आकाशवाणी
आकाशवाणी (ISO 15919: Ākāśavāṇī ) भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन संचालित सार्वजनिक क्षेत्र की रेडियो प्रसारण सेवा है। भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुम्बई और कोलकाता में सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से हुई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इण्डियन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन) रखा गया। बाद में 1957 में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया। व्युत्पत्ति[संपादित करें]आकाशवाणी एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है 'आकाशीय / आकाश से आवाज' या 'आकाशीय आवाज'। हिन्दू पन्थ, जैन पन्थ और बौद्ध पन्थ में, आकाशवाणी को अक्सर स्वर्ग से मानव जाति से संचार के माध्यम के रूप में कहानियों में चित्रित किया जाता है। आकाशवाणी शब्द का उपयोग पहली बार 1936 में एम•वी• गोपालस्वामी ने अपने निवास स्थान, “ विट्ठल विहार ”(आकाशवाणी के वर्तमान मैसूर रेडियो स्टेशन से लगभग दो सौ गज की दूरी)[2] में भारत के पहले निजी रेडियो स्टेशन की स्थापना के बाद किया था। आकाशवाणी को बाद में 1957 में ऑल इण्डिया रेडियो के ऑन-एयर नाम के रूप में दिया गया; संस्कृत में इसके शाब्दिक अर्थ को देखते हुए, यह एक प्रसारक के लिए उपयुक्त नाम से अधिक माना जाता था। इतिहास[संपादित करें]बॉम्बे प्रेसिडेंसी रेडियो क्लब और अन्य रेडियो क्लबों के कार्यक्रमों के साथ ब्रिटिश राज के दौरान जून 1923 में प्रसारण आरम्भ हुआ। 23 जुलाई 1927 को एक समझौते के अनुसार, प्राइवेट इण्डियन ब्रॉडकास्टिंग कम्पनी लिमिटेड (IBC) को दो रेडियो स्टेशन संचालित करने के लिए अधिकृत किया गया था: बॉम्बे स्टेशन जो 23 जुलाई 1927 को आरम्भ हुआ था, और कलकत्ता स्टेशन जो 26 अगस्त 1927 को आरम्भ हुआ था। कम्पनी चली गई। 1 मार्च 1930 को परिसमापन में सरकार ने प्रसारण सुविधाओं को संभाला और 1 अप्रैल 1930 को दो वर्ष के लिए प्रायोगिक आधार पर भारतीय स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (ISBS) की शुरुआत की और मई 1932 में स्थायी रूप से ऑल इण्डिया रेडियो बन गया। घरेलू सेवाएँ[संपादित करें]आकाशवाणी की बहुत भाषाओं में विभिन्न सेवाएँ हैं जो प्रत्येक देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। विविध भारती[संपादित करें]विविध भरती आकाशवाणी की सबसे लोकप्रिय-ज्ञात सेवा है। इसे विज्ञापन प्रसारण सेवा भी कहते है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
दूरदर्शन, आकाशवाणी के महानिदेशक की नियुक्ति का अधिकार अपने पास रखना चाहती थी मोदी सरकारसूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक मसौदा तैयार किया था, जिसके तहत दूरदर्शन और आकाशवाणी के महानिदेशक की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार को मिल जाता लेकिन मंत्रालय ने इस मसौदा विधेयक को कुछ ही दिनों के भीतर वापस ले लिया.केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय. (फोटोः फेसबुक) नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक मसौदा तैयार किया था, जिसके तहत दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) के महानिदेशकों की नियुक्ति के अधिकार सीधे तौर पर केंद्र सरकार के अधीन हो जाता लेकिन मंत्रालय ने इस मसौदा विधेयक को कुछ ही दिनों के भीतर वापस ले लिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रसार भारती संशोधन विधेयक 2019 के मसौदे में ऐसे प्रावधान थे कि अगर यह प्रभावी हो जाता तो राष्ट्रीय प्रसारणकर्ताओं की स्वायत्ता समाप्त हो जाती. साल 1990 में प्रसार भारती अधिनियम के पारित होने के बाद प्रसार भारती की एक स्वायत्त संस्था के तौर पर स्थापना हुई थी. एक अप्रैल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नियुक्ति बोर्ड की स्थापना करने के प्रावधान को हटाकर एक मसौदा विधेयक जारी किया था और दूरदर्शन एवं ऑल इंडिया रेडियो के महानिदेशकों की नियुक्ति के अधिकार की शक्तियां सीधे तौर पर केंद्र सरकार को दे दी थी. इस मसौदा विधेयक पर जनता का फीडबैक जानने के लिए एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसे मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी करने के एक सप्ताह से भी कम समय में हटा दिया गया और आठ अप्रैल को मंत्रालय ने एक और नाटिस जारी करते हुए कहा कि इस मामले को अगले आदेश तक रद्द किया जाता है. एक अप्रैल को जारी किए गए नोटिस में कहा गया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय प्रसार भारती अधिनियम 1990 में संशोधन करने की प्रक्रिया में है, जिसका एक ड्राफ्ट नोट अंतर मंत्रालयी चर्चा के लिए केंद्रीय कैबिनेट को भेजा गया था. इस नोटिस में कहा गया कि सभी संबंधित मंत्रालयों और विभागों से प्रतिक्रिया और टिप्पणी मिलने के बाद प्रसार भारती संशोधन विधेयक 2019 का मसौदा तैयार किया गया था. इस मसौदे विधेयक के नोट में कहा गया कि प्रसार भारती अधिनियम की धारा नौ के अनुसार सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति भर्ती बोर्ड की सलाह के बाद होगी, जिसकी स्थापना अधिनियम की धारा 10 के तहत की गई. हालांकि प्रसार भारती नियुक्ति बोर्ड (पीबीआरबी) की स्थापना कुछ कारणों से नहीं हो सकी और अब मंत्रालय ने पीबीआरबी की स्थापना नहीं करने और इस अधिनियम की संबद्ध धारा को हटाने का फैसला किया है, जो प्रसार भारती को नियुक्ति बोर्ड की स्थारना करने की शक्ति देता है. इस नोट में कहा गया, अधिनियम की धारा 10 को हटाने और धारा नौ (पीबीआरबी के जरिए आकाशवाणी और दूरदर्शन के महानिदेशकों और अन्य अधिकारियों की नियुक्तियों का अधिका देने) में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया गया ताकि केंद्र सरकार महानिदेशकों की नियुक्ति कर सके और अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए यूपीएससी/एसएससी को सक्षम कर सके. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय प्रसारणकर्ताओं की स्वायत्ता को ख़त्म कर देगा. प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जौहर सरकार ने कहा कि यह प्रसार भारती की आजादी को पूर्ण रूप से छीन लेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने जानबूझकर इतने वर्षों में पीबीआरबी के गठन की मंजूरी नहीं दी. प्रसार भारती के चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि इन संशोधनों को रद्द कर दिया गया.’ Categories: भारत, राजनीति Tagged as: A Surya Prakash, All India Radio, Doordarshan, hindi news, I&B Ministry, JAWHAR SIRCAR, News, PBRB, Prasar Bharati, Prasar Bharati Act, The Wire Hindi, आकाशवाणी, ए. सूर्य प्रकाश, ऑल इंडिया रेडियो, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, जौहर सिरकार, द वायर हिंदी, दूरदर्शन, पीबीआरबी, प्रसार भारती, प्रसार भारती नियुक्ति बोर्ड, प्रसार भारती संसोधन विधेयक 2019, समाचार, हिंदी समाचार आकाशवाणी केंद्र के निर्देशक कौन है?सही उत्तर अश्विन गंगाराजू है। आकाशवाणी का निर्देशन अश्विन गंगाराजू ने किया है।
आकाशवाणी का मुख्यालय कहाँ है?ऑल इंडिया रेडियो (AIR), आधिकारिक तौर पर 1957 से आकाशवाणी ("वॉयस फ्रॉम द स्काई") के रूप में जाना जाता है। यह भारत का राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो प्रसारक है और प्रसार भारती का एक प्रभाग है। इसकी स्थापना 1936 में हुई थी। मुख्यालय नई दिल्ली में आकाशवाणी भवन में है।
आकाशवाणी का पुराना नाम क्या है?भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुम्बई और कोलकाता में सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से हुई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इण्डियन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन) रखा गया। बाद में 1957 में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया।
आकाशवाणी की स्थापना कब हुआ?1936, दिल्ली, भारतआकाशवाणी / स्थापना की तारीख और जगहnull
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