भगवान की पूजा करने वाला दुखी क्यों रहता है? - bhagavaan kee pooja karane vaala dukhee kyon rahata hai?

विषयसूची

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  • 1 ज्यादा पूजा पाठ करने वाले लोग दुखी क्यों रहते हैं?
  • 2 कौवा पेड़ से क्या करने के लिए कहता है?
  • 3 अच्छे लोग हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?
  • 4 पेड़ का दोस्त कौन था?
  • 5 जब पेड़ का जन्म हुआ तो उस स्थान पर विशेष रूप से क्या था?
  • 6 सुबह कितने बजे पूजा करना चाहिए?
  • 7 ज्यादा पूजा करने से क्या होता है?
  • 8 भगवान के भक्त दुखी क्यों रहते हैं?
  • 9 भगवान दुःख क्यों देते हैं?
  • 10 बौद्ध धर्म के अनुसार दुःख का मूल कारण क्या है?
  • 11 दुख से छुटकारा पाने के लिए सिद्धार्थ ने कितनी बातें बताई?
  • 12 सप्तशती का पाठ कैसे करना चाहिए?
  • 13 भगवान अपने भक्तों को कष्ट क्यों देते हैं?
  • 14 सप्तशती पाठ कितने दिन में खत्म करना चाहिए?

ज्यादा पूजा पाठ करने वाले लोग दुखी क्यों रहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजो इंसान भगवान की सबसे ज्यादा पूजा करता है वो फिर भी दुखी क्यों रहता है? पूर्व जन्म के बचे हुए कर्मफल से भाग्य बनता है, जो अच्छा- बुरा दोनों हो सकता है। पूजा-पाठ करने से कर्मफल या भाग्य नष्ट नहीं होता है। इसलिये दुख समाप्त नहीं होता है।

पैर और खंभे में दोस्ती कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकें2. पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई? उत्तर:- एक बार जोरों की आँधी आने के कारण खंभा पेड़ के ऊपर गिर जाता है उस समय पेड़ उसे सँभाल लेता है और इस प्रयास में वह ज़ख्मी भी हो जाता है। इस घटना से खंभें में जो गुरुर होता है, वह खत्म हो जाता है और अंत में दोनों की दोस्ती हो जाती है।

कौवा पेड़ से क्या करने के लिए कहता है?

इसे सुनेंरोकेंपेड़ पर एक कौआ आराम करने के लिए आता था। एक रात को लैटरबक्स मीठी आवाज में गीत गा रहा था। अपनी नींद में बाधा देखकर कौआ बार-बार लैटरबक्स को चुप रहने के लिए कहता है। एक रात सन्नाटे के समय एक दुष्ट व्यक्ति एक बालिका को अपने कंधे पर लादकर पेड़ के नीचे लाता है।

पूजा पाठ करने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंईश्वर का नाम रोज स्मरण करने और नियमित रूप से पूजा पाठ करने से मन में आत्मिक शांति का एहसास होता है. ईश्वरीय शक्ति के प्रभाव से नकारात्मक समय में भी लोग उम्मीद की एक छोटी सी किरण पर भी विश्वास कर पाते हैं . आस्था आपके मन को भीतर से मजबूत बनाती है.

अच्छे लोग हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवे हमेशा काम की बातें करना चाहते हैं वे किसी ऐसे इंसान को मुश्किल से अपने आस-पास पाते हैं जो उन्हें अच्छे से सुने और समझे. क्योंकि वे ऐसे खुद होते हैं तो वे तो ऐसा दूसरों के साथ करते हैं पर जब दूसरे उनके साथ ऐसा नहीं करते तो उन्हें बुरा लगता है. इसलिए वे दुखी हो जाते हैं.

सुबह की पूजा कैसे करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंये हैं दैनिक पूजा के जरूरी नियम – दैनिक पूजा का समय निश्चित करें और रोजाना उसकी समय पर पूजा करें. – हमेशा स्‍नान करके, साफ कपड़े पहनकर, साफ जमीन पर आसन बिछाकर उस पर बैठें. कभी भी जमीन पर सीधे बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए. हो सके तो ऊनी आसन पर बैठें.

पेड़ का दोस्त कौन था?

इसे सुनेंरोकेंभैयाराम यादव के माता-पिता ने उन्हें बचपन से ही पेड़ों से दोस्ती करना सिखा दिया था। भैयाराम को अपने माता-पिता से मिली यह सीख उस समय जुनून में बदल गई, जब उसके बेटे और पत्नी का देहांत हो गया।

पापा खो गए पाठ में कितने पात्र हैं?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर पर नहीं पहुँचा पा रहे थे। क्योंकि लड़की इतनी छोटी थी और इतनी भोली थी कि उसे अपने घर का पता, गली का नाम, सड़क का नाम, घर का नंबर यहाँ तक की अपने पापा का नाम तक नहीं मालूम था।

जब पेड़ का जन्म हुआ तो उस स्थान पर विशेष रूप से क्या था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: पेड़ अपने जन्म के बारे में कहता है कि अपने पत्तों का कोट पहनकर मुझे सरदी, बारिश या धूप में उतनी तकलीफ़ नहीं होती, तो भी तुम से पहले का खड़ा हूँ। पहले मेरा जन्म इसी जगह हुआ।

कौन सी अँगीठी दहक रही है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: किसान पहाड़ के रूप में घुटने मोड़कर नदी की चादर घुटने पर डाले हुए तथा आकाश का साफ़ा बाँधकर बैठा है। किसे दहकती अँगीठी बताया गया है? Answer: पलाश के लाल-लाल फूलों को दहकती अँगीठी बताया गया है।

सुबह कितने बजे पूजा करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंभगवान की पूजा के लिए सुबह-सुबह का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वैसे तो दिन में कभी भी सच्चे मन से आराधना की जा सकती है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार भक्ति के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इस समय हमारा मन शांत रहता है।

घर में प्रतिदिन पूजा कैसे करें?

इसे सुनेंरोकें- दैनिक पूजा का समय निश्चित करें और रोजाना उसकी समय पर पूजा करें. – हमेशा स्‍नान करके, साफ कपड़े पहनकर, साफ जमीन पर आसन बिछाकर उस पर बैठें. कभी भी जमीन पर सीधे बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए. हो सके तो ऊनी आसन पर बैठें.

इसे सुनेंरोकेंज्यादा परेशानियों का मूल कारण सही समाय, सही तरीक़े और मेहनत से कार्यों को ना करना है। फिर यही कार्य इकठ्ठा होकर एक ऐसा बोझ हो जाते हैं कि समझ नहीं आता कहा से शुरुआत करें। कुछ समझ नहीं आता तो पूजा पाठ में लग जाते हैं।

ज्यादा पूजा करने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंवह छल-कपट, पापी, धोखा देने वाला व्यक्ति होता है. ऐसे मनुष्य का मन हर समय अशांत ही रहता है. ऐसे व्यक्ति से बात करने पर दूसरों का मन भी अशांत हो जाता है. इसलिए पूजा या दर्शन करते समय ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए.

भगवान दुःख क्यों देता है?

इसे सुनेंरोकेंऔर दुख में सबसे ज्यादा भगवान को याद करता है । हम चाहे जितने भी बड़े क्यों न बन जाये इंसान को अपना वास्तविक स्वभाव नही भूल चाहिये जो भगवान ने हर इंसान को दिया है। जब तक हमे दुःख का पता नही चलेगा तबतक हमे सुख का अनुभव नही हो सकता हम जान ही नही सकते सुख कैसा होता है।

भगवान के भक्त दुखी क्यों रहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंईश्वर की कृपा उस पर चहुंओर से बरसती थी। सब तरह से उसका जीवन सुख से परिपूर्ण था, लेकिन समय का पहिया सदा एक समान नहीं चलता। उस भक्त के जीवन में भी दुख, कष्ट का आगमन हुआ। कष्टों में डूबते उतराते उसके मन में ईश्वर के लिए अविश्वास आ गया और वह ईश्वर के प्रति अनर्गल प्रलाप करने लगा।

सुबह की पूजा कितने बजे तक करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंभगवान की पूजा के लिए सुबह का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया हैं. वैसे तो देखा जाए तो सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद 6 से 8 के बिच पूजा करना अधिक शुभ माना जाता हैं. वैसे तो 8 बजे के बाद भी पूजा की जाती है लेकिन 6 से 8 का समय अधिक शुभ हैं.

भगवान दुःख क्यों देते हैं?

भक्ति करने से क्या फल मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंमनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य “भक्ति” करना है। हमारे सभी सद्ग्रंथो में लिखा है कि प्राणी अपने भक्ति तथा पुण्यो के बल से स्वर्ग-महास्वर्ग में जाता है, वहाँ इसे सर्व सुख प्राप्त होता है और यदि वह शास्रानुसार भक्ति करता है तो उसे “मोक्ष”(मृत्यु उपरान्त पुनः जन्म ना होना) की प्राप्ति होती है ।

बौद्ध धर्म के अनुसार दुःख का मूल कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगौतम बुद्ध ने दुख के जो अन्य कारणों में से सबसे प्रमुख कारण बताए थे, वे आज के जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण मालूम पड़ते हैं। उन्होंने इसके लिए लोभ और लालसा को जिम्मेदार ठहराया था। उनके शब्द हैं – ‘यह लोभ और लालसा ही है, जो दुख का कारण है। ‘ इसे ही हम दूसरी शब्दावली में ‘तृष्णा’ कहते हैं, जिसका अर्थ होता है प्यास।

पूजा पाठ करते समय उबासी क्यों आती है?

इसे सुनेंरोकें—शास्त्रों के अनुसार, सच्चे मन से की गई पूजा सदैव भगवान स्वीकार करते हैं। यदि किसी व्यक्ति को पूजा के समय उबासी या नींद आती हैं तो इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति के मन में दोहरी विचारधारा सक्रिय है। उनके मन में कई विचार आ रहे हैं। यदि आप परेशान होकर भगवान की भक्ति करते है तो आपको उबासी और नींद आने लगती है।

दुख से छुटकारा पाने के लिए सिद्धार्थ ने कितनी बातें बताई?

इसे सुनेंरोकेंबुद्ध ने कहा है दुख के बारे में अच्छे से जान लेने के बाद ही सुख मिलता है। उन्होंने बताया कि हर इंसान कभी न कभी दुखी होता ही है। हर इंसान को ये जान लेना चाहिए कि दुख का कारण क्या है, क्यों दुख आता है, हर तरह के दुख से छुटकारा पाया जा सकता है। और दुख को खत्म करने के क्या उपाय हैं।

बौद्ध दर्शन में दुख के कितने कारण है?

इसे सुनेंरोकेंउपर्युक्त चार आर्य सत्यों में से दूसरा सत्य है दुःख का कारण जिसे 12 निदानों के द्वारा समझाया गया है।

सप्तशती का पाठ कैसे करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकें-दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को लाल कपड़े पर रखकर उस पर अक्षत और फूल चढ़ाएं. पूजा करने के बाद ही किताब पढ़ना शुरू करें. -नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ”ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” का जाप करना (Mantra jaap) जरूरी होता है.

पूजा करते समय क्या नहीं करना चाहिए?

कभी भी गंदे कपड़े पहनकर पूजा नहीं करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से घर में दरिद्रता आती है। पूजा के दौरान मन को पवित्र रखें। कभी भी पूजा करते समय मन को दूषित नहीं रखना चाहिए।…

  1. गणेश जी को ना चढ़ाएं तुलसी दल।
  2. दीपक को कभी जमीन पर रखकर ना जलाएं।
  3. भगवान शालिग्राम को चावल अर्पित करने से बचें।

भगवान अपने भक्तों को कष्ट क्यों देते हैं?

इसे सुनेंरोकेंभक्त लोग तो भगवान से कष्ट ही मांगते हैं क्योंकि दुष्ट कृतिवान व्यक्ति को छोड़ दुख में सभी को भगवान का स्मरण होता है। इसका दूसरा कारण यह भी है की भक्त अपने जीवन में स्वयं कष्टों से जूझकर हम जीवों को यह शिक्षा देना चाहते हैं कि यदि तुम्हारे जीवन में भी ऐसी घटनाएं घटें तो तुम भी भगवान का भजन मत छोड़ना।

दुर्गा सप्तशती पाठ में क्या क्या पढ़ना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंश्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे’ का पाठ करना अनिवार्य है. इस एक मंत्र में ऊंकार, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां काली के बीजमंत्र निहित हैं. 7. यदि श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ संस्कृत में करना कठि‍न लग रहा हो तो हिन्दी में ही सरलता से इसका पाठ करें.

सप्तशती पाठ कितने दिन में खत्म करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंपाठ आप 7 दिन तक करेंगे, अगर आप एक दिन में इन 13 अध्याय यानी तीनो चरित्रों का पाठ नहीं कर पाते हैं, तो आपको प्रथम दिन प्रथम अध्याय करना है। दूसरे दिन दो, पाठ, द्वितीय और तृतीय अध्याय करना चाहिए।

भगवान की पूजा करने से मनुष्य दुखी क्यों होता है?

अब बात आती है कि ज्यादा पूजा पाठ करने वाले ही दुखी क्यों रहते हैं..? इसका सीधा सा उत्तर यह है कि ज्यादा पूजा पाठ करने वाला भक्ति के स्वरूप को नही समझने के कारण पूजा पाठ तो करता है, लेकिन वह अनजाने में सकाम पूजा ही करता है जिसका फल उसे सुख दुख के रूप में ही मिलता है।

कैसे पता करें कि भगवान हमारे साथ है या नहीं?

अगर आपको रात में नींद के दौरान बार-बार सपने आते हैं और सपनों में मंदिर, भगवान की मूर्ति या फोटो दिखाई देती हैं तो इसका मतलब है कि आप पर भगवान की कृपा बनी हुई है। कई बार ऐसा होता है कि आप किसी चीज को लेने के लिए आगे बढ़ते हैं, लेकिन लेते वक्त आपके मन में उसे लेकर कुछ संशय आ जाता है।

पूजा करने में मन क्यों नहीं लगता?

जी हां, ज्योतिष शास्त्र की मानें तो कुंडली में कुछ ग्रहों की दशा खराब होने पर व्यक्ति का पूजा-पाठ से ध्यान भटकने लगता है। कहते हैं कि भगवान की भक्ति में मन रमने के लिए कुंडली में गुरु ग्रह का सही दशा में होना बहुत जरूरी है। कई लोगों की कुंडली में गुरु नीच भाव में चला आता है।

भगवान अपने भक्तों को कष्ट क्यों देते हैं?

भक्त लोग तो भगवान से कष्ट ही मांगते हैं क्योंकि दुष्ट कृतिवान व्यक्ति को छोड़ दुख में सभी को भगवान का स्मरण होता है। इसका दूसरा कारण यह भी है की भक्त अपने जीवन में स्वयं कष्टों से जूझकर हम जीवों को यह शिक्षा देना चाहते हैं कि यदि तुम्हारे जीवन में भी ऐसी घटनाएं घटें तो तुम भी भगवान का भजन मत छोड़ना।