वेदों की रचना का प्रारंभ कब हुआ था? - vedon kee rachana ka praarambh kab hua tha?

वेदों के रचनाकाल अथवा काल निर्धारण संबंधी विभिन्न मत 

वेदों की रचना का प्रारंभ कब हुआ था? - vedon kee rachana ka praarambh kab hua tha?



वेदों के रचनाकाल के सम्बन्ध में विद्वानों के मत

विद्वानों के नाम                   सन्/सम्वत् 

⏹️ प्रो. मैक्समूलर - - -                1200 ई.पू. 

⏹️ प्रो. ए. वेबर - - -                    1200 ई.पू. से 1500 ई. पू.

⏹️ डॉ. जैकोबी - - -                    4500 ई.पू. से 3000 ई.पू.

⏹️ लोकमान्य बालगंगाधर तिलक -4000 से 6000 ई.पू.

⏹️ एम. विण्टरनित्स - - -              4500 से 6000 ई.पू.

⏹️ मैक्समूलर का मत 

➡️ प्रो . मैक्समूलर ने सन् 1859 ई . में स्वरचित ग्रन्थ “ A History of Ancient Sanskrit literature ” में वेदों के काल निर्णय का सर्वप्रथम प्रयास किया ।

➡️मैक्समूलर के अनुसार सर्वप्राचीन ऋग्वेद की रचना 1200 ई . पू . ( विक्रमपूर्व ) में हुई होगी , क्योंकि विक्रम से लगभग 500 वर्ष पूर्व उदित हुआ बौद्ध धर्म वैदिक वाङ्मय की सत्ता को स्वीकार करता है ।

➡️ प्रो . मैक्समूलर ने समग्र वैदिककाल को चार विभागों में बाँटा है-

1. छन्दकाल 2. मन्त्रकाल 3. ब्राह्मणकाल 4. सूत्रकाल इसमें प्रत्येक युग की विचार धारा के उदय तथा ग्रन्थ रचना के लिए उन्होंने 200 वर्षों का काल माना है ।

1. सूत्रकाल- 600 ई . पू . से 200 ( ई . पू . )

2. ब्राह्मणकाल- 800 ई . पू . से 600 ( ई . पू . )

3. मन्त्रकाल 1000 से 800 ( ई . पू . )

4. छन्दकाल 1200 से 1000 ( ई . पू . )

➡️सन् 1890 ई . में प्रकाशित " Physical Religion " ( भौतिक धर्म ) नामक अपनी पुस्तक में प्रो . मैक्समूलर ने अपनी भूल स्वीकार करते हुए लिखा है कि- “ इस भूतल पर कोई भी ऐसी शक्ति नहीं है , जो कभी निश्चय कर सके कि वैदिक मन्त्रों की रचना 1000 या 1500 या 2000 या 3000 विक्रमपूर्व में की गयी हो ।

➡️ परन्तु हम भारतीयों का दुर्भाग्य कि वेदों के काल निर्णय के विषय में मैक्समूलर के 1200 विक्रमपूर्व को ही हम सनातन सत्य मानते आ रहे हैं , जबकि इस मत के प्रणेता मैक्समूलर ने स्वयं इसे अपनी भूल मानते हुए , इस मत का खण्डन कर चुके हैं ।

⏹️ प्रो. ए. वेबर का मत 

➡️जर्मन विद्वान प्रो . ए . वेबर ने कहा है - " वेदों का समय निश्चित नहीं किया जा सकता । वे उस तिथि के बने हुए हैं , जहाँ तक पहुँचने के लिए हमारे पास उपयुक्त साधन नहीं है । वर्तमान प्रमाण , हम लोगों को उस समय के उन्नत शिखर तक पहुँचाने में असमर्थ हैं । "

➡️ प्रो . वेबर यह भी कहते हैं कि - " वेदों के समय को कम से कम 1200 ई . पू . या 1500 ई . पू . के बाद का कथमपि स्वीकार नहीं किया जा सकता । "

➡️ प्रो . वेबर ने अपनी पुस्तक " History of Indian literature ” यहाँ तक लिख दिया कि- Any such of attempt of defining the relic antiquity is absolutely fruitless ' अर्थात् वेदों का काल निर्धारण के लिए प्रयत्न करना सर्वथा बेकार है ।

⏹️ डॉ. जैकोबी का मत 

➡️ जर्मन विद्वान डॉ . जैकोबी का वैदिक काल विषयक सिद्धान्त ज्योतिष की आधार शिला पर अवलम्बित है ; जो बालगंगाधर तिलक के मत से मिलता - जुलता है ।

➡️ डॉ . जैकोबी ने कृत्तिका और बसन्तपात के आधार पर वेदमन्त्रों का रचनाकाल 4590 ई . पू . तथा ब्राह्मण ग्रन्थों का रचनाकाल 2500 ई . पू . के पश्चात् स्वीकार किया है ।

➡️ इसप्रकार संक्षेप में याकोबी के अनुसार 4500 ई . पू . से 3000 ई . पू . ऋग्वेद का रचनाकाल है तथा 3000 ई . पू . से . 2000 ई . पू . ब्राह्मणों का रचनाकाल है ।

⏹️ बाल गंगाधर तिलक का मत 

➡️ लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने ऋग्वेद में उपलब्ध ज्योतिष विषयक साक्ष्यों के आधार पर वेदों का काल 4000 से 6000 विक्रमपूर्व स्वीकार किया है ।

➡️ तिलक जी ने वैदिक काल को चार विभागों में रखा है -

1. अदितिकाल - 6000 ई . पू . से 4000 विक्रम पूर्व तक

2 . मृगशिरा काल - 4000 ई . पू . से . 2500 विक्रमपूर्व तक ( ऋग्वेदसं हिता का मन्त्रकाल )

3. कृत्तिका काल - 2500 से 1400 ई . पू . विक्रमपूर्व तक ( तैत्तिरीय संहिता व ब्राह्मणकाल )

4. अन्तिम काल - 1400 से 500 विक्रमपूर्व तक ( सूत्रग्रन्थों का रचनाकाल )

➡️ लोकमान्य तिलक जी ने “ Orion ” ( ओरायन ) के पश्चात् लिखे गये अपने ग्रन्थ " Arctic Home in the Vedas " में वेदकाल को 4000 ( चार हजार ) ई . पू . बतलाया । उन्होंने विज्ञान तथा ज्योतिष के आधार पर यह सिद्ध किया कि भारत में आने से पूर्व आर्य लोग उत्तरी ध्रुव में रहते थे , और वहाँ पर भी वे वैदिक धर्म को ही मानते थे ।

⏹️ विण्टरनित्स का मत 

➡️ विण्टरनित्स ने ब्राह्मणग्रन्थों , पाणिनि व्याकरण की संस्कृत भाषा तथा अशोक के शिलालेखों की भाषा - इन सबका वैदिक भाषा से साम्य को ध्यान में रखते हुए , ऋग्वेद का काल जैकोबी तथा तिलक द्वारा निर्धारत तिथि ( 4500 से 6000 ई . पू . ) के बीच में स्वीकार किया है ।

⏹️ भारतीय परम्परागत विचार 

➡️ भारतीय परम्परावादी विद्वानों के मतानुसार वेदों का काल निर्धारण करना मूर्खता ही नहीं बल्कि असम्भव है।

➡️ भारतीय परम्परागत विद्वानों का विचार है कि – ' वेद नित्य हैं , और सृष्टि के प्रारम्भ से ही वेदों का आविर्भाव हुआ है , ऋग्वेद का पुरुष सूक्त वेदों की उत्पत्ति के लिए स्वयं प्रमाण हैं।

"तस्मात् यज्ञात् सर्वहुत : ऋचः सामानि जज्ञिरे ।

छन्दांसि जज्ञिरे तस्मात् यजुस्मादजायत ॥"

➡️ भारतीय मत में जिस परमात्मा ने सृष्टि की उत्पत्ति की उसी ने सृष्टि के पूर्व वेदों की रचना की होगी , इसीलिए वेद अपौरुषेय हैं ।

➡️ भारतीय परम्परावादी विद्वानों का कहना है कि सृष्टिकर्ता विधाता ने सृष्ट्युत्पत्ति के पूर्व जिस विचारधारा की सर्वप्रथम कल्पना अपनी बुद्धि में की , वही आम्नाय या वेद हैं ।

🔶निष्कर्ष:- 

यदि निष्कर्ष देखें तो उपरोक्त तर्कों अथवा मतों के आलोक में यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि ऋग्वेद की रचना के कालानुक्रम का वास्तविक व सटीक जानकारी कर पाना मुश्किल है। किंतु उक्त मतों के अनुसार यदि बात करें तो ऋग्वेद की रचना को 1800 ई.पू. से 1200 ई.पू. के मध्य माना जा सकता है। 

यदि इस तिथि को और संभावित करें तो इसे 1500ई०पू० से 1200 ई०पू० के अंतर्गत रखा जा सकता है।

किन्तु ज्ञातव्य है कि 1000 ई०पू० के आस पास ऋग्वेद संहिता में कुछ महत्वपूर्ण सुधार हुए। अतः कुछ विद्वान ऋग्वेद के रचना की तिथि को 1500 ई० पू० से 1000 ई० पू० रखते हैं जो कि अब तक कि सर्वमान्य तिथि है।

तथा इसी काल (1500-1000 ई.पू.) को ऋग्वैदिक काल भी कहा जाता है।

Sanskrit Sahitya Gyan 💯 

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वेदों की रचना का प्रारंभ कब हुआ था? - vedon kee rachana ka praarambh kab hua tha?



वेदों की रचना का आरंभ कब हुआ?

इस कारण से वेदों की रचना का समय १८००-१००० ईसा पूर्व माना जाता है जो संस्कृत साहित्य और हिन्दू सिद्धांतों पर खरा नहीं उतरता। लेकिन आर्य जातियों के प्रयाण के सिद्धांत के तहत और भाषागत दृष्टि से यही काल इन ग्रंथों की रचना का मान लिया जाता है।

वेद किसने लिखा और कब?

तो वेदव्यास जी ने वेद लिखा है। परन्तु यह ध्यान रहे कि वेदव्यास जी ने वेदों को लिपिबद्ध किया था। अर्थात् वेद तो अनादि है वो वेदव्यास जी के अवतार लेने के पहले भी थे। वेद तो भगवान के श्रीमुख से प्रकट हुए थे।

चारों वेदों के रचयिता कौन है?

वेदों के रचयिता वेद व्यास हैं और महाभारत के भी रचयिता वेदव्यास जी हैं, परंतु दोनों के रचना काल इतना अंतर कैसे?