रतिरोध R है। कुंजी को बन्द करने पर परिपथ में एक नियत धारा । प्रवाहित होने लगती है जिसका मान परिपथ के श्रेणीक्रम में जुड़े अमीटर की सहायता से पढ़ा जाता है।

माना धारा i परिपथ में t समय के लिए प्रवाहित की जाती है। अत: परिपथ में प्रवाहित आवेश q = धारा x समय = i x है, सेल सहित पूरे परिपथ में इस आवेश को प्रवाहित कराने में सेल द्वारा किया गया कार्य (अर्थात् सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा) w हो, तो यह ऊर्जा सेल सहित पूरे परिपथ में निम्नलिखित दो भागों में प्रयुक्त होती है-

ऊर्जा का एक भाग वाडा ; प्रतिरोध R में आवेश १ को प्रवाहित कराने में तथा शेष दूसरा भाग Wआन्तरिक, सेल के आन्तरिक प्रतिरोध r (अर्थात् वैद्युत-अपघट्य) में आवेश q को प्रवाहित कराने में व्यय होता है।

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यही टर्मिनल विभवान्तर तथा सेल के आन्तरिक प्रतिरोध के बीच सम्बन्ध है। इस सम्बन्ध से स्पष्ट है कि जब किसी सेल से वैद्युत धारा ली जा रही होती है; अर्थात् (UPBoardSolutions.com) सेल बन्द परिपथ में होती है तो उसका टर्मिनल विभवान्तर V उसके विद्युत वाहक बल E से कम होता है। ऐसा सेल के आन्तरिक प्रतिरोध में विभव पतन ir के कारण होता है। परन्तु जब सेल को धारा दी जा रही होती है तो उपर्युक्त सूत्र (2) निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है- V = E + ir

प्रश्न 21.
60 ओम के बाह्य प्रतिरोध को बैटरी के टर्मिनलों से जोड़ने पर 0.3 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है तथा प्रतिरोध घटाकर 30 ओम कर देने पर धारा का मान 0.5 ऐम्पियर हो जाता है। बैटरी के वि० वा० बल और आन्तरिक प्रतिरोध की गणना कीजिए। (2014)
हल-
माना बैटरी का विद्युत वाहक बल E तथा आन्तरिक प्रतिरोध है। इससे जुड़े बाह्य प्रतिरोध R में
वैद्युत धारा
i = [latex s=2]\frac { E }{ R+r }[/latex]
⇒ E = i (R + r)
प्रथमं स्थिति में, E = 0.3 (60 + r) …..(1)
द्वितीय स्थिति में, E = 0.5 (30 + r) ……..(2)
समी० (1) व (2) से,
0.3 (60 + r) = 0.5 (30 + r)
18 + 0.3r = 15 + 0.5r
0.2 r = 3 ⇒ r = 15 Ω
विद्युत वाहक बल E = 0.3 (60 + 15) = 0.3 x 75 = 22.5 वोल्ट

प्रश्न 22.
खुले परिपथ में एक सेल की प्लेटों के बीच विभवान्तर 1.5 वोल्ट है। इस सेल को 10 ओम के प्रतिरोध से जोड़ने पर इसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर 1.2 वोल्ट हो जाता है। वैद्युत परिपथ बनाकर सेल का आन्तरिक प्रतिरोध एवं 10 ओम के प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली , धारा का मान ज्ञात कीजिए। (2015, 16)

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प्रश्न 23.
किसी बैटरी के सिरों पर उच्च प्रतिरोध के वोल्टमीटर को जोड़ने पर पाठ्यांक 15 वोल्ट मिलता है। बैटरी के सिरों को एमीटर से जोड़ने पर एमीटर 1.5 ऐम्पियर और वोल्टमीटर 9 वोल्ट पढ़ता है। बैटरी के आन्तरिक प्रतिरोध तथा एमीटर एवं संयोजक तारों के प्रतिरोध की गणना कीजिए। (2015)

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प्रश्न 24.
किसी सेल से 0.6 ऐम्पियर धारा लेने पर उसकी टर्मिनल वोल्टता 1.6 वोल्ट हो जाती है तथा 0.8 ऐम्पियर धारा लेने पर टर्मिनल वोल्टता 1.3 वोल्ट हो जाती है। सेल का वैद्युत वाहक बल तथा आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2017)
हल-
दिया है, I1 = 0.6 ऐम्पियर, V1 = 1.6 वोल्ट
I2 = 0.8 ऐम्पियर, V2 = 1.3 वोल्ट
सेल के सिरों पर विभवान्तर V = E – Ir
पहली स्थिति में, 1.6 = E – 0.6 x r …….(1)
दूसरी स्थिति में, 1.3 = E – 0.8 x r ……..(2)
समीकरण (1) व (2) को हल करने पर,
सेल का वैद्युत वाहक बल E = 2.5 वोल्ट
तथा सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r = 1.5 ओम

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प्रश्न 25.
आपको एक 6 वोल्ट विद्युत वाहक बल तथा 1 ओम आन्तरिक प्रतिरोध की सेल के साथ दो बाह्य प्रतिरोध R1 = 2 ओम व R2 = 3 ओम दिए जाते हैं। परिपथमें धारा क्या होगी, जब
(i) R1 व R2 श्रेणीक्रम में जोड़े जाएँ?
(ii) R1 व R2 समान्तर क्रम में जोड़े जाएँ। (2014)

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प्रश्न 26.
एक 3 वोल्ट विद्युत वाहक बल की सेल 4 ओम प्रतिरोध वाले विभवमापी तार AC के मध्य जुड़ी है। 2 ओम प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर ज्ञात कीजिए, यदि सम्पर्क बिन्दु B विभवमापी तार के ठीक मध्य में हो। (2015)

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हल-
E = iR – ir [जहाँ r = 0]
E = iR [जहाँ R = 4 Ω]
i = [latex s=2]\frac { 3 }{ 4 }[/latex] ऐम्पियर
2 Ω प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर
V = iR = [latex s=2]\frac { 3 }{ 4 }[/latex] x 2 = 1.5 वोल्ट

प्रश्न 27.
निम्नचित्र में प्रदर्शित परिपथ में प्रतिरोध R है। A व B के बीच तुल्य प्रतिरोधज्ञात कीजिए। (2017)

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हल-
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प्रश्न में दिए गए चित्र 3.26 में दिए गए प्रतिरोधों को चित्र 3.27 की भाँति व्यवस्थित कर सकते हैं। इस प्रकार यह परिपथ एक सन्तुलित व्हीटस्टोन सेतु के तुल्य है। यदि A व B के बीच सेल जोड़ दी जाए तो भुजा CD में कोई धारा नहीं बहेगी। अत: C व D के बीच जुड़ा प्रतिरोध प्रभावहीन है।
ADB में जुड़े प्रतिरोधों का परिणामी प्रतिरोध
R1 = R + R = 2R Ω
तथा ACB में जुड़े प्रतिरोधों का परिणामी प्रतिरोध
R2 = R + R = 2R Ω
भुजा ADB तथा ACB में जुड़े प्रतिरोध R1 व R2 परस्पर समान्तर क्रम में हैं।
अतः A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध
[latex s=2]R=\frac { 2R\times 2R }{ 2R+2R } =R\Omega[/latex]

प्रश्न 28.
चित्र में दर्शाए गए 75 Ω के प्रतिरोध में प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए। (2017)

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अनुगमन वेग से आप क्या समझते हैं? इलेक्ट्रॉन अनुगमन वेग के सिद्धान्त द्वारा ओम के नियम का निगमन कीजिए। (2011, 12, 17, 18)
या
किसी चालक के विभवान्तर तथा मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह (अनुगमन) वेग के बीच का सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2012)
या
किसी चालक के बीच विभवान्तर तथा मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अनुगमन वेग के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2013)
या
मुक्त इलेक्ट्रॉनों के ‘अपवाह वेग से आप क्या समझते हैं? मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेग के आधार पर ओम के नियम की व्याख्या कीजिए। (2014, 18)
या
अनुगमन वेग की परिभाषा दीजिए। (2014)
या
मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अनुगमन वेग से आप क्या समझते हैं? (2015)
या
किसी धातु में मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेग से क्या तात्पर्य है? मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेग के आधार पर ओम का नियम व्युत्पन्न कीजिए। (2017, 18)
उत्तर-
अनुगमन वेग (अपवाह वेग)- किसी धातु के तार के सिरों को बैटरी से जोड़ देने पर तार के सिरों के बीच एक विभवान्तर स्थापित हो जाता है। इस विभवान्तर अथवा वैद्युत-क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन एक वैद्युत बल का अनुभव करते हैं जो इलेक्ट्रॉनों को त्वरण प्रदान करता है। परन्तु इस त्वरण से इलेक्ट्रॉनों की चाल लगातार बढ़ती नहीं जाती, बल्कि धातु के धन आयनों से टकराकर ये इलेक्ट्रॉन बैटरी से प्राप्त ऊर्जा (UPBoardSolutions.com) को खोते रहते हैं। स्पष्ट है कि बैटरी का विभवान्तर इलेक्ट्रॉनों को त्वरित गति प्रदान नहीं कर पाता बल्कि तार की लम्बाई के अनुदिश एक लघु नियत वेग ही दे पाता है जो इलेक्ट्रॉनों की अनियमित गति पर आरोपित हो जाता है। इलेक्ट्रॉनों के इस लघु नियत वेग को ही ‘अनुगमन वेग’ (drift velocity) कहते हैं। इसे 04 से प्रदर्शित करते हैं।

ओम के नियम का निगमन- माना एक धातु के तार की लम्बाई l तथा अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A है। जब इसके सिरों के बीच विभवान्तर V लगाया जाता है, तो इसमें वैद्युत धारा i प्रवाहित होने लगती है। यदि तार के प्रति एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या (मुक्त इलेक्ट्रॉन-घनत्व) n हो तथा इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग vd हो, तब
i = neAvd …(1)
जहाँ, e इलेक्ट्रॉन का आवेश है। तार के प्रत्येक बिन्दु पर वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता E = [latex s=2]\frac { V }{ l }[/latex]
इस क्षेत्र द्वारा प्रत्येक मुक्त इलेक्ट्रॉन पर आरोपित बल F = eE = [latex s=2]\frac { eV }{ l }[/latex]
यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m हो, तो इस बल के कारण इलेक्ट्रॉन में उत्पन्न त्वरण
a = [latex s=2]\frac { F }{ m }[/latex] = [latex s=2]\frac { eV }{ ml }[/latex] …(2)

तार के भीतर मुक्त इलेक्ट्रॉन धातु के धन आयनों से बारम्बार टकराते रहते हैं। किसी धन आयन से टकराने के पश्चात् इलेक्ट्रॉन का वेग वैद्युत-क्षेत्र E की विपरीत दिशा में बढ़ने लगता है। यदि किसी इलेक्ट्रॉन की, धन आयनों से हुई दो क्रमागत टक्करों के बीच का समयान्तराल t है, (UPBoardSolutions.com) तो इलेक्ट्रॉन के वेग में aτ वृद्धि होगी। यदि किसी क्षण वैद्युत-क्षेत्र की अनुपस्थिति में किसी इलेक्ट्रॉन का ऊष्मीय वेग u1 है, तब वैद्युत-क्षेत्र में की उपस्थिति में उसका वेग बढ़कर u1 + aτ1 हो जाएगा; जहाँ τ1 उस इलेक्ट्रॉन का दो क्रमागत टक्करों के बीच का समयान्तराल है। इसी प्रकार, अन्य इलेक्ट्रॉनों के वेग (u2 + aτ2), (u3 + aτ3) होंगे। सभी n इलेक्ट्रॉनों का औसत वेग ही मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग vd है। इस प्रकार

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प्रश्न 2.
हाइड्रोजन परमाणु में 1 इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर 7.0 x 10-11 मीटर त्रिज्या की कक्षा में 4.4 x 106 मी/से की चाल से चक्कर लगाता है। कक्षा में इसके समतुल्य वैद्युत धारा का मान ज्ञात कीजिए। (2011)

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प्रश्न 3.
60 W.220 V तथा 100 W.220 V के दो बल्ब श्रेणीक्रम में जोड़कर 220 वोल्ट मेन्स से सम्बन्धित किये गये हैं। उनमें प्रवाहित होने वाली धाराओं की गणना कीजिए। यदि बल्ब समान्तर क्रम में जोड़े जाये तब धाराएँ कितनी होंगी? (2011, 17)
हल-
श्रेणीक्रम में जुड़े बल्बों में समान धारा प्रवाहित होगी।
60 वोट के बल्ब का प्रतिरोध

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प्रश्न 4.
दिये गये चित्र 3.29 में दिखाए गए परिपथ में लगी बैटरी का विद्युत वाहक बल 12 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है। अमीटर A के पाठ्यांक की गणना कीजिए। जबकि, कुँजी k
(i) खुली हो, (ii) बन्द हो। (2015)

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प्रश्न 5.
वैद्युत परिपथ के लिए किरचॉफ के नियमों का व्याख्या सहित वर्णन कीजिए।
या
वैद्युत परिपथ के लिए किरचॉफ के नियमों का उल्लेख कीजिए और उनको परिपथ बनाकर समझाइए। (2012, 18)
या
वैद्युत परिपथ सम्बन्धी किरचॉफ के दोनों नियम समुचित परिपथ आरेख बनाकर समझाइए। (2014)
या
वैद्युत परिपथ सम्बन्धी किरचॉफ के नियम लिखिए। (2015, 17)
या
किरचॉफ का धारा नियम लिखिए तथा धारा के लिए चिह्न परिपाटी भी बताइए। (2018)
उत्तर-
किरचॉफ के नियम (Kirchhoff’s Laws)-
प्रथम नियम- किसी वैद्युत परिपथ की किसी भी सन्धि पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग (algebraic sum) शून्य होता है;
अर्थात् [latex]\sum { i }[/latex] = 0
माना कि चालक जिनमें धाराएँ i1, i2, i3, i4 व i5 बह रही हैं, सन्धि O पर मिलते हैं। चिह्न परिपाटी के अनुसार सन्धि की ओर आने वाली धारा धनात्मक है। अतः i1 वे i2 धनात्मक तथा i3, i4 व i5 ऋणात्मक हैं। किरचॉफ के नियम के अनुसार,

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i1 + i2 – i3 – i4 – i5 = 0
या i1 + i2 = i3 + i4 + i5
स्पष्ट है कि परिपथ के किसी बिन्दु पर आने वाली धाराओं का योग वहाँ से जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है। यह नियम आवेश के संरक्षण को व्यक्त करता है।

द्वितीय नियम- किसी वैद्युत परिपथ में प्रत्येक बन्दपाश के विभिन्न भागों में प्रवाहित होने वाली धाराओं एवं संगत प्रतिरोधों के गुणनफलों का बीजगणितीय योग उस पाश में लगने वाले समस्त वि० वा० बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।
अर्थात् [latex]\sum { iR }[/latex] = [latex]\sum { E }[/latex]
इस नियम को लगाते समय धारा की दिशा में चलने पर धारा व इसके संगत प्रतिरोध का गुणनफल धनात्मक लेते हैं तथा सेल के वैद्युत-अपघट्य में ऋण इलेक्ट्रोड से धन इलेक्ट्रोड की ओर चलने पर वि० वा० बल धनात्मक लेते हैं। चित्र 3.32 में दिखाये गये वैद्युत परिपथ में दो बन्दपाश (1) व (2) हैं। इस नियम के अनुसार बन्दपाश (1) के लिए

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i1R1 – i2R2 = E1 – E2
तथा बन्दपाश (2) के लिए ।
i2R2 + (i1 + i2) R3 = E2
इन समीकरणों को हल करके i1 व i2 के मान ज्ञात किये जा सकते हैं। यह नियम ऊर्जा के संरक्षण को व्यक्त करता है।

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प्रश्न 6.
वैद्युत परिपथ के लिए, किरचॉफ के नियमों का उल्लेख कीजिए तथा उनकी सहायता से किसी व्हीटस्टोन सेतु के सन्तुलित होने का सूत्र [latex]\frac { P }{ Q }[/latex] = [latex s=2]\frac { R }{ S }[/latex] व्युत्पादित कीजिए, जहाँ संकेतों को सामान्य अर्थ है। (2014)
या
व्हीटस्टोन सेतु का परिपथ चित्र खींचकर उसकी साम्यावस्था का प्रतिबन्ध निकालिए। (2009, 14, 17)
या
व्हीटस्टोन ब्रिज का सिद्धान्त क्या है? (2014)
या
व्हीटस्टोन सेतु की संतुलन अवस्था में उसकी भुजाओं के प्रतिरोध में सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2017)
या
व्हीटस्टोन सेतु का परिपथ आरेख खींचिए तथा संतुलन के प्रतिबन्ध का व्यंजक प्राप्त कीजिए। (2017)
या
व्हीटस्टोन ब्रिज सिद्धान्त की संतुलन गति को लिखिए। (2018)
उत्तर-
किरचॉफ के नियमों के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 5 का उत्तर देखिए।
व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धान्त- चित्र 3.33 में व्हीटस्टोन सेतु व्यवस्था दिखायी गयी है। जब व्हीटस्टोन सेतु में चतुर्भुज रूप में जुड़े प्रतिरोधों के मान इस प्रकार समायोजित किये जाएँ कि सेल की कुंजी K1 तथा धारामापी की कुंजी K2 दोनों बन्द करने पर धारामापी में कोई विक्षेप न आये तो इस दशा में सेतु सन्तुलित (balanced) कहा जाता है।
“सेतु की सन्तुलन अवस्था में सेतु (चतुर्भुज) की किन्हीं दो संलग्न भुजाओं में लगे प्रतिरोधों का अंनुपात शेष दो संलग्न भुजाओं में लगे प्रतिरोधों के अनुपात के बराबर होता है।”
अर्थात् [latex]\frac { P }{ Q }[/latex] = [latex s=2]\frac { R }{ S }[/latex]
किरचॉफ के नियमों का उपयोग करके उपर्युक्त सम्बन्ध का निगमन-
चित्र 3.33 में बन्दपाश ABDA में किरचॉफ का द्वितीय नियम लगाने पर

विभवमापी की सुविधा कैसे बढ़ाई जा सकती है? - vibhavamaapee kee suvidha kaise badhaee ja sakatee hai?

प्रश्न 7.
विभवमापी का सिद्धान्त चित्र खींचकर समझाइए। यह वोल्टमीटर से श्रेष्ठ क्यों है? (2017, 18)
या
हम सेल का विद्युत वाहक बल नापने के लिए वोल्टमीटर की अपेक्षा विभवमापी को वरीयता क्यों देते हैं। (2014)
या
विभवमापी का सिद्धान्त समझाइए। इसकी सुग्राहिता किस प्रकार बढ़ाई जा सकती है? (2015, 18)
या
विभवमापी में प्रयोग किए जाने वाले तार के विशेष गुण लिखिए।
उत्तर-
विभवमापी- यह किसी सेल का विद्युत वाहक बल अथवा किसी वैद्युत परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर नापने का यथार्थ उपकरण है।
विभवमापी का सिद्धान्त- इसमें मुख्यत: एक लम्बा व एकसमान व्यास की धातु का प्रतिरोध-तार AB होता है। इसका एक सिरा A एक संचायक-बैटरी के धन-ध्रुव से (UPBoardSolutions.com) जुड़ा होता है। बैटरी का ऋण-ध्रुव एक कुंजी (K) तथा एक धारा नियन्त्रक (Rh) के द्वारा सार के दूसरे सिरे B से जोड़ दिया जाता है। धारा नियन्त्रक के द्वारा तार AB में धारा को घटाया अथवा बढ़ाया जा सकता है।

E एक सेल है जिसका विद्युत वाहक बल नापना है। इसका धन-ध्रुव तार के A सिरे से जुड़ा होता है। तथा ऋण-ध्रुव एक धारामापी G के द्वारा जौकी J से जुड़ा होता है जो तार पर खिसकाकर कहीं भी स्पर्श करायी जा सकती है।

विभवमापी की सुविधा कैसे बढ़ाई जा सकती है? - vibhavamaapee kee suvidha kaise badhaee ja sakatee hai?

बैटरी से वैद्युत धारा तार के सिरे A से सिरे B की ओर को बहती है। अत: A से B की ओर तार के प्रत्येक बिन्दु पर वैद्युत-विभव गिरता जाता है। तार की प्रति एकांक लम्बाई में विभव-पतन को विभव-प्रवणता कहते हैं तथा इसे K से प्रदर्शित करते हैं।

माना जौकी को J1 पर स्पर्श कराते हैं, जबकि A और J1 के बीच विभवान्तर, सेल E के वि० वा० बल से कम है। चूंकि बिन्दु A का विभव J1 से। ऊँचा है; अत: बैटरी B1 की धारा AE J1 मार्ग से धारामापी में प्रवाहित होगी। परन्तु सेल E का धन-ध्रुव, बिन्दु A से जुड़ा है; अतः सेल की धारा AJ1E मार्ग से धारामापी में प्रवाहित होगी। स्पष्ट है। कि ये दोनों धाराएँ परस्पर विपरीत दिशाओं में हैं। परन्तु चूँकि सेल का वि० वा० बल (UPBoardSolutions.com) बैटरी के कारण उत्पन्न A व J1 के बीच विभवान्तर से अधिक है; अत: सेल की धारा की प्रधानता होगी। इस प्रकार AJ1E की दिशा में प्रवाहित एक परिणामी धारा के – कारण धारामापी की सूई एक ओर विक्षेपित हो जाएगी।

इसके विपरीत यदि जौकी को J2 पर स्पर्श कराते हैं, जबकि A व J2 के बीच विभवान्तर, सेल E के वि० वा० बल से अधिक हो, तो बैटरी B1 की धारा की प्रधानता होगी। इस दशा में धारामापी में एक परिणामी धारा AEJ2 दिशा में प्रवाहित होगी और धारामापी की सूई पहले से विपरीत दिशा में विक्षेपित हो जाएगी।

स्पष्ट है कि जौकी की दोनों स्थितियों J1 व J2 के मध्य में J एक ऐसा बिन्दु होगा, जहाँ पर जौकी को स्पर्श कराने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं होगा। यह शून्य विक्षेप की स्थिति होगी और ऐसी स्थिति में A व J के मध्य विभवान्तर, सेल के वि० वा० बल के बराबर होगा।
माना तार में बहने वाली धारा का मान i है तथा तार की 1 सेमी लम्बाई का प्रतिरोध p है, तब
विभव-प्रवणता K = ip
यदि तार के भाग AJ की लम्बाई l सेमी हो तथा बिन्दु A व J के बीच विभवान्तर V हो, तो
V = Kl
शून्य विक्षेप स्थिति में, विभवान्तर V सेल के विद्युत वाहक बल E के बराबर होता है। अतः
E = Kl
विभवमापी की सुग्राहिता बढ़ाने के लिए विभवमापी के तार की लम्बाई बढ़ा दी जाती है जिस कारण विभव-प्रवणता कम हो जाती है और शून्य विक्षेप की स्थिति की दूरी (l) अधिक लम्बाई पर आती है।
विभवमापी में प्रयोग होने वाले तार के विशेष गुण

  1. तार का व्यास सर्वत्र समान होना चाहिए।
  2. तार के पदार्थ का प्रतिरोध ताप-गुणांक अधिक होना चाहिए।
  3. तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध कम होना चाहिए।

वोल्टमीटर की तुलना में विभवमापी की श्रेष्ठता

  1. जब हम सेल का वि० वा० बल विभवमापी से नापते हैं तो शून्य-विक्षेप स्थिति में सेल के परिपथ में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती; अर्थात् सेल खुले परिपथ पर होती है। अतः इस स्थिति में सेल के वि० वा० बल का वास्तविक मान प्राप्त होता है। इस प्रकार विभवमापी अनन्त प्रतिरोध के आदर्श वोल्टमीटर के समतुल्य है।
  2. वोल्टमीटर द्वारा वि० वा० बल (UPBoardSolutions.com) नापने के लिए वोल्टमीटर में विक्षेप पढ़ना पड़ता है। विक्षेप के पढ़ने में त्रुटि रह सकती है। इसके विपरीत विभवमापी द्वारा वि० वी० बल अविक्षेप (null) विधि से नापा जाता है। इसमें तार पर शून्य-विक्षेप स्थिति को पढ़ना होता है। शून्य-विक्षेप स्थिति में पढ़ने में अधिक-से-अधिक 1 मिमी की त्रुटि हो सकती है, जो नगण्य है।

प्रश्न 8.
एक विभवमापी की संरचना तथा कार्यविधि का वर्णन कीजिए। इसके द्वारा सेल का विद्युत वाहक बल कैसे ज्ञात किया जाता है? (2011)
या
विभवमापी का सिद्धान्त समझाइए। विभवमापी से किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए परिपथ आरेख खींचिए तथा प्रयुक्त सूत्र को प्राप्त कीजिए। (2013, 15)
या
विभवमापी का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। इसकी सहायता से किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध कैसे ज्ञात करते हैं? (2015)
उत्तर-
विभवमापी की संरचना- विभवमापी में मुख्यतः एक उच्च विशिष्ट प्रतिरोध व निम्न प्रतिरोध ताप गुणांक की मिश्रधातु (जैसे- कॉन्सटेन्टन, मैंगनिन आदि) का 4 से 12 मीटर तक लम्बा एक समान व्यास का तार होता है। इस तार को एक-एक मीटर के समान्तर टुकड़ों के रूप में चित्र 3.35 की भाँति एक लकड़ी के तख्ते पर बिछा देते हैं। तार के ये सभी टुकड़े ताँबे की मोटी पत्तियों के द्वारा श्रेणीक्रम में ज़ोड़ (UPBoardSolutions.com) दिये जाते हैं। इस सम्पूर्ण तार के प्रारम्भ होने वाले सिरे और अन्तिम सिरे पर क्रमशः संयोजक पेंच A और B लगा देते हैं। तारों की लम्बाई के समान्तर एक मीटर पैमाना M लगा रहता है, जिससे जौकी J की स्थिति पढ़ ली जाती है।

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कार्यविधि अथवा कार्य सिद्धान्त- उपरोक्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 7 में पढ़िए।
विभवमापी द्वारा किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करना- इसके लिए विभवमापी के तार AB के सिरों के बीच एक संचायक सेल B1 धारा नियन्त्रक Rh व कुंजी K1 चित्र 3.36 के अनुसार जोड़ देते हैं। सेल B1 का धन-ध्रुव तार के सिरे A से जोड़ा जाता है। अब जिस सेल को आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करना होता है, उसके धन सिरे को बिन्दु A से तथा ऋण सिरे को एक शण्टयुक्त धारामापी G द्वारा जौकी J (UPBoardSolutions.com) से जोड़ देते हैं। इस सेल के समान्तरक्रम में चित्र 3.36 के अनुसार एक प्रतिरोध बॉक्स व कुंजी K2 डाल देते हैं। सर्वप्रथम कुंजी K2 से प्लग को निकालकर सेल E को खुले परिपथ में रखा जाता है। अब कुंजी K1 का प्लग लगाकर सेल E के लिए शून्य विक्षेप स्थिति ज्ञात कर लेते हैं। मान लीजिए कि इस स्थिति में सिरे A से दूरी l1 सेमी है। चूंकि खुले परिपथ पर सेल की प्लेटों के बीच विभवान्तर V इसके विद्युत वाहक ब्रल E के बराबर है, अतः
E = Kl1 …..(1)

जहाँ K तार AB की विभव-प्रवणता है। अब प्रतिरोध बॉक्स में से कोई उचित प्रतिरोध R निकालकर कुंजी K2 को बन्द कर देते हैं। इस दशा में प्रतिरोध R के सिरों के बीच लगने वाले विभवान्तर V के लिए तार AB पर शून्य विक्षेप स्थिति ज्ञात करे लेते हैं। माना इस स्थिति की बिन्दु A से दूरी l2 सेमी है, तब

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इस सूत्र (5) से r के मान का परिकलन किया जा सकता है। l1 व l2 के अनेक प्रेक्षण लेते हैं और प्रत्येक प्रेक्षण से सेल के आन्तरिक प्रतिरोध को परिकलन करके औसत मान ज्ञात कर लेते हैं।

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प्रश्न 9.
विभवमापी की संरचना तथा कार्यविधि का वर्णन कीजिए। इसके द्वारा दो सेलों के वि० वाहक बल की तुलना कैसे की जाती है। परिपथं आरेख बनाकर समझाइए। (2015)
उत्तर-
विभवमापी की संरचना- उपरोक्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 8 में पढ़िए।
विभवमापी की कार्यविधि- उपरोक्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 7 में पढ़िए।
विभवमापी द्वारा दो सेलों के वि0 वा बल की तुलना- पहले विभवमापी के तार के सिरों A व B के बीच एक संचायक सेल अथवा बैटरी B1, धारी-नियन्त्रक Rh तथा एक (UPBoardSolutions.com) कुंजी K1 जोड़ देते हैं। (चित्र 3.36)। B1 का धन-ध्रुव तार के A सिरे से जोड़ा जाता है। अब जिन दो सेलों E1 व E2 के विद्युत वाहक बलों की तुलना करनी है, उनके धन-ध्रुवों कों A से जोड़ देते हैं तथा ऋण-ध्रुवों को एक द्वि-मार्गी (two-way) कुंजीk, के द्वारा एक शन्टयुक्त धारामापी G से जोड़कर जौकी J से जोड़ देते हैं। पहले कुंजी K1 को लगाकर तार AB के सिरों के बीच विभवन्तर स्थापित करते हैं। अब पहले सेल” E1 को कुंजी K2 के द्वारा परिपथ में डालते हैं और जौकी के द्वारा शून्य-विक्षेप स्थिति ज्ञात कर लेते हैं। मान लो तार पर शून्य-विक्षेप स्थिति की बिन्दु A से दूरी l1 सेमी है। तब
E = Kl1
जहाँ K तार पर विभव-प्रवणता है। इसी प्रकार दूसरे सेल E2 को कुंजी K2 के द्वारा परिपथ में डालकर पुनः शून्य-विक्षेप स्थिति ज्ञात कर लेते हैं। मान लो इस स्थिति की बिन्दु A से दूरी l2 सेमी है।
तब

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यदि इनमें एक सेल प्रमाणिक सेल हो, जिसका विद्युत वाहक बल ज्ञात होता है तो दूसरी सेल का विद्युत वाहक बल ज्ञात किया जा सकता है। विभवमापी में शून्य-विक्षेप की स्थिति में, सेल E, अथवा E, में कोई धारा नहीं बहती अर्थात् सेल खुले। परिपथ में होती है। अतः विभवमापी से सेल का यथार्थ विद्युत वाहक बल प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
चित्र 3.37 में AB एक 15 ओम प्रतिरोध का 1 मीटर लम्बा, समरूप तार है। शेष आँकडे चित्र में प्रदर्शित हैं। ज्ञात कीजिए-
(i) तार AB में विभव-प्रवणता तथा
(ii) अविक्षेप स्थिति में तार AO की लम्बाई। (2011, 14)

विभवमापी की सुविधा कैसे बढ़ाई जा सकती है? - vibhavamaapee kee suvidha kaise badhaee ja sakatee hai?

हल-
(i) चित्र 3.37 में विभवमापी के तार से जुड़े मुख्य परिपथ का कुल प्रतिरोध = 10 Ω + 15 Ω = 25 Ω
तथा परिपथ में जुड़े सेल का वि० वा० बल E = 2 वोल्ट; अतः इस तार में प्रवाहित धारा,
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विभवमापी की सुग्राहिता कैसे बढ़ाते हैं?

विभवमापी की सुग्राहिता विभव-प्रवणता के व्युत्क्रमानुपाती होती है। परन्तु विभव-प्रवणता K = (जहाँ V = विभवमापी के तार के सिरों का विभवान्तर), अत: K ∝ 1/L अर्थात् विभवमापी के तार की लम्बाई L बढ़ाने से K का मान कम हो जाएगा; अर्थात् सुग्राहिता बढ़ जाएगी।

विभवमापी की सुग्राहिता कब बढ़ जाती है?

विभव प्रवणता x का मान कम होने पर, विभवमापी की सुग्राहिता अधिक होती है। <br> `:' x = ( E )/( L)` <br> तार पर आरोपित विभवांतर E के नियत मान के लिए, विभव प्रवणता x का मान तार की लम्बाई L अधिक होने पर कम होता है। x का मान कम होने पर विभवमापी के तार पर संतुलन लम्बाई बढ़ जाती है, जिसे अधिक यथार्थता से मापा जा सकता है।

विभवमापी की सुग्राहिता से आप क्या समझते हैं?

कि विभवमापी की सुग्राहिता बढ़ाने के लिए विभवमापी के तार की लंबाई बढ़ा देते हैं। जिस कारण विभव प्रवणता कम हो जाती है। और शून्य विक्षेप बिंदु अधिक लम्बाई प्राप्त होता है। अर्थात् आसान शब्दों में — विभवमापी की सुग्राहिता बढ़ाने के लिए प्रतिरोध तार AB की लंबाई बढ़ा दो।

विभवमापी वोल्टमीटर से अधिक सुग्राही होता है क्यों?

Solution : विभवमापी की वोल्टमीटर पर श्रेष्ठता - `(i)` विभवमापी अनन्त प्रतिरोध के आदर्श वोल्टमीटर के समतुल्य है। `(ii)` वोल्टमीटर द्वारा विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर के संकेतक का विक्षेप पढ़ने में त्रुटि की सम्भावना बनी रहती है, जबकि विभवमापी द्वारा शून्य विक्षेप की स्थिति पढ़ने में त्रुटि की सम्भावना नहीं होती