आज आप इस लेख में हैदराबाद के नवाबों और उनकी रियासत से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे। Show
हिन्दुस्तान में स्थित हर क्षेत्र और हर राज्य की अपनी अलग कहानी है। लेकिन हैदराबाद कई मायनों में खास रहा है क्योंकि यहां कई सालों तक निजामों का शासन रहा था। कहा जाता है कि 224 वर्षों के शासन काल में न सिर्फ निजामों ने हैदराबाद के निर्माण में अहम भूमिका निभाई बल्कि कई तरह के बदलाव भी किए हैं। आज पूरे भारत में यह शहर अपनी संस्कृति, खानपान और अपने प्राचीन और समृद्ध इतिहास की वजह से पूरे भारत में जाना जाता है। लोग दूर-दराज से हैदराबाद जैसे शहर को निहारने और यहां के खानपान का लुत्फ उठाने आते हैं। इसलिए जब भी हम तेलंगाना पर एक किताब या इसके इतिहास और संस्कृति का कोई संदर्भ निजामों के उल्लेख के बिना अधूरा है। लेकिन कई लोगों को हैदराबाद के निजाम के बारे में संक्षिप्त जानकारी नहीं हैं, पर अगर आप जानना चाहते हैं तो आपको ये लेख जरूर पढ़ना चाहिए। कौन थे निजाम?कहा जाता है कि हैदराबाद में सात निजाम ने शासन किया है, जिन्हें आसफ जाह के नाम से भी जाना जाता था। कहा जाता है कि हैदराबाद के निजाम ने 1724 से 1948 तक शासन किया है। लेकिन हैदराबाद सातवे निजाम काफी फेमस हैं, जिन्होंने आसफ जाह नवाब मीर उस्मान अली खान बहादुर के नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने सन 1948 तक शासन किया था। (मुगल बादशाह अकबर की पहली बेगम) इसे ज़रूर पढ़ें- लखनऊ शहर के नवाबों के बारे में कितना जानते हैं आप? निजाम-उल-मुल्क आसफजाहकहा जाता है कि निजाम-उल-मुल्क आसफजाह हैदराबाद के प्रथम और निजाम वंश के शासक थे। उन्होंने हैदराबाद रियासत की नींव न सिर्फ रखी बल्कि इसे आगे बढ़ाने का भी काम किया था। हालांकि, इन्होंने 1724 और 1748 तक हैदराबाद पर शासन किया था। इस दौरान न सिर्फ उन्होंने हैदराबाद में कई तरह के बदलाव करें बल्कि शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का भी काम किया। निजाम अली खान आसफ जाहनिजाम अली खान आसफ जाह हैदराबाद के दूसरे शासक थे। इन्होंने 1762 और 1803 के बीच दक्षिण भारत में हैदराबाद राज्य के दूसरे निजाम थे। इनका जन्म 7 मार्च 1734 में हुआ था। इनके माता- पिता का नाम आसफ जाह और उम्दा बेगम था। इन्होंने निजाम वंश को न सिर्फ बढ़ाने का काम किया बल्कि हैदराबाद का भी निर्माण किया। (मुगल बादशाह अकबर की इन बेगमों के बारे) मीर अकबर अली खान सिकंदर जाह आसफ जाहकहा जाता है कि मीर अकबर अली खान हैदराबाद के तीसरे निजाम थे। इन्होंने हैदराबाद पर 1803 से 1829 तक शासन किया। बता दें कि उनका जन्म खिलवत में चौमहल्ला पैलेस में हुआ था, जो आसफ जाह द्वितीय और तहनीत उन के दूसरे बेटे थे। कहा जाता है कि मीर अकबर अली खान को बचपन से ही पढ़ने और लिखने का काफी शौक था। कहा जाता है कि मीर अकबर अली खान बहुत बहादुर थे इसलिए उन्होंने हैदराबाद पर शासन किया। इसे ज़रूर पढ़ें- मुगल साम्राज्य के इन शक्तिशाली बादशाहों के बारे में कितना जानते हैं आप? इसके बाद और भी निजाम आए जिन्होंने न सिर्फ हैदराबाद पर शासन करने का काम किया बल्कि हैदराबाद के इतिहास को रोचक बनाया। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको लेख अच्छा लगा हो, तो उसे लाइक और शेयर ज़रूर करें। साथ ही, जुड़े रहे हरजिन्दगी के साथ। Image Credit- (@Freepik and Wikipedia) क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?बेहतर अनुभव करने के लिए HerZindagi मोबाइल ऐप डाउनलोड करें Disclaimer आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, पर हमसे संपर्क करें। सामान्य वर्ग का लगभग हर शख्स पैसे जमा करने के लिए बचत करता है. बचत करने के क्रम में थोड़ी बहुत कंजूसी होना तो आम बात है. इंसान जब दोनों हाथों से खर्च करेगा तो भला भविष्य के लिए 2 पैसे कैसे जोड़ पाएगा. हां लेकिन अगर किसी के पास बहुत ज्यादा धन हो तो क्या वह तब भी कंजूसी करेगा? और कहीं वो शख्स दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति हो तो? तब तो शायद वह आंख मूंद कर पैसा खर्च करेगा क्योंकि उसे पता होगा कि वो चाहे जितना भी खर्च कर ले उसका पैसा कभी कम होने वाला नहीं. लेकिन दुनिया में एक शख्स ऐसा भी हुआ है जिस पर ये बात लागू नहीं होती. उसके पास दौलत तो इतनी ज़्यादा थी कि एक समय उसे दुनिया का सबसे अमीर शख्स कहा जाता था लेकिन जितनी उसके पास दौलत थी उतना ही वो शख्स कंजूस था. उसकी कंजूसी के किस्से आज भी बेहद मशहूर हैं. वो शख्स थे हैदराबाद के अंतिम निजाम आसफ जाह मुज़फ़्फ़ुरुल मुल्क सर मीर उसमान अली खां. तो चलिए जानते हैं दुनिया के इस सबसे धनवान और कंजूस व्यक्ति के बारे में:
1911 में संभाली थी गद्दीWikiहैदराबाद के अंतिम निजाम जाने जाने
वाले मीर उसमान अली खां का जन्म 6 अप्रैल 1886 को महबूब अली खान के दूसरे पुत्र के रूप में हुआ था. भारत की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को वे हैदराबाद राज्य के पहले राजप्रमुख बने. एक समय ऐसा था जब उस्मान को दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति माना गया था. 22 फरवरी, 1937 को प्रकाशित हुए टाइम पत्रिका के फ्रंट पेज पर उस्मान के बारे में शीर्षक लिखा गया था ‘दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति.' दो देशों से ज़्यादा जमीन थी निजाम के पासBBCनिजाम उस्मान की संपत्ति का मोटा मोटा
अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि उनकी हैदराबाद रियासत का कुल क्षेत्र 80,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक था, जो कि इंग्लैंड और स्कॉटलैंड जैसे देशों के कुल इलाक़े से भी ज़्यादा था. इतना ही नहीं अभी और सुनिए, आप सभी ने स्टडी टेबल पर पड़े पेपर वेट को देखा होगा. बहुतों के पास तो होगा भी. अक्सर कई लोग अपने खाली समय में उस पेपरवेट को लेकर ये ख्वाब देखते हैं कि काश ये पेपरवेट हीरे का होता. दुनिया भर के लिए जो बात सपना है वो निजाम उस्मान के लिए सच थी. उनके पास 282 कैरेट हीरा था. छोटे नीबू के बराबर ये जैकब
हीरा दुनिया का सबसे बड़ा हीरा हुआ करता था. निजाम इस हीरे का इस्तेमाल पेपरवेट की तरह किया करते थे. ऐसा वो शौक से नहीं करते थे बल्कि दुनिया की बुरी नजरों से बचाने के लिए करते थे. कई बार तो वो इस हीरे को साबुनदानी में भी छुपा देते थे. जितने अमीर उससे कहीं ज़्यादा कंजूस थे अंतिम निजामTwitterआपने हैदराबाद के अंतिम निजाम की
अमीरी के बारे में तो थोड़ा बहुत जान लिया, अब जरा उनकी कंजूसी के बारे में भी जान लीजिए. उनकी कंजूसी की शुरुआत हम 'फ़्रीडम एट मिडनाइट' नामक किताब में छपे एक किस्से से करते हैं. डॉमिनिक लापियरे और लैरी कॉलिंस ने अपनी इस किताब एक किस्सा बयान करते हुए लिखा है कि एक रस्म के अनुसार हैदराबाद रियासत के संपन्न लोग साल में एकबार यहां के निजाम को एक सोने का सिक्का भेंट करते थे. ये निजाम के प्रति उनकी वफादारी दर्शाता था. बदले में निजाम ये सिक्का रखते नहीं थे बल्कि इसे छू कर वापस लौटा देते थे. सोने का सिक्का
वापस लौटाने की ये प्रथा अंतिम निजाम उस्मान के आने के बाद खत्म हो गई. वो इन सिक्कों को लौटाने की बजाए अपने सिंहासन के पास रखे एक थैले में जमा करते थे. एक बार हद तो तब हो गई जब उनके हाथ से एक सिक्का छूट कर नीचे लुढ़क गया. निजाम बिना कुछ सोचे हाथों और पैरों के बल ज़मीन पर बैठते हुए उस लुढ़कते सिक्के के पीछे भागने लगे. वो तब तक सिक्के के पीछे भागते रहे जब तक सिक्का उनके हाथ नहीं आ गया. एक ही टोपी को 35 साल तक पहनाWikiजिस तरह से निजाम दुनिया के सबसे धनी
इंसान कहलाये उस हिसाब से उनके पास कपड़ों की तो कोई कमी नहीं होनी चाहिए. लेकिन ऐसा सिर्फ हम लोग सोचते हैं, असल में निजाम अपने पहनावे में भी बहुत कंजूसी करते थे. उनके पास एक फैज टोपी थी. इस टोपी को चूहे कुतरते रहे लेकिन निजाम ने ये टोपी नहीं बदली. आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि उन्होंने 35 वर्षों तक यही टोपी पहनी. टोपी का हाल क्या रहा होगा वो आप इस बात से जान लीजिए कि उसमें रूसी की एक मोटी परत हमेशा जमी रहती थी. निजाम पैरों में जो मोजे पहनते थे वो इतने पुराने हो चुके थे कि उसके किनारे तक ढीले हो
चुके थे. उनके कपड़े पहनने का ढंग भी निराला था. उनका पैजामा इतना छोटा हो चुका था कि कई बार उनके पैर दिखने लगते थे. वह कंजूसी नहीं करते थे तो सिर्फ चिल्लाने में. जब उन्हें गुस्सा आता और वो चिल्लाते तो उनकी आवाज पचास गज़ दूर तक सुनाई देती थी. मेहमान नवाजी भी थे सबसे जुदाWikiएक गरीब इंसान के यहां भी अगर कोई मेहमान आता है तो वो उनकी अपने हैसियत से
ज्यादा खातिरदारी करने का प्रयास करता है लेकिन अगर आप निजाम उस्मान की मेहमान नवाजी के बारे में सुनेंगे तो सिर पकड़ लेंगे. दीवान जर्मनी दास की किताब महाराजा में बताया गया है कि जब निजाम के यहां कोई मेहमान आता था तो उसके सामने चाय के साथ दो बिस्कुट परोसे जाते थे. इसमें से एक मेहमान के लिए होता था और दूसरा बिस्कुट निजाम खुद खाते थे. इस तरह जितने मेहमान होते उतने ही बिस्कुट परोसे जाते. निजाम खुद 1 पैसे वाली सिगरेट पीते थे लेकिन अगर कोई विदेशी मेहमान उन्हें सिगरेट ऑफर करता तो वो बिना किसी शर्म के चार
पांच पैकेट अपने पास रख लेते थे. हैदराबाद के निजाम की 25000 सैनिकों की अपनी एक अलग सेना थी. हैदराबाद के अंतिम निजाम की ये अमीरी भारत की आजादी से पहले थी. 1950 में हैदराबाद का 562वीं रियासत के रूप में भारत में विलय हो गया. हैदराबाद जब भारत का हिस्सा बन गया तब एक समझौते के अनुसार हैदराबाद के अंतिम निजाम को हर साल 42 लाख 85 हज़ार 714 रुपए प्रिवी पर्स देने की घोषणा की गई. 1 नवंबर, 1956 तक हैदराबाद के राजप्रमुख के तौर पर काम करने के बाद 24 फ़रवरी, 1967 को हैदराबाद के अंतिम निजाम ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 1950 में हैदराबाद का निजाम कौन था?ज्यूंकि सातवे निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान थे। आसफ जाही शासक साहित्य, कला, वास्तुकला, संस्कृति, जवाहरात संग्रह और उत्तम भोजन के बड़े संरक्षक थे। निजाम ने हैदराबाद पर 17 सितम्बर 1948 तक शासन किया, जब इन्होने भारतीय बलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया और इनके द्वारा शासित क्षेत्र को भारतीय संघ में एकीकृत किया गया।
1947 में हैदराबाद का निजाम कौन था?सही उत्तर उस्मान अली है। सात निजाम, जिन्हें आसफ जाहिस के नाम से भी जाना जाता था, ने हैदराबाद पर शासन किया - सातवें, आसफ जाह नवाब मीर उस्मान अली खान बहादुर ने 1948 तक शासन किया। 1724 से 1948 तक, हैदराबाद ने सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से अत्यधिक विकास किया।
हैदराबाद के प्रथम निजाम कौन थे?कहा जाता है कि निजाम-उल-मुल्क आसफजाह हैदराबाद के प्रथम और निजाम वंश के शासक थे। उन्होंने हैदराबाद रियासत की नींव न सिर्फ रखी बल्कि इसे आगे बढ़ाने का भी काम किया था। हालांकि, इन्होंने 1724 और 1748 तक हैदराबाद पर शासन किया था।
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