प्रेगनेंसी कन्फर्म होते ही हर शादीशुदा जोडें (Couples) की ख़ुशी को चार चांद लग जाते है। और जीवन में एक नयी उमंग जागती है पर इसके साथ ही लड़की/स्त्री के मन एक विचलित करने वाला प्रश्न उठता है कि नॉर्मल डिलीवरी होगी या फिर सिजेरियन डिलीवरी ? Show
नॉर्मल डिलीवरी की चाह, पूरे 9 महीने के गर्भकाल के समय रहती है। तो, इस लेख में हम नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती (normal delivery kaise hoti hai) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे | लेकिन हमेशा की तरह आपको ब्लॉग को पूरा ध्यान लगाकर अंत तक पढ़ना होगा | आईए, विषय सूचि के एक-एक पॉइंट से नॉर्मल डिलीवरी के लिए टिप्स (normal delivery tips in hindi) को समझते है। विषय सूचि :-
नॉर्मल डिलीवरी क्या है ? (Normal Delivery in Hindi)नॉर्मल डिलीवरी में शिशु लगभग 9 महीने के बाद लेबर पेन होने पर माँ की गर्भाशय (बच्चेदानी) से पेल्विस से होता हुआ वेजिना (योनी) से बहार आता है। इस तरह की डिलीवरी में कोई सर्जरी नहीं होती है। बस वेजिना में एक छोटा सा चीरा (कट) लगाया जाता है जिससे शिशु आसानी से बहार आ सके | फिर टाँके लगाकर इस कट को फिर से ठीक कर दिया जाता है। नॉर्मल डिलीवरी होना महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। क्योंकि नॉर्मल डिलीवरी में शरीर की रिकवरी सामान्यता 1 महीने में हो जाती है और ज्यादा परहेज करने की आवश्यकता नहीं होती है। आपको नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery kaise hoti hai ) की प्रक्रिया बहुत आसान लग रही होगी पर यह एक बहुत लंबी और जटिल प्रिक्रिया है। जिसे हम निम्नलिखित 9 चरणों और चित्रों (pics) से आसानी से समझ सकते है।
उपरोक्त सभी चरणों की प्रक्रिया तभी संभव हो पाती है जब शिशु उल्टा या नाल में ना फंसा हो | इस प्रकार इन सभी 9 चरणों का सही तरीके से सही समय पर होना नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) के लिए बहुत आवश्यक है। अगर एक भी चरण में कुछ भी गड़बड़ होती है तो शिशु और माँ की जान को खतरा हो सकता है अत: इस परिस्थिति में डॉक्टर को सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है। नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) में लेबर पेन बहुत ही ज्यादा होता जो लगभग कई हड्डीयों एक साथ टूटने के बराबर होता है अत: इस लेबर पेन को कम करने के लिए आजकल बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी (painless normal delivery tips in hindi) में कमर के निचले हिस्से में रीढ़ की हड्डीयों में बीच निश्चेतना का इंजेक्शन लगाया जाता है। जिससे लेबर पेन महूसस नहीं होता और बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी (bina dard ke normal delivery)आसानी से हो जाती है। यह भी जानए – पीरियड के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है? नार्मल डिलीवरी के लक्षण (Normal Delivery Ke Lakshan)नार्मल डिलीवरी होने की 100% पुष्टि करना तो बहुत मुश्किल है पर कुछ लक्षण नार्मल प्रसव के संकेत देते है। जो की नार्मल डिलीवरी होने की संभवना को प्रबल करती है।
यह भी ज़रूर पढ़े :- गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है ? नॉर्मल डिलीवरी वीडियो इन इंडिया (Normal Delivery Video in Hindi)अब आपके मन कर रहा होगा की अगर कोई नॉर्मल डिलीवरी वीडियो देखने के लिए मिल जाए तो और भी अच्छे से समझ आ जाएगा की नार्मल डिलीवरी के समय क्या कंडीशन और माहौल रहता है। नॉर्मल डिलीवरी की पूरी परिस्थिति को आसानी से समझने के लिए निम्नलिखित वीडियो लिंक पर ज़रूर क्लिक करे सकते है। नार्मल डिलीवरी वीडियो नॉर्मल डिलीवरी के लिए टिप्स (Normal Delivery Tips in Hindi)जैसे की आप सभी ने अपने बडे बुजुर्गो से नॉर्मल डिलीवरी के सम्बन्ध में सुना होगा के हमारे जमाने में घर पर ही बच्चे के डिलीवरी हुआ करती थी | सुना-सुना सा लगा ना यह | पर ऐसा इसलिए संभव होता था क्योंकि उस जामने मे जीवनशैली, खानपान और वातावरण नॉर्मल डिलीवरी के लिए उत्तम था | पर आज भी जीवनशैली और खानपान में बदलाव ला कर हम नॉर्मल डिलीवरी होने की सम्भावनाओं को प्रबल कर सकते है। तो आईए, जरा इन नुस्खों पर भी गौर करते है।
नार्मल डिलीवरी के लिए योग (Yoga for Normal Delivery in Hindi)प्रेगनेंसी के समय वज़न बढ़ने और कमर में दर्द की समस्या रहती है। और प्रीनेटल योग (yoga for pregnancy in hindi) इन दोनों समस्याओं के निदान के लिए बहुत ही उत्तम है। प्रेगनेंसी के 3 महीने बाद योग व्यायाम डॉक्टर के परामर्श और योग ट्रेनर की देखरेख में करना चाहिए | (i) स्टेंडिंग स्क्वाड (standing squats) :- यह खड़ा होकर किया जाने वाला योग व्यायाम है जिसे आप 15 से 20 बार सामर्थ्यनुसार कर सकती है। इस योग व्यायाम से पेल्विक और हिप्स मसल्स मजबूत होती है। (ii) बद्धकोणासन :- यह योग आसन बच्चेदानी और पैरों की मांसपेशियों के लिए बहुत उपयोगी है। (iii) मलासन :- इसमें आप को आराम से कुकुड(मुर्गे) के तरह बैठना होता है। इस प्रकार योग प्रीनेटल योग नार्मल प्रेगनेंसी के लिए बहुत ही लाभकारी है पर इसे सही समय और सही तरीके से डॉक्टर की सलाह और योग ट्रेनर की देखरेख में करना ज़रूरी है। जयपुर में प्रीनेटल योग सीखने के लिए Fityog yoga center पर क्लिक कर ज़रूर visit करे | डॉक्टर की सलाह और ट्रीटमेंट ही नॉर्मल डिलीवरी का आधार है क्योंकि हर स्त्री की प्रेगनेंसी कंडीशन अलग-अलग होती है। अगर आप जयपुर में अपनी डिलीवरी (प्रसव) करवाना चाहती है तो Dr. Mayuri Kothiwala का क्लिनिक जो की जयपुर के सबसे अच्छे gynecologist सेन्टर में से एक है में अपॉइंटमेंट बुक कर सकती है। Dr. Mayuri Kothiwala – gynecologist in Jaipur, laparoscopic surgeon & infertility doctor, cosmetic gynecologist Address: 11-12, Laxmi Nagar, Sitabadi, Tonk Rd, Near Airport, Jaipur, Rajasthan 302029 Phone: 090798 28410 आशा करते है कि आपको नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery kaise hoti hai) के बारे में लाभकारी जानकारी प्राप्त हुई होगी | लेख को ओर अधिक बेहतर बनाने के लिए आप के सुझाव कमेंट बॉक्स में आमन्त्रित है। यह पढ़ना भी ना भूले :-
Blog by :- Anil Ramola नॉर्मल डिलीवरी के लिए खुद को कैसे तैयार करें?Also Read. सही आहार आपने कई बार सुना होगा कि गर्भवती महिला को अपने खाने-पीने का पूरा ध्यान रखना चाहिए. ... . टहलना एक वक्त था जब गर्भावस्था में महिलाओं को चलने-फिरने से भी मना कर दिया जाता था. ... . व्यायाम करें और तनावमुक्त रहें गर्भावस्था में ये बहुत जरूरी है कि गर्भवती महिला खुश रहे. ... . पानी पीएं. बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी कैसे होती है?आसान और सेफ है पेनलेस डिलीवरी : आनंदिता अस्पताल के निदेशक डा. रवि आनंद ने बताया कि नार्मल डिलीवरी की असहनीय वेदना से निजात दिलाने के लिए कमर के निचले भाग में स्थित रीढ़ की हड्डियों के बीच निश्चेतना की सूई दी जाती है। इससे लेबर-पेन बिल्कुल नहीं होता परंतु प्रसव की प्रक्रिया अपनी सामान्य गति से चलती रहती है।
दर्द रहित नॉर्मल डिलीवरी के लिए मुझे क्या करना चाहिए?एपिड्यूरल ब्लॉक
विदेशों में लेबर पेन को कम करने के लिए इस तरीके का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें दर्द निवारक और संवेदनात्मक गुण होते हैं। एपिड्यूरल एक टयूब जैसा उपकरण है जिसे पीठ में लगाया जाता है। दर्द के संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचने से दवा रोक देती है।
प्रसव पीड़ा कम करने के लिए क्या करें?जब प्रसव शुरू होता है और आप दर्द का अनुभव करने लगती हैं तो ऐसे में अपनी सांस लेने-छोड़ने की रफ्तार पर ध्यान देने और तेज़ी से सांस लेने से आपको राहत मिलगी। आपके सहयोगी की मदद से यदि आपको आपकी पीठ पर हौले से मसाज मिलती है तो इससे भी आपको राहत मिल सकती है।
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