भारत में बढ़ता जल संकट एवं उसका समाधान - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकीचर्चा का कारणहाल ही में भारत सरकार ने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के साथ-साथ पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय का विलय कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया है। जल शक्ति मंत्रालय ने अपनी पहली बैठक में ही 2024 तक देश के हर घर तक ‘नल से जल’ पहुँचाने की महत्वाकांक्षी लक्ष्य को तय कर दिया है। Show
परिचयसुरक्षित पेयजल जीवन के अधिकार का एक अंतरंग हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र ने सुरक्षित पीने के पानी को एक मौलिक अधिकार और जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में एक आवश्यक कदम के रूप में घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक अपने सतत विकास लक्ष्यों में सुरक्षित और सस्ते पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना निर्धारित किया है, जिसे हासिल करने के लिए भारत भी प्रतिबद्ध है। विगत कुछ दशकों पहले तक भारत स्वच्छ पेयजल के लिए प्राकृतिक जलाशयों और कुंओं पर निर्भर रहता था। परंतु अब इन जलस्रोतों के लगातार सूखने से देश को तीव्र जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है। देश के कई हिस्सों में लगातार सूखे के कारण स्थिति और खराब होती जा रही है। भारत के संविधान में स्वच्छ पेयजल के प्रावधान को प्राथमिकता प्रदान की गई है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 के अंतर्गत स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना राज्यों का कर्त्तव्य है। इसके अतिरिक्त भारत में पानी के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार से प्राप्त किया गया है। आंध्रप्रदेश पॉल्यूशन बोर्ड बनाम प्रोफेसर एम-वीनाय डू केस में सर्वोच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि पीने का पानी जीवन के लिए एक मौलिक अधिकार है और राज्य का कर्त्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएं। यह निर्णय स्वच्छ पेयजल के दावों को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करने में एक विशिष्ट महत्त्व रखता है। वर्तमान स्थिति चिंताजनकदेश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पेयजल की स्थिति बेहद गंभीर है। सरकार द्वारा दिए गए आँकड़ों के अनुसार ग्रामीण भारत के 16.78 करोड़ घरों में से केवल 2.69 करोड़ (16%) घरों तक पाइप से पानी की पहुँच है। इसके अतिरिक्त 22 फीसद ग्रामीण परिवारों को पानी लाने के लिए आधा किलोमीटर और इससे अधिक दूर पैदल चलना पड़ता है। गाँवों में 15 फीसद परिवार बिना ढके कुंओं पर निर्भर हैं तो अन्य लोग दूसरे अपरिष्कृत पेयजल संसाधनों जैसे- नदी, झरने, तालाबों आदि पर निर्भर रहते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों में जलापूर्ति की स्थिति बेहद गंभीर है, जहाँ पाइपलाइन से आपूर्ति पाँच प्रतिशत से भी कम है। वर्तमान में सिक्किम भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ 99 फीसद घरों में नलों से जलापूर्ति की जाती है। इसके बाद गुजरात का स्थान है जहाँ 75 फीसद लोगों को पाइपलाइन से पेयजल मिलता है। इस संदर्भ में नीति आयोग ने अपने दृष्टिकोण में कुछ चौंकाने वाले तथ्यों को उजागर किया है। नीति आयोग की रिपोर्ट
केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट
जल प्रबंधन प्रणाली कैसे सुनिश्चित हो
सरकारी प्रयास
गौरतलब है कि भारत सरकार स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास कर रही है फिर भी इसके समक्ष कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं। चुनौतियाँ
आगे की राहनिष्कर्षतः किसी भी देश की वृद्धि और विकास के लिए प्रभावी जल प्रबंधन बहुत आवश्यक है, इसलिए जल-संचयन और भंडारण पर अधिक गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। कृषि और उद्योगों के साथ विशाल आबादी की पानी संबंधी माँगों को पूरा करने के लिए भारत को जल उपलब्धता, अनुकूलतम प्रबंधन, बेहतर आवंटन प्रक्रिया, रिसाव की उच्च-दर में कमी लाना, गंदे पानी का पुनः प्रयोग और वर्षाजल संचयन के साथ जलापूर्ति के वैकल्पिक संसाधनों को बढ़ाने के लिए मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्स्थापन (आरआरआर) के लिए व्यक्तिगत, सामूहिक और संस्थानिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना चाहिए। ग्रामीण समुदाय अपने प्राकृतिक जल संसाधनों का प्रबंधन करने हेतु जल-संचयन ढाँचों का निर्माण कर सकते हैं और जल-संरक्षण की अपनी प्राचीन परंपराओं को अपनाने के लिए संगठित होकर अपनी दीर्घकालिक जल प्रबंधन समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। राष्ट्र के समक्ष आ रही जल संकट की गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए हमें अपने सबसे निचले-स्तर के लोगों के अनुभव का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में ग्रामीण समुदायों को संगठित करने और उन्हें अपनी पारंपरिक जानकारी का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किए जाने से काफी सहायता मिल सकती है। भारत में जल संसाधनों की प्रमुख समस्याएं कौन सी हैं?भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण नदियों के प्रवाह में कमी, भूजल संसाधनों के स्तर में कमी एवं तटीय क्षेत्रों के जलभृतों में लवण जल का अवांछित प्रवेश हो रहा है। कुछ आवाह क्षेत्रों में नहरों से अत्यधिक सिंचाई के परिणामस्वरूप जल ग्रसनता एवं लवणता की समस्या पैदा हो चुकी है।
जल की समस्या क्या है?इस समय देश की आधी से ज्यादा आबादी भयंकर जल-संकट से गुजर रही है। पानी की समस्या बीते वर्षों में विकराल हो चली है। बहुत कम संख्या में बची झीलें, तालाब और नदियां अपने अस्तित्व को जूझ रही हैं। 2020 में जारी इकोलॉजिकल थ्रेट रजिस्टर की रिपोर्ट के अनुसार आज भारत की लगभग साठ करोड़ जनता पानी की जबर्दस्त किल्लत से जूझ रही है।
भारत में जल की कमी के क्या कारण हैं?अतः देश की बढ़ती आबादी हेतु पीने के पानी व खाद्यान्न आपूर्ति के लिए भूजल स्तर में सुधार करने व जल उत्पादकता बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. भूजल स्तर कम होने के कारण अनेक क्षेत्रों में हानिकारक तत्वों जैसे आर्सेनिक, कैडमियम, फ्लोराइड, निकिल व क्रोमियम की सान्द्रता भी बढ़ती जा रही है.
जल की समस्या का समाधान क्या है?ग्रामीण क्षेत्रों में नदियों पर एनीकट बनाकर नदियों के गहराई वाले पानी को लिफ्ट करके 3५ - 40 गांव की सामूहिक पेयजल योजनाएं बनाई जानी चाहिए। लोगों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर उनका संरक्षण करना चाहिए, ताकि वायुमंडल में नमी होने पर बादल आकर्षित होकर वर्षा करें।
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