वर्तमान में हिंदी की स्थिति क्या है? - vartamaan mein hindee kee sthiti kya hai?



                                 हिंदी की वर्तमान स्थिति:-

हिंदी विश्व में चीनी भाषा के बाद सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा 

है। भारत और विदेश में करीब 50 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं तथा 

इस भाषा को समझने वाले लोगों की कुल संख्या करीब 90 करोड़ 

है। हिंदी भाषा का मूल प्राचीन संस्कृत भाषा में है। इस भाषा ने

 अपना वर्तमान स्वरूप कई शताब्दियों के पश्चात हासिल किया है

 और बड़ी संख्या में बोलीगत विभिन्नताएं अब भी मौजूद हैं। हिंदी 
की लिपि देवनागरी है

, जो कि कई अन्य भारतीय भाषाओं के लिए
 संयुक्त है। हिंदी के अधिकतम शब्द संस्कृत से आए हैं। इसकी व्याकरण की भी संस्कृत भाषा के साथ समानता है।
राजभाषा के रूप में हिंदी:-

भारत के संविधान में देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है (अनुच्छेद 343(1))। हिंदी की गिनती भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल पच्चीस भाषाओं में की जाती है। भारतीय संविधान में व्यवस्था है कि केंद्र सरकार की पत्राचार की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यह विचार किया गया था कि 1965 तक हिंदी पूर्णतः केंद्र सरकार के कामकाज की भाषा बन जाएगी (अनुच्छेद 344 (2) और अनुच्छेद 351 में वर्णित निदेशों के अनुसार), साथ में राज्य सरकारें अपनी पंसद की भाषा में कामकाज संचालित करने के लिए स्वतंत्र होंगी। लेकिन राजभाषा अधिनियम (1963) को पारित करके यह व्यवस्था की गई कि सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग भी अनिश्चित काल के लिए जारी रखा जाए। अतः अब भी सरकारी दस्तावेजों, न्यायालयों आदि में अंग्रेजी का इस्तेमाल होता है। हालांकि, हिंदी के विस्तार के संबंध में संवैधानिक निर्देश बरकरार रखा गया।
राज्य स्तर पर हिंदी भारत के निम्नलिखित राज्यों की राजभाषा है: बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली। ये प्रत्येक राज्य अपनी सह-राजभाषा भी बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में यह भाषा उर्दू है। इसी प्रकार कई राज्यों में हिंदी को भी सह-राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। 

हिंदी भाषा में रोज़गार के अवसर:-


हमारी राष्ट्रीय भाषा की अत्यधिक लोकप्रियता और बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय महत्व के साथ-साथ, हिंदी भाषा के क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों में भी जबर्दस्त प्रगति हुई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों (हिंदी भाषी राज्यों में) के विभिन्न विभागों में, हिंदी भाषा में काम करना अनिवार्य है। अतः केंद्र/राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों और इकाइयों में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक, प्रबंधक (राजभाषा) जैसे विभिन्न पदों की भरमार है। निजी टीवी और रेडियो चैनलों की शुरुआत और स्थापित पत्रिकाओं/ समाचार-पत्रों के हिंदी रूपान्तर आने से रोजगार के अवसरों में कई गुणा वृद्धि हुई है। हिंदी मीडिया के क्षेत्र में  संपादकों, संवाददाताओं, रिपोर्टरों, न्यूजरीडर्स, उप-संपादकों, प्रूफ-रीडरों, रेडियो जॉकी, एंकर्स आदि की बहुत आवश्यकता है। इनमें रोजगार की इच्छा रखने वालों के लिए पत्रकारिता/जन-संचार में डिग्री/डिप्लोमा के साथ-साथ हिंदी में अकादमिक योग्यता रखना महत्वपूर्ण है। कोई व्यक्ति रेडियो/टीवी/सिनेमा के लिए स्क्रिप्ट राइटर/डॉयलाग राइटर/गीतकार के रूप में भी काम कर सकता है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक और कलात्मक रूप में सृजनात्मक लेखन आवश्यक होता है। लेकिन किसी व्यक्ति के लेखन के स्टाइल में सृजनात्मक लेखन में डिग्री/डिप्लोमा निश्चित तौर पर निखार ला सकता है। इसमें प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय लेखकों के कार्यों का हिंदी में अनुवाद तथा हिंदी लेखकों की कृतियों का अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद कार्य करना भी सम्मिलित होता है। फिल्मों की स्क्रिप्टों/विज्ञापनों को हिंदी/अंग्रेजी में अनुवाद करने का भी कार्य होता है। परंतु इस क्षेत्र के लिए द्विभाषी दक्षता होना महत्वपूर्ण है। कोई व्यक्ति एक स्वतंत्र अनुवादक के तौर पर अपनी आजीविका संचालित कर सकता है और अपनी खुद की अनुवाद फर्म भी स्थापित कर सकता है। ऐसी फर्में अनुबंध आधार पर कार्य प्राप्त करती हैं तथा बहुत से पेशेवर अनुवादकों को रोज़गार उपलब्ध कराती हैं। विदेशी एजेंसियों से भी अनुवाद परियोजनाओं के अवसर प्राप्त होते हैं। यह कार्य आसानी से इंटरनेट के जरिए किया जा सकता है। विश्वभर में सिस्ट्रॉन, एसडीएल इंटरनेशनल, डेट्रॉयर ट्रांसलेशन ब्यूरो, प्रोज आदि असीमित संख्या में भाषा कम्पनियां हैं। इनमें से ज्यादातर भाषाई-उन्मुख कम्पनियां हैं जो कि बहुभाषी सेवाएं उपलब्ध कराती हैं और इनमें से एक भाषा हिंदी भी है। अन्य कम्पनियां इन कम्पनियों से अनुबंध आधार पर भाषा सेवाएं प्राप्त करती हैं। सामान्यतः इन फर्मों में रोज़गार के अवसर स्थाई या स्वतंत्र अनुवादकों तथा भाषान्तरकारों के रूप में उपलब्ध होते हैं।

अब हम हर वैश्विक प्रकाशन घटाने को बहुसंख्यक लोगों के बीच, विशेषकर हिंदी क्षेत्र में अपना स्थान बनाने के लिए संघर्षरत पाते हैं। आश्चर्यजनक रूप से प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन घरानों ने न केवल हिंदी प्रकाशन की शुरुआत की है बल्कि श्रेष्ठ बिक्री लक्ष्य प्राप्त करने वाली पुस्तकों के बड़े पैमाने पर अनुदित रूपान्तर (हिंदी में) प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। अतः प्रकाशन घरानों में अनुवादक, संपादक और कम्पोजर के रूप में व्यापक अवसर मौजूद हैं। हिंदी भाषा में स्नातकोत्तरों, विशेषकर जिन्होंने अपनी पीएचडी पूरी कर ली है, के लिए विदेशों में भी रोजगार के अवसर हैं। कुछ देशों द्वारा हिंदी को बिजनेस की भाषा स्वीकार किए जाने के फलस्वरूप विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा और भाषा-विज्ञान के शिक्षण की जबर्दस्त मांग बढ़ी है। भारत में स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक के तौर पर भी परंपरागत शिक्षण व्यवसाय को चुना जा सकता है।



हिंदी भाषा में कालेजों/विश्वविद्यालयों द्वारा सचांलित किए जाने वाले पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय/कालेज संचालित पाठ्यक्रम

भारत में हिंदी की वर्तमान स्थिति क्या है?

हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है।

विश्व में हिंदी की क्या स्थिति है?

जनतांत्रिक आधार पर हिंदी विश्व भाषा है क्योंकि उसके बोलने-समझने वालों की संख्या संसार में तीसरी है। विश्व के 132 देशों में जा बसे भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग हिंदी माध्यम से ही अपना कार्य निष्पादित करते हैं । एशियाई संस्कृति में अपनी विशिष्ट भूमिका के कारण हिंदी एशियाई भाषाओं से अधिक एशिया की प्रतिनिधि भाषा है ।

आज हमारे समाज में हिंदी भाषा की क्या स्थिति है?

हिंदी को हिंदवी, हिंदुस्तान और खड़ी -बोली के रूप में भी जाना जाता था । देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी (जो विश्व की वर्तमान लेखन प्रणाली के बीच सबसे वैज्ञानिक लेखन प्रणाली है) भारत गणराज्य की राष्ट्रीय आधिकारिक भाषा है और इसे दुनिया के सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा के रूप में स्थान दिया गया है।

हिंदी का भविष्य क्या है?

हिंदी का भविष्य: साल 2050 तक दुनिया की सबसे शक्तिशाली भाषाओं में से एक होगी हिन्दी एक भाषा जिसने हमें और आपको एक सूत्र में बांधा है उसका नाम है हिंदी भाषा। हिंदी भारत के 18 करोड़ लोगों की मातृभाषा है जबकि 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जो हिंदी का इस्तेमाल Second Language के तौर पर करते हैं। यानी जो संवाद हम हिंदी में करते हैं..