प्रश्न 1.‘अट नहीं रही है' कविता में किस ऋतु का वर्णन है और ऐसी कौन-सी चीज है, जो नहीं अट रही है? 2016उत्तर: Show
'अट नहीं रही है' कविता में फागुन मास अर्थात् वसंत ऋतु की शोभा एवं मस्ती का वर्णन है। फागुन की शोभा, उसकी आभा सर्वव्यापक है। वह इतनी अधिक है कि प्रकृति और तन-मन में वह समा नहीं पा रही है। फागुन की शोभा, उसकी आभा से सृष्टि का कण-कण शोभायमान है। प्रश्न 2.फागुन की आभा कैसी है और ‘अट नहीं रही है' कविता में उसकी स्थिति कैसी वर्णित हुई है? स्पष्ट कीजिए।उत्तर: फागुन की आभा सर्वव्यापक है, जो सृष्टि के कण-कण में व्याप्त है। चारों ओर का वातावरण सुगंधित है। फागुन की आभा एवं उसकी सुंदरता की व्यापकता के दर्शन पेड़, पत्ते, फूलों आदि में होते हैं। 'अट नहीं रही है' कविता में फागुन के सौंदर्य को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि चारों ओर फागुन का सौंदर्य झलकता है। सारा वातावरण पुष्पित एवं सुगंधित हो जाता है। प्रश्न 3. ‘उत्साह' कविता किस प्रकार की रचना है? 2015उत्तर: ‘उत्साह' एक आह्वान गीत है, जिसमें कवि ने बादलों का आह्वान किया है कि वे उत्साहपूर्वक बरसकर जन-जन की व्याकुलता दूर करें। यह आह्वान दो रूपों में अभिव्यक्त हुआ है। कवि चाहता है कि एक ओर बादल गरजकर समाज में क्रांति की चेतना एवं उत्साह का संचार करें। समाज को नवजीवन प्रदान कर गतिशीलता प्रदान करें तथा दूसरे रूप में जल-वर्षा कर गर्मी से पीड़ित धरती एवं लोगों की प्यास बुझाकर उन्हें शीतलता एवं संतुष्टि प्रदान करें। प्रश्न 4.कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?उत्तर: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि फागुन मास में प्रकृति का सौंदर्य अपनी चरम सीमा पर है। चारों तरफ़ हरियाली का वातावरण है। पेड़-पौधे, रंग-बिरंगे फूलों एवं पल्लवों से लद गए हैं। शीतल, मंद, सुगंध पवन सुहावने मौसम की सृष्टि कर रही है। सर्वत्र प्रफुल्लता, उल्लास एवं उत्साह का वातावरण है। फागुन के आगमन से प्रकृति नवजीवन से भर उठी है। ऐसे में फागुन का सौंदर्य आँखों में समा नहीं रहा है। प्रश्न 5.‘अट नहीं रही है' कविता में चारों ओर छाई सुंदरता देखकर कवि क्या करना चाहता है? 2014उत्तर: 'अट नहीं रही है' कविता में चारों तरफ़ छाई सुंदरता को देखकर कवि का मन अभिभूत है। फागुन माह में प्रकृति नव-पल्लव, पुष्पों से सुशोभित हो गई है। हरियाली का वातावरण अनुपम दृश्य की सृष्टि कर रहा है। कवि इस सौंदर्य से अपनी दृष्टि हटा पाने में असमर्थ है। वह इस सौंदर्य को निरंतर निहारता जा रहा है। इस सौंदर्य-दर्शन से वह तृप्त नहीं होता है। प्रश्न 6.‘उत्साह' कविता में 'नव जीवन वाले' किसको कहा गया है और क्यों ?उत्तर: ‘उत्साह कविता में कवि ने 'नव जीवन वाले बादलों के लिए प्रयुक्त किया है। क्योंकि बादल बरसकर दग्ध पृथ्वी के ताप को शांत करते हैं, प्रकृति में नव-जीवन का संचार करते हैं। बादलों की फुहार प्रकृति में प्रफुल्लता का संचार करती है। पशु, पक्षी, पेड़-पौधे, मनुष्य सभी के जीवन में आनंद एवं उत्साह का संचार होता है। जीवन हरा-भरा एवं उल्लास से परिपूर्ण बन जाता है। इसलिए बादलों को 'नव जीवन वाले' कहना सर्वथा उपयुक्त है। प्रश्न 7.कवि निराला बादल से बरसने के स्थान पर गरजने के लिए क्यों कहते हैं?उत्तर: कवि समाज में क्रांति और उत्साह की भावना का संचार करना चाहते हैं। वह समाज में परिवर्तन एवं नवजीवन लाना चाहते हैं। इसके लिए वह बादल को क्रांति का सूत्रधार मानते हैं। उसके माध्यम से जोश, उत्साह, पौरुष का संचार करना चाहते हैं। बादल के 'गरजने से ही क्रांति का संदेश जन-जन तक पहुँचेगा। बादल का 'बरसना' उसके शांत रूप का प्रतीक है, जबकि वह बादल के गरजने के साथ क्रांति की चेतना को जागृत करना चाहते हैं। इसलिए वह बादल से बरसने के स्थान पर गरजने को कहते हैं। प्रश्न 8,उत्साह' कविता में बादल किन-किन अथों की ओर संकेत करते हैं? 2012 उत्तर:‘उत्साह' कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करते हैं- (i) बादल उत्साह व क्रांति का प्रतीक है जो इस संसार में नई चेतना भर सकता है। (ii) बादल को 'बाल-मन' के समान बताया है। जैसे बच्चों की कल्पनाएँ प्रतिपल मनोहर रूप लेती रहती हैं, उसी प्रकार बादलों की शोभा भी प्रतिक्षण बदलती रहती है। (iii) कवि ने बादल को काले-घुंघराले बालों वाला बताया है, जिसके हृदय में बिजली छिपी है। यहाँ पर बिजली कवि के हृदय में विद्यमान ओजस्विता के भाव को प्रकट करती है जो समाज का नवनिर्माण करने में समर्थ है। प्रश्न 9. (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); फागुन में ऐसा क्या है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न है? ‘अट नहीं रही है' कविता के आधार पर लिखिए।उत्तर: फागुन मास में प्रकृति का सौंदर्य अपनी चरम सीमा पर है। चारों तरफ हरियाली का वातावरण है। पेड़-पौधे, रंग-बिरंगे फूलों एवं पल्लवों से लद गए हैं। शीतल, मंद, सुगंध पवन सुहावने मौसम की सृष्टि कर रही है। सर्वत्र प्रफुल्लता, उल्लास एवं उत्साह का वातावरण है। फागुन के आगमन से प्रकृति नवजीवन से भर उठी है। उसका अनुपम सौन्दर्य ही है जो उसे अन्य ऋतुओं से भिन्न बना रहा है। प्रश्न 10.‘उत्साह' कविता में कौन विकल और उन्मन थे और क्यों?उत्तर: ‘उत्साह' कविता में विश्व के मनुष्य विकल और उन्मन थे, क्योंकि गर्मी निरंतर बढ़ रही थी और बादलों के न बरसने से लोगों में बेचैनी और व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। भयंकर गर्मी के कारण सारी धरती जलती-सी प्रतीत हो रही थी। प्रश्न 11.फागुन मास की प्राकृतिक शोभा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।उत्तर: फागुन मास में प्रकृति की शोभा देखते ही बनती है। वसंत के आगमन से सर्वत्र हरियाली छा जाती है। वृक्ष, पेड़-पौधे नव पल्लव एवं पुष्पों से भर जाते हैं। भंवरें गुंजार करने लगते हैं। वातावरण सुगंध से भर उठता है। शीतल, मंद, सुगंध से युक्त हवा बहने लगती है। पर्यावरण प्रफुल्लित हो उठता है। सर्वत्र उल्लास एवं उत्साह का संचार होने लगता है। प्रश्न 12. (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा है? 2011उत्तर: सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला' ने कविता का शीर्षक उत्साह’ इसलिए रखा है क्योंकि यह एक आह्वान गीत है। कविता में बादल एक तरफ़ पीड़ित-प्यासे जन की आकांक्षा को पूरा करने वाला है, तो दूसरी तरफ वही बादल नई कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला है। आह्वान गीत उत्साह का प्रतीक है। बादल की गर्जना व क्रांति की चेतना लोगों में उत्साह का संचार करती है। कवि कविता के माध्यम से क्रांति लाने के लिए लोगों में उत्साह का संचार करना चाहता है। प्रश्न 13.उत्साह' कविता में बादल किसका प्रतीक है? कवि ने बादल को बरसने के स्थान पर ‘गरजने' को क्यों कहा है? 2010उत्तर: ‘उत्साह’ कविता में बादल क्रांति, चेतना और जागृति का प्रतीक हैं। कवि बादल को बरसने के स्थान पर गरजने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि वह बादल की गर्जना द्वारा जन-सामान्य में जागृति, उत्साह और चेतना का संचार करना चाहता है। कवि बादलों के माध्यम से समाज में जिस क्रांति, नवीनता और जोश का संचार करना चाहता है, वह बादलों के बरसने से संभव नहीं है। समाज में परिवर्तन के लिए आकाश को गुंजायमान कर देने वाली बादलों की घनघोर गर्जना की आवश्यकता है तभी लोग जागृत होंगे और क्रांति के लिए तत्पर होंगे। प्रश्न 14.‘उत्साह' कविता में निराला जी ने 'विद्युत-छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले!' कथन से क्या कहना चाहा है? 2009उत्तर: ‘उत्साह' कविता में बादल उत्साह व क्रांति का प्रतीक है। कवि मानता है कि बादल के हृदय में इतनी सामर्थ्य विद्यमान है कि वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन ला सकता है और देश व समाज का नव-निर्माण कर सकता है। विद्युत छवि उर में पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?भावार्थ कवि कहता है कि चारों ओर वातावरण में बेचैनी व्याप्त थी, लोगों के मन भी दुःखी थे, इसलिए वह बादलों को कहता है- लोगों के मन को सुख से भर देने वाले बादलों ! आकाश को घेर-घेर कर गरजो।
उत्साह कविता में विद्युत छवि उर में से क्या तात्पर्य है?Solution : विद्युत-छवि उर में. इसमें कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि बादल के हृदय में बिजली छिपी रहती है। बिजली के चमकने पर सर्वत्र एक चमक-सी पैदा हो जाती है। यहाँ कवि की क्रान्तिकारी भावना काम कर रही है।
उत्साह कविता में कवि ने किसका आह्वान किया है और क्यों?कवि का मानना है कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए कोमलता नहीं कठोरता की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि बादलों को बरसने के स्थान पर गरजने का आह्वान कर रहे हैं।
विद्युत छवि उर में पंक्ति से कवि का क्या आशय है *?'विद्युत छवि उर' पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए? हृदय मे बिजली रूपी छवि का हेना। Few rules to keep homework help section safe, clean and informative.
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