2 वृक्षों की उपयोगिता के बारे में अपने विचार लिखिए - 2 vrkshon kee upayogita ke baare mein apane vichaar likhie

‘वृक्ष की उपयोगिता’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए ।

वृक्ष मनुष्यों के पुराने साथी रहे हैं। प्राचीन काल में जब मनुष्य जंगलों में रहा करता था, तब वह अपनी सुरक्षा के लिए पेड़ों पर अपना घर बनाता था। पेड़ों से प्राप्त फल-फूल और जड़ों पर उसका जीवन आधारित था। पेड़ों की छाया धूप और वर्षा से उसकी मदद करती है। पेड़ों की हरियाली मनुष्य का मन प्रसन्न करती है। अब भी मनुष्य जहाँ रहता है, अपने आसपास फलदार और छायादार वृक्ष लगाता है। वृक्ष मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। अनेक औषधीय वृक्षों से मनुष्यों को औषधियाँ मिलती हैं। वृक्ष वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे हमें साँस लेने के लिए शुद्ध वायु मिलती है। पेड़ों का सबसे बड़ा फायदा वर्षा कराने में होता है। जहाँ पेड़ों की बहुतायत होती है, वहाँ अच्छी वर्षा होती है। पेड़ों से ही फर्नीचर बनाने वाली तथा इमारती लकड़ियाँ मिलती हैं। इस तरह पेड़ हमारे लिए हर दृष्टि से उपयोगी होते हैं।

वृक्षों की उपयोगिता

on नवम्बर 14, 2012

पाठकों, ये तो आप सभी जानते हो कि वृक्ष हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी होता है। जहाँ वृक्ष होते हैँ वहाँ का प्राकृतिक वातावरण अलग ही होता है। वृक्ष होने पर वातावरण शुद्ध होता है। ये हमारे द्वारा छोङी गई कार्बन-डाई-ऑक्साईड गैस को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन गैस छोङते हैं। सोचो, अगर वृक्ष ना हो तो हमारे द्वारा छोङी गई कार्बन-डाई-ऑक्साईड को कौन ग्रहण करेगा? पूरे वातावरण में जब कार्बन-डाइ-ऑक्साइड फैल जाएगी तो हमारे लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा और हम मर जाएँगे। मानसून भी वृक्षों पर ही निर्भर करता है। जहाँ ज्यादा मात्रा में वृक्ष होते हैं वहाँ बरसात भी ज्यादा होती है और जहाँ कम मात्रा मेँ वृक्ष होते हैं वहाँ बरसात भी कम होती है। वृक्षों से बहुत सी जीवनोपयोगी वस्तुएँ मिलती हैं, जैसे – इमारती लकङी, जलावन, चारा, फर्निचर, फल, औषधि, छाया आदि। वृक्षों से ही पर्यावरण का निर्माण होता है। पहले हर गाँव के आस पास जंगल होता था और उसी जंगल को बचाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पङती है। जिनके कंधों के ऊपर जंगलों को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है वे ही जँगलों को कटवाने में सहायक हो रहे हैँ।
जंगलों की कटाई करके वहाँ उद्योग धन्धे लगाये जा रहे हैं, खदानें खोदी जा रही हैं, रेलमार्ग व सङक मार्ग विकसित किए जा रहे हैं। ज्यादा खेती योग्य भूमि बनाने के लिए वृक्षों की कटाई की जा रही है। जलावन व फर्निचर के लिए अन्धाधुंध वृक्ष काटे जा रहे हैं लेकिन उनके बदले कोई भी एक वृक्ष लगाने को तैयार नहीं है। किसी को मारना बहुत आसान होता है पर किसी पालना बहुत मुश्किल होता है, इसीलिए लोग वृक्षों को काट तो लेते हैं पर उसकी जगह एक वृक्ष लगा नहीं सकते।
आज शहरों में जिस तरह से निर्माण कार्य चल रहा है उससे प्रकृति को नुकसान ही हो रहा है। आधुनिक विकास की नींव प्रकृति के विनाश पर ही रखी जाती है। बङी-बङी इमारतें बनाने के लिए खेती की जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे वहाँ खङे पेङ-पौधे भी काटे जा रहे हैं।
अब शहरों में लोग अपने-अपने घरों में गमलों में छोटे पौधे लगा रहे हैं। लेकिन इन छोटे पौधों से क्या होता है। छोटे पौधे सिर्फ सजावट कर सकते हैं पर आपके स्वास्थ्य की रक्षा नहीं कर सकते। आज आम शहरियों में बङी बङी बिमारियाँ घर कर गई हैं जो पर्यावरणीय नुकसान के कारण ही है। जब हमें स्वच्छ प्राण वायु नहीं मिलेगी तो बिमारी तो लगेगी ही।
बरसों पहले राजस्थान के खेजङली गाँव में पेङों को ठेकेदारों से बचाने के लिए गाँव वालों नें पेङों के साथ लिपटकर अपनी कुर्बानी दी थी। आज सिर्फ वही विश्नोई समाज पेङों के संरक्षण की बात करता है, बाकि को इससे कोई मतलब नहीं है। पेङ कटे या बचे पर उनका विकास होना चाहिए।
हमारे प्राचीन मनीषियों नें भी पेङों के संरक्षण की पुरजोर वकालत की है। हमारे प्राचीन विद्वान इस बात को जानते थे कि वृक्षों के बिना जीवन संभव नहीं है। तभी तो उन्होंने हमारे जीवन में हर व्रत या पर्वों को वृक्षों से जोङा है।
वृक्ष के महत्त्व को बताते हुए मत्स्यमहापुराण में एक कथा आती है। जब शिव-पार्वती का विवाह हुआ था तब बहुत दिनों तक शिव-पार्वती का समागम नहीं होने के कारण पार्वती जी को कोई सन्तान नहीं हुई। इस कारण माता पार्वती तरह-तरह के बच्चों के खिलौने बनाकर खेला करती थी। पहले उन्होंने गजमुख की आकृति वाले बच्चे का निर्माण अपने शरीर के मैल से किया। फिर इसमें प्राण डालकर ब्रह्मा जी नें इसे गजानन या गणेश का नाम दिया। फिर उन्होंने वृक्ष के पत्तों को पीसकर उसका एक खिलोना बनाकर उससे खेलने लगी तो ब्रह्म ऋषियों नें आकर कहा कि-‘हे माता! आप ये कर रही हैं? आपको तारकासुर का वध करने के लिए बलशाली बच्चा उत्पन्न करना था और आप यहाँ खिलौने बनाकर खेल रही हैं।’
तब पार्वती जी नें उनसे कहा कि –

एवं निरुदके देशे यः कूपं कारयेद् बुधः।
बिन्दौ बिन्दौ च तोयस्य वसेत् संवत्सरं दिवि।। (511)
दशकूपसमा वापी दशवापीसमो ह्रदः।
दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रो समो द्रुमः।।
एषैव मम् मर्यादा नियता लोक भावनी।। (512)

अर्थात् – ‘हे विप्रवरों। इस प्रकार के जल रहित प्रदेश (कैलाश) में जो बुद्धिमान पुरुष कुआँ बनवाता है, वह कुएँ के जल के एक-एक बूँद के बराबर वर्षों तक निवास करता है। इस प्रकार दस कुएँ के समान एक बावङी, दस बावङी के सदृश एक सरोवर, दस सरोवर की तुलना में एक पुत्र और दस पुत्रों की तुलना में एक वृक्ष माना गया है। यही लोकों का कल्याण करने वाली मर्यादा है, जिसे मैं निर्धारित कर रही हूँ। (मत्स्यपुराण-अध्याय 152, श्लोक 511 व 512)

इस प्रकार एक वृक्ष को दस पुत्रों के समान बताया गया है। यानि जितना पुण्य दस पुत्रों को उत्पन्न करने पर होता है उतना ही पुण्य एक वृक्ष लगाने पर होता है। हम अगर किसी वस्तु का सिर्फ उपभोग करेंगे लेकिन उसका निर्माण नहीं करेंगे तो निश्चित है कि एक दिन वो वस्तु नष्ट हो जाती है।
इस विषय में सरकार भी सख्त कदम नहीं उठाती है। क्योंकि जो लोग वृक्षों को कटवाते हैं वे या तो बङे उद्योगपति होते हैं या खुद नेता होते हैं। आज जरुरत है हर आम आदमी के जागरुक होने की क्योंकि जब तक आम आदमी जागरुक नहीं होगा तब तक वृक्षों की कटाई इसी तरह चलती रहेगी। अगर हर व्यक्ति ये संकल्प कर ले कि एक हरे पेङ को काटने पर चार पेङ और एक सूखे पेङ को काटने पर दो हरे पेङ लगाने हैं, तो ये समस्या आएगी ही नहीं। जहाँ तक हो सके वहाँ तक खेतों से हरे पेङ नहीं काटने चाहिए। अपने घर के अन्दर या बाहर ज्यादा से ज्यादा बङे पेङ लगाने चाहिए ताकि आपको स्वच्छ प्राण वायु मिल सकें। दिन में अगर आप पेङ की छाया में सोएंगे तो आपको स्वच्छ प्राणवायु मिलेगी व आपका शरीर भी तरोताजा हो जाता है। अगर हर व्यक्ति ये संकल्प कर ले कि मुझे सङक किनारे दो पेङ लगाने हैं तो कोई भी सङक बिना पेङों के नहीं रहेगी और पर्यावरण प्रदूषण से भी निजात मिल सकेगी। जितने ज्यादा पेङ आपके क्षेत्र में होंगे उतनी ही ज्यादा बरसात आपके क्षेत्र में होगी।
इसलिए अधिक से अधिक पेङ लगाएँ।

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वृक्षों की उपयोगिता क्या है?

वृक्ष वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे हमें साँस लेने के लिए शुद्ध वायु मिलती है। पेड़ों का सबसे बड़ा फायदा वर्षा कराने में होता है। जहाँ पेड़ों की बहुतायत होती है, वहाँ अच्छी वर्षा होती है। पेड़ों से ही फर्नीचर बनाने वाली तथा इमारती लकड़ियाँ मिलती हैं।

2 पेड़ों से हमें क्या लाभ हैं?

हालांकि पेड़ न सिर्फ हमें ऑक्सीजन देते हैं बल्कि फल, लकड़ी, फाइबर, रबर आदि और भी बहुत कुछ प्रदान करते हैंपेड़ पशुओं और पक्षियों के लिए आश्रय का भी काम करते हैंपेड़ न केवल कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं बल्कि वाहनों और उद्योगों द्वारा उत्सर्जित विभिन्न हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं

क्या पेड़ हमारे लिए उपयोगी है यदि हां तो कोई दो उपयोग लिखे?

यह पेड़ बारिश होने और सूखा, बाढ़ रोकने में भी मदद करते हैं। पेड़ों के अभाव में आज बरसात कम होती जा रही है और वातावरण भी प्रदूषित होता जा रहा है। हमें धरती की हरीतिमा बनाए रखने तथा शुद्ध वातावरण के लिए पौधरोपण आवश्यक रूप से करना चाहिए। इसके लिए दूसरे को भी प्रेरित करना चाहिए।

पेड़ों का महत्व 4 से 5 वाक्यों में लिखो?

पेड़ हमारे प्रकृति के संतुलन को बनाये रखता है। पेड़ से हमें लकड़ी मिलती है जिससे हम खिड़की-दरवाजे, फर्नीचर आदि बनाते हैं। वृक्षों से मिलने वाली लकड़ी का उपयोग इंधन के रूप में भी किया जाता है। पेड़-पौधे पक्षियों के लिए वरदान हैं, पक्षी इनकी डालियों पर अपना घोसला बनाकर रहते हैं।