वन महोत्सव विशेष: पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता है वन महोत्सवसार Show
जुलाई के पहले सप्ताह (1 से 7 जुलाई) में वनों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। यह एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है, जिसमें पूरे देश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। वन महोत्सव पर लोग पौधे लगाते हैं और अधिक लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वो सब मिलकर विभिन्न वृक्षारोपण अभियान भी चलाए। वन महोत्सव सप्ताह में वन संरक्षण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
पहले पंजाबी वनस्पतिशास्त्री एमएस रंधावा द्वारा 20 से 27 जुलाई तक वन महोत्सव आयोजित किया गया था। - फोटो : iStock विस्तारजुलाई के पहले सप्ताह (1 से 7 जुलाई) में वनों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। यह एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है, जिसमें पूरे देश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। वन महोत्सव का महत्व वन महोत्सव सप्ताह एक अनुस्मारक है कि हमें वनों की रक्षा करनी चाहिए और वनों की कटाई को रोकना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण के तीन 3R नियम कम करना (रिड्यूस), पुन: उपयोग करना (रीयूज), पुनः चक्रण (रीसायकल) करना का पालन करना चाहिए। इस सप्ताह के दौरान, बच्चों और बड़ों को पौधे लगाते हुए और वृक्षारोपण अभियान में भाग लेते हुए, पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि भारत ने 2030 तक अतिरिक्त 2 बिलियन कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। एक शोध के अनुसार विगत सात वर्षों में भारत देश में जंगल के भीतर और बाहर वृक्षों का आवरण बढ़ा है और 15,000 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र भी बढ़ा है। वन महोत्सव का इतिहास वन महोत्सव दिवस का इतिहास 1947 का है, जब इसे पहली बार पंजाबी वनस्पतिशास्त्री एमएस रंधावा द्वारा 20 से 27 जुलाई तक आयोजित किया गया था। तत्कालीन दिल्ली पुलिस आयुक्त खुर्शीद अहमद खान ने 20 जुलाई 1947 को वन महोत्सव के पहले आयोजन का उद्घाटन किया, जिसमें वनस्पतियों और जीवों पर वनों की कटाई के प्रभाव पर जोर दिया गया था। डॉ.राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा एक समृद्ध वृक्षारोपण अभियान चलाया गया, तब से वन महोत्सव मनाने और पेड़ लगाने की परंपरा चली आ रही है। 1950 में इसे खाद्य और कृषि मंत्री कन्हैया माणिलाल मुंशी द्वारा राष्ट्रीय गतिविधि के रूप में घोषित किया गया था। बाद में इस त्योहार को जुलाई में पहले सप्ताह में स्थानांतरित कर दिया गया और 1950 में इसका नाम बदलकर वन महोत्सव कर दिया गया। वन महोत्सव का महत्व वन महोत्सव सप्ताह भारत में लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है, क्योंकि औद्योगीकरण और शहरीकरण के लिए उन्हें बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है। पेड़ खाद्य संसाधनों के उत्पादन में योगदान करते हैं, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं, वायु गुणवत्ता में सुधार करते हैं, जलवायु में सुधार करते हैं, पानी का संरक्षण करते हैं, मिट्टी का संरक्षण करते हैं, वन्य जीवन का समर्थन करते हैं, सूखे को कम करते हैं और मिट्टी के कटाव और प्रदूषण को रोकते हैं। वन/वन संरक्षण पर निबंधवन/वन संरक्षण पर निबंध – वन प्राणियों के लिए कितने आवश्यक हैं, ये सभी को पता है। कहा भी गया है कि वन ही जीवन है। इतना समझने के बावजूद भी दिन-प्रतिदिन वनों की अंधाधुंध कटाई होती है। यह समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस लेख में हम इसी गंभीर समस्या पर निबंध ले कर आए हैं। आशा करते हैं कि यह निबंध जितना आपकी परीक्षाओं में सहायक होगा, उतना ही आपको वनों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने में भी प्रेरक सिद्ध होगा। संकेत बिंदु – (Content) प्रस्तावना वन शब्द की उत्पत्तिवन शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द से हुई है जिसका मतलब है कि बड़े पैमाने पर पेड़ों और पौधों का प्रभुत्व होना। इसे अंग्रेजी के एक ऐसे शब्द के रूप में पेश किया गया था जो कि जंगली भूमि को संदर्भित करता है जिसको लोगों ने शिकार के लिए खोजा था। इस भूमि पर पेड़ों द्वारा कब्जा हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता। कुछ लोगों ने दावा किया कि जंगल शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द ‘फोरेस्टा’ से लिया गया था जिसका अर्थ था खुली लकड़ी। मध्यकालीन लैटिन में यह शब्द विशेष रूप से राजा के शाही शिकार के लिए प्रयुक्त मैदानों को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। वनों के प्रकारदुनिया भर के वनों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ विभिन्न प्रकार के वनों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिससे आपको इन वनों के बारे में मूल जानकारी प्राप्त हो सके। ये वन पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक हिस्सा बनाते हैं – वनों का महत्त्वकहा जाता है कि प्रकृति और मानव-सृष्टि के सन्तुलन का मूल आधार वन ही हैं। वन पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जंगलों को संरक्षित करने और अधिक पेड़ों का विकास करने की आवश्यकता पर अक्सर जोर दिया जाता है। ऐसा
करने के कुछ प्रमुख कारण निम्नानुसार हैं – सार्वकालिक उपयोगितायह स्पष्ट है कि आरम्भ से लेकर आज तक तो वनों की आवश्यकता-उपयोगिता बनी ही रही है, आगे भी बनी रहेगी, किन्तु मानव शिक्षित, ज्ञानी होते हुए भी लगातार वनों को काट कर प्रकृति का, धरती का, सारी मानवता का सन्तुलन बिगाड़ कर सभी कुछ तहस-नहस करके रख देना चाहता है। अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति में मग्न होकर, हम यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वनों का निरन्तर कटाव जारी रखकर हम वनों को उचित संरक्षण एवं संवर्द्धन न देकर प्रकृति और मानवता
का तथा अपनी ही आने वाली पीढ़ियों का कितना बड़ा अहित कर रहे हैं। वनों से मानव को लाभप्राचीन काल से ही वनों की उपयोगिता के बारे में सभी जानते हैं। वनों से मिलने वाले लाभों से भी सभी वाकिफ़ हैं। वनों के कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं। प्रत्यक्ष लाभ तो सभी को सामने दिखाई देते हैं परन्तु अप्रत्यक्ष लाभ के बारे में किसी-किसी को ज्ञान होता है। वनों की कटाई की समस्यावनों की कटाई की समस्या किसी एक की समस्या नहीं है अपितु सम्पूर्ण प्राणी जगत की समस्या है। यदि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पूरा प्राणी जगत समाप्त हो जायगा। भारत में वनों की स्थितिभारत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कनाडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, रूसी संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और सूडान के साथ दुनिया के शीर्ष दस वन-समृद्ध देशों में से एक है। भारत के साथ ये देश दुनिया के कुल वन क्षेत्र का लगभग 67% हिस्सा है। अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र उन राज्यों में से हैं जिनके पास भारत में सबसे
बड़ी वन क्षेत्र भूमि है। वन संरक्षण आवश्यकहमारे शास्त्रों में पेड़ लगाने को बड़ा पुण्य कार्य बताया गया है। एक पेड़ लगाना एक यज्ञ करने के बराबर है। वनों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभों को देखकर उनका संरक्षण करना हमारा कर्त्तव्य है। इस शताब्दी में वनों के विनाश के कारण होने वाले खतरो को भी विज्ञान समझ गया है, इसलिए आधुनिक वैज्ञानिकों ने प्रत्येक सरकार को वनों के संरक्षण की सलाह दी है। इसलिए संसार की प्रत्येक सरकारो ने अपने यहाँ वन संरक्षण की नीति बनाई है। अत्यावश्यक कार्यो के लिए हमें वनों का उपभोग करना
चाहिए। उपसंहारवन मानव जाति के लिए एक वरदान है। वन प्रकृति का एक सुंदर सृजन हैं। भारत को विशेष रूप से कुछ सुंदर जंगलों का आशीष मिला है जो पक्षियों और जानवरों की कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए घर हैं। वनों के महत्व को पहचाना जाना चाहिए और सरकार को वनों की कटाई के मुद्दे पर नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए। पेड़ लगाने के बराबर संसार में कोई पुण्य कार्य नहीं है, क्योंकि पेड़ से अनेकों जीवो का उद्धार होता है, दुश्मन को भी वह उतना ही लाभ पहुँचाते है। वन पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। हालांकि दुर्भाग्य से मनुष्य विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पेड़ों को काट रहा है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। पेड़ों और जंगलों को बचाने की आवश्यकता को और अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस प्रकार मानव जाति के अस्तित्व के लिए वन महत्वपूर्ण हैं। ताजा हवा से लेकर लकड़ी तक जिसका इस्तेमाल हम सोने के लिए बिस्तर के रूप में करते हैं – यह सब कुछ जंगलों से प्राप्त होता है। इसलिए मानव को रोगों से, प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ों की सख्या बढ़ानी चाहिए। हमारी सरकार को भी वनों की सुरक्षा करनी चाहिए और उनकी वृद्धि के लिए नए पेड़ लगाने चाहिए। जीव जगत की वृद्धि के साथ पेड़ों की भी वृद्धि होनी चाहिए। Recommended Read –
वन्य संपदा क्या है?वन सम्पदा हमारी भारतीय सभ्यता और प्राचीन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। वन सम्पदा वातावरण में उपलब्ध धुआँ, धूलकण, कार्बन, सीसा, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड एवं मानव जीवन को प्रदूषित करने वाली गैसों को घटाकर जीवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
वन से आप क्या समझते हैं?ऐसा क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों एवं वनस्पति का घनत्व अत्यधिक रहता है, उस क्षेत्र विशेष को वन (Forest in hindi) कहते है । साधारणत: जिस स्थान पर प्राकृतिक वनस्पति की अधिकता होती है, उस स्थान विशेष को "वन (Forest in hindi)" एवं सरल भाषा में 'जंगल' कहा जाता है ।
वन प्रकृति की संपदा है क्योंकि?वृक्ष मानव जीवन के लिए सबसे उपयोगी तत्व माने जाते हैं। क्योंकि पृथ्वी पर सजीवों को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है और ऑक्सीजन का एकमात्र स्त्रोत वृक्षों को ही माना जाता है। वन को संपदा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इंसान के पास रही हुई किसी भी भौतिक संपत्ति से वन का महत्व ज्यादा है।
जंगल हमारे लिए क्यों जरूरी है?पेड़ों, पौधों और झाड़ियों के साथ कवर एक विशाल भूमि और जंगली जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के लिए घर वन के रूप में जाना जाता है। जंगल पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे ग्रह की जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, वातावरण को शुद्ध करते हैं, वाटरशेड की रक्षा करते हैं।
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